यहाँ प्रश्न यह था कि वह अमूल्य निधि दौनों के हाथ में बराबर थी ,और दौनों ही बड़े धनवान् थे ,मगर एक अंधेरों में गुम हो गया ,और एक इतिहास के लिए दीर्घजीवी क्यों बना रहा ?प्रश्न के उत्तर में केवल यही निष्कर्ष सामने आया कि एक ने इसे बहुमूल्य मान कर उसका उपयोग पूरी ताकत और मेहनत से किया ,उसके लिए उसने तमाम सुखों को बलिदान किया, उसने सर्वाधिक महत्व केवल समय को दिया और समय ने उसे बहुमूल्य समझ कर इतिहास के पन्नो में अमर बना दिया दूसरी तरफ़ समय की इस अमूल्य निधि को बोरियत,साधनों और भोग्य का सामन बना देने वाला विचार खड़ा रहा उसने जीवन को अपनी पूर्ण सीमा तक उपभोग और ऐय्याशी का विषय बना डाला और समय ने उसे इस तरह हराया कि उसका नमोनिशाँ तक मिटा डाला ,एक ऐसे गहन अन्धकार में धकेल दिया जहाँ से उसका अस्तित्व तक मिट गया ,इसका अपराध केवल यह था कि उसने समय कि बहुमूल्यता को भुला कर उसका उपहास उडाया था
मित्रों जीवन और प्रकृति में क्षमा शब्द है ही नहीं ,ईश्वर ने मनुष्य को दो महत्वपूर्ण उपहार दिए है एक जीवन दूसरा समय और इंसान इन्हीं दो संपत्तियों से बहुत बड़ा धनवान था ,मगर उसने यदि इनका प्रयोग तुच्छ मानसिकताओं और केवल शरीर के लिए किया तो निसंदेह समय ने उसे सहज ही भुला दिया है
समाज ,शरीर और परिवार के सुख आपका उद्देश्य हो ही नहीं सकते ,आप इन्हें केवल उतना महत्व दें जितना आवश्यक है, इन सबके विचारों से समय बरबाद करना ही पाप है हम अपने थोड़े समय के सुख के लिए समय की जो दीर्घ राशि गंवातें है यही हमारा सबसे बड़ा अपराध है व्यर्थ कर्म का दीर्घ चिंतन ही हमारा अपराध बोध बनता है
- समय के में विशेष यह ध्यान रखा जाए
समय कॉ पूर्ण उपयोग किया जाए - शरीर साधनों और सांसारिक आपूर्तियों के साथ मन के और आत्मा के लिए भी इसका उपयोग बराबर से करते रहना चाहिए
- हर पल कुछ नया सीखने की जिज्ञासु प्रुवृति अपने आप में पैदा करें और नया करने कॉ संकल्प बनाए जिससे समाज परिवार और आत्मा की आंतरिक भूख शांत हो सके
- समय के हर पल को जीना सीखना भी एक कला है
- समय सारिणी आपको समयका महत्व बताने में अहम् भूमिका अदा कर सकती है आप केवल एक बार एक कठोर निर्णय कर अपने आप को बांधने की कोशिश करें
- समयके सार्थक उपयोगमें ही ईश्वर कॉ वास है
हर पल जीवन में ,समय और उसके सार्थक प्रयोग का भाव अधूरा दिख रहा है ,उसे पूर्ण करने के लिए एक नए संकल्प की आवश्यकता है समय का प्रयोग आपको अवश्य सिद्ध करदेगा मगर आवश्यकता इस बात की है की आप यह समझ लें कि आपका हर निर्णय आपके लिए इनवेस्टमेंट हो ना की एक ऐसा ऋण जिसे आप स्वयं मरकर भी पूरा न कर सकेंआपका हर समय के सम्बन्ध कॉ निर्णय आपको एक नयी स्फूर्ति प्रदान करे न कि एक बड़ा अपराध बोध
2 comments:
sir ,
ur blog is ultimate ..............
i think most of the people know everything but they dont follow all that ................it needs courage n determintation to follow all this..........
IGNORANCE of
all this makes their life more tough..............
guruji charan spars,me aapke blog padker bahut relex feel kerta hon.vikasdeep
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