मेरे प्यारे दोस्तों एक मेसेज था कि
खूबसूरती यह नहीं कि आप जीवन में कितने खुश है
खूबसूरती इस बात में थी कि आपसे कितने लोग खुश है
अनाम मसेज ने आत्मा को झकझोर के रख दिया सोचा यह कि जिसने यह मसेज किया होगा कितनी बड़ी आत्माऔर निस्वार्थ प्रेम का मायने होगा जिसने जीवन के सम्पूर्ण दर्शन को कितने सहज रूप में परिभाषित करदिया,एक बार आत्मा की गहराई से मसेज भेजने वाले को सलाम करते हुए मै मूल भाव पर आता हूँ |
जीवन केवल एक बहुत तेजी से भागती हुई गाडी है ,जिसमे तेजी से ही सफर करना होता है और अपना स्थानसुविधा और आदर्श स्वयं बनाने होते है | | ,यहाँमुख्य बात यह कि समय की कमी और अपने ही स्वार्थों की होड़ मेंभाग रहा इंसान कभी दूसरे के सुख पर विचार ही कहाँ कर पाया है |उसे अपने तन धन और अपने सुख कीअनुभूतियों के लिए ही रोना कम पड़ता है, वह दूसरों के लिए सोच ही कहाँ पाता है |गाडी की गति बढ़ जाती है जीवनहारने लगता है और हारने , खोने छूटने का भय सताने लगता है जबकि ये सब होना अवश्यम्भावी था |
आहार ,निद्रा और मैथुन आवश्यक हो सकते है मगर ये जीवन नहीं हो सकते ये जीवन है तो केवल पशुओं के |
इंसान में इन सबके अलावा अथाह और निस्वार्थ प्रेम ,सह्ष्णुता ,दया ,क्षमा ,दूसरे का सुख से पैदा संतोष ,औरबलिदान के लिए हर सुख की आहुती ऐसे गुण है जो इंसान को ईश्वरीय गुणों से परिपूर्ण करते है |
हमारा सारा आकलन इस बात पर निर्भर है की हम उस समाज अपनों और हर अजनबी को क्या निस्वार्थ औरअथाह प्रेम दया क्षमा और सुख देपाये है अथवा नहीं ?यदि हम केवल अपने निहित स्वार्थों से अपने तन मन औरभौतिक सुखों की आपूर्ती का केन्द्र रह गए तो निश्चय ही जीवन हमे अनेक भौतिक सुखों का ढेर अवश्य बना देगामगर जीवन कभी भी सुख के चरम( level of satisfaction) का मायने नहीं बन पायेगा | जब हम केवल अपनीआपूर्तियों से जुड़े रहेंगे तो जीवन में सुख का आशय जानना बहुत मुश्किल होगा क्योकि हम जिसे सुख समझ रहेहोते है वो शायद हमारी शारीरिक आपूर्तियों के आलावा कुछ नहीं होता मेरा मानना है कि अधिकांश समाज अपनीविभिन्न हवसों को उपलब्धि का नाम दे बैठता है , जबकि सुख तो कई जन्म उसकी कल्पना से ही परे होता है |प्यारेदोस्तों जीवन एक बहुत परिष्कृत कला है जिसे वही जी पाता है जो इसका मूल भाव जान पाता है|
आपसे आपके अपनों ने क्या पाया ,सुख दुःख तिरस्कार अविश्वास या अथाह प्रेम ,आपका आकलन समय करेगाफिर आपको अपने जीवन कि परिक्षा कि कांपी ख़ुद जांचनी होगी ,वहां आपको स्वयं सजा या पुरूस्कार मिलेगाआपका सावधान होना आवश्यक है |
my dear thanks
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
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