Saturday, April 4, 2020

प्राचीन चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा का समन्वय एवं शोध (Coordination and research of ancient medicine and modern medicine) (कॅरोना महा मारी के सन्दर्भ में )

प्राचीन चिकित्सा और आधुनिक चिकित्सा का समन्वय एवं शोध
(Coordination and research of ancient medicine and modern medicine)
(कॅरोना महा मारी  के सन्दर्भ में )

तवांग कसबे के दूर तक न कोई बस्ती थी न कोई  रहवास था हिमालय के तवांग चू घाटी की अदम्य ऊंचाइयों पर स्थित था यह क़स्बा, थोड़ी आबादी थी और  बुद्ध की  तीर्थ के रूप   जाना जाता था यह  गाँव ,शूमे बाबा नाम था उनका उस क्षेत्र के सबसे बड़े धर्म गुरु थे ,बहुत से  लोगों का न्यायभी कर देते थे और समय पड़ने पर यथोचित मदद  भी करते रहते थे , ख्याति बहुत दूर दूर तक थी ,सबसे पास का  क़स्बा  लग भग २०० किलोमीटर दूर था लोग उनके पास अपनी चिकित्सा के लिए आते रहते थे ,वो कोई पत्ता जड़  छाल मन्त्र और  राख आदि का प्रयोग बात देते थे और आश्चर्य यह कि वो रोगी ठीक हो ही जाता था , समय के साथ कई असाध्य रोगो की सहज चिकित्सा में भी उनका नाम काफी आगे लिया जाने लगा था ,२४ घंटे  बँधा हुआ आराधना क्रम और जन सेवा के लिए सदैव खुले द्वार | 

डॉक्टर  थॉमस अपनी भारत यात्रा पर थे और भ्रमण करते हुए अरुणाचल के सौंदर्य के लिए आये थे, साथ के गाइड ने बताया डॉ साहब हम ३ दिन की यात्रा वहां भी करे डॉ थॉमस को , भारतीय संस्कृति में बड़ी रूचि थी ,वे तैयार हो गये और अपनी पत्नी रोशा  के साथ ३ दिन बाद तवांग  कार्यक्रम भी तय कर दिया, निश्चित दिन दोनो युगल गाइड मिकेल के साथ तवांग घाटी पहुंचे बड़ा व्यस्त कार्यक्रम था बेहद सुंदर घाटी, छोटे छोटे से झोपडी नुमा घर ,ऊँची ऊँची चोटियां और ऐसा नजारा जैसे ईश्वर ने रुक कर ,बड़े इत्मीनान से बनाया हो यह स्थान भगवान् ,बुद्ध की आराधना और एक नाद घाटी में एक अलग तरह का चमत्कार पैदा करता था, डॉ युगल ने अपने ही कमरे में जीसस का ध्यान किया कैंडल जालाया लगा अभूतपूर्व सवेदन शीलता थी उस स्थान में ,लगाजीसस सामने खड़े है मुस्कुरा  रहे है | 

रात ज्यादा हो चुकी थी, अचानक रोशा मेम का फ़ोन आया था, डॉ साहब को सीने में तेज दर्द है ,स्वांस नहीं ले पारहे है, सारी दवाइयाँ  जो हम लाये थी दे दी गई है, होटल मैनेजर ने साफ कह दिया साहब रात  को टैक्सी भी नहीं जा सकती ,डॉ बोल नहीं पा रहे थे, होटल मालिक बोला  अभी चार घंटे है ६ बजने में ,मंदिर में बाबा को दिखाते है कुछ दवा मिल जाए तो ठीक ,कुछ समझ नहीं आया उस समय डॉ साहब को मंदिर लेकर पहुँच गए, बाबा अभी भी पूजा में  बैठे थे ,दरबान ने एक हल्की घंटी बजाई ,डॉ साहब को एक बिस्तर पर लेटाया, अचानक बाबा ने आकर बिना कुछ बोले नब्ज पर हाथ रखा ,आँख  देखी दो शिष्यों को एक तेल दिया हाथ पाव में  मलो ,खुद कही जंगल में ओझल हुए और तत्काल कुछ पत्तियों का रस डॉ के मुँह और नाक  में टपकाया ,अचानक डॉ को लगा की किसी ने वेंटिलेटर की तरह पूरी ऑक्सीजन फेफड़ों में भर दी हो, आंसू बह रहे थे कृतज्ञता के ,दर्द स्वांस की कोई समस्या नहीं थी अब उन्हें ,बाबा डॉ  पर हाथ फरते हुए कोई मंत्र बुद बुदा रहे थे  और डॉ कब सो गए मालूम ही नहीं पड़ा | 

बाबा ने कहा मत उठाइये उन्हें जब  उठे तब उठने देना, डॉ ८ बजे उठे आराधना का स्वर कही  आरहा था ,रोशा पास बैठी थी ,डॉ बाबा को देख कर अचंभित था , डॉ थॉमस ने कहा आई ऍम वेरी मिकेल बीच में ही बोल उठा  आपको थैंक्स कह रहे है , बाबा ने  मिकेल की और देख कर  मुस्कुराया ,नो माय सन गॉड इज  ग्रेट फिर बाबा ने फ़्लूएंट इंग्लिश स्पेनिश में डॉ को समझाया , इट्स ए  बिग कॉर्डियक अटैक, डॉ की कुछ समझ नहीं आरहा था की बाबा क्या है ,बाबा बोलता गया शुगर लेवल २० या ३० होगया था  ,आपने खाना नहीं खाया था ८ घंटे से ,फिर शराब के २-३ [पैग  ले लिए, दवा खाली ,परिणाम आपके सामने है ,आपको आपके जीसस ने बचा लियाजिसकी आपने प्रेयर की थी , डॉ को काटो तो खून नहीं ,बाबाएक गेम के कॉमेंट्रेटर की तरह बोलता जा रहा था और उसने जो कुछ कहा वो सच था ,बाबा ने एक दूध का गिलास दिया टेक इट  डॉ ने बिना किसी भाव के पी लिया, कोई शेक सा था ,बाबा बोले अब आपको शुगर और हार्ट का कोई दिक्कत नहीं होगा ,जब दवा लेना हो तो चेक करना फिर लेना | 

तीसरे दिन खूब घूमे हम शुगर बिलकुल  दवा ले नहीं पाया ,ब्लड प्रेशर बिलकुल नए बच्चे जैसा था ,मेरी कुछ समझ नहीं आरहा था, तो बाबा से  मिलने पहुंचा ,बाबा इस समय मंदिर में ही थे ,ध्यान में हम चुपचाप जाकर बैठ गए थे ,एक अनवरत आराधना की ध्वनि थी मैंने भी आँखे बंद कर ली, और अचानक आँखे खुली तो मैंने खुद को अपने घर के पास वाले चर्च में पाया ,मरियम  स्नेह से ये कह रहीं थी कि , देख यहाँ मैं  बाबा के रूप में हूँ ,व्याकुल होगया था मन ,बाबा हसते  हुए बोले, डॉ थॉमस ५० वर्ष पहले मै भी लन्दन सेअपनी डॉ की डिग्री लेकर आया था, मै भी आपके जैसे दवा  देना जनता था , मगर उसका प्रभाव ,प्रकार कभी नहीं समझ पाया , फिर जब भारत की  शक्ति और औषधियों -नाद चिकित्सा, हवन चिकित्सा और मंत्र चिकित्सा का अम्बार देखा तो लगा ,लन्दन की पढाई अधूरी और अपूर्ण थी, बाबा बोले जो चिकित्सा पद्धति आरम्भ और अंत तक इस वाक्य पर  चलती हो i treat he cures  तो उस ही  रिसर्च करना चाहिए न ,तो लगा हूँ काम मैं ,आपको अब दवा लेने की जरूरत नहीं  है, उस दिन का अटैक के लिए एक ई सी जी जरूर करा लेना, मैंने जो उस रात दवा दी है वो पर्याप्त थी,   बाबा ने सि र पर हाथ रख कर गले से चिपकाया ,फिर बोले मुझे देर हुआ,  भगवान अच्छे से रखें ,दूर जाता हुआ ,फिर एकाग्र आँख बंद करके बाबा कहीं दूर निकल गए थे ,मैंने प्रण  किया अब मैं  भी इस अधूरी पढ़ाई को पूरा करके सफल ही  बनूँगा | 

हम आज अपने थोड़े से ज्ञान के आधार पर अपने आपको  महा  योद्धा समझ  बैठते है ,और बहुत से बिखरे पड़े  ज्ञान का शोध करने से से बचते रहते है ,परिणाम यह कि शायद उतने उन्नत नहीं होपाये ,जितना हमें होना चाहिए ,सुश्रुत की शल्य क्रिया, जौंक प्रयोग से अनेक व्याधियों का इलाज ,बुखार के अनेक प्रकारों का  और उनके अनुसार निदान 
भूत  ज्वर, प्रेत ज्वर पिशाच ज्वर ,रत्रिज्वर शीत  ज्वर सन्न पात ज्वर बल ज्वर गृह ज्वर कुमार ज्वर तप ज्वर ब्रह्म ज्वर विष्णुज्वर महेश ज्वर 
अब इन १४ प्रकार  चिकित्सा एकविधि और दवा कैसे हो सकती है ,वनोपयोगी औषधियों के प्रयोग से अनेक रोगो का शमन देखा गया है ,इसी प्रकार दीपोत्स्व ,होलिका दहन और सभी धर्म  के तीज त्योहारों की मान्यताएं भी वैज्ञानिक आधारों  पर खड़ी होगी यह भी शोध का विषय है ,जिसे सहजता में नकार देना अपने ज्ञान की कमी को दर्शाता है | 
हवन चिकित्सा में मन्त्रों के एक नियत नांद का , औषधियों का अग्नि में आहूत करना और उससे उठे अग्नि  धुऐ से वातावरण के प्रोटोन्स में  सकारात्मक अंतर  ये सभी शोध का विषय है ,साथ ही दीप  दान पुष्प दान औषधियों के उबटन भी शोध का विषय है | 


कॅरोना महा मारी के सन्दर्भ में अथर्ववेद के दूसरे और पांचवे अध्याय में कम से कम ३० श्लोक लिखे है जो वायरस बेक्टेरिया के प्रकार और कैसे वो मनुष्यों को हानि पहुंचाते है और उनका औषधीय वर्णन में उनके शमन की विधियां, क्या है क्या उन्हे हटाया जा सकता है, क्या उनका शमन मन्त्रों और हवन औषधियों से संभव है ,ये सब विषय वस्तु अध्ययन का विषय है ,वेद की व्यवस्था में मन्त्र शक्ति के द्वारा रोग शमन की बात भी कही गई है, अनेक चिकित्सा पद्धतियों में शल्य कर्म ,नेति, धौति ,मौली, प्राणायाम ,योग ,बस्ती ऐसे क्रियाएं है, जिनसे बड़े से बड़े असाध्य रोग हटाए जा सकते है, ये सब आधुनिक विज्ञान के लिए शोध का विषय रहेगा | 


हमारे कर्त्तव्य और दृष्टिकोण में निम्नांकित बिंदुओं को ध्यान रखना अति आवश्यक है 

  • भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक अनुसंधानों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और समय  बद्ध अध्ययन और उसकी सफलता पर विचार करना आवश्यक है 
  • आयुर्वेद यूनानी होम्योपैथी  कलर थिरैपी मैग्नेटिक थिरेपी मन्त्र थिरेपी का गहन अध्ययन आवश्यक है 
  • जिस देश समय परस्तिथियों और वातावरण में हम लोग रह रहे है ,उसके अनुरूप ,खान पान और नियम संयम  का पालन किया जाए 
  • हवन में  ओषधियों के प्रभाव ,बेक्टेरिया वायरस के सक्रमण को कैसे ख़त्म करते है ,इसका शोध किया जाना आवश्यक है 
  •  मन्त्र शक्तियों में नांद के  एक लय ,एक स्वर में ,आवृति के प्रभाव से रोगो की चिकित्सा किस तरह प्रभावी है, यह शोध आवश्यक है 
  • जिन मूल औषधियों के उद्गम स्थल जो स्थान बताया जाता है ,उनके रोग भी उसी देश में पाए जाते है अतैव जिस देश से  रोग पैदा हुआ हो ,उसके आस पास के वनस्पतीय पौधे ,दवा के लिए शोध का विषय हो सकते है 
  • आहार विहार साथ ही औषधीय गुणों के साथ पथ्य और निषेध वस्तुओं का ध्यान रखना भी आवश्यक है 
  • समस्त  चिकित्सा पद्धतियों को सहज बनाया जाए रोगो की सुरक्षित जीवाणु स्लाइड बना कर, बाजार में उपलब्ध कराई जाए जिस पर हरेक पैथी का इंसान शोध कर सके 
  • दीप दान प्रभाव औषधियों का नक्षत्र के हिसाब से तोडा जाना, प्रयोग किया जाना और उसके चमत्कारिक प्रभाव का आंकलन अति महत्व पूर्ण है 
  • हमेशा हर परामर्श के लिए खुला प्रस्ताव बनाया जाना चाहिए ,यह १००% सत्य है कि आपके सफल होने की संभावनाएं और ज्यादा प्रबल हो जाएंगी





 




 




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