मतभेद ज्ञान का प्रतीक हैं जबकि मनभेद जलन का
जीवन में बार बार हमे अपनों के मतभेद का सामना करना पड़ता है |क्योकि वे एक अलग दृष्टी से हमे देख रहे होतेहै जबकि हम अपनी द्रष्टि से अपने लिए दूसरा मार्ग चयन कर चुके होते है |ज्ञान परिवेश और परिस्थितियों केहिसाब से जीवन का आंकलन किया जाना उचित लगता है मगर बदलते समय की सोच परिवारों की दशा औरशिक्षा का प्रभाव भी हमारे निर्णयों को प्रभावित करता है |साथ ही हमारी जरूरतें ,महत्वाकांक्षाएं हमे बराबरउलझाए रखती है |जबकि दूसरी और पुराने विचारों और सोच का सवाल उठ खड़ा होता है ,रिश्तों में छोटा बड़ा औरपालन करता और आश्रित जैसे भाव स्वयं खड़े हो जाते हैं |कहने कॉ आशय यह कि सोच, पीढियां , दायित्व ,समयऔर हमारी कामनाएं नए रूप में अपना अन्तराल बनाकर स्वयं मतभेद कि परिभाषा बनाने लगाती है मुख्यत: यही मतभेद के कारण होते है ,इनकानिराकरण करते करते आदमी का जीवन का बड़ा भाग ऐसे ही बीत जाता है|
मत भेद ज्ञान और तर्क शास्त्र कॉ विषय है जब हम ज्ञान और भविष्य या वर्तमान कि सोच को महत्व देते हुएकिसी भी विषय को अलग ढंग से सोचने का प्रयत्न करते है तो स्वयं एक अलग द्रष्टिकोण हमे नजर आने लगता हैक्योकि दूसरा व्यक्ति हमारे आत्म तत्त्व से पृथक हमसे अपने को जोड़ कर देख रहा है ,परिणाम उसकी द्रष्टि में वहीआंकलन अलग होगा जो हमने अलग ढंग से सोचा था परन्तु यह कहना मुश्किल है कि इस मतभेद में कों सा पक्षसही या ग़लत है यह सब समय परिस्थितियों और आदर्शों पर निर्भर करता है|
मतभेद होने काकरण ज्ञान .,शिक्षा या परिवेश कुछ भी हो मगर वह एक अलग ढंग कचिंतन है इस लिए उसे हमेशाप्रोत्साहित करें जब तक मंथन नहीं होगा तब तक सार तत्त्व कभी भी परिष्कृत रूप में आपके सामने नहीं आसकते हां यहाँ यह महत्व पूर्ण है कि मतभेद ज्ञान कॉ मायने हो सकता है मगर मन भेद नहीं होना चाहिए क्योकिबहुधा मतभेद से हम अज्ञान- के कारण मनभेद उत्पन्न कर बैठते है यह मन भेद वास्तव में स्वार्थ कॉ परियायहैऔर इसका उदय भी अज्ञान- के कारण होता है |
आवश्यकता इस बात कि है कि हम हर परिस्थिति और कर्म को अलग दृष्टी कोण से भी सोच कर देखें शायद यहींसे आपको अच्छे ख़राब कॉ असल भेद ज्ञात होगा, मगर किसी भी हाल में मतभेद के कारणों को मनभेद तक नाआने दे ,अन्यथा आपकी तमाम क्रिया शीलता एक स्वार्थ, जलन और हीन भावना का रूप ले बैठेगी और आपकाविकास मार्ग स्वयं अवरुद्ध होजायेगा |
शेष फिर
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