Tuesday, August 25, 2009

ग्रहण की कालिमा प्रचंड ज्योति का प्रतीक है

सूर्य या चंद्रमा के शक्ति मान स्वरुप पर राहू की काली छाया भारतीय धर्म में ग्रहण माना जाता है| यही जीवन का बड़ा प्रेरणा स्त्रोत और जीवन को सफलतम रूप में प्रस्तुत करने वाला दिशा सूचक कारक भी हो सकता है|

गहन अन्धकार में डूबे हुए सूर्य को प्रकाशित होने के लिए भी तो संघर्ष करना पड़ता है |भारतीय धर्म शास्त्र में यहस्पष्ट है कि सूर्य, चंद्रमा,राहू के प्रभाव से शापित होकर या संपर्क में आकर अपनी तेजोमयी राशी और प्रकृति सेविहीन हो जाते है और उन्हें संघर्ष करना होता है अपने अस्तित्व के लिए |कहने और समझने का अभी प्रायः यहकि सूर्य के सर्व शक्तिमान स्वरुप को भी बार बार एक अदने से गृह के कारण अधिक संघर्ष शील होना पड़ता है औरकुछ ही पलों में वह अपनी शक्ति और नैसर्गिक गुणों के कारण विजयी भी हो जाता है यही सत्य संसार पुरातन सेदेखता आया है |

मित्रों यही जीवन का वह पहलू है जहाँ इंसान को एक जाग्रत उदाहरण मिलता है जीवन से जीतने का ,समझने काऔर उसे अपने अनुरूप बनाने का और यहीं से वह जीवनके सार्थक क्रियान्वयन की तकनीक भी सीख पाता है|जीवनमे जब हम अपने मूल उद्देश्यों और साधनों की खोज या समाज में अपनी पहचान ढूढ़ रहे होते है तो हर स्तरपर हमे आलोचना और संघर्ष का सामना करना होता है और सबके बाद स्वयं को सिद्ध करके हमे जीवन जीतना होता है,मगर यदि हम आलोचना ,संघर्ष और स्थिरता के मध्य ऋणात्मक हो गए तो निश्चित ही हमें हार कासामना करना पड़ता है ,जबकि जीवन को वही ग्रहण यह प्रेरणा देता रहता है कि तुम एक बार तो संघर्ष का बिगुलबजाओ मै तुम्हें विजेता बना दूंगा |

मित्रों आलोचक और नकारात्मक व्यवहार वाला व्यक्ति कितना ही बड़ा या छोटा क्यों हो वह आपको अपने मार्गसे हटाने में कामयाब नहीं होना चाहिए आपको आवश्यकता है कि आप केवल अपने आदर्शों और क्रियान्वयन औरलगन के सहारे थोड़ी देर अडिग और स्थिरता बनाए रखें ,धैर्य और सह्ष्णुता के बल पर इस विशवास से स्वयं कोसंभाले रहें कि आपको एक विजेता के सुख के लिए यह त्याग करना ही होगा |

मित्रों जैसे ग्रहण के बाद सूर्य की प्रचंड रोशनी के सामने कुछ भी नहीं टिक पाता उसी तरह आदमी के व्यक्तित्वकृतित्व के सामने कोई व्यवधान खडा नहीं हो सकता बस एक संकल्प की आवश्यकता है जो स्वयं आपको एकअजेय योद्धा बना देगा जिसपर जीवन और इतिहास को गर्व का अनुभव होता रहेगा |

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