Monday, February 3, 2014

आत्म नियंत्रण  और सफलता

आज हम नवीन युग में जी रहे है  नई तकनीकें है ,उपभोग केलिए अनगिनत सामिग्री है सम्पूर्ण विश्व
 हाथों में है अनगिनत रिणात्मक धनात्मक  जानकारियां है  और  आदमी अपने अनुसार उनका प्रयोग
  करके अपने संतोष के स्तर  को  बनाये रखना चाहता है ,परन्तु सबसे बड़ी समस्या यह है कि तमाम प्रयत्न  करने के बाद भी असंतोष,हताशा , अधूरापन और अनमना मानसिकस्तर ये सब स्थितियां  तेजी से बढ़ रही है !विकास ,शांति , कुछ श्रेष्ठ करने  की चाह और अपनी  पहिचान  की  खोज में अनवरत प्रयत्न करता आदमी   पूर्णता पाने में बार बार अक्षम सा जान पड़ता है!
  विकास ,परिवर्तन और तेजी से बदलते परिवेश में हजारो उपयोग कि वस्तुओं के बाद भी हम स्वयं  कि शक्तियों को और से और अधिक प्रयोगित करना चाहते है रोज नई नई कामनाएं रोज नई उपलब्धियां और रोज आधे अधूरे से परिणाम हमारे मन मष्तिष्क को झकझोर  कर रख देता है फिर नए लक्ष्य के लिए हम चलने लगते है एक अज्ञात दिशा की ओर ,और फिर कामनाएं फिर अंधी दौड़ और फिर वे अस्पष्ट  सी उपलब्धियां जीवन को पूर्ण नहीं होने देती और मन सदैव यही कहता  रहता है कि वह कुछ कर नहीं पाया । 
मित्रो चाहे स्त्री हो या पुरुष हमें अपनी  स्वतंत्रता कि सीमाएं तय करनी होंगी ,हमे यह जानना होगा कि किस सीमा के बाद हम स्वयं को पूर्ण नियंत्रण में रखें हिन्दू धर्म के अनुसार स्पष्ट कहा गया है कि स्त्री या पुरुष अति स्वतंत्रता के स्थापना सम्पूर्ण अस्तित्व बिगाड़ बैठते है ,कई महा पुरुष यह मानते है कि शक्ति केस्त्रोत को स्वयं के आत्म नियंत्रण में रखना अति आवश्यक है जिससे हम जीवन की तमाम उपलब्धियोंसफलता को एक ऐसे क्रम में संयोजित कर देते है जिससे रिणात्मक विषय भी हम पर विपरीत प्रभाव नहीं डाल पाते जीवन में स्वयं के नियंत्रण  की प्रक्रिया में निम्नाकित तथ्य महत्वपूर्ण है | 

  1. जीवन को नियंत्रण में बनाये रखने के  लिए अपने उद्देश्यों को स्प्ष्ट रखें और उन्हें समयानुसार जल्दी जल्दी दोहराते  रहें  और जीवन का हर क्रियान्वयन पर यह विचार  अवश्य करते  रहें कि वह  आपके उद्देश्यों के विपरीत न हों | 
  1. विकास !परिवर्तन और तकनीकी शिक्षा को युग के साथ स्वीकार  किया जाए मगर अपने मन मष्तिष्क में यह स्पष्टरखें कि वो कोई कार्य नहीं करें जिसमें आपका मन मष्तिष्क आपको सहयोग न दें | 
  1. आत्म नियंत्रण के लिए ही नहीं वरन जीवन की प्रत्येक   सफलता के लिए महत्वपूर्ण यह है कि हम  स्वयं को एकाग्र  रखने कि चेष्टा अवश्य करें यह ध्यान रखें कि  अपने उद्देश्यों के प्रति जितना जल्दी  एवम जितना अधिक एकाग्र होने  की कला  हम सीख लेंगें सफलता उतनी ही जल्दी हम प्राप्त कर सकते है | 
  1. जीवन  की हर सोच पर और क्रियान्वयन के अच्छे और बुरे पक्ष पर पहले विचार  आवश्यक है 
  1. अपने मूल उद्देश्यों से अपनी सोच और क्रियान्वयन को जड़ें 
  1. गलतियां विचार और संकल्प के संगम से आप स्वयं को एक दिन सभी विकारों से कर है | 
बहुत  से विचार है और सबका  सार भूत सत्य  यह है कि आपका अपने मन मष्तिष्क और अपनी आत्मा के स्पंदन और क्रियान्वयन पर जितना अधिक और जितना सशक्त नियंत्रण होगा आपकी सम्पूर्ण सफलता भी उतनी ही ज्यादा सुनिशित  होगी | जीवन  की सारी क्रियाओं  पर नियत और सुनियोजित विचारो  के साथ किये हुए समस्त कार्य और नियंत्रण आपको अवश्य कामयाबी के शीर्ष पर पहुंचा देगा | आज हम नवीन युग में जी रहे है  नई तकनीकें है ,उपभोग केलिए अनगिनत सामिग्री है सम्पूर्ण विश्व

 हाथों में है अनगिनत रिणात्मक धनात्मक  जानकारियां है  और  आदमी अपने अनुसार उनका प्रयोग
  करके अपने संतोष के स्तर  को  बनाये रखना चाहता है ,परन्तु सबसे बड़ी समस्या यह है कि तमाम प्रयत्न  करने के बाद भी असंतोष,हताशा , अधूरापन और अनमना मानसिकस्तर ये सब स्थितियां  तेजी से बढ़ रही है !विकास ,शांति , कुछ श्रेष्ठ करने  की चाह और अपनी  पहिचान  की  खोज में अनवरत प्रयत्न करता आदमी   पूर्णता पाने में बार बार अक्षम सा जान पड़ता है!
  विकास ,परिवर्तन और तेजी से बदलते परिवेश में हजारो उपयोग कि वस्तुओं के बाद भी हम स्वयं  कि शक्तियों को और से और अधिक प्रयोगित करना चाहते है रोज नई नई कामनाएं रोज नई उपलब्धियां और रोज आधे अधूरे से परिणाम हमारे मन मष्तिष्क को झकझोर  कर रख देता है फिर नए लक्ष्य के लिए हम चलने लगते है एक अज्ञात दिशा की ओर ,और फिर कामनाएं फिर अंधी दौड़ और फिर वे अस्पष्ट  सी उपलब्धियां जीवन को पूर्ण नहीं होने देती और मन सदैव यही कहता  रहता है कि वह कुछ कर नहीं पाया । 
मित्रो चाहे स्त्री हो या पुरुष हमें अपनी  स्वतंत्रता कि सीमाएं तय करनी होंगी ,हमे यह जानना होगा कि किस सीमा के बाद हम स्वयं को पूर्ण नियंत्रण में रखें हिन्दू धर्म के अनुसार स्पष्ट कहा गया है कि स्त्री या पुरुष अति स्वतंत्रता के स्थापना सम्पूर्ण अस्तित्व बिगाड़ बैठते है ,कई महा पुरुष यह मानते है कि शक्ति केस्त्रोत को स्वयं के आत्म नियंत्रण में रखना अति आवश्यक है जिससे हम जीवन की तमाम उपलब्धियोंसफलता को एक ऐसे क्रम में संयोजित कर देते है जिससे रिणात्मक विषय भी हम पर विपरीत प्रभाव नहीं डाल पाते जीवन में स्वयं के नियंत्रण  की प्रक्रिया में निम्नाकित तथ्य महत्वपूर्ण है | 

  1. जीवन को नियंत्रण में बनाये रखने के  लिए अपने उद्देश्यों को स्प्ष्ट रखें और उन्हें समयानुसार जल्दी जल्दी दोहराते  रहें  और जीवन का हर क्रियान्वयन पर यह विचार  अवश्य करते  रहें कि वह  आपके उद्देश्यों के विपरीत न हों | 
  1. विकास !परिवर्तन और तकनीकी शिक्षा को युग के साथ स्वीकार  किया जाए मगर अपने मन मष्तिष्क में यह स्पष्टरखें कि वो कोई कार्य नहीं करें जिसमें आपका मन मष्तिष्क आपको सहयोग न दें | 
  1. आत्म नियंत्रण के लिए ही नहीं वरन जीवन की प्रत्येक   सफलता के लिए महत्वपूर्ण यह है कि हम  स्वयं को एकाग्र  रखने कि चेष्टा अवश्य करें यह ध्यान रखें कि  अपने उद्देश्यों के प्रति जितना जल्दी  एवम जितना अधिक एकाग्र होने  की कला  हम सीख लेंगें सफलता उतनी ही जल्दी हम प्राप्त कर सकते है | 
  1. जीवन  की हर सोच पर और क्रियान्वयन के अच्छे और बुरे पक्ष पर पहले विचार  आवश्यक है 
  1. अपने मूल उद्देश्यों से अपनी सोच और क्रियान्वयन को जड़ें 
  1. गलतियां विचार और संकल्प के संगम से आप स्वयं को एक दिन सभी विकारों से कर है | 
बहुत  से विचार है और सबका  सार भूत सत्य  यह है कि आपका अपने मन मष्तिष्क और अपनी आत्मा के स्पंदन और क्रियान्वयन पर जितना अधिक और जितना सशक्त नियंत्रण होगा आपकी सम्पूर्ण सफलता भी उतनी ही ज्यादा सुनिशित  होगी | जीवन  की सारी क्रियाओं  पर नियत और सुनियोजित विचारो  के साथ किये हुए समस्त कार्य और नियंत्रण आपको अवश्य कामयाबी के शीर्ष पर पहुंचा देगा | 

अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

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