- जीवन सत्य का रूप था तो इतनी जटिलताएं क्यों
- लक्ष्य यदि तय है तो भटकन कैसी ?
- आत्मा यदि अमर है तो भय किसका
- सुख दुःख यदि दौनों थे तो केवल सुख का चिंतन क्यों नहीं?
- व्यक्ति की सोच से यदि नकारात्मकता पैदा हुई तो उसका चिंतन क्यों?
- अच्छे और सुखद क्षणों का ही चिंतन क्यों नहीं?
- जीवन गति है तो अनेकों लक्ष्य क्यों
- अच्छे और बुरे में बुरी सोच ही क्यों?
- आशा निराशा में निराशा ही क्यों?
- परम शक्ति का अंश थे आप तो कमजोर कैसे?
- सब आपके नियंत्रण में है ये भाव क्यों नहीं?
कभी-------
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