हम जिस समाज में रहते है वहां हर तरह के लोगों हमारा सम्बन्ध स्थापित रहता है इनमे से कुछ ऐसे होते है जोसामान्य व्यवहार की तरह सबसे अच्छा व्यवहार ही करते है |कुछ ऐसे होते है जो केवल अपने मतलब स मतलबरखते है केवल आवश्यकता होने पर ही व्यवहार में सहयोगी होते है ,और कुछ ऐसे होते है जिन्हें किसीसे कोईमतलब नही रहता वे समाज परिवार और संबंधों के प्रति भी बेहद उदासीन रहते है |इसके अतिरिक्त समय के साथकामकी समानता में और एक ही उद्देश्य की प्राप्ति में भी कुछ लोग स्वार्थ ,बनावटी ,या बहुत से आवरणों के साथव्यवहार करते दिखाई देते है ,इनकी आस्था पद ,स्थान ,कार्य,और अपने स्वार्थों से जुडी होती है ,जैसे ही इनकाकार्य ख़तम हुआ ये अपना रंग बदलने में जरा भी देर नहीं करते |
मित्रों जीवन ईश्वर की एक अमूल्य सौगात है और यहाँ हर कार्य में आपको आदर्श ,नियम कायदे ,और एक निश्चितदिशा की आवश्यकता होती है इसमे हर आदमी के साथ आपका व्यवहार संयमित और प्रेम का ही होना चाहिएआप कामके वक्त पद के आधार पर और समय के अनुसार अपने व्यवहार को ऋणात्मक स्वरूपऔर , में बदलतेजाते है तो आपको यह अवश्य ध्यान रखना होगा कि शीघ्र ही आपके सामने और अधिक विकराल समस्यायें आनेवाली है तब आपको शायद अपने बहुत शुभ चिन्तक न मिलें,क्योकि सारा समाज तो आपसे ऐसी ही शिक्षा लेकरबेहद स्वार्थी बना खडा है,और आप इस विषम स्थिति में अकेले के अकेले रह गए है |
जीवन में आप अपने साथ जो जैसा व्यवहार करता है वैसे ही होने कि कोशिश करते हो ,आप दूसरों से तुलना करतेहुए यह बताने कि कोशिश करते है कि आप उनसे ज्यादा समझदा है ,जबकि आपका व्यवहार एक प्रतिस्प्रधा ,एकबाजी ,एक प्रतिशोध और एक ऋणात्मक चित्र प्रर्दशित करता है यह आपकी पहली हार होता है आप बार बार यहजताने कि कोशिश करते है कि आपमें भी वो कमियां विद्यमान है जिन्हें दूसरा लेकर चल रहा है अर्थात आपकेव्यवहार को दूसरा व्यक्ति अपने सा बना लेता है और आप बाजी खेलने से पहले ही जीवन के यथार्थ से हार मान लेतेहै |जब आप जीवन कि धनात्मकता से पहले ही हार मान बैठते है तो स्वाभाविक तौर पर आप आदर्शों की स्थापनामें भी हार मान लेते है और एक भीड़ बन जाते है और भीड़ की कोई मानसिकता होती ही कहाँ है |वहतो केवलस्वच्छंदता और अपना लाभ समझती है और हर आदमी लुटेरा हो जाता है फिर आदर्शों की बातें तो केवल परिहासका विषय बनजाये तो क्या बड़ी बात है |
जीवन में जो लोग आपको सहारा ,आलंबन ,और सहयोग देते है वे आपकी समृद्धि और विकासके लिए सही मायनेमें हकदार है आपको उन्हें हमेशा अपने पूर्ण भाव में विकास और सुख काकरक मानना चाहिए अन्यथा आप भीएक भीड़ बने अपनी पहचान के लिए भटकते रहेंगे |
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
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