यह जानते हुए की उसकी तमाम शक्तियां इश्वर के सामने या प्रकृति के सामने बहुत छोटी है
समय ,उम्र ,अवस्था धन वैभव समाज परिवार और दूर तक उसकी सल्तनत भी बहुत छोटी हैउसे हर समय यह भय रहता है की वह कहीं भी हार न जाए मगर प्रकृति का सत्य उसकी लौकिकअलौकिक शक्तिया अगम ,अजेय और चिरंतन है उनका प्रतिपल बदलना और अधिक शक्ति शालीहोकर इंसान को चिनौती देना आदमी के लिए सदैव चिंता का विषय रहा है|
विजयी होने का गुरु मंत्र भी इसी प्रकृति ने आपको दिया है इसका मूल सिद्धांत है कि
आप अपना जीवन निर्विकार और परमार्थ के भाव से निकाले ,आप अपने से किसी को पीड़ा न पहुचाये
और आप पीड़ित मानवता का भाव बनाये रखें ,शायद ये सब आपको अजेय विजयी और सार्थक इतिहास का
भाग बनाने में सक्षम है |