Thursday, May 27, 2010

कितनी स्वतंत्रता चाहिए युवा को

आज युवा समाज दो भागों में विभक्त है एक तो वो जों समाज के साथ अपनी रूढ़िवादी सोच , पुराने संस्कार ओर जीवन के मूल उद्देश्य के लिए संघर्ष रत है दूसरी ओर वो जों तथा कथित आधुनिक है ओर वे अपनी आधुनिक सोच के कारण अपनी संस्कृति , मूल्य सिद्धांत सब भूल कर केवल अपनी आपूर्तियों का मायने बन बैठे है इनकी संख्या भी पर्याप्त है
युवा बहुत शक्ति संपन्न ओर अतुल बल शाली है परन्तु आज की परिस्थितियों में उसे स्वतंत्रता की नयी परिभाषाएं चाहिए उसे खुद भी नहीं मालूम वह क्या स्वतंत्रता चाहता है क्या क्या करना चाहता है उसमे सब्र नही है समय के लिए ,वह जों उसे ठीक दिखता है उसे तुरंत कर बैठता है बाद में उसके परिणाम कुछ भी हो उसे चिंता ही नहीं होती कभी युग शिक्षा ,परिवर्तन ,ओर अत्याधिक आधुनिक बनने के लिए उसे बहुत प्रेक्टिकल दिखाना होता है ओर वह सब करके देखना चाहता है ,जों पाश्चात्य देशों में अपनी ऋणात्मकता सिद्ध कर चुका है ,शान्ति ओर संयम के सारे रास्ते बंद करके हम क्या चाहते है यह खुदअपने आप में प्रश्न चिन्ह है
यह पीढी नयी पद्धतियाँ नए विचार नयी संस्कृति के हर पुरातन रिश्ते की नई कार्य परिभाषा बनाना चाहती है, सारांश यह है की जों भी उसके शारीरिक ओर सामाजिक सम्बन्धों ओर उसके अहम् के लिए जरूरी हुआ वह वो कर बैठा ,यहाँ उसे न तो संबंधों की चिंता है न अपने भविष्य की ओर न अपने दीर्घ कालिक दीर्घ सुख की उसे केवल अपने तमाम जरूरतें दिखती है ओर उनकेलिए वो कुछ भी करने को तैयार हो जाता है झूठी कहानियां संबंधों ओर हर पवित्रता के आवरण में ये अपने मकसद ओर अपनी हवस को लिए ही क्रिया शील रहता है ,इनके लिए दुःख सुख सम्बन्ध भावनाएं ओर पवित्रता का मायने होता है केवल प्रेक्टिकल होना कैसे भी काम निकालना ओर आगे बढ़ जाना
  • दोस्तों जीवन के इस पहलू पर जरा रुक कर विचार करने की आवश्यकता है आप जों भी कर रहे है आपको उसका सौ गुना प्रतिफल मिलाना तय है आपने अच्छा किया है या बुरा यह महत्वपूर्ण नहीं है यह तो आपके जींस से आपकी आने वाली पीढ़ी को ऐसे के ऐसे ही लौटा देंगेआपका निर्माण उस वक्त आपको कितना संतोष दे पाएगा यह तो समय के हाथों में है ,परन्तु आज आपको इन बातो पर विचार कर लेना चाहिए जिससे भविष्य अपराध बोध बन कर आपको परेशां न कर सके
  • भावनात्मक पहलू जीवन को परम गति प्रदान कर सकते है मगर आप सांसारिक आपूर्तियों के लिए इसका प्रयोग यदि स्वार्थो के लिए कर रहे है तो आपको ध्यान रखना चाहिए की आप जिनका उपयोग इन के सहारे कर रहे है वे भी आपका उपयोग ही कर रहे है
  • अपने को श्रेष्ठ साबित करने के लिए आप आदर्शों ओर मूल्यों को सहारा न बनाये इससे आपका आत्म बल ओर पूर्णता नष्ट हो जायेगी उन्हें क्रिया रूप में पैदा करें
  • संबंधों का उपयोग अपने निहित स्वार्थों के लिए नहीं करें नहीं तो एक दिन आप अकेले रह जायेंगे ओर हर अलग पक्ष कल आपको हीन भावना से देखने लगेगा आपमें स्वयं एक असुरक्षा की भावना घर कर जायेगी जिसमे आपका अपराध बोध ओर बड़ा हो जाएगा
  • यह मत समझो की आपके कार्य को कोई देख नहीं रहा है यहाँ हर काम इतना पारदर्शी है की समय के साथ आपमें ही अनगिनत विकार पैदा होजाएंगे जिनके उत्तर आप पर नहीं होंगे
  • झूठ ,फरेब अन्याय ,ओर स्वार्थो से आपकी आत्मा , आपका सम्मान, आत्मा इतनी आहात हो जायेंगी की आप स्वयं उन सबको उत्तर नहीं दे पायेंगे
  • समय उम्र ओर जीवन के अगले मोड़ पर आपको आपको विश्वास करने वाला कोई नहीं मिलेगा , आप जिन्हें तिरस्कृत कर रहे हो ये ही आपका तिरस्कार कर सकते है
  • आप समय का प्रयोग उस के उद्देश्य ओर मांग के हिसाब से न कर सकने के कारण हार के कगार पर खड़े है ओर आपको यह यातना झेलने को तैयार रहना चाहिए

आवश्यकता इस बात की है कि आपको सब्र ओर शान्ति से इस बात कि खोज करनी है कि आपको जीवन में अपने स्वप्नों की पूर्ति के लिए कब क्या करना अधिक महत्वपूर्ण लग रहा है ,आप अपने सिद्धांत मूल्य ओर सत्य कि कोई मिसाल बनाये या नहीं मगर ध्यान रखे आप अपने परमार्थ से सब जीत सकते है ओर जीवन जीना इसी सहजता कि परिभाषा भी है

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