Wednesday, July 22, 2009

कृतज्ञ हूँ आपका, आप पर समय है परमार्थ का

कृतज्ञ हूँ आपका
अति व्यस्तता के साथ आज समय ही कहाँ है, सब पर इन विचारों के चिंतन का ,आप ऐसे ही सहयोग एवं विषयोंपर सुझाव दीजिये मेरा प्रयास है एक दिन हम अपने उद्देश्य को कामो वेश अवश्य पूरा कर लेंगे |आज हम सबबहुत व्यस्त है ,और हम पर अपनी समस्याओं ,कार्य और जल्दी जल्दी संतोष बटोरने के चक्कर में अपनी हीशान्ति खोते जा रहे है |परन्तु कुछ लोग अभी जीवित है ,वे भीड़ नहीं है ,और ऐसे ही मित्रों को मै अपना ह्रदयगतधन्यवाद दे रहा हूँ |शायद आपका यह सहयोग एक बड़ा समूह बनकर मुझे और अधिक और अच्छा लिखने कीप्रेरणा देता रहेगा |पुनः प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग हेतु धन्यवाद |

मित्रों मुझे अपने लिए न प्रसंशा चाहिए न कुछ लोभ के कारण मेने यह मार्ग चुना है मुझे अपने जैसे ही विचारों वाले समूह की जरूरत है जिससे में आप लोगो के सहयोग से समाज के उस भटकते युवा को एक आइना दिखा सकूँ और निर्णय उसपर ही छोड़ दूँ |शायद इस विचार से मैआपके साथ जीवन को यह बता सकूंगा मै जीवित था| विचार शून्यता और स्वार्थो के वाशी भूत झूल रहे मृत समाज की तरह मैंने जीवन को अपने स्वार्थों का विषय नहीं बनने दिया है |

मेरे साथ भीड़ नहीं है| क्योकि सच कड़वा और कठिन होता है, मगर मै अपने कुछ एक सहयोगियों से प्रसन्न हूँ और मुझे मालूम है कि एक दिन यही सोच एक बड़ा सशक्त समूह बन कर समाज के युवा को नव दिशा अवश्य देगी |आप सहयोग बनाए रखिये |

समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध ,
जो तटस्थ है समय लिखेगा उसका भी अपराध

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