Friday, July 24, 2009

आप कौन से पुत्र ,पुत्री है ? कौन अपना है ये पता तो चले

कोई भी किसी के लिए अपना पराया है ,
रिश्तों के उजाले में हर आदमी साया है

सम्पूर्ण जीवन आदमी इस खोज में लगा देता है कि उसका अपना कौन है ,वह पुत्र, पुत्री ,पत्नी ,परिवार और समाजमें उलझा अनवरत यह प्रयत्न करता रहता है कि उसकी आत्मा वास्तविक अपनत्व को प्राप्त कर पाए और उनलोगो की खोज कर पाए जो उसके अपनत्व की कसौटी पर खरा उतर पाए |धर्म ग्रन्थ मानते है पुत्र, पुत्री निम्नश्रेणियां रखते है |आप तय करें आप कहाँ है |
  • प्रथम पुत्र, पुत्री जो पिता माता और उनके संबंधों की गहनता समझ कर उनका निर्वाह पूरी ताकत से करताहै, वह बोलने चलने औरप्रत्येक क्रिया के जीवन निर्णयों में पिता माता की मानसिकता को ध्यान रखता हैवह उनके लिए कुछ भी करता है |
  • द्वतीय था उदासीन पुत्र या पुत्री जो केवल अपनी जरूरतों और अपनी प्राप्तियों से मतलब रखता है ,वह जानताहै कि पिता माता उसकी किस सीमा तक मदद कर सकते है ,इसके अलावा वह उदासीन बना रहता है उसेनिर्णयों के मामल में केवल अपने ऊपर विशवास होता है
  • रिणानुबंध्ही पुत्र या पुत्री ऐसा व्यक्ति केवल अपनी ऋण अदायगी से सम्बन्ध रखता है और जब उसकाहिसाब पूरा हो जाता है तो वह स्वतः अलग हो जाता है |
  • प्रतिद्वंदी पुत्रया पुत्री यह केवल हर लम्हे अपने पिता माता की कमियां उन्हें बताता रहता है और हर काम मेंउनका प्रतिद्वंदी बना रहता है ,हर कदम पर यह अपनी अकर्मण्यता कॉ दोष अपने पिता माता पर लगातारहता है ,और बार बार उन्हें दोषारोपित करना इसका स्वभाव हो जाता है |
  • शत्रु पुत्र या पुत्री यह ऐसा इंसान होता है जो जीते जी पिता माता से अपनी संपत्ति बाँट कर उसके हक में करदेने की जिदकरताहै और समय समय पर उनसे शत्रु वत व्यवहार करता है|
कहने कॉ अभिप्रायः यह कि हम जिन्हें अपना निकटस्थ मानते है वे भी कितने अंशों तक हमारे हो पाते है यहउनका व्यावहार बताता है |
सारे संबंद्ध आपसे अपनी आपूर्यियों के बाद अपने मायने बदल लेते है , समय परिस्थितयां और आपकीउपलब्धियां रिश्तों कि एहमियत को तय करने लगती है ,लोगो के विचार में आपका कद बदलने लगता है और आपअपराध बोध और दुःख में डूबने लगते है |
सारी समस्याओं कि जड़ यहाँ आपकी अपनी महत्वाकांक्षाएं होती है आपके स्वप्न ,आपके भविष्य के प्रति तयकिया रास्ता ही आपको परे शान करने लगता है |
आपकी आत्मा को अपना समझ कर जीवन की तमाम खुशियाँ आप से ही ढूढने वाला जीवन की वह सौगात है, जो केवल ईश्वर ही दे सकता है, ये बात और है की आपको इसके लिए कई जन्मों कॉ इन्तजार करना पड़े |

आवश्यकता इस बात कि है कि आप स्वयं एक करता कॉ भाव लेकर चलें जीवन के किसी विषय से आप अधिकस्वप्न संजोयें ,जीवन को वर्त्तमान कॉ कर्तव्य मान कर आदर्शों और मान दंडों के अर्न्तगत सवारें शायद आपकोआपका वह मार्ग मिल जाए जहाँ आप अपनी चिर शान्ति प्राप्त कर सकें |

2 comments:

अजित गुप्ता का कोना said...

विषय तो अच्‍छा उठाया है लेकिन टाइप में अशुद्धिया बहुत है अत: इसे भी ठीक करें।

drakbajpai said...

मै प्रयास रत हूँ कुछ शब्दों के टाइप के बाद भी सही शब्द नहीं मिल पा रहें हैं आप का धन्यवाद |मुझे भी अशुद्धियों से तकलीफ होती है अपना प्रयास जारी रखूंगा |rinaatmak

अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...