Monday, November 24, 2014

जो है उस पर गर्व करो (be proud of Whatever u have)



समय का चक्र  बहुत तेजी से चलता रहता है अतीत के परिदृश्य धीरे धीरे गुजरते रहते है कल आज और कल में बदलता जाता है बहुत कुछ था कल या बहुत कुछ नहीं था , ये तो सब दुःख का विषय ही था न , जिंदगी बार बार उस दोराहे पर खड़ा देखती है खुद को और  झाँकते हुए  कहती है की काश आज जैसी बुद्धि ,साधन सोच , और क्रियान्वयन होता तो हम क्या कर डालते , पता नही  जीवन की तमाम खुशियों को कैसे लूटते या जीवन से और क्या  क्या हासिल कर लेते , हमेशा एक यक्ष प्रश्न की तरह  मन को व्याकुल करता रहता है| कल का सब कुछ जब भी मन के आईने में दिखता है तो छोटी  छोटी  खुशियां  छोटी  छोटी शिकायतें और बहुत सारी भविष्य की  संभावनाओं  के दिवा स्वप्नों में  डूबती उतराती रहती है जिंदगी की खुशियां , और आदमी उनके ही सहारे बैठा स्वयं की कल्पनाकरता रहता है |


युवा अवस्था स्वयं समाज   की बहुत  सी आकांक्षाओं का नाम बनकर खड़ी मिलती है , शिक्षा ,संस्कृति , विकास  ,और तकनीक के ज्ञान में विशेषज्ञ होना चाहती है , समाज , परिवार मित्रों और  राष्ट्र  में स्वयं की पहिचान देखना चाहता है

कहनेका आशय यह की वह हर स्थान पर हर सम्बन्ध में स्वयं को ऐसी स्थिति में देखना चाहता है जहाँ उसे अपनी स्थिति अतुलनीय दिखाई दे ,यह तुलना सबसे महत्वपूर्ण विषय है हर मनुष्य की सोच है की जीवन की मूल इच्छाएं  जिसमे संपत्ति  का बाहुल्य , यश की कामना की कामनाएं  प्रमुख है वह  हर पल को उन्हीं इच्छाओं की  चाह  में गंवाता  रहता है जैसे  सागर  में   मछली पकड़ता कोई मल्लाह थोड़ा और थोड़ा और आगे जाते  बीच समुद्र में पहुंच जाता है जहाँ  मार्ग और  दुष्कर  होने लगते है | '

वृद्धा अवस्था में   संसाधनों के ढेर ,बड़े बड़े महल नुमां  भवन , जमीनें , और सर्वत्र  बिखरी  हुईं सम्पदा धन वैभव और चल और अचल संपत्ति  के विशाल  भण्डार  का मायने बन बैठा   मनुष्य का अस्तित्व और कहीं गरीबी भुखमरी और अभावों के नाम सा बन गया जीवन , बस इन दोनों में एक समानता रह  गई कि  इसमेंसमाज परिवार और मित्र  सब दुश्मन जैसे हो गए हर आदमी ने अपना व्यवहार बदल डाला यदि गरीबी हुई तो हर व्यक्ति किनारा कर  गया और यदि संपत्ति और धन बल में वह बहुत बड़ा हो गया तो हर व्यक्ति उसका आलोचक , ईर्ष्यवान  हो बैठा , जहाँ वृद्धा अवस्था में उसे सबसे ज्यादा सहारों की थी वहां वह सारा परिवेश ही उसका दुश्मन बन बैठा ,और आदमी पर  आलोचनाएँ , और उन बुरे लोगो का चिंतन   जिनसे  स्वयं  में तमाम   नकारत्मकताएंस्वयं पैदा होजाती है ,| 


 पूरा जीवन एक ऐसी स्थिति में गुजार दिया गया जहाँ वर्तमान से कभीनसंतोष मिला ही नहीं ,समय हमेशा यह सोचता रहा कि  कल यह ख़राब था आज यह नहीं है कल वह नहीं था और भविष्य  में क्या होगा   मन   बुद्धि  और सोच  आदमी की जीवंतता से जीवन छीन लेता  है  स्पंदन का यंत्रवत चलता यन्त्र हजारों तल्खियाँ घोलदेता है जीवन में ,आज की उपलब्धियों का गर्व  कुछ न होने और साधन हीनता का रोना रोने लगताहै ,दूसरों का चिंतन भी इसी तरह किया जाने लगताहै की उनपर सब है और हम पर कुछ  ही नहीं  है  ,  क्या है ये सब जो अपने आप में स्वयं प्रश्न चिन्ह। है  |


"जिंदगी ने खुद को देखना ही छोड़ दिया , दूसरों का वैभव ,उन्नति और संसाधनों का बाहुल्य देखते देखते हम स्वयं की निगाह में  ही  हीन  साबित होने लगे  हमने अपने सम्पूर्ण परिवेश  और  परमेश्वर को तुच्छ साबित करने की कोशिश में लग  गए यह भी  भूल बैठे कि  मनुष्य  पमेश्वर की अमूल्य कृति है   और उसके सारे जीवन की  विकास  मार्ग उसने ही समय के अनुसार  तय  कर   रखें  है  उसका कर्त्तव्य केवल यह था कि  निस्वार्थ भाव से सकारात्मक कर्म पथ पर लगा रह कर  जीवन को नई परिभाषा देता रहे "


उस परमात्मा ने तुम्हे इतना अमीर  था बनाया था जितना संसार में कोई था ही नहीं ,  तुम हमेशा अपने अंतर की शक्तियों से बेखबर  दूसरों की उपलब्धि और उनकी  ही सिमटे रह गए ,तुमने तटस्थ भाव से कभी जीवन  की उपलब्धियों का  आकलन ही नहीं किया  यदि कभी अपनी आतंरिक शक्तियों   समझ पाते तो तुम्हे यह गर्व होता कि  उस नियंता ने तुम्हे इतनाअमीर बनाया था जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते थे   औरयदि तुम्हे निज स्वरुप का सत्य ज्ञान होता तो तुम भी अपने आप पर पूर्ण गर्व करसकते थे | 


जीवन सिद्धांतों में इन्हें भी समझें 

  • अपने आप पर केंद्रित होकर स्वयं की आंतरिक शक्तियों कीजिए  आपका  सिद्धांत  बड़ा संकल्प  देगा यह सुनिश्चित करें शायद इससे आपकी  नई दिशा मिलेंगी | 
  • अपने आप गर्व करें कि  आप जाती समाज समुदाय और ईश्वर  कृतियों में श्रेष्ठ कृति है , और आप ऐसा  सिद्ध करने जा रहे है  एक दिन आपको  ऊंचाइयां स्वतः  प्राप्त  जाएंगी | 
  •  है उसका रोना मत रोइए  आपके पास जो  उसका गर्व कीजिए , क्योकि यदि आपने अपनी  उपलब्धियों का आकलन करना आरम्भ कर दिया तो आपकी उपलब्धियां खुद. बढ़ने   लगेंगी | 
  • दूसरों के आकलन में व्यर्थ समय गवांने  से अच्छा है आप स्वयम्  विकास  योजनाएं बनाएं जिससे आपकी चेतना सकारात्मक स्वरुप में खड़ी होगी | 
  • प्रकृति में एक सर्वशक्ति मान नियंता क्रिया शील है और आप उसके  ही आंश है आपकी सारी शक्तियँा शक्तियां उस परमेश्वर की  उनका गर्वकरें | 
  • अतीत का प्रयोग और स्मरण केवल अपने जीवन पथ का मार्ग प्रशस्त करने के लिए करें , आपको दोषी या बेचारा बताने के लिए  प्रयोग न करें | 
  • जीवन की उन स्थितियों , लोगो और घटनाओं का स्मरण अवश्य करें ,जिन्होंने आपके जीवन में इतना सकारात्मक पक्ष अदा किया जिससे आप धनात्मक हो सके है | 
  • भविष्य अतीत के दरवाजे पूर्ण रूप से बंद करदिये जाएँ और वर्तमान को कठिन परिश्रम और सकारात्मकता  कार्य में झोंक दिया जाए आपको सफलता  ऐसी मिलेगी जिसपर आप गर्व कर सकें |  
  • श्रम , नियोजन और कुछ भी कर गुजरने की  शक्ति यदि आपके पास है तो आप दुनियां के सबसे अमीर व्यक्ति है क्योकि अधिकांश लोग भौतिक संसाधनों से स्वयं का आकलन करते है | 
  • जीवन  के बहुत बड़े भाग में हम स्वयं को प्रोत्साहित रखें और यह अटल विश्वास  रखें कि  जो भविष्य में आने वाला समय है वह हमें और अधिक सकरात्मकताएं देने वाला है | 
  • अपने आपको सभी सकारात्मक पक्षों पर  लेजाकर  उसे ध्यान में और अधिक अच्छे से अनुरूप बदलते देखने का भाव बनाकर देखें धीरे धीरे परिवर्तन आपके अनुसार ही होने लगेंगे 


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