Sunday, February 2, 2014

आधुनिक नृत्य के विजेता माइकल का दुःख भरा अंत

"उस की दुनियाँ में अंधेरों के सिवा कुछ भी हीं

है वही शक्श जो शम्मा को जलाने वाला "


शायर
की जाग्रत शायरी के हर शब्द में ऐसा लगा कि यह माइकल के लिए ही बनी शायरी थी

जिसके
आने की आहट से शहरों में कर्फ्यू जैसा वातावरण बन जाता था ,रास्ते रुक जाते थे ,और
सारे देश के लोग एक जगह जुड़ जाते थे ,वही मसीहा था इन युवा में जीवन का नव संचार करने वाला ,उसकी शोहरत के सामने बहुत बड़े बड़े राष्ट्रों कलाकार बोने हो जाते थे ,और साँस्कृतिक क्षेत्र कुंठाओं से ही सही मगर उसके प्रसंशक हो जाते थे ,ऐसे युग कलाकार की अभिशप्त मौत से आज पूरा विश्व स्तंभित है और हम भी तमाशबीन की तरह अफसोस भर जता पाये है |जिसके जीवन की तमाम कहानी एक घोर संघर्ष का विषय रही हो, उसे थोड़ी बहुत समस्याओं में हताशा का भाव आना यह प्रश्न वाचक है ,यह समझ से परे है कि वह अपने जीवन की उकताहट से परे शान था ,जिसने अपना बचपन आभावों में निकाल कर भी कला क्षेत्र को नए ढंग से समझने और क्रियान्वित करने कॉ साहस किया हो ,जो जीवन की विपरीत स्थितियों से विजेता बनकर निकला हो ,जो तमाम युवाओं का थोड़े ही समय में प्रेरणा श्रोत बनगया हो ,वह सामान्य और हारने वाला कैसे हो सकता है ?यह प्रश्न भविष्य के गर्भ में समाया रहेगा |
आज हम उस युग विजेता के जीवन का दूसरा पहलू भी समझे जिसमे उसकी अतुलनीय दौलत चमक धमक और हजारों लम्पों कि रोशनी में वह कितना अंधेरों में था ,उसके मानसिक स्तर पर क्या द्वंद थे क्या वह अपनी आत्मा के सामने अकेला पड़ गया था या फिर लाखों आदमियों कि भीड़ में भी वो अकेला रहगया था |शायद ये प्रश्न इसी तरह उलझते जायेंगे मगर इनका समाधान क्या होगा ये वक्त ही बताएगा मगर विश्व ने आजएक बहुत बड़ा कलाकार अवश्य खोया है जिसकी आपूर्ति शायद ही समय कर पाये |
माइकल कि मौत के बाद हर रोज नई खबरों के चटपटे मसाले शायद इस समय बड़ा प्रश्न ही है ,जो लोग उसकी शख्शियत के सामने कहीं टिकते नहीं थे ,आज वो उसकी सब तरह की मीमांसा कर रहे है, यह क्षोभ का विषय है |हमें ऐसी किसी भी व्यवस्था कॉ विरोध अवश्य करना चाहिए |उसके मरते ही नई नई गाथाओं के साथ यह बताना कि बच्चे उसके नहीं थे , वह अरबो का कर्जदार था ,उसकी मौत के बाद पत्नी होने कॉ दावा करने वाले बढ गए ,और ऐसी ही अनेक कमियों और आक्षेप से शायद उस दिवंगत आत्मा की उपलब्धियां कम नहीं की जा सकती |भारतीय संस्कृति बहुत बड़ी विचारधारा का मूर्त रूप है यहाँ अच्छे को अच्छा कहने प्रसंशा और एक दूसरे को सहारा देने कॉ गुण जन्म से ही प्राप्त है ,यहाँ कला का स्थान ईश्वर से बंधा है और आज में विश्व के सारे लोगो से यही कहना चाहता हूँ की ऐसे कर्म और संस्कृति के युवा सम्राट को श्रद्धांजली दे उसे किसी सड़े हुए उपन्यास का खलनायक बनाकर प्रस्तुत करे यह माइकल नही वरन सम्पूर्ण मानवता के लिए काला धब्बा होगा|

दोस्तों आज यह बात फिर स्पष्ट है की जिसने रातों को रोशनी दी वह हमेशा गहरे अंधेरों में डूबा रहा ,जिसने दूसरों को खुशियाँ दी वो जीवन भर खुशी को मोहताज़ बना रहा ,जिसने समाज को राह दी वह स्वयं विलुप्त प्रायः बनारहा, जिसने सबको उठान दिया वह पतन के गहरे गर्त से भी आपके जीवन की कुशलता चाहता रहा |हम इन बलिदानों को अपने जीवन के प्रेरणा श्रोत के रूप में बना कर उनसे सकारात्मक दिशा पा सके तो उस महाकलाकार को यह सच्ची श्रद्धांजली होगी |

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