इंसान को हर पल निर्णय करना होता है |बचपन से अंत तक उसे कुछ न कुछ तय करना होता है और उसके तय किए मार्ग पर ही उसकी जीवन की रेल चल पाती है |उसके विकास और विनाश का द्वार यही से आरम्भ हो जाता है |हर निर्णय के पीछे उसकी उपलब्धियां और भय छिपा होता है और उसे ही इस भय पर विजय प्राप्त करना होता है |आरम्भ में उसके निर्णयों को माँ पिता और उसके आस पास के लोग दिशा देते है मगर धीरे धीरे उसे स्वयं यह ज्ञान होने लगता है कि शायद उसे निर्णय लेना आगया है|घर के अपनों द्वारा जिस दिशा के लिए जो मार्ग प्रशस्त किया गया था वह उसकी समझ मे नही आता मगर वह उसे ही अन्तिम सत्य समझाने लगता है |और उसका विकास क्रम इसी तरह बढ़ता जाता है अब वह अपनों परायों और उनके व्यवहार से निर्णय करने काआदी हो जाता है |
धीरे धीरे समय मान्यताएं ,ज्ञान समाज कि सोच विकसित होने लगाती है असीम ज्ञान भण्डार आदर्शों कि व्याख्या करने लगता है धर्म भय और उपहार का ज्ञान देने लगता है और व्यक्ति के निर्णयों को पर्याप्त रूप से प्रभावित भी करने लगता है |यहाँ वह हर पल अपने अस्तित्व कि लडाई लड़ता दिखाई देता है|वह यह सोचता है कि उसका अस्तित्व इस निर्णय से लाभान्वित होगा कि नही ,उसका अहम् ,सोच और उसे भय का सामना तो नही करना होगा ,ये सब प्रश्न उसके जीवन के निर्णयों को प्रभावित करते है|इससे भी अधिक प्रभाव समय परिस्थिति, उम्र और उसकी उपलब्धियों का पड़ता है वह निर्णयों को बहुत ज्यादा प्रभावित करने कि शक्ति रखती है |
उसके जीवन कि सफलता असफलता इस बात पर ही निर्भर करती है कि वह निर्णयों को सही समय और सही स्थान पर स्थापित कर पाया कि नही|उसके तीनों काल इस निर्णय कि विधा से ही बंधे दिखाई देते है सामान्यत उसके निर्णयों मे उसकी अपनी स्थिति ,परिवार की सोच ,आदर्श ,और भविष्य के प्रति विशवास का दर्शन होता है मगर उसकी आस्थाएं ,कठिन परिश्रम और उद्देश्य की स्पष्टता उसके निर्णयों में एक अद्वतीय शक्ति का संचार करने की क्षमता रखती है |
सारांश यह की जीवन का सबसे महत्व पूर्ण पहलू आदमी के निर्णय करने की कला ही है |यदि निर्णय कला है तो उसे और अधिक परिष्कृत करने की विधि भी होंगी |आज हम उन्ही निर्णयों को और अधिक ताक़त वर बना कर व्यक्ति को अधिक सफलतम बनने की चेष्टा कर रहे है |
देश काल परिस्थितियां और परिवेश अलग होसकता है ,मगर यदि निर्णय के आधार स्पष्ट और सुलझे हुए हुए तो निश्चित रूप से वे समाज देश और स्वयं हमारे अस्तित्व के लिए विकासोन्मुखी हो सकते है
जीवन एक ऐसा कार्य क्षेत्र है जहाँ हर क्रिया से कई गुनी प्रतिक्रया हमे झेलनी होती है क्योकिं इंसान अति गति शील विषय वस्तु है |प्रकृति के नियमों में क्षमा होती ही नही है हमारा एक ग़लत निर्णय हमारी संपूर्ण जीवन की दिशा शान्ति और संतोष छीनने के लिए काफी है,अतः हर निर्णय कुछ सिद्धांतों और धनात्मकता से लेने की आदत हमे अभी से डालनी होगी |
- अपने लक्ष्य और आदर्श निर्धारित करें और यथा सम्भव उन्हें पूर्ण करने के लिए संकल्पित रहें |
- निर्णय से पूर्व उसके बहुत से परिणामों के बारे में अवश्य विचार करें क्योकि परिणाम ही कार्य की गति को संचालित करते है
- निर्णयों में वर्त्तमान ,भविष्य और अतीत के सबक को भी यद् रखना जरूरी है ,
- निर्णय के पश्चात उसपर कुशल क्रियान्वयन की आवश्यकता महत्व पूर्ण होती है आप उस प्रक्रिया में स्वयं को श्रेष्ठ बनाये रखने का प्रयत्न अवश्य करे |
- निर्णय का प्रभाव आपके अपनों को आहात करने वाला न हो अन्यथा आप स्वयं भी आहात हो सकते है यथा सम्भव आपको अपने पक्ष के लिए एक सशक्त भूमिका बना कर निर्णय लेना चाहिए जिससे सब आपके निर्णय की भावना समझ सकें |
शेष फिर
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