स्कूल में भरती बच्चे पर उसके साथियों ,परिवेश और उसके गुरुजनों द्वारा सम्मानित समाज के तमाम लोगउसकी प्रेरणा का श्रौत बनने लगते है और वह कोशिश करने लगता है कि वह भी उन्ही कि तरह सफल होकर सबजगह सराहा जाए |उसकी तुलना का यह भी विषय होता है कि वह जिन दोस्तों जिस माहोल और जिस परिवेश सेजुड़ा होता है,उससे संपन्न और अधिक श्रेष्ठ व्यक्तियों कि तरह वह भी परिपूर्ण होना चाहता है |उसके मन मेंअंतर्द्वंद चलता रहता है कि मै अधिक संपन्न और श्रेष्ठ क्यों नहीं हूँ |वह दिवा स्वप्नों में स्वयं को सर्वाधिक संपन्नऔर योग्य मानने लगता है |
थोडा बड़ा होने पर उसे ज्ञात होने लगता है कि पिता ने जो सहज प्रश्न पर मेरे कलेक्टर डॉक्टर और इंजिनियर बनने की जो कल्पनासोची थी उसके लिए वह काफी कठिन विषय थी|उसका अन्त: अपने आप से लड़ने लगता है कि वहकहाँ अपनी सफलता ढूढे |उसे मार्ग दर्शन देने वाला कोई दिखाई नहीं देता ,उसके अपने यह बताने लगते है कि मैअमुक कोर्से कर रहा हूँ आपभी वो करलें,क्योकिं उन्हें अपने साथ के लिए कोई चाहिए था |हम देखा देखी सब कुछकरना चाहते है ,यह समझे बगैर कि यह अध्ययन हमारी जरूरत है कि नहीं क्योकि हमें कोई समझा नही पा रहाथा ,जो समझते थे वे हमारे अपने नहीं थे और हम केवल अस्थिर कन्फ्यूज और दूसरे की सीख पर बिना सोचेसमझे चल पड़ते है शायद इसमे ही अपना हित हो परन्तु धीरे धीरे यह स्पष्ट होने लगता है की हमने अपना मार्गअपनी कल्पनाओं से विपरीत चुन लिया है ,और यह भी हमारी हताशा का एक बहुत बड़ा कारण हो जाता है |
यहाँ युवा की भी अपनी सोच पैदा होने लगती है वह अपने मित्रों और परिवेश की नक़ल करने लगता है उसकेस्टेटस सिम्बाल में आधुनिकता आने लगती है वह बाह्य चमक धमक से अपना व्यक्तित्व निखारने की कोशिशकरने लगता है मगर थोड़े दिन बाद यह मालूम होने लगता है की समाज दोस्त और उसके अपनों के लिए वह केवलएक सिद्ध करने की वस्तु बन कर रह गया है ,उसके तात्कालिक निर्णयों ने उसे बहुत क्षति पहुंचाई है |इस समयतक उसके जीवन कॉ बड़ा भाग वह बीता हुआ मानने लगता है और यह भी उसकी हताशा कॉ कारण बन जाता है |
, आपको जरूरत है निम्न सूत्रों की|
- मित्रों सब आनादी काल से इसे ही चलता रहा है और चलता भी रहेगा उसपर दुःख मानाने और शोक करने कीजरूरत नहीं है क्योकि जब आप किसी के फरेब दुःख और इर्ष्या कॉ शिकार होते हो तो आपमें क्रोध और बदले कीकामानायं प्रचंड रूप में विद्यमान होती है आपको इसी क्रोध और प्रचंडता को दिशा देकर अपने आप को सिद्ध करनेकी जरूरत है बस एक बार संकल्प करें |
- जीवन के लिए अपनी राह ख़ुद बनाए ,जब आप अपनी राह बना कर बड़े उद्देश्य के लिए चलेंगे तो समाज फ्रंड्सऔरआपके अपने ही उस प्रयत्न में रुकावट ,लालच ,तात्कालिक उपलब्धियों का जाल बनेगे मगर आपको यह सोचकरआगे जाना है की यह आपको बाद में देखना है
- आप अधिक से अधिक लोगों के संपर्क से अपनी समस्यायें सुलझाने कॉ प्रयत्न करे ध्यान रहे कि इस प्रयासमें आपको गुमराह ,हतोत्साहित और निराशा देने वाले ९० प्रतिशत से ज्यादा ही मिलेंगे मगर यह खोजउनसे पूरी होगी जो आपको सही मार्ग देने के लिए उत्साहित है |विशवास रखें कि आपका पथ प्रदर्शकआपको अवश्य मिलेगा|
- किसी भी समय भी धनात्मक सोच से अपना मार्ग बनाना और उसपर अमल करना देर नहीं हो सकती आपआज यदि अपना नियत उद्देश्य बना कर यदि चल दिए है तो मंजिल की मजबूरी है कि वह आपकोअवश्यमिलेगी ही
- जो आपसे अपने किए उपकारों कॉ प्रतिफल मांग रहा है या जिसकी अप्रत्यक्ष इच्छा आपसे कुछ हासिलकरने की है वह तो आपका अपना होही नहीं सकता |
- आपको अपने कर्तव्य और दायित्वों को सर्वोपरी रखना है मगर आपका मूल उद्देश्य सबसे पहले होना चाहिए
- आपका स्वप्न बहुत बड़ा होना चाहिए क्योकि यदि आपने उद्देश्य ही छोटा बना लिया तो जीवन भी आपकोकेवल अतृप्तता में खडा कर देगा |
- माता पिता गुरु आपका शरीर और आपकी आत्मा केवल आप इसके लिए उत्तरदायित्व वहां करें शेष के साथवैसा ही व्यवहार करें जैसा वे आपको देते है ,मगर आपके लड़ने के ढंग परिष्कृत और धनात्मक हों |
- आप समय का स्पष्ट और समय सारिणी के हिसाब से उपयाग सीखें जिससे आपको बोरियत नहीं होगी औरकार्य स्वयं आपसे रचनात्मक शुरुआत करवा देगा |
- उन लोगों कॉ चिंतन बिल्कुल न करे जो आपकी उन्नति में बाधक बने ,आप धनात्मक व्यक्तियों कि खोजकरें एवं महा पुरुषों को अपना आदर्श मानें |
- सबसे समान और प्रेम कॉ व्यवहार रखें मगर सीमाओं के ध्यान के साथ |इससे आपको दूसरों का चिंतननहीं करना पडेगा |
- उद्देश्य ,वचन और आत्मा की सच्ची आवाज ने यदि आपको विकास की राह पर जीवन के किसी भी पलकार्य करने के लिए निर्णय लिया तो वह आपको सफलता अवश्य देगा |
हताशा ,निराशा ,और अवसाद यह बताते है कि आप ईश्वर पर कम विश्वास रखते है जब पूर्ण निष्ठां से आप अपनाकर्तव्य कर चुकें तो ईश्वर कॉ काम यही रह जाता है कि वह आपको आपकी सोच से कहीं उपर एक ऐसे स्थान परप्रतिस्थापित करे जिससे आदमी धनात्मक चिंतन को इतिहास कॉ विषय बना कर उसका अनुशरण कर सके यहउस ईश्वर के लिए भी बहुत आवश्यक विषय है |
प्रश्न और समस्याओं के समाधान में यदि मै कुछ मार्ग दर्शन दे पाया तो धन्य समझूंगा |
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