परिवर्तन जीवन का आधार है और उसकी स्वीकारोक्ति और समयानुसार शीघ्र निर्णय से जीवन में बहुत तेजी से सफलता पाई जा सकती है ।सामान्यत जीवन में घटनाएँ गुजरती जाती है और हम अपने परिवेश और समय की स्थिति के साथ चलते चले जाते है ।कभी हमे परिवेश प्रभावित करता है कभी शारीरिक और मानसिक आवश्यकताएं हमारे उद्देश्यों पर प्रश्नवाचक हो जाती है और एक बार हम जैसे ही उनसे हारते है वैसे ही पूरा जीवन सामंजस्य और समस्याओं के समाधान में लग जाता है और जीवन के मूल उद्देश्य हारने लगते है फिर तो केवल एक ही रिजल्ट सामने आता है केवल हताशा निराशा और अन्धकार ।यह स्थिति केवल कुछ लोगो के साथ की समस्या नहीं है वरन यह तो बड़े समाज की समस्या का चित्र है ।
दोस्तों जब भी जीवन का आरम्भ होता है तो उसमे तमाम तरह की सामायिक शारीरिक मानसिक परिवर्तन होते रहते है वही समाज का बड़ा पक्ष आपके शोषण और उनके लिए आप कैसे उपयोगी सिद्ध हो सकते है केवल इससे बंधा होता है वह बार बार यही कोशिश करता है की आप उसके पास जाकर उनके अनुरूप दासता स्वीकार क र उनका वर्चस्व स्वीकार करते रहे ,आप जिन लोगो को दोस्त शुभचिंतक और बहुत निकट का समझ कर जीवन को गति देना चाहते है इनमे से अधिकाँश लोग आपका शोषण करने लगते है और यही दुनिया का कडवा और नंगा सत्य भी है ।वो लोग जिन्हें हम अपना सहारा मान केर चलने का संकल्प करते है वे ही लोग सबसे बड़े अवसर वादी बनकर अपनी शारीरिक मानसिक और संसाधनों की भूख को लेकर आपको आमंत्रण दे डालते है की कभी आपको उनकी हवस की जरूरत हो तो आप फिर आजाना वो आपको शोषण के लिए तैयार मिलेंगे ।कैसी दुनियां है कैसे है इस बहुल समाज के लोग कैसी है इनकी आदर्श वादिता यह बहुत बड़ी विडम्बना ही तो है और मेरे युवा को इन से ही बचा कर अपने आप को सिद्ध करना होगा ।
मित्रों सफलता के जिन मूलभूत विषयों का आपको ध्यान रखना है उसे निम्नानुसार रख सकते है शायद समय आपको विकास की वो दिशा जरूर देगा जिसकी आपको तलाश है
इसके साथ यह आवश्यक है की आप परिवर्तनों के विरोधी न बनकर अपने आपको पूर्ण बनाने की कोशिश करें ध्यान अध्यात्म साधना से स्वयं को स्थिर रखकर खुदको श्रेष्ठ साबित कर सकते है ।दोस्तों जब भी जीवन का आरम्भ होता है तो उसमे तमाम तरह की सामायिक शारीरिक मानसिक परिवर्तन होते रहते है वही समाज का बड़ा पक्ष आपके शोषण और उनके लिए आप कैसे उपयोगी सिद्ध हो सकते है केवल इससे बंधा होता है वह बार बार यही कोशिश करता है की आप उसके पास जाकर उनके अनुरूप दासता स्वीकार क र उनका वर्चस्व स्वीकार करते रहे ,आप जिन लोगो को दोस्त शुभचिंतक और बहुत निकट का समझ कर जीवन को गति देना चाहते है इनमे से अधिकाँश लोग आपका शोषण करने लगते है और यही दुनिया का कडवा और नंगा सत्य भी है ।वो लोग जिन्हें हम अपना सहारा मान केर चलने का संकल्प करते है वे ही लोग सबसे बड़े अवसर वादी बनकर अपनी शारीरिक मानसिक और संसाधनों की भूख को लेकर आपको आमंत्रण दे डालते है की कभी आपको उनकी हवस की जरूरत हो तो आप फिर आजाना वो आपको शोषण के लिए तैयार मिलेंगे ।कैसी दुनियां है कैसे है इस बहुल समाज के लोग कैसी है इनकी आदर्श वादिता यह बहुत बड़ी विडम्बना ही तो है और मेरे युवा को इन से ही बचा कर अपने आप को सिद्ध करना होगा ।
मित्रों सफलता के जिन मूलभूत विषयों का आपको ध्यान रखना है उसे निम्नानुसार रख सकते है शायद समय आपको विकास की वो दिशा जरूर देगा जिसकी आपको तलाश है
- अपने मूल उद्देश्यों के लिए आप किसी का सहारा न लें आवश्यकता पड़ने पर प्रशिक्षण ले सकते है
- जो सुख दूसरों से पैदा होगा उसमे आपको हमेशा दुःख ही मिलेगा
- अपनी समय सारिणी और पूरे दिन का कार्य तय करें अन्यथा आप का दिमाग ऋणा त्मक होने लगेगा
- अपने आदर्शों परिवर्तनों के समय आप उन लोगो से कोई परामर्श न लें जो आपको कमजोर बनाएं
- किसी के कुतर्कों का जबाब देना आप के लिए आवश्यक नहीं है
- शरीर की आधारभूत आवश्यकताएं 20%और 80% सफलता जीवन के उद्देश्य और स्तर के साथ जीवन के नियत लक्ष्य की पूर्ती में है तो उन्हें उतना ही महत्व दिया जाए जितना वो आवश्यक हो।