Saturday, November 15, 2014

हताशा को अपूर्व शक्ति में बदलो (convert your depression in a super power)



भारतीय धर्म में महाशिव को महांकाल कहा  गया है शिव और शक्ति का प्रणय विछोह और सम्पूर्ण जगत को एक   नई परिभाषा देने के लिए जो लीलाएं की गई वो आम आदमी को यह शिक्षा अवश्य देती  कि अपने सम्पूर्ण क्रोध और दुःख को ऐसे महा शक्ति बना डालिये कि  जिससे सम्पूर्ण संसार आपके सामने नत मस्तक हो जाए । शिव और शक्ति का विछोह का दुःख इतना प्रचंड कि  सम्पूर्ण ब्रह्मांड काँप उठा और इसी महाशक्ति  की तीव्रता से पैदा हुए ५२ शक्ति पीठ जो यह बताने में सक्षम है  कि घनघोर यातना और ,दुःख, और क्रोध से महाशक्तियों के निर्माण संभव है ।

हर धर्म हर सम्रदाय और हर सभ्यता  ने यही   समझाया कि  दुःख तिरस्कार और यातना की पीड़ा को अपना  बनाकर उसे महाशक्ति केरूप में प्रदर्शित कीजिए आप स्वयम्  कालजित  होजाएंगे ,आज अधिकाँश  आदमी अपनी उपलब्धियों अपनीसमस्याओं  और सामाजिक तौर पर अपनी मानसिक दशा में  अपने आपको दुखी   महसूस  कर रहा है ,कोई एक अधूरा प्रण उसका व्यक्तित्व निगल जाना चाहता है ,और वह एक निरीह इंसान की तरह अपने आपको वह बार बार टूटा सा महसूस करता है ,परिणाम स्वयं अनेक नकारत्मकताएं उसमे स्वयं पैदा होने लगती है ।

२६  जनवरी २००१ को भुज गुजरात में एक बड़ा भूकम्प आया बड़ी बड़ी मल्टी स्टोरीज    धराशाही  हो गई कई दिनों उनका मलबा हटता रहा लोग अपने अपने अनुसार सहायता कार्य करते रहे उन्हीं भवनों में जे सी बी  मशीन्स काम कर रहीं थी अचानक कुछ कपडे दिखाई दिए सुरक्षा कर्मियों ने सावधानी से कामकरना आरम्भ किया एक अधेड़ का शव था वह , उसे निकालने के बाद दो महिलाओं ,एक युवक का शव जिसकी उम्र  २५-२६  वर्ष  होगी  प्राप्त हुआ अंत में उस भवन में एक १७ वर्ष की बच्ची मिली जो बेहोश थी कुछ प्रयास के पश्चात उसे होश आया तो  उसने बताया  क़ि  मरने से
पूर्व  मेरे पिता  और मेरी बातें बहुत देर तक होती रही पिता बोल रहे थे  बेटा  है सब हमें छोड़कर चले गए है   तेरी  माँ  तेरा
भाई बहिन शायद सब गए  और हम भी जा रहे  है  ,हाँ  बेटा हम   में से कोई बच जाता तो हमें क्रिया कर्म के बाद मुक्ति
जरूर मिल जाती  ,सोचता था की तुझे पढ़ा कर बहुत बड़ा ऑफिसर बनाऊंगा मगर अब क्या करसकता हूँ   औरपिता की भी आवाज आनी  बंद हो गई  ,२४ घंटे बाद  अब वही बच्ची  अपने पिता,माता  ,भाई बहिन के शवों को एक हाथ ठेले में रख कर श्मशान ले जारहीथी ।  पिता के आदर्शों  और उनकी आख़िरी चाह  ने चोटिल और निर्जीव शरीर में भी हजारों वोल्ट  का करेंट भर दिया था , बाद में यही बच्ची भारतीय बैंकिग सेर्विसेज में बहुत बड़े स्थान पर पहुंचीं ---- सलाम है भारत की ऐसी नारी.  शक्ति को ।

जीवन में यह सबसे बड़ा  अकाट्य  सत्य है  कि  सामान्य जीवन जीने वाला आदमी अपनी सम्पूर्ण शक्तियों को हजारों  लक्ष्यों और उप लक्ष्यों में बाँध कर जीवन निकालता रहता है वह सुख के हर समय में अपने मन के १०%या  २० %  तक ही स्वयं को शामिल कर  पाता  है  क्योकि  , सुख के बहुत से  स्त्रोत  है और वह सबमे विजय चाहता है ,तो उसका तमाम  मानस यह आंकलन  करता रहता है   कि  कैसे हर सुख  के बिंदु को सकारात्मक बनाया जावे परन्तु यहाँ हम यह भूल क्यू जाते है  कि  जीवन  में  मानवीय चिंतन सदैव चलता रहताहै और सुख  दुःख  दुःख दुःख  सुख  फिर यही क्रम जीवन भरबना रहता है अर्थात में सुख कम संघर्ष   अधिक है  और सुख में आदमी की तमाम शक्तियां  है जबकि दुःख आदमी  सम्पूर्ण शक्तियों को  एकत्रित  करके  उसके मन मष्तिष्क को एकाग्र कर देता है ।

दुःख  , यातना ,क्रोध ,और निराशा तथा हताशा आदमी  की सम्पूर्ण शक्ति को एकत्रित कर देती  है यह शक्ति इतनी प्रचंड होती है  कि आदमी कुछ भी करने को  तैयार हो  है  यंहां तक  कि वह आत्म हत्या जैसे पाप के चिंतन के लिए भी    पीछे नहीं हटता आप सोच सकते है कि  यह कितनी प्रचंड शक्ति है ,मित्रों बस इसी शक्ति को कृष्ण के गीता दर्शन ,और भारतीय दर्शन का वह सहारा चाहिए जिससे उसे यह भरोसा हो जाए  कि  मनुष्य अकेला जन्म लेता है उसे जीवन के हरभाग में स्वयं संघर्ष करना  होता है और अधिकांश  रिश्ते  उससे अपनी कीमत चाहते है ,  संसार के रिश्ते , कर्म और हर दुःख के मूल में शोषण , लूट खसोट और मीठे रिश्तों की आड़ में किसी के साथ किये अन्याय की कहानियां है , यही  दुनियां है जहाँ अधिकाँश रिश्ते ,समाज ,परिवार और परिवेश ही आदमी से वो कीमत  वसूल करने की चेष्टा कर  रहे होते है जिनको आदर्श   जाता है  ऐसा शोषण करते है, जिससे उसमे जीवन की  चाह  जल कर अग्नि  परवर्तित होजाए ।और इसी प्रचंड शक्ति कीअग्नि  से आरम्भ होता है एक संकल्प एक विस्वास और एक ऐसी बाजी जो हर हाल में स्वयं कोजिता कर श्रेष्ठ  सिद्ध करने में  सक्षम होती है ।


यातना ,दुःख , और शोषण के दर्द और क्रोध को ईश्वर  विश्वास  और संस्कारो की भट्टी  पर और पकाओ , कृष्ण के कुरुक्षेत्र के प्रवचनों को दोहराते हुए एक बार फिर याद करो कि  तुम्हारा जन्म इस अन्याय को उखाड़ फेंकनें के लिए  ही हुआ है यदि आज तुमने इस अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठाई   तो  कल तुम्हारे अस्तित्व पर इतने प्रश्न दाग  देगा  जिसके प्रतिउत्तर  मे  आपके भविष्य के पास कोई उत्तर  नहीं होगा|

जीवन ,कुरुक्षेत्र में अन्याय और अधर्म के सहारे अभिमन्यु जैसे वीर की ह्त्या की कोई कहानी ही है एक ऐसी नृशंस हत्याजिसमे बड़े बड़े धर्माचार्य  अपना धर्म और सत्य छोड़कर अन्याय के लिए एक जुट हो गए है और अकेला रह गया है सत्य ,आदर्श और उसके मानदंड,  उसका निर्मम अंत करते हुए समाज परिवार और हमारे अपने ,बस यही सत्य है इसी सत्य की  परिणिति  केबाद  महा भारत का सम्पूर्ण युद्ध बिना किसी भाव के निर्दयता से लड़ा गया जिसमे केवल भाव यह था कि हम न्याय पर नहीं तो  हमे भी दंड भुगतना ही होगा और युद्ध  जीत लिया गया आज मेरा युवा अभिमन्यु की तरह खड़ा है और अतीत    की  गलती न दोहराते हुए कृष्ण उसे चक्रव्हू  तोडना सिखा चुके है  बस अब उसके संघर्ष करने की आवश्यकता भर है विजय श्री उसकी ही प्रतीक्षा कर रही है ।

 इन बिन्दुओं का जीवन में प्रयोग अवश्य करें

  • जीवन का सम्पूर्ण  स्वरुप अकेला चलो  रे का कोई सिद्धांत है ,यहाँ जो भी सुख और काम दूसरों परआधारित हुआ उसमे हमें दुःख ही उठाना पडेगा क्योकि यहाँ हमारा विशवास कम होता दिखताहै  । 
  • अन्याय के रास्तों पर चलने वाले भविष्य के गर्त में अपना फल अवश्य भोगेंगे , मगर यह अवश्य ध्यान रखे कि अन्याय  सहने वाला अन्याय करने वालेसे अधिक दोषी माना गया है । 
  • शोषण का प्रतिकार न करना प्रेम नहीं कायरता का प्रतीक है ,शोषण का प्रतिकार करके आप जिस सत्य को पैदा करेंगे  तो    एक दिन आपका संघर्ष दूसरे निसहाय लोगो को अन्याय से अवश्य बचाएगा । 
  •  आप ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है ,और आपको यही  सिद्ध भी करना है ,आपमें अपरमित  शक्ति है आपस्वयम् को पहिचाने और अपनी गुप्त ऊर्जा के स्त्रोत को चिंतन एवं ध्यान से जगाइएं । 
  • सबका सम्मान कीजिए एवं दूसरों की आलोचना से बचने का प्रयास अवश्य कीजिए ,इससे आपका मन मष्तिष्क एक सकारात्मक ऊर्जा उत्सर्ग करने लगेगा । 
  • दर्द, दुःख , यातना को एकत्रित करके उसे संकल्प स्वरुप में संचित कीजिए और उसके कठिन पालन में लग जाइए एक दिन सारी विजय आपकी ही होंगी । 
  • आत्म हत्या जघन्य पाप है और अन्यायी के विरुद्ध चुप हो  जाना उससे भी बड़ा अपराध है ,आपको अन्याय के विरोध में दंडात्मक संकल्प लेना है जिससे फिर कोई अन्याय का शिकार न  हो सके । 
  • अपने आपको ईश्वर के सामने रख कर चिंतन करें और हर अन्याय का प्रतिरोध करना सीखें आपका सकारात्मक प्रति कार समाज को नई  दिशा अवश्य देगा । 
  • दूसरों का चिंतन  उनका उपहास और उनके व्यक्तित्व से  अपनी तुलना कभी न   कभी न करें क्योकि जो गुण आप में है वे  लोगों में नहीं है वेलोग अपने छोटे गुणों को बड़ा दिखाने  की कला  जानते है  आप अपने गुणों को अभी समझे नहीं है उन्हें समझें और संकल्प को शक्ति दें । 
  • हर हाल में सकारात्मक चिंतन करें और कोशिश यह करें  कि  आपके विचारों की तीव्रता से सारे सकारात्मक चिंतन आपकी और आकृष्ट  ही रहे है और समस्त ऋणात्मकताएं आपसे दूर जारही है। 
  •  जीवन बहुमूल्य है किसी भी दुःख ,यत्न ,धोखे  फरेब  बाद आपकी सम्पूर्ण क्रियान्वयनता जबरदस्त शक्ति उत्पन्न  करतीहै   विपरीत काल में  सकारात्मक संकल्प  पर स्वयं को  स्थिर रखें  आपको दुनियां कीहर विजय हासिल अवश्य होगी ।  



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