Sunday, November 23, 2014

चिनौतियाँ है ज़िंदगी स्वीकार कर(life is a challenge --accept )



मनुष्य का सम्पूर्ण में जीवन  बड़ा ही विचित्र  सयोग बनाता रहता है वह चिरंतन शान्ति की खोज में व्यस्त रहता है बार बार प्रयास दर प्रयास करता  हुआ शान्ति उत्पन्न कर पाता  है वहीं  उसे अनेक संभावनाएं मुंह चिड़ाने लगती है ,यहां यह  अति महत्वपूर्ण है कि जैसे कोई  प्रबल कामना मन  में  आती है  पूरा मन मष्तिष्क उसे पूर्ण  करनेके लिए प्रयास रत  हो जाता है ,सारी शांति नष्ट प्रायः लगने लगती है और कैसे भी उस विचार को पूरा करने के लिए हमजुट जाते है | समय बीतता रहता है और नई  नई  आकांक्षाएं पैदा होती रहती है और समय के साथ उनकी पूर्ती भी होती रहती है ,जैसे ही एक कामनाकी पूर्ती हो  पाती है कई कामनाये एक साथ फिर खड़ी हो जाती  हैं और आदमीं स्वयंको बार बार ठगा सा महसूस करने लगता है ,   और इसी तरह नई  चिनौतियां उसके जीवनको बार बार प्रभावित करती रहती है


बचपन ने अपने पिता से मूल भूत सुविधाएं और जीवन की सुविधाओं की पूर्ती माँगी , और उसे बहुत सी सुविधाओं के साथ वातावरण   शिक्षा  संस्कार और  जीवन की विकासोन्मुखी गति के अनुरूप तैयार किया गया ,सामाजिक , शैक्षणिक और सांस्कारिक वातावरण का निर्माण किया गया ताकिभविष्य इन का  ही  हो | यह सब उसके जीवन की चिनौतियों के सामने में कुशल योद्धा बनाने के लिए कियागया था ,माता पिता गुरु और समाज के अनेक वर्गों ने उस समय अपनी  अपनी योग्यता और सामर्थ्य के अनुरूप आपको सहयोग दिया होगा जिससे आप जीवन में समय केसाथ पैदा हुई चुनौतियों को सही जबाब दे सकें |


युवा  ने बदलते समाज , संस्कारों , और विदेशी आक्रान्ताओं के समाज ,साहित्य और संस्कृति पर पड़ते प्रभावों को देखा है ,  सामाजिक परिवर्तनों का इतना प्रचंड बदलाव कि पारम्परिक प्रतिमान  ध्वस्त होते से दिखाई दे रहे थे , यह वर्ष था ८०  से ९० का दशक , शिक्षा क्षेत्र में गुरुकुल की शक्ल इंग्लिश स्कूलों में बदलरही थी महाविद्यालयों में  छात्रों में परिवर्तन आना आरम्भ हो गया था , टीवी और फिल्मों की सीडी प्रचलित होने लगी और विश्वविद्यालयों  के आस पास फैशन , ब्यूटीपार्लर , और जिम जैसी अवधारणाएं खड़ी हो गई ,इंग्लिश स्कूल की प्रार्थनाएं बदलने लगी और धीरे धीरे जन्मदिन को मानाने की कला स्कूलों में विकसित होते हुए अनेक दिनों में बदलने लगी और लोग मदर्स डे फादर्स डे और  अनेक डे अपने हिसाब से मनाने लगे ,सबने इन परिवर्तनों का क्रियान्वयन अपने अपने हिसाब से किया और  दशक  की चिनौतियों  से आदमी बहुत प्रभावित भी हुआ |


मित्रों मनुष्य एक ऐसा गति  शील प्राणी है की वह प्रकृति और  परिवर्तनों को बहुत जल्दी अपना लेता है समय , प्रकृति के साथ होने वाले परिवर्तन उसे भविष्य के लिए उत्प्रेरित अवश्य करते है पहले  वह उन  परिवर्तनों का विरोधी रहता है बाद में वह धीरे धीरे उन्हें अपनानें लगता है क्योकि उसे यह मालूम हो जाताहै  कि  शायद भविष्य इन का  ही  होगा |  संस्कार   सभ्यताओं और  विकास और  उनके मानदंडों में परिवर्तन  की चिनौतियो को भविष्य  और पुरातन मान्यताओं की कसौटी पर उस हंस की तरह अलग कीजिए जैसे हंस क्षीर नीर  बुद्धि से केवल दुग्ध   ग्रहण करता  है नहीं तो सभ्यताओं  की मिलावट एक वर्ण शंकर युग का आरभ कर देंगीं जिससे  हम हमारी संस्कृति और हमारी पहिचान सब कुछ  नष्ट हो जाएगी |
ध्यान  रखें

  • परिवर्तन प्रकृति का स्वाभाव है और हर परिवर्तन या बदलाव का हमारे जीवन की गतिनपर प्रभाव पड़ने वाला है मगर यह ध्यान रहे कि  उस परिवर्तन से हमें  जीवन में नकारात्मकता न मिले । 
  • तीव्र परिवर्तनों  भविष्य जान कर उनमे से अति आवश्यक  ,विकास शील और भविष्य की आवश्यकता के अनुरूप अपनाया जाना चाहिए | 
  • हरेक चिनोति आपके लिए नहीं है अनावश्यक बल का प्रयोग करके शक्ति  न गंवाएं ,क्योकि यदि दूसरोंकी देखीआप   परिवर्तन करने का प्रयत्न करेंगे तो आप  स्वतः भ्रमित हो जायेंगें | 
  • अपने आधार भूत आदर्शों में परिवर्तन न करें, जिन मूल्यों को धर्म  कहा  गया  है ववे सबके हितों को पोषित करते है और उन्हें ही अपनाया जाना चाहिए , जो चिनौतियां आदर्शों के विपरीत हों उनका त्याग करदेना चाहिए | 
  • संघर्ष , क्रियाशीलता ,के समय आप  आरम्भ की समस्याओं से घबराएं नहीं क्योकि यह प्रथम धनात्मक चिन्ह है  जो यह  प्रदर्शित करता कि  आप सही दिशा में है  और आपको सफलता यहीं मिलेगी | 
  • चिनौती जितनी बड़ी होगी आपकी सफलता भी उतनी ही बड़ी होगी , ध्यान रहे कि एक बार  चलना आरम्भ करने के बाद आपको प्रयास रत ही रहना चाहिए कि  लक्ष्य आपको जल्दी ही प्राप्त होगा | 
  • चिनौती  जीवन का  आरंम्भ और अंत  तक चलने वाली प्रक्रिया है अतः जीवन में अजेय  विश्वास बनाये रखिये किआप  सम्पूर्ण  चिनौतियों का सामना कर सकते है | 
  • चिनौतियों के सामने अपनी कायरता दिखाने का अर्थ  है  कि  आप जीवन से भाग रहे है और भागते हुए कोई किसी स्थितिस्थिति  सामना कैसे कर  सकता है | 
  • जीवन की चिनोतियां और असफलताओं  का एक प्रगाढ़ संयोग है , जो असफलताओं के भय से छोटे लक्ष्य का चयन करता है  वह तो स्वतः   अनजाने में बड़ा अपराध कर बैठता है | 
  • जीवन के समक्ष आयी चिनौती  का पूर्ण  क्षमता और  विश्वास से सामना करें , यह मानते हुए कि आप इसमें सफल अवश्य होंगे ,स्वयं को दोष न  दें | 
  • चिनोतियों के सम्बन्ध में सबसे नकारात्मक और सकारात्मक पक्ष पर विचार करें असफलता को सफलता में परिवर्तित होने में थोड़ा प्रयास अवश्य लग  सकता है मगर उसे छोटे  लक्ष्यों से समायोजित नहीं करें || 
  • छोटी छोटी सफलताओं की तुलना में बहुत बड़े लक्ष्य की असफलता अधिक ठीक है जो यह बताने में सक्षम सिद्ध होती है कि  आपकी विकास यात्रा का लक्ष्य एक दिन आपको अजेय सिद्ध   अवश्य करेगा | 
  • लक्ष्य प्राप्त करने में अधिक समय लग जाना ,असफलता  के बाद भी सशक्त प्रयास किया जाना  यह बताता है कि आप एक दिन इस चिनौती के प्रतिउत्तर में उच्च मानदंड अवश्य स्थापित अवश्य करेंगे | 
  • आरंभिक समस्याओं ,समाज की मान्यताओं और दूसरों के  विचारो को अपनी क्रियान्वयनता पर हावी न होने दें क्योकि सफलता और विकास की ऊंचाइयां ईश्वर तय करता है शायद वह ईश्वर आपको सर्वाधिक  उचाईयों पर स्थापित करना चाहता हो  यह विश्वास रखें | 


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