हर गरज मंद मतलबी तो नहीं
प्यारे दोस्तों जीवन और दुनिया बहुत छोटी है यहाँ आपको अपने अनुसार सब मिलता रहता है मगर आप बार बारईश्वर के दिए हुए संबंधों ,उसके साधनों ,और समय की उपलब्धियों पर अविश्वास करते रहते है, जबकि समयपरिस्थितियां और आप पर इन चीजों को प्राप्त करके भी उनका उपयोग नहीं कर पाते, कारण है आपकी आत्मा काअविश्वास ,अधूरा पन ,और साथ ही आप जीवन को बहुत लंबा समझ कर hur सम्बन्ध को चैक करने के लिए छोड़ देते है,हम पर समय ही कहाँ होता है इतना |इंसान का मूल स्वाभाव निस्वार्थ प्रेम,अपनत्व और सबकुछ लुटा देने में निहित था |प्रकृति ने कब आप परअविश्वास किया ,आपने जिनपर विशवास किया वे आपके शोषक होगये, और इस समाज से ही आपने बहुत सीअविश्वास की कहानियाँ सीख ली |प्यारे मित्रों जीवन विशवास प्रेम और अपनत्व का नाम है जिसमे सब कुछलुटाकर भी अपने आपको बड़ा बहुत बड़ा बनाया जा सकता है |
एक बार उसकी हर शै से अथाह और निस्वार्थ प्यार करना तो सीखें |
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
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