दर्द का एहसास राही क्या बला ---------
जीवन तो दर्द यातनाओं और समस्याओं का नाम है ,दुनिया में सबका अतीत बहुत से दर्दों समस्याओं का मायने होसकता है ,सबको अपना दर्द सबसे बड़ा दिखाई देता है ,मगर समय यह जानता है कि हर आदमी ने अपने एहसास दर्द ,और यातनाओं से कैसे लड़ा और जीता है | सबनेकिस तरह संघर्ष करके यह जीत हासिल की है ,यहाँ सबने ही तो कमोवेश वही सहा है जो आप कहानी बना कर सुना रहे है |आपको यह जानना जरूरी है कि आप और मै दौनों उसी परिवेश से निकले है और समय ,समाज ,अपनों का तिरस्कृत व्यवहार दौनों न ही बराबर झेला है |
मित्रों एक शायर ने लिखा कि -------- दुनिया में कितने गम है ,मेरा गम कम है
या
ऐ मौत मर रही तू कहाँ हिज्रेयार में
मै जी रहा हूँ अब तो तेरे इन्तजार में
यही सत्य और ताकत है जीवन जीने कि एक बेशकीमती कला |जिसमे अतीत के जख्मों की बजाय वर्त्तमान कोनए सिरे से जीने का संकल्प छिपा है |इन सबके लिए आपको सारे भय ख़त्म करने होंगे |आपको यह जान लेना चाहिए कि दर्द और यातनाओं के बाद खुशी और सुख के पल कम ही होंगे और फिर नयी यातनाओं के साथ हमे दोदो हाथ करना होगा |
जीवन जीना एक बहुत बड़ी कला है ,सुख ,प्रसन्नता और समर्पण के मोक्ष क्षण चाहे दो पल का ही जीवन क्यों न दें मगर उनका एहसास बहुत बड़ा और हर दुःख के समय याद करने का विषय हो जाता है |यही जीवन को बड़ा सहारा देता है|अब चयन आपका है कि आपको बहुत संभल कर अपने सुखों की कल्पना करनी होगी|उतावलेपन और केवलसमय का फायदा उठाने की कला आपके दीर्घ काल की अशांति दे सकता है | आप केवल भौतिक उपलब्धियों और शारीरिक आपूर्तियों को यदि उपलब्धियां समझते है तो आपको बहुत से विषयों की नकारात्मकता झेलनी होगी |मित्रों मै जानता हूँ कि आदमी की तुलना ही नहीं की जा सकती क्योकि जिसे आप बहुत अधिक चाहते है उसकीबड़ी गलतियाँ छोड़ देते है जबकि औरों को आप गलतियाँ गिनाने लगते है|आपका आंकलन अलग अलग होसकता है यदि वह सही हुआ तो ठीक है नहीं तो अपराध बोध का स्वरुप और अधिक भयावह होगा |यहाँ सब भाव पर निर्भर है शेष आपकी जरूरतों पर |अंतरात्मा की भावनात्मकता आपको यदि पवित्र लगे तो हर सम्बन्ध आपको सकारात्मकता दे सकता है |यहाँ व्यवहार की कोई सीमा होती ही नही है|
दर्द को पूर्ण रूप से सकारात्मक ऊर्जा में बदलने की कोशिश करें यहीं दर्द आपको बहुत अधिक परिष्कृत करके जीवन की सारी उपलब्धिया दे देगा |जीवन के हर पल को जीने की कोशिश करें ,समर्पण, भाव और समय आपको अच्छे और बुरे का भेद अवश्य समझा देगा |
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
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