गर्व करें पुत्रियों परBe proud of daughters
हमसब मिलकर भी माँ को यह नहीं समझा पाए कि, भैय्या ने अपनी जॉब बदल कर ठीक किया, वो हमेंशा यही कहती थी बेटा कुछ पापा का हाथ बँटाता तो अच्छा था ,पापा कई बार यही समझाते रहते थे ,कोई कमी है क्या किसी तरह की कोई समस्या दिख रही हो तो बताओ, वंश को बहुत ऊँचा पहुँचने का सपना है ,जाने दिया न इस लिए उसको, ज़्यादा कहाँ सहयोग मिला उससे ,वो तो यहाँ रहकर भी कितना मिल पाता था हम लोगो को , रहा सवाल बेटियों का तो अम्माँ पहले ही इतना इंतज़ाम कर गईं है कि, हम चार बेटियों की शादी कर सकते है ,इसी लिए आज तक वह सोना हमने छुआ भी नहीं है।लाख तरह से समझाते थे माँ को नहीं समझ आता था ,कुछ फ़ोन तो नहि आया बहूँ का, वश से बात हुई क्या ,सबसे पूछती फिरती थी, कई बार फ़ोन लगाया भी माँ से बात करने को, भाभी कह देती थी सो गए वो, अब माँ को भी अंदर से समझ आगया था कि, उनका बेटा बहुत दूर निकल गया है ।
एक दिन सुबह माँ उठीं नहीं देखा तो साँस चल ही नहीं रही थी, हाथ में वंश की बचपन की तस्वीर ज़रूर थी ,,डॉक्टर आए बताया सदमे में ऐसा हार्ट फ़ेल होता है, शी इज़ नो मोर, कह कर आगे चले गए ,हमारे परिवार पर एक महा संकट छा गया था ,कोई विकल्प था ही नहीं था हम पर ,वंश और रश्मि को बहुत फ़ोन लगाए ,नहीं लग पाया था फ़ोन। पिता जी ने निर्णय लिया अब जैसी प्रभु की इच्छा , भीड़ बहुत थी पिता जी को बहुत समझाने पर भी शिखा ऋचा ने यही कहा माँ ने हमें बेटों जैसे पाला है ,हम भी जायेंगे शमशान और एक नयी परम्परा डालते हुए वे माँ के सभी कर्मों को सहजता से पूरा करने में लगे रहे, और जीवन अपनी सहजता लिए फिर चलने लगा।
ऋचा और शिखा का कोर्स ख़त्म होगाय था शिखा ने राज्य सेवा की परीक्षा दी थी ऋचा केम्पस चयन में एक बहुतबड़ी कम्पनी में कम्प्यूटर प्रोग्रेमर की जगह १२,००,०० प्राप्त करली थी पिता और पूरा परिवार बहुत ख़ुश था, और जिसका इंतज़ार था वह परिणाम भी आया शिखा ने राज्य सेवा परीक्षा में टॉप किया था और यह इस परिवार के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, एक ही दुःख था कि आज माँ हमारे साथ इस सुख की भागीदार नहीं हो सकी, जीवित अवस्था में लाख कोशिश कर के भी माँ को यह नहीं समझा पाए कि , जो है उसपर गर्व करो,पिताजी कहते थे ,कि हम तुम्हारे लिए सब कुछ ला सकते है ,जो तुम्हें सुख दे ,मगर हम उस वंश में तुम्हारे प्रति माँ का प्यार कहाँ से लाएँ, समझ नहीं आता था और बहुधा हम सब इस बिंदु पर आकर दुखी हो जाते थे।
कई माह बाद शिखा पर वंश का फ़ोन आया पूछा ओर सब कैसे है ,हम लोगों को कम्पनी ने आइलैंड का पकेज दिया था, बिना कुछ बोले फ़ोन पिताजी को दे दियागया , फ़ोन माइक पर था ,वंश बोले जा रहा था बड़ा अच्छा प्लेस था, पिताजी हूँ बोलते रहे ,अचानक उसके पूछने पर माँ कहा है ,पिता ने गंभीर सवार में कहा, वो नहीं रही, उधर से आवाज़ आनी बंद हो गई, बिलकुल ठंडा मृतप्रायः सा जबाब देते पिता बोले बेटाबहुत सालों बाद फ़ोन किया तुमने ,अच्छा छोड़ो ये बात बोलो क्या काम से फ़ोन किया,वहाँ से आवाज़ में गिड़गिड़ाने का स्वर था चाचा जी ने हमें धोखा दिया है,३ साल की परमिशन लेकर हमसे ५ करोड़ रुपए लिए है ,अब हमें वापिस आना होगा ,आगे फिर बीजा मिलने की सम्भावना नहीं है,पिता ने कहा हाँ बेटा मै ५ मिनट से बात करता हूँ ,कोई आया यह कहकर उन्होंने फ़ोन किया रखा और बेटियों की तरफ़ आँसू भर कर बोले ये प्रेम है इसका माँ से बेकार मरती रही जान दे दी ,अच्छा बताओ बच्चों ,हमें क्या निर्णय लेना चाहिए,बेटियाँ पिता से लिपट कर रोने लगी ,कहा हम माफ़ करने वाले कौन है माँ तो गई न, पिता को सारे उतर मिल गए थे, फ़ोन की घंटी बजी पिता ने कहा हाँ बेटा ,वंश बोला यदि आप यह पुश्तैनी मकान बेच कर मुझे एक आध करोड़ की मदद कर देते, तो हम लोग आगे का जीवन जमा लेंते , रश्मि ने भी गिड़गिड़ा कर साथ दिया था ,पिता बोले बेटा ये रोंग नम्बर है ,बहुत देर में फ़ोन किया आपने आपकी माँ आपके एक फ़ोन के इंतज़ार में कितनी छटपटाई है नहीं जान सकते तुम ,आप जिस वंश की बात कर रहे है , उसे मरे हुए तीन साल हो गए है, उसके ही ग़म में उसकी माँ की मृत्यु हो गयी, हमने दौनों के डेथ सर्टिफ़िकेट पूरे समाज में बाँट दिए है ,यह कह कर फ़ोन रख दिया पिताजी ने,बड़ी देर रोते रहे हम सब इस नयी अंत्येष्टि पर ।
जीवन को जीने का बस एक ही सिद्धांत है किउस जीवन की कितनी जीवंतता का प्रयोग आप कर पाए है ,वस्तुतः हम केवल अपनी सांसारिक उपलब्धियों को जीवन मान बैठते है, जबकि वह जीवन हो ही नहीं सकता ,जीवन का आशय है आप किस तरह का, कैसे और किस गुणवत्ता का जीवन जिए ,आपने अपने अतिरिक्त किसी के लिए क्या परमार्थ किया और क्या आप संसार के सुख का कारण बन पाए या नहीं , हम जिस जीवन परिवेश में पैदा हुए वहां प्रश्न पुत्र पुत्रि यों का नहीं है ,वहां प्रश्न है कि आपमें परिवार स्वजनों और एक अच्छे इंसान बनने के गुण है या नहीं, यदि आपमें सकारात्मकता है तो निश्चित आप जीवन की दौड़ में स्वयं को सिद्ध कर पाएंगे।
ईश्वर ने जीव का निर्माण किया और उसमे राक्षस से देवता बनने तक के पैमाने और कार्य भी तय किये, आपने और समाज के एक वर्ग ने उसमे परिवर्तन कर उसे अपने अनुरूप तय करने का काम किया ,जीव का लिंग उसके विभेद का कारण हो ही नहीं सकता ,जिस शक्ति की आराधना में हमें यह लिखना पड़ रहा है कि ---
नहिं तव आदि मध्य अवसाना , अमित प्रभाव वेद नहीं जाना
भव भव विभव पराभव कारिणी विश्व्व विमोहनि स्वबस विहारनि
अर्थात संसार तेरा आदि अंत है ही नहीं, तेरे हिरण्य गर्भ से ब्रह्मांडों के निर्माण होते है ,और एक काल बाद तूही काल बनकर ब्लेक होल के स्वरुप में ब्रह्माण्डों का निरंतर अंत करती है, फिर आपको यही मानना पड़ेगा कि जो भी सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों का रचना कार है, वह तेरी ही शक्ति से संचालित है और तू जीवन का एक मात्र कारक है।
जब भी आकलन का प्रश्न हो निम्नांकित पर अवश्य ध्यान दें
रश्मि वैसे तो ठीक थी ,मगर वंश की तरह ही बहुत महत्वाकांक्षी थी, हमारे भाग्य मेंकेवल दायित्व ही रह गया है, क्या करेंगे सारा जीवन ऐसे तो काटेंगे नहीं न, वंश एक मूक सहमति सा खड़ा दिखाई देता था, माँ पिताजी शांत थे ,ज़्यादामहत्व देते नहीं थे उन बातों को ,रश्मि ने बताया अमेरिका वाले चाचा जी बुलाए है ,दौनो का जॉब लग ही जाएगा, ऐसा मौक़ा बार बार नही आ पाएगा ,पिता जी ने बहुत विचार करके अनुमति दे दी ,माँ को कुछ ख़राब भी लगा ,मगर पिताजी ने शांत कर दिया,रश्मि को लगा चलो ये दांव बिलकुल निशाने पर लगा अब गुलामी से छुट्टी,शिखा ऋतु को केवल यह लगा ,कि भाई बहुत बड़ा आदमी है ,मगर अपने दायित्व से भागता सा नज़र आ रहा था , परंतु बेटियाँ तो खुद्दार पिता की ही थी न, जिन्हें अपने आप पर पूर्ण भरोसा था ही।
हमसब मिलकर भी माँ को यह नहीं समझा पाए कि, भैय्या ने अपनी जॉब बदल कर ठीक किया, वो हमेंशा यही कहती थी बेटा कुछ पापा का हाथ बँटाता तो अच्छा था ,पापा कई बार यही समझाते रहते थे ,कोई कमी है क्या किसी तरह की कोई समस्या दिख रही हो तो बताओ, वंश को बहुत ऊँचा पहुँचने का सपना है ,जाने दिया न इस लिए उसको, ज़्यादा कहाँ सहयोग मिला उससे ,वो तो यहाँ रहकर भी कितना मिल पाता था हम लोगो को , रहा सवाल बेटियों का तो अम्माँ पहले ही इतना इंतज़ाम कर गईं है कि, हम चार बेटियों की शादी कर सकते है ,इसी लिए आज तक वह सोना हमने छुआ भी नहीं है।लाख तरह से समझाते थे माँ को नहीं समझ आता था ,कुछ फ़ोन तो नहि आया बहूँ का, वश से बात हुई क्या ,सबसे पूछती फिरती थी, कई बार फ़ोन लगाया भी माँ से बात करने को, भाभी कह देती थी सो गए वो, अब माँ को भी अंदर से समझ आगया था कि, उनका बेटा बहुत दूर निकल गया है ।
एक दिन सुबह माँ उठीं नहीं देखा तो साँस चल ही नहीं रही थी, हाथ में वंश की बचपन की तस्वीर ज़रूर थी ,,डॉक्टर आए बताया सदमे में ऐसा हार्ट फ़ेल होता है, शी इज़ नो मोर, कह कर आगे चले गए ,हमारे परिवार पर एक महा संकट छा गया था ,कोई विकल्प था ही नहीं था हम पर ,वंश और रश्मि को बहुत फ़ोन लगाए ,नहीं लग पाया था फ़ोन। पिता जी ने निर्णय लिया अब जैसी प्रभु की इच्छा , भीड़ बहुत थी पिता जी को बहुत समझाने पर भी शिखा ऋचा ने यही कहा माँ ने हमें बेटों जैसे पाला है ,हम भी जायेंगे शमशान और एक नयी परम्परा डालते हुए वे माँ के सभी कर्मों को सहजता से पूरा करने में लगे रहे, और जीवन अपनी सहजता लिए फिर चलने लगा।
ऋचा और शिखा का कोर्स ख़त्म होगाय था शिखा ने राज्य सेवा की परीक्षा दी थी ऋचा केम्पस चयन में एक बहुतबड़ी कम्पनी में कम्प्यूटर प्रोग्रेमर की जगह १२,००,०० प्राप्त करली थी पिता और पूरा परिवार बहुत ख़ुश था, और जिसका इंतज़ार था वह परिणाम भी आया शिखा ने राज्य सेवा परीक्षा में टॉप किया था और यह इस परिवार के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, एक ही दुःख था कि आज माँ हमारे साथ इस सुख की भागीदार नहीं हो सकी, जीवित अवस्था में लाख कोशिश कर के भी माँ को यह नहीं समझा पाए कि , जो है उसपर गर्व करो,पिताजी कहते थे ,कि हम तुम्हारे लिए सब कुछ ला सकते है ,जो तुम्हें सुख दे ,मगर हम उस वंश में तुम्हारे प्रति माँ का प्यार कहाँ से लाएँ, समझ नहीं आता था और बहुधा हम सब इस बिंदु पर आकर दुखी हो जाते थे।
कई माह बाद शिखा पर वंश का फ़ोन आया पूछा ओर सब कैसे है ,हम लोगों को कम्पनी ने आइलैंड का पकेज दिया था, बिना कुछ बोले फ़ोन पिताजी को दे दियागया , फ़ोन माइक पर था ,वंश बोले जा रहा था बड़ा अच्छा प्लेस था, पिताजी हूँ बोलते रहे ,अचानक उसके पूछने पर माँ कहा है ,पिता ने गंभीर सवार में कहा, वो नहीं रही, उधर से आवाज़ आनी बंद हो गई, बिलकुल ठंडा मृतप्रायः सा जबाब देते पिता बोले बेटाबहुत सालों बाद फ़ोन किया तुमने ,अच्छा छोड़ो ये बात बोलो क्या काम से फ़ोन किया,वहाँ से आवाज़ में गिड़गिड़ाने का स्वर था चाचा जी ने हमें धोखा दिया है,३ साल की परमिशन लेकर हमसे ५ करोड़ रुपए लिए है ,अब हमें वापिस आना होगा ,आगे फिर बीजा मिलने की सम्भावना नहीं है,पिता ने कहा हाँ बेटा मै ५ मिनट से बात करता हूँ ,कोई आया यह कहकर उन्होंने फ़ोन किया रखा और बेटियों की तरफ़ आँसू भर कर बोले ये प्रेम है इसका माँ से बेकार मरती रही जान दे दी ,अच्छा बताओ बच्चों ,हमें क्या निर्णय लेना चाहिए,बेटियाँ पिता से लिपट कर रोने लगी ,कहा हम माफ़ करने वाले कौन है माँ तो गई न, पिता को सारे उतर मिल गए थे, फ़ोन की घंटी बजी पिता ने कहा हाँ बेटा ,वंश बोला यदि आप यह पुश्तैनी मकान बेच कर मुझे एक आध करोड़ की मदद कर देते, तो हम लोग आगे का जीवन जमा लेंते , रश्मि ने भी गिड़गिड़ा कर साथ दिया था ,पिता बोले बेटा ये रोंग नम्बर है ,बहुत देर में फ़ोन किया आपने आपकी माँ आपके एक फ़ोन के इंतज़ार में कितनी छटपटाई है नहीं जान सकते तुम ,आप जिस वंश की बात कर रहे है , उसे मरे हुए तीन साल हो गए है, उसके ही ग़म में उसकी माँ की मृत्यु हो गयी, हमने दौनों के डेथ सर्टिफ़िकेट पूरे समाज में बाँट दिए है ,यह कह कर फ़ोन रख दिया पिताजी ने,बड़ी देर रोते रहे हम सब इस नयी अंत्येष्टि पर ।
जीवन को जीने का बस एक ही सिद्धांत है किउस जीवन की कितनी जीवंतता का प्रयोग आप कर पाए है ,वस्तुतः हम केवल अपनी सांसारिक उपलब्धियों को जीवन मान बैठते है, जबकि वह जीवन हो ही नहीं सकता ,जीवन का आशय है आप किस तरह का, कैसे और किस गुणवत्ता का जीवन जिए ,आपने अपने अतिरिक्त किसी के लिए क्या परमार्थ किया और क्या आप संसार के सुख का कारण बन पाए या नहीं , हम जिस जीवन परिवेश में पैदा हुए वहां प्रश्न पुत्र पुत्रि यों का नहीं है ,वहां प्रश्न है कि आपमें परिवार स्वजनों और एक अच्छे इंसान बनने के गुण है या नहीं, यदि आपमें सकारात्मकता है तो निश्चित आप जीवन की दौड़ में स्वयं को सिद्ध कर पाएंगे।
ईश्वर ने जीव का निर्माण किया और उसमे राक्षस से देवता बनने तक के पैमाने और कार्य भी तय किये, आपने और समाज के एक वर्ग ने उसमे परिवर्तन कर उसे अपने अनुरूप तय करने का काम किया ,जीव का लिंग उसके विभेद का कारण हो ही नहीं सकता ,जिस शक्ति की आराधना में हमें यह लिखना पड़ रहा है कि ---
नहिं तव आदि मध्य अवसाना , अमित प्रभाव वेद नहीं जाना
भव भव विभव पराभव कारिणी विश्व्व विमोहनि स्वबस विहारनि
अर्थात संसार तेरा आदि अंत है ही नहीं, तेरे हिरण्य गर्भ से ब्रह्मांडों के निर्माण होते है ,और एक काल बाद तूही काल बनकर ब्लेक होल के स्वरुप में ब्रह्माण्डों का निरंतर अंत करती है, फिर आपको यही मानना पड़ेगा कि जो भी सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों का रचना कार है, वह तेरी ही शक्ति से संचालित है और तू जीवन का एक मात्र कारक है।
जब भी आकलन का प्रश्न हो निम्नांकित पर अवश्य ध्यान दें
- जन्म के समय से गर्व करना सीखे क्योकि बच्चे का जन्म स्वयं में एक बड़ा त्यौहार है , पुत्री से लक्ष्मी और पुत्र से सहयोग की आशा कर सकते है।
- सामाजिक भेद को भुलाये हर एक घटना के पीछे ईश्वर की एक तय योजना होती है उसका सम्मान करें।
- शिक्षा और परवरिश में किसी भी तरह का भेद आपकी तमाम शांति नष्ट कर सकता है.
- पुत्र की तुलना में पुत्री में ममत्व ,वात्सल्य ,परवरिश , दया धर्म सहष्णुता ज्यादा होती है जबकि पुत्र ज्यादा व्यवहारिक हो क्र करीब काम हो पाता है।
- पुत्रियां ज्यादा सशक्त भूमिका समाज में निभा पाई है ,जहाँ कार्य योजना का प्रश्न है वहां अधिक अनुशासन बढ़ तरीके से कार्य आकलन करती प्राप्त हुई है |
- सफल पुरुष के पीछे किसी स्त्री के हो ने की कहावत का आधार यही है कि वह उस पुरुष की प्रोत्साहक और अनुशासन के मूल में रही होगी |
- पुत्र में सहज गुण तुलना स्वयं को दिखाना और अपनी ही समस्याओं को लिए आगे बढ़ाना है पर पुत्रियों का साथ जिसके साथ भी हुआ वे उसकी समस्या से जुड़कर समाधान ढूढ़ने लगती है।
- जिस परिवेश में पुत्रियों का सम्मान नहीं हुआ वहां हमेशा संसाधनों की कमी हो जाती है या पतन का आरम्भ हो जाता है |
- स्त्री सम्मान इस बात का प्रतीक है की वहां एक दैवीय शक्ति विद्धमान रहती है और जहाँ अवहेलना चालू होती है वह दुर्भाग्य स्वयं आरम्भ हो जाता है |
- ज्योतिष सिद्धांत कहता है पुत्री की प्रताड़ना , दुर्भाग्य -संतानहीनता ,पति द्वारा ास्त्री का अपमान शरीर -सुख -कार्य को ख़राब करता हुआ रोगकारी बनाएगा ,|
- स्त्री प्रताड़ना किसी भी स्वरुप में की जाए वह सौभाग्य शान्ति , सहजता कार्य और घर की अब सब ख़त्म करने में सक्षम है |