Friday, May 14, 2010

कार्य से पूर्व थोडा विचार करें

भागती दौड़ती जिन्दगी में हर काम बहुत ज्यादा जरूरी लग रहा है ,हर आदमी जल्दी में है , मगर मन मष्तिष्कओर जीवन का संतोष इस प्रक्रिया में थोडा विश्राम ओर चिंतन चाहता है,मगर हमारा हीरो आम आदमी ,जिसपरसब विषय वस्तुओं के लिए समय है मगर अपनी ही क्रियान्वयानता के लिए उसपर कोई समय नहीं है |
मित्रों जीवन एक ऐसा विषय है जों आदमी को हर काम के लिए बेहद स्वतंत्रता का भाव प्रदान करता है मगरउसमे एक यह विशेषता है कि वहां क्षमा मैत्री ओर पुनर्विचार का समय ओर मौका नहीं है | उसके नियम आमआदमी के नियमों से अधिक कठिन ओर पक्षपात रहित है , वह केवल आकलन करता है ओर तुरंत दंड और पुरूस्कार की घोषणा भी कर देता है ,वही समय है ,कर्म है ब्रहमांड है,इश्वर है या यूं कहिये, कि वही सबसे बड़ीनियति भी है |

दोस्तों जब जीवन का कोई निर्णायक आपके हर कार्य का इतना सूक्षम ओर सटीक अध्ययन कर रहा हो ओरउसपर आपको परिणाम देने का भी दायित्व हो तो क्या यह आवश्यक नहीं कि आप अपने हर कार्य से पूर्व थोडा रुक कर चिंतन करे|


मित्रो जीवन एक ऐसा संघर्ष है जिसमे आपको अपनी हर क्रियान्वयानाता पर पूर्ण ओर श्रेष्ठ सिद्ध होना है मगरआप अपने जीवन के इन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर भी बेहद लापरवाह होते है तो समयकी तमाम धाराएँ आपकारास्ता रोक कर आप पर प्रश्न चिन्ह लगा देती है आवश्यकता इस बात कि है कि आप हर काम से पूर्व अपने समयउद्देश्य ओर यह सोच कर कर्म रत हो कि आपके हर कार्य से उत्त्पन्न विषयों का प्रतिक्रियात्माक जबाब आपको हीदेना होगा |

इसलिए प्रत्येक कार्य से पूर्व यह भाव रखे कि मै एक कर्ता मात्र हूँ ओर अपने नियंता से बंधा कार्य रत हूँ तोशायद आप कार्य कर्म जीवन सबसे न्याय कर सकते है |

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