रात भर तन्हाई में गाता रहा
ग़म कॉ आलम याद फ़िर आता रहा
हर गया लमहा तुम्हारी याद बन
बे वज़ह इस दिल को तडफाता रहा
कश्तियों के डूबने कॉ शोर सा
मेरे साहिल पर सदा आता रहा
आशियानों में लगी थी आग क्यों
सोच कर ता उम्र घबराता रहा
दर्द का एहसास राही क्या बला
उम्र भर पत्थर से टकराता रहा
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
Monday, August 3, 2009
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