मित्रों विश्वास ,प्रेम ,आदर्श , मूल्य , धर्म के भाग है ओर इन सबसे मिलकर व्यक्तित्व बनता है , हर इंसान जों भीकुछ सोचता करता है उसके पीछे एक भाव अवश्य होता है वह भाव कितना पवित्र ओर अपवित्र है यह उस इंसानकी आत्मा जानती है , क्योकि आत्म अवलोकन का सत्य आदमी को यह बताता रहता है की वह कितना परिष्कृतहै ओर उसका आत्म बल किस स्तर तक पहुँच पाया है , इन्ही कहानियों के बीच उसका जीवन चक्र चलता रहता है |जीवन पूर्णता कि माग करता रहता है ओर हम अपनी सोच ,परिवेश ओर व्यक्तित्व के अनुरूप व्यवहार करते रहते है ,बिना अपनी आत्मा कि आवाज सुनते हुए |
आप जीवन में संतोष का वह स्तर प्राप्त करना चाहते है जों पूर्ण ओर श्रेष्ठता कि पराकाष्ठा पर हो मगर जब भी जीवन को पूर्ण करने का प्रश्न आता है आपका सारा संतोष इस बात में सिमट जाता है कि आपके समाज आसपास के लोग आपको वह भाव दे रहे है कि नहीं जों आप चाहते है बस आप अपने दृष्टीकोण से चिंतन करके उसमे डूबते चले जाते है मन हजारो आरोप प्रत्यारोप लगते हुए अपने को सही सिद्ध करने ;लगता है ओर हमारा सारा अस्तित्व केवल अपवित्र असत्य ओर भ्रम को सत्य मान बैठता है ओर एक दिन यही हमारा अस्तित्व बन जाता है |
विश्वास , सौम्यता ओर मूल्यों का सत्य किसी घटना समय ओर क्रोध का आकलन नहीं है उसके लिए निम्न स्थितियाँ महत्व पूर्ण हो सकती है |
- जीवन कि सहजता को बनाये रखें , अपने मन मष्तिष्क ओर विचारों को ऋणात्मक न होने दें
- आप सहज ही अपने संबंधों पर प्रश्न चिन्ह न लगाये , उससे आपका विश्वास , शक्ति ओर जीवन का उदारदृष्टिकोण स्वयं प्रभावित होकर आपकी सोच को ऋणात्मक बना देगा |
- सकारात्मक ओर नकारात्मक विचारों की प्रभाव शीलता को बनाए रखें क्योकि आपकी नकारात्मक सोचदूसरे व्यक्ति के लिए नहीं अपुतु वह आपके जीवन के लिए ही घातक होगी |
- आप समझदार , विद्वान , ओर प्रबुद्ध होसकते है मगर आप दूसरों के दृष्टी कोण को अपने जीवन की ऋणात्मकता ओर अनुभवों के हिसाब से कैसे आंकलित कर सकते है ,आपको एक कार्य , समय ,स्थितिजन्य कार्य से अपने निर्णय नहीं लेने चाहिए |
- जीवन संबंधों में विश्वास ,प्रेम ओर सार्थकता बहुत समय की अनुभव शीलता से मिलती है , आप क्रोधजिद ओर अपनी ऋणात्मक सोच से उसे व्यर्थ न गवांये , क्योकि इससे आपका आत्मबल भी प्रभावितहोता है | ,
- अपने क्रोध , आवेश ओर परिस्थिति गत घटना को आप दूसरों में न देखें अपनी सोच से ऊपर उसे अलगसकारात्मक दृष्टी कोण से देखने की चेष्टा करें |
- सहज में अपनी जीत के लिए किसी का मन न दुखाये , |
मित्रों जीवन जीना एक ऐसी कला है जिसे जीने के लिए हर पल कुछ न कुछ सीखना होता है , संबंधो को धर्मनुरूपबनाये रहने की कला ही जीवन का सार है नहीं तो आपका अपनी आत्मा के प्रति अविश्वास आपके भविष्य कोकेवल अशांत अस्थिर ओर अपूर्ण बना देगा अतैव जीवन मूल्यों ओर संबंधों को विश्वास से जीतने का प्रयत्न करें |
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