मै अकेली औरत या आदमी समाज और समय का मुकाबला कैसे करूंगा ?मेरे साथ मेरा अपना है कौन ?मुझे सहीअर्थों में कौन प्यार करता है ?जीवन के संघर्षों में मेरा साथ कौन देगा ?क्या मुझे जीवन में विकास ,नए मार्ग ,औरकार्य कारी स्थितियों के के लिए कोई सहयोग देगा की नहीं ?ये और अन्य ऐसे ही प्रश्न आदमी को सम्पूर्ण जीवन मेंपरेशान करते रहते है और आदमी अपने स्वाभाव के विपरीत सामंजस्य करने की कोशिश करने लगता है उसे यहलगता है कि शायद इसके विपरीत उसे जीवन की सम्पूर्णता प्राप्त नहीं हो पायेगी |मित्रों बस यहीं इंसान की सबसेबड़ी भूल है की वह अपना स्वयं का स्वभाव बदलने को तैयार होरहा है जबकि उसे अपने नैसर्गिक गुणों का पूरीताकत से संवर्धन करना चाहिए था |
प्यारे दोस्तों मैंनेअकेले पन कि शक्तियों का अनुभव किया है कि मै हजारों की भीड़ में भी अकेला रह्जाता हूँ ,विगतकुछ समय बहुत भीड़ में रहा और सामान्यत: में रहता भी हूँ मगर और वहां भी नितांत अकेला ,कई बार भीड़ में रहकर भी कुछ लोगों को मै स्वयंके अनुरूप नहीं पता ,कुछ लोग मुझे रूढिवादी कहकर अलग होजाते है और मैअपने विचारों और शक्तियों में सब देखता समझता रहता हूँ | लंबे अन्तराल के बाद कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जोआपके मान दंडों के अनुरूप हो इसके लिए व्यक्ति की पर्सनाल्टी से अधिकं उसके विचार आत्मा का आकर्षणअधिक महत्वपूर्ण होता है ,यहाँ सोंदर्य ,भौतिक आपूर्तियाँ महत्व नहीं रखती न ही सामान्य सोच में लाभ हानि काज्ञान ही रहता है आपको अपनी ही आत्मा की सोच से विचार कर संतुष्ट होना होता है |यहाँ उम्र १० वर्ष हो या ९० वर्षकोई प्रभाव नहीं होता हाँ यह अवश्य है कि आपको इसके लिए कई जीवन इन्तजार करना पड़े |
मैंने अपने अनुभव से जो पाया है उसमें निम्न निष्कर्ष प्रमुख रहे है शायद आपको भी इससे शक्ति मिले या जीवनकि सोच को नई सोच मिल पाये |
- समाज एवं अपने साथियों कि सोच के साथ सम व्यवहार रखें मगर अपनी वास्तविक गुणों को परिवर्तन नहोने दें |
- अपने नैसर्गीक गुणों से नकारात्मक तथ्य हटा कर सकारात्मक गुणों को परिवर्तित न होने दें चाहे वोसमाज को अच्छा लगे या बुरा |
- समाज के लिए सामंजस्य एक सीमा तक ही ढूढे ,क्योकि इससे आपकी मूल प्रवृति ,गुण और आदर्श सबख़त्म हो जायेंगे |
- हर व्यक्ति को सकारात्मक माने और एक नियत दूरी बनाये रखें |सहज प्रेम भाव रखें |
- संघर्ष स्वयं आपके लिए सहायक व्यक्ति उपलब्ध करा देता है ,आप ध्यान रखें कि परिस्थिति के अनुरूपआपको एक परा शक्ति सहयोग प्रदान करने वाले भेज देती है फिर आप अनादार्शों से समझौता क्यों करनाचाहते है |
- मन , आत्मा ,और अपनी शक्तियों को जाग्रत कर उन्हें इतना प्रबल कर दें जहाँ केवल आपकी शक्ति से हीलोग प्रेरणा ले सकें |
- आपमें अद्वतीय शक्ति और सहस है इसका स्मरण रोज कई बार करें और आप सारी समस्याओं का हलनिकालने में सक्षम है विचार करते रहें |
- भविष्य के लिए आप|आशान्वित आपको भविष्य में क्या समस्याएँ आसकती है इसके लिए वर्तमान कीशान्ति नष्ट न करें ,आज को पूरी तरह से जीना सीखें |
- समय परिस्थितियों में कोई आपको बुरा कहता है ,आलोचना करता है ,या आपके व्यक्तित्व को चिनौती देताहै वहां आपको अपनी सफाई देने कि आवश्यकता नहीं है इससे उनमे ही नकारात्मक उर्जा पैदा होकर उनकीशान्ति नष्ट कर देगी |मित्रों बढाई बुराई सब त्याग का विषय है ,इनका प्रभाव नकारात्मक ही होता है |एककड़वा तो दूसरा मीठा ज़हर है |
- आपके स्वाभाव और आदर्शों के अनुरूप ही आपका समाज अपने आप खडा हो जाएगा आपको अपनेनैसर्गिक गुणों को बदलने कि आवश्यकता नहीं है |
- मित्रों आपको ईश्वर कि अनमोल कृति के रूप में अपने गुण धर्म मिलें है आप अकेले पन कि नकारात्मकसोच से अपने को कमजोर न बनते हुए संघर्ष के लिए तैयार रहें जीवन आपको शान्ति सुख ,और सम्पूर्णबना देगा |
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