पूर्ण सफलता और संतोष के लिए जीवन की प्राथमिकता पहले तय करें
जन्म के समय मै रोया नहीं डॉक्टर और सब परेशान थे ,कही कोई अनहोनी बच्चे के साथ और उसकी माँ के साथ न हो जाए ,प्रयास किए गए मुझे उल्टा करके थपथपाया (मारा)गया और उन प्रयासों से मै रोने लगा |परन्तु मुझे बाद मै समझ आया की मै अपनी भूख और आवश्यकताओं के लिए रो रहा था , और कब ये आवश्यकताएं मेरी जरूरत बन कर बड़ी बड़ी महत्वाकांक्षाओं में बदल गई मै समझ ही नहीं पाया |मानव के जन्म से ही यह स्थिति बनने लगती है जिनसे ताल मेल बिठा कर हम अपनी आवश्यकताओं और महत्वाकांक्षाओं का ऐसा जाल अनजाने मे बचपन से बुन लेते है जिसकी आपूर्तियों केलिए हम जीवन भर केवल समायोजन ही करते रहते है और यही हमारे लिए दुःख और असंतोष का कारण बन बैठता है |
जीवन बहुत ही संवेदन शील विषय है |यहाँ हर कार्य की तुलना में कई गुनी प्रतिक्रियाएं होती है ,क्योकि हम गति शील परिस्थितियों से जुड़े लोगो की बात करते है |यहाँ हर सार्थक कार्य पर हम धनात्मक होकर पुरस्कृत होते है वही अपनी हर त्रुटि पर हमे बहुत ज्यादा सजाएं मिलती है क्योकी जीवन जिस प्रकृति पर आधारित है उसमे क्षमा है ही नहीं |अर्थात जीवन जीना जिस कला का नाम है उसका हर कदम फूँक फूँक कर और सोच कर ही रखना होगा |यदि हम अपने इस प्रयोजन मे सफल हुए तो निश्चित रूप से हमारा जीवन अवं हमारी मृत्यु दोनों ही सार्थक हो जायेंगी और हम जीवन पर गर्व कर सकेंगे |ध्यान रहे जिसका जीवन सफल रहा मृत्यु उसकी ही सफल होगी अतैव जीवन के हर कर्तव्य दायित्व और अधिकार को पूर्ण भाव से जीना चाहिए |
अब यह महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जीवन कि प्राथमिकतायें तय कर उनपर द्रणता से अमल किया जाएऔरउसके लिए आवश्यकता है स्वयं के आत्म नियंत्रण की |मै यहाँ कुछ सुझाव प्रेषित कर रहा हूँ शायद कही यदि एक भी बिन्दु काम आया तो मै अपने इस कार्य की सार्थकता समझूंगा |
- अपनेजीवन के आधारभूत लक्ष्य`और आदर्श बनाइये और उनके क्रियान्वयन के लिए हर रोज एक नियत समय विचार कीजिये |
- समय सारणी बना कर स्वयम को कार्यों में लगाए अन्यथा हर काम समय के बाद होगा जो पूर्ण संतोष का सुख छीन लेगा ,यदि आपको हर सफलता समय के बाद मिली है तो आज से ही आपको समय के साथ समायोजन कर चलने का संकल्प करना चाहिए |जीवन में सबसे ज्यादा बहुमूल्य समय ही तो था |
- एक कठोर किंतु मन पसंद अनुशासन बनाए और कोशिश हो कि हम उसका पालन कर पायें और समयानुसार इस पर विचार करते रहे |
- भोतिक साधनों कि आपूर्ति जीवन के लिए एक सीमा तक आवश्यक है कही ये आपूर्ति आपके लक्ष्य और आदर्शों के विपरीत होकर आपका ही उपयोग ना करने लगे |धन वैभव और भोतिक आपूर्तियाँ आपको शरीर समाज और स्तर में ऊंचा दिखा सकती है मगर धन केवल शरीर को सुख दे सकता है मगर मन के सुख के लिए धन और आपके लक्ष्य और आदर्शों के सयोग कि पूर्ति होनी चाहिए|
- ज्ञान ,स्तर और विवाह जीवन के अकाट्य क्रम रहे है जिसने भी इसके क्रम को तोड़ने कि कोशिश की वह स्वयं उसके लिए बड़ी समस्या बन गया है |पहले श्रेष्ठ ज्ञान और आधुनिक व वैज्ञानिक सोच, और विद्यार्थी बन करअध्ययन में गहरी पकड़ बनाए ,यदि यह कार्य पूर्ण हुआ तो अच्छा जॉब आपको स्वतः अच्छा स्तर देगा और स्तर के बाद आपका विवाह आपके जीवन की आपूर्ति में धनात्मक योगदान देगा |
- आपकी प्राथमिकताओं में वर्तमान का क्रियान्वयन अतीत के सबक और भविष्य की स्वर्णिम योजना होनी चाहिए साथ ही उसे कड़ी मेहनत से जीतने कॉ संकल्प भी महत्व पूर्ण है |
- जीवन के लिए व्यक्ति ,सामायिक आपूर्तियों के साधनों ,और छोटे लक्ष्य बनाना सबसे बड़ा अपराध माना गया है आप लक्ष्य इतना बडा बनाए कि जिसमे आपके सारे स्वप्न और आदर्श समां सकें|
आज इस विषय के निष्कर्ष पर यही कह सकते है कि जीवन की प्राथमिकताएं तय करें ध्यान रखें जब कभी भी आप जीवन की सार्थक पहल आरम्भ करेंगे तो निश्चित ही अनेक समस्याये और अनेक ऋणात्मक विचारों वाले लोग ,समय और व्यवधान बनकर आपका मार्ग रोकने कि कोशिश करेंगे मगर आपको जीतना है |आप जीवन कि बाजी के अकेले विजेता है| येभाव एक बार पैदा करके तो देखें फिर सब कुछ आपके लिए सम्भव है और आपही मानवीयता को एक नयी दिशा देंगे |
शेष फिर
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