Tuesday, June 23, 2009

शून्य की सृष्टि विचारणीय

शून्य की सृष्टि विचारणीय



शून्य की सृष्टि विचारणीय के आरम्भ में कुछ भी तो नही था ,न भोतिक और न अभोतिक जीवन नही था केवल था शून्य और वही हर निर्माण का आधार भी रहा है शून्य यह बताता है कीउससे पूर्व कुछ नही है और उसके बाद सम्पूर्ण आरम्भ है वह जीवन से पहले भी विद्यमान था उसे जीवन के बाद भी रहना था और वह चिरंतन पृथ्वी के अस्तित्व से पहले भी सतत अस्तित्व मे था ब्रह्माण्ड का हर सत्य इस शून्य की iही देन है ,शून्य की स्थिति और उसका आकार और प्रकार सोच और बुद्धि से परेहै क्योकि वह विचार और कल्पना से भी परे है

1 comment:

rohit said...

believe in god then fight the life struggle every day think poditive throught

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