Saturday, September 5, 2009

हम सर्व श्रेष्ठ है,सुसुप्त शक्ति जगाइए

आदमी की इच्छाओं का कोई अंत ही नहीं है उसकी जितनी इच्छा पूरी होती हैं उनसे कई गुनी इच्छाएं फिर जन्म लेलेती है |वह इच्छाओं के लिए आजाद पंछी की तरह स्वप्न लोक में विचरण करता रहता है ,यहाँ किसी प्रकार कीकोई बंदिश नहीं है ,नही कोई व्यवधान बस दबी पिसी भावनाओं का खुला खेल शुरू हो जाता है ,स्वप्नों की बनावटीदुनिया|

हमें दुनिया की सारी खूबसूरती चाहिए ,पुरूष को स्त्री स्त्री को पुरूष|
हमें दुनीयाँ का सबसे धनवान व्याक्ति बनाना है |
हमारे पास ऐश का हर साधन होना चाहिए |
ज्ञान के क्षेत्र में हम सबसे आगे होने
चाहिए
ज्ञान के हर विषय में हमें पूर्णता चाहिए |
जीवन के हर उत्कर्ष पर हम ही श्रेष्ठ साबित हों |
हम कला विज्ञान और हर क्षेत्र में अतुलनीय दिखाई दें |
हमसे कोई भी व्यक्ति बराबरी का हो|
हम शक्ल अक्ल और सोंदर्य के अतुलनीय रूप हों|
हमसे ही नीचे सब अपनी सोच और स्तर बनाये रखें |
हमारा हर कार्य जायज और अनुकरण का विषय हो|
पूर्ण संतोष और भविष्य की हर अनभिज्ञता हमारे आधीन निर्णय करे|

मित्रों ऐसा ही कुछ हम सब अपने स्वप्न या विचारों में रख कर आगे बदने का प्रयत्न कर रहें है ,जबकि हमेंवास्तविक जीवन में सब कुछ सिद्ध करना होता है ,स्वप्न का वास्तविक रूप बड़ा अलग और विचित्र होता है ,वहजैसा हम पूर्ण भाव से कर्तव्य और प्रयत्न कर रहे होते है उसके अनुरूप ही होता है |हम यदि अपने स्वप्नों कोसाकार देखना चाहते है तो हमें उनके अनुरूप योजना और कार्य निर्धारण करना होगा ,ध्यान रहे कि आपकी हरइच्छा पूर्ण हो सकती है शर्त यह है कि आप अपने पूर्ण भाव से उसकी योजना बना कर अमल करें |

इतिहास उनके ही होते है जो अपने स्वप्नों को मूर्त रूप में प्रस्तुत कर पायें ,आपमें वही जोश वही जज्बा ,वहीसंकल्प पैदा करने की आवश्यकता है जिससे इतिहास ने आदमी के सामने बार बार घुटनें टेककर उसे अमर बनादिया है |मेरा विशवास है की आप अपने को सिद्ध कर देंगें बस एक बार स्वयं को सयोंजित कर समय को चिनोतीदेने हेतु अपनी शक्ति को जगाने की आवश्यकता है |

No comments:

अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...