Tuesday, August 11, 2009

स्वाइन फ्ल्यू,सावधानी एवंपरम्परावादी बचाव

आज पूरा विश्वाहै एक ऐसी महामारी की चपेट में है जिसका उसपर कोई ठोस निराकरण नहीं है वज्ञानिक खोजें चल रही है और लगभग दो माह का समय चाहिए इनकी आपूर्ति में यह महामारी इतनी तेजी से फैल रही है इसका अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पतालों और डॉक्टरर्स के पास समय नहीं है सभी मरीजो के लिए ,चाहे वह छोटी जगह हो या बड़ी नगरीय व्यवस्था कमोवेश हर ५ घरों में एक मरीज इस रोग से पीड़ित दिख रहा है और सरकारी व्यवस्था अपूर्ण और जर्जर दिखाई दे रही है डॉक्टर संख्या और साधनों में सारी व्यवस्था और ताकत लगा कर भी कम और असहाय जान पड़ रहे है तथा मीडिया पूरी ताकत से इस कार्य वाही को सरेआम कर रहा है ,शायद किसी पर भी पूर्ण तसल्ली से जांच करने का समय नहीं है

चिकित्सा क्षेत्र पूर्व से ही धन ,दवा,साधन कि कमी ,और डोक्टरर्स ,और स्टाफ की कमी से बेहाल थे ऐसे में उनकी इस आवश्यकता की आपूर्ति कैसे हो यह उनकी भी समझ से परे है ,बीमारी चैक करने के लिए थोड़ी संख्या में किट है ,मौसम मौसमी बीमारियों का है ,और अस्पतालों में जगह नहीं बची है परिणाम आम आदमी अस्पतालों से बिना इलाज वापिस लौट रहा है ,और प्रभावशाली समाज शासकीय व्यवस्थाओं को आँखें दिखा रहा है शायद इससे कोई परिवर्तन और बड़े सुधार की आशा नही की जा सकती है

यहाँ सबसे बड़ी बात यह है कि आप अपनी कमियों को बताना नहीं चाहते उसके लिए जनता से झूठ और फरेब का सहारा ले सकते हैशायद इससे समस्या अधिक गहराती जा रही है ऐसे समय में आवश्यकता है संगठित सामाजिक सहयोग की और इसके लिए समाज सरकारी तंत्र और बाह्य तकनीकी सहायता का सम्मिश्रित स्वरुप अधिक सहायक हो सकता है

भारतीय ग्रंथों में कई स्थानों पर यह स्पष्ट किया गया है कि जो बीमारियाँ जिस शक्ति से संचालित है उसी के परिष्करण से उनका बचाव सम्भव है और इसके लिए मेरे मत में निम्न उपाय किए जा सकते है

  • सामान्य बचाव में तुलसी के पत्तों का प्रयाग करें काली मिर्च ,छोटी पीपल और हल्दी का प्रयोग भी अधिक लाभ कारी हो सकता है
  • नीम गिलोय का २ इंच का टुकडा ५ काली मिर्च ५ तुलसी के पत्तों के साथ सुबह शाम ले सकते है
  • जलते कंडे पर ४ लोंग गूगल और लोबान और घी डाल कर दोनों समय सारे घर में धूनी दे सकते है इससे आपके घर का वातावरण शुद्ध होगा तथा वायु विकार एवं अनेक तरह के कीट नहीं पनप पायेंगे
  • घर में छोटे बच्चों को देशी कपूर एवं आधा झारा कि जड़ गले में पहना सकते है
  • ५0 ग्राम फिटकरी ,१o ग्राम सुहागा भून कर उसमे20 ग्राम पापडी कत्था मिलाये तीनों को मिला कर शीशी में भरलें फिर सुबह शाम चुटकी भर चूर्ण शहद के साथ लें
  • घर में दोनों समय शंख और घंटी कि ध्वनी लगभग ३ से ५ मिनट करें इससे भी कई प्रकार के लाभ पैदा होते है
  • प्राणायाम एवं हल्का योग अवश्य करे

आवश्यक नहीं कि आप इनमे से सभी का प्रयोग करे आपको जैसा सरल लगे आप उपयाग कर सकते है ये मेंरे व्यक्तिगत अनुभव है धर्म आयुर्वेद और भारतीय दर्शन में बहुत जगह पशुओं से उत्पन्न बीमारियों का वर्णन किया गया है साथ ही आकाश तत्त्व और वायु तत्त्व को शुद्ध रखने का भी विधान है शायद पूर्व में भी इससे मिलती जुलती त्रासदियों में ये प्रयोग अधिक सफल देखे गए है आप अपने अनुसार यदि ठीक समझे तो इसका प्रयोग कर सकते है

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