शून्य की सृष्टि विचारणीय
शून्य की सृष्टि विचारणीय के आरम्भ में कुछ भी तो नही था ,न भोतिक और न अभोतिक जीवन नही था केवल था शून्य और वही हर निर्माण का आधार भी रहा है शून्य यह बताता है कीउससे पूर्व कुछ नही है और उसके बाद सम्पूर्ण आरम्भ है वह जीवन से पहले भी विद्यमान था उसे जीवन के बाद भी रहना था और वह चिरंतन पृथ्वी के अस्तित्व से पहले भी सतत अस्तित्व मे था ब्रह्माण्ड का हर सत्य इस शून्य की iही देन है ,शून्य की स्थिति और उसका आकार और प्रकार सोच और बुद्धि से परेहै क्योकि वह विचार और कल्पना से भी परे है
1 comment:
believe in god then fight the life struggle every day think poditive throught
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