Monday, March 10, 2014

सफलता एवं जीवन को जीतने का एक मार्ग

 एक शिष्य ने गुरु से प्रश्न किया कि देव मैं  जानना चाहता हूँ कि जीवन की सफलता का क्या राज है और  कैसे आदमी जीवन को जीत सकता है गुरु ने उत्तर दिया पुत्र आप प्रातः बेला में मुझे नदी के किनारे मिलें ,प्रातः गुरुशिष्य नदी पर  पहुंचे और स्नान आरम्भ किया अचानक शिष्य गहरे गड्ढे में डूबने लगा पानी उसके ऊपर हावी होता रहा और वह बेहोशी की हालत में पहुंच गया अचानक गुरु ने उसे जोर का धक्का देकर किनारे पर फेंक दिया शिष्य को सामान्य होने में काफी देर लगी वो ईश्वर और गुरु को धन्यवाद ज्ञापित करने लगा अचानक गुरु ने गम्भीर स्वर में कहा बेटा जबतुम पानी में थे तब क्या चाहते थे गुरूजी स्वांस  चाहता था  और कुछ दिखाई नहीं पड़  रहा था  दम  घुट रहा था और सब कुछ भूल चूका था गुरु ने  कहा  पुत्र सफलता के लिए भी  लक्ष्य की आवश्यकता भी जब इस स्वांस की जरुरत की तरह हो जायेगी तब सारी दुनियां की सफलता तेरे क़दमों में होगी ,पुत्र सफलता की सोच को इतना स्पष्ट कर   कि जीवन में उसके अतिरिक्त कुछ न रहजावें  [
 

जीवनको  जीतने के प्रश्न पर  गुरु ने कहा पुत्र वैसे तो जुएं और जीवन में यह समानता है कि दोनों में अधिकाँश लोगों को हारना ही पड़ता है क्योकि संसार में इन लोगों की ही भीड़ है जो जीवन में  भोग और हार के लिए ही पैदा हुए है मगर  कई बार  अपने कर्तव्यों निश्चय और सामर्थ्य से  आदमी  समय को हरा देता है ,कठिन परिश्रम ,गहरी लगन  ,और हर स्वांस  में कर्त्तव्य का बोध यही उसके लक्ष्य की दिशा बन जाती है ,जिसने गुरु, माता पिता समाज और राष्ट्र के धर्म को बखूबी से निभाया हो जिसकी क्रिया शीलता से जीवन के उद्देश्य पूर्ण हुए हों ,जिसे जीवन में सुखों की चाह से अधिक उद्देश्य की पूर्ती की चिंता रही हो वही जीवन में अपनी जीत हासिल कर सका है ,उसने अपने कर्त्तव्य बोध के सामने किसीको भी छोटा नहीं बताया किसीकी आलोचना नहीं की और न ही किसी से तुलना की  उसने किसी से अपेक्षा ही नही की कि उसे कोई सहारा दे बस यहीं से शायद  वह जीवन जीत सका है ,सिकंदर और सम्राटों के मृत मुख मंडल पर जो भय था वह इन लोगो के मुख मंडल पर नहीं था क्योकि उन्हें जीवन भर कुछ खोने का भय ही कहाँ था वो तो केवल लुटाना जानते थे और यही उनकी  झलकती  शांती का कारण भी था |
 

अब प्रश्न यह उठता है कि आजके परिवेश में जब  अनेक परिवर्तनों में फसां  आम आदमी अपनी सफलता के मार्ग को कैसे प्रशस्त करे ,कैसे स्वयं को सामायिक बनाये और कैसे अपने आपको सिद्ध  करे ,प्रश्न के उत्तर में यह जान लेना अति आवश्यक है कि सफलता और जीत के मायने क्या है ,जीवन में प्रत्येक कार्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उद्देश्य के लिए है पृकृति का हर परिवर्तन सा उद्देश्य ही होता है और सफलता का आशय भी यही से आरम्भ होता है जीवन के लक्ष्य  उद्देश्य और उनके लिए किये जाने वाले प्रयत्न अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप पूरे हो पाये कि नहीं बस यहीं से जीवन कीसफलता असफलता का भाव परिणाम रूप में हमे मिलाता है |
आज केवल यहीं आधार महत्व पूर्ण है कि हम किस प्रकार जीवन के मूल प्रश्न के उत्तर को अपने लिए प्रासंगिक बनाएँ जिससे जीवन अपनी सफलता और जीत के लिए हमसे भविष्य में शिकायत नहीं कर सके |
  • सफलता का प्रथम आयाम यह है कि हमे अपने उद्देश्य को सुस्पष्ट रूप से तय करें   और उद्देश्य को हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार ही तय करें | 
  • अपने उद्देश्य का निरंतर चिंतन करें साथ ही यह ध्यान रहे कि आपके जीवन में इस उद्देश्य का महत्व सर्वाधिक है और आपको उसको शीघ्र पूर्ण करना है | 
  • उद्देश्यों को प्राथमिकताओं के आधार पर बांटना आवश्यक है जीवन का मूल उद्देश्य एक ही होगा मगर समय परिस्थिति और बड़े उद्देश्य की पूर्ती के लिए छोटे उद्देश्य भी बनाये जाना आवश्यक है | 
  • उद्देश्य व्यक्ति , संसाधनों और प्रतिशोध के आधार पर नहीं बनाये जाना चाहिए अन्यथा पूर्ती के बाद भी जीवन में अतृप्तता असंतोष और विद्रोह के कर्क पैदा हो सकते है 
  • जब आप अपने उद्देश्य के लिए सघन प्रयत्न कररहे हो तब सामाजिक प्रताड़ना ,बधायें और अनेक कठिनाइयां आपका मार्ग रोकने को आएंगी मगर यदि आपने इन सब को महत्व न देकर अपने उद्देश्य को महत्व दिया तो शायद आप अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुंचेंगे | 
  • उद्देश्य के हर भाग को निश्चित समयाविधि में पूरा किया जाना चाहिए और समयानुसार उसका मूल्यांकन भी किया जाता रहे क्योकि उससे जीवन की कमियां स्पष्ट हो जावेंगी | 
  • असफलता ,और आलोचना का उत्तर अपने कर्त्तव्य से दिया जाना चाहिए था यहीं समझना अधिक सही होगा कि असफलता और आलोचनाएं आपको परिष्कृत करने का एक मार्ग है | 
  • क्रोध , लालच ,और मन नहीं लगने के भाव यह बताते है कि आप अपने उद्देश्य से भटक गए है और आप पर उद्देश्य से अधिक अपने आपको व्यस्त करने  की समस्या है | 
  • कठिन परिश्रम ,नियत रूप रेखा , और अनवरत प्रयत्न और आकलन आपको जीवन के हर उद्देश्य में जिताने का सामर्थ्य रखता है शर्त केवल यह है कि आप पूर्ण विश्वास के साथ कर्त्तव्य पथ पर चलते रहें | 
  • झूठ , धोखा , असत्य ,और बार बार अपने उद्देश्यों को बदलने के कारण सफलता में संदेह उत्पन्न ही जाता है और ये दुर्गुण आपसे सफलता  और उससे उत्पन्न संतोष का सुख कभी प्राप्त नहीं होने देंगे | 

सफलता एवं जीवन को जीतने का एक मार्ग 

जीवन की बहुमूल्यता का मोल केवल यही था कि आप उसे जीतकर  ही निकलें आपके उद्देश्य इतने बड़े और प्रभावी हो कि वे समाज को वह दिशा दिखा सकें जिसका इतिहास सदियों तक इंतज़ार करता है ,दोस्तो आपकी शक्ति से ही नए समाज को दिशा मिलेगी और जीवन सफलता का मायने बन पायेगा एक बार पूरी ताकत से इसे क्रियान्वित करने का संकल्प अवश्य करें 



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