पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
Sunday, March 16, 2014
शक्ति ,ज्ञान ,और संतोष अनेक कामनाएं है पूर्णता के लिए
हमसब एक शक्ति शाली प्रकृति और ब्रह्माण्ड के अंश है और हमारी उत्पत्ति ,विकास और गति शीलता उस अपरमित शक्तिशाली तत्व का ही क्रियान्वयन है | सामान्यतः हम जब भी अपना आकलन और कल्पना करते है है तोसदैव यह विचार मन में रहता है कि हम बुद्धि , बल ,ज्ञान धन संपत्ति और शक्ति के बिंदुओं पर सबसे ज्यादा बड़े हों, हमारा जीवन ,सुख संतोष और परहित में दिखाई दे हम जीवन के हर भाग में स्वयं को सशक्त ,और श्रेष्ठ सिद्ध कर सकें ,इन्ही सब वैचारिक्ताओं के मध्य जीवन चलता रहता है और हम अपने अस्तित्व की सम्पूर्ण शक्तियों और बल के साथ प्रयत्न रत रहते है जीवन मांगता रहता है कि वह श्रेष्ठ साबित हो पाये|
Monday, March 10, 2014
सफलता एवं जीवन को जीतने का एक मार्ग
एक शिष्य ने गुरु से प्रश्न किया कि देव मैं जानना चाहता हूँ कि जीवन की सफलता का क्या राज है और कैसे आदमी जीवन को जीत सकता है गुरु ने उत्तर दिया पुत्र आप प्रातः बेला में मुझे नदी के किनारे मिलें ,प्रातः गुरुशिष्य नदी पर पहुंचे और स्नान आरम्भ किया अचानक शिष्य गहरे गड्ढे में डूबने लगा पानी उसके ऊपर हावी होता रहा और वह बेहोशी की हालत में पहुंच गया अचानक गुरु ने उसे जोर का धक्का देकर किनारे पर फेंक दिया शिष्य को सामान्य होने में काफी देर लगी वो ईश्वर और गुरु को धन्यवाद ज्ञापित करने लगा अचानक गुरु ने गम्भीर स्वर में कहा बेटा जबतुम पानी में थे तब क्या चाहते थे गुरूजी स्वांस चाहता था और कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था दम घुट रहा था और सब कुछ भूल चूका था गुरु ने कहा पुत्र सफलता के लिए भी लक्ष्य की आवश्यकता भी जब इस स्वांस की जरुरत की तरह हो जायेगी तब सारी दुनियां की सफलता तेरे क़दमों में होगी ,पुत्र सफलता की सोच को इतना स्पष्ट कर कि जीवन में उसके अतिरिक्त कुछ न रहजावें [
जीवनको जीतने के प्रश्न पर गुरु ने कहा पुत्र वैसे तो जुएं और जीवन में यह समानता है कि दोनों में अधिकाँश लोगों को हारना ही पड़ता है क्योकि संसार में इन लोगों की ही भीड़ है जो जीवन में भोग और हार के लिए ही पैदा हुए है मगर कई बार अपने कर्तव्यों निश्चय और सामर्थ्य से आदमी समय को हरा देता है ,कठिन परिश्रम ,गहरी लगन ,और हर स्वांस में कर्त्तव्य का बोध यही उसके लक्ष्य की दिशा बन जाती है ,जिसने गुरु, माता पिता समाज और राष्ट्र के धर्म को बखूबी से निभाया हो जिसकी क्रिया शीलता से जीवन के उद्देश्य पूर्ण हुए हों ,जिसे जीवन में सुखों की चाह से अधिक उद्देश्य की पूर्ती की चिंता रही हो वही जीवन में अपनी जीत हासिल कर सका है ,उसने अपने कर्त्तव्य बोध के सामने किसीको भी छोटा नहीं बताया किसीकी आलोचना नहीं की और न ही किसी से तुलना की उसने किसी से अपेक्षा ही नही की कि उसे कोई सहारा दे बस यहीं से शायद वह जीवन जीत सका है ,सिकंदर और सम्राटों के मृत मुख मंडल पर जो भय था वह इन लोगो के मुख मंडल पर नहीं था क्योकि उन्हें जीवन भर कुछ खोने का भय ही कहाँ था वो तो केवल लुटाना जानते थे और यही उनकी झलकती शांती का कारण भी था |
अब प्रश्न यह उठता है कि आजके परिवेश में जब अनेक परिवर्तनों में फसां आम आदमी अपनी सफलता के मार्ग को कैसे प्रशस्त करे ,कैसे स्वयं को सामायिक बनाये और कैसे अपने आपको सिद्ध करे ,प्रश्न के उत्तर में यह जान लेना अति आवश्यक है कि सफलता और जीत के मायने क्या है ,जीवन में प्रत्येक कार्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उद्देश्य के लिए है पृकृति का हर परिवर्तन सा उद्देश्य ही होता है और सफलता का आशय भी यही से आरम्भ होता है जीवन के लक्ष्य उद्देश्य और उनके लिए किये जाने वाले प्रयत्न अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप पूरे हो पाये कि नहीं बस यहीं से जीवन कीसफलता असफलता का भाव परिणाम रूप में हमे मिलाता है |
आज केवल यहीं आधार महत्व पूर्ण है कि हम किस प्रकार जीवन के मूल प्रश्न के उत्तर को अपने लिए प्रासंगिक बनाएँ जिससे जीवन अपनी सफलता और जीत के लिए हमसे भविष्य में शिकायत नहीं कर सके |
- सफलता का प्रथम आयाम यह है कि हमे अपने उद्देश्य को सुस्पष्ट रूप से तय करें और उद्देश्य को हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार ही तय करें |
- अपने उद्देश्य का निरंतर चिंतन करें साथ ही यह ध्यान रहे कि आपके जीवन में इस उद्देश्य का महत्व सर्वाधिक है और आपको उसको शीघ्र पूर्ण करना है |
- उद्देश्यों को प्राथमिकताओं के आधार पर बांटना आवश्यक है जीवन का मूल उद्देश्य एक ही होगा मगर समय परिस्थिति और बड़े उद्देश्य की पूर्ती के लिए छोटे उद्देश्य भी बनाये जाना आवश्यक है |
- उद्देश्य व्यक्ति , संसाधनों और प्रतिशोध के आधार पर नहीं बनाये जाना चाहिए अन्यथा पूर्ती के बाद भी जीवन में अतृप्तता असंतोष और विद्रोह के कर्क पैदा हो सकते है
- जब आप अपने उद्देश्य के लिए सघन प्रयत्न कररहे हो तब सामाजिक प्रताड़ना ,बधायें और अनेक कठिनाइयां आपका मार्ग रोकने को आएंगी मगर यदि आपने इन सब को महत्व न देकर अपने उद्देश्य को महत्व दिया तो शायद आप अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुंचेंगे |
- उद्देश्य के हर भाग को निश्चित समयाविधि में पूरा किया जाना चाहिए और समयानुसार उसका मूल्यांकन भी किया जाता रहे क्योकि उससे जीवन की कमियां स्पष्ट हो जावेंगी |
- असफलता ,और आलोचना का उत्तर अपने कर्त्तव्य से दिया जाना चाहिए था यहीं समझना अधिक सही होगा कि असफलता और आलोचनाएं आपको परिष्कृत करने का एक मार्ग है |
- क्रोध , लालच ,और मन नहीं लगने के भाव यह बताते है कि आप अपने उद्देश्य से भटक गए है और आप पर उद्देश्य से अधिक अपने आपको व्यस्त करने की समस्या है |
- कठिन परिश्रम ,नियत रूप रेखा , और अनवरत प्रयत्न और आकलन आपको जीवन के हर उद्देश्य में जिताने का सामर्थ्य रखता है शर्त केवल यह है कि आप पूर्ण विश्वास के साथ कर्त्तव्य पथ पर चलते रहें |
- झूठ , धोखा , असत्य ,और बार बार अपने उद्देश्यों को बदलने के कारण सफलता में संदेह उत्पन्न ही जाता है और ये दुर्गुण आपसे सफलता और उससे उत्पन्न संतोष का सुख कभी प्राप्त नहीं होने देंगे |
सफलता एवं जीवन को जीतने का एक मार्ग
जीवन की बहुमूल्यता का मोल केवल यही था कि आप उसे जीतकर ही निकलें आपके उद्देश्य इतने बड़े और प्रभावी हो कि वे समाज को वह दिशा दिखा सकें जिसका इतिहास सदियों तक इंतज़ार करता है ,दोस्तो आपकी शक्ति से ही नए समाज को दिशा मिलेगी और जीवन सफलता का मायने बन पायेगा एक बार पूरी ताकत से इसे क्रियान्वित करने का संकल्प अवश्य करें
Saturday, March 8, 2014
किससे है शिकायत यहाँ चहरे नकाब में है
आदमी सामाजिक प्राणी है और बड़े से बडे समाज बनाकर वह अपने आपको बहुत बड़ा मान बैठता है और जिनके साथ समाज दोस्त और बड़े समूह नहीं होते वो अपने को हीन मान बैठते है और तमाम सारी नकारात्मकताओं को अपने आप पर थोप डालते है परिणाम यह कि उनकी सकारात्मक ऊर्जा नकारात्मक होने लगती है और खुद अपने आप से शिकायतों के समूह जीवन को और अधिक कठिन बनाने लगते है कहने का आशय यह कि हम स्वयं ही अपनी नकारात्मकताओं के लिए जिम्मेदार बन जाते है | हम मानते है कि आदमी को अपने समाज, मित्र और एक परिवार समूह की आवश्यकता अवश्य होती है और वह अपना सुख दुःख सब कुछ उनसे जोड़ कर देखने लगता है और सम्पूर्ण अस्तित्व का उत्थान पतन इनसे ही बंधा दिखाई देने लगता है शायद यह एक बड़ा कारण है युवा के नैराश्य ( डिप्रेशन ) का जो आज एक बहुत बड़ा कारण बन गया है युवा समस्याओं के लिए |
अब इसका दूसरा पक्ष देखिएआदमी सबसे अधिक अपने आपको प्यारकरता है और हर सम्बन्ध को अपनी कमियों को पूरा करने के लिए बनाना चाहता है और अब यहाँ एक और अंतः द्वन्द खड़ा हो जाता है कि हर आदमी एक दूसरे से बहुत सारी कामनाएं कर बैठता है और यह सम्बन्ध एक फ्रीस्टाइल कुश्ती जैसा माहौल बना देता है हर आदमी अपनी बुद्धि और शक्ति के अनुसार सामने वाले का शोषण करने लगता है यहाँ यह खेल इस तरह चलता है कि किसीका भी किसी भी स्तर तक शोषण किया जा सकता है , सहानुभूति की चाशनी अपनत्व की कसमें और अनंत ईश्वर के श्रेष्ठ गुणों का वास्ता देकर आदमी को धोखे पर धोखा दिया जाता है और अधिकाँश युवा इस बड़े दल दल में उन नकाबी मगरमच्छों के शिकार हो बैठते है जिन्हे वे अपना सबसे करीबी और जीवन का आधार मान बैठे थे | यहाँ बनावटी व्यवहार के कारण हमारा शोषण करने वाले हमारा उपयोग करते रहते है ,हमे जब मालूम होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है |
यहाँ एक तीसरा पक्ष भी जुड़ जाता है कि हमें हरेक से शिकायतें रहती है क्योकि हम स्वयं को बहुत प्यार करते है और सबसे यही उम्मीद करते है कि वो हमे सर्वाधिक महत्व दे परन्तु यह तो केवल स्वप्न ही है न क्योकि हर आदमी आपके सम्बन्धों में आने से पहले यह तय कर लेता है कि वह आपमें से क्या लूट सकता है अर्थात आप उसकेकिस काम के हो ,कैसा प्रोफेशनल युग है कैसा प्यार है कैसा सम्बन्ध है जिसमे सबकुछ तय है , और सम्बन्ध के मायने केवल एक दूसरे को धोखा देकर अपने आपको आदर्श साबित करना होता है ,क्या इसे सम्बन्ध ,प्यार अपनापन या समाज कहते है क्या ये सब मेरे स्टैट्स सिम्बोल (बड़ा बताने कि इच्छा ) के लिए जरूरीहै यह मन पर एक बड़ा प्रश्न चिंह् बन कर खड़ा हो जाता है |
बड़ा ही सहज एवं बड़ा पेचीदगियों से भरा है जीवन का यह सफ़र ,मगर एक बार इसकी बारीकियों को यदि समझ लिया जाए तो शायद आपको जीवन दुःख नहीं दे पायेगा ,हर आदमी अलग अलग चेहरे लगाये खड़ा होता है अपने अपने उद्देश्यों को लिए ,बड़े बड़े आदर्शों का सहारा लेकर निहित स्वार्थों की आपूर्ति के लिए संघर्षरत तमाम रिश्ते हमारे सामने केवल इस लिए खड़े होते है कि वे आपकी तुलना में स्वयं को श्रेष्ठ साबित कर पाएं , रिश्तें ,मित्र।,समाज ,अपने ,और हमसफ़र की इतनी वीभत्स परिभाषा हो सकती है यह स्वयं समय पर ही निर्भर होता है ,दोस्तों केवल कुछ एक लोग ही इस दल दल से विकास शिखर की दौड़ में ऊपर पहुँच पाते है अन्यथा अनेक युवा अपनी हताशा की पराकाष्ठा पर अनुचित निर्णय ले बैठते है |
स्वयं के मूल्याकन के समय यदि आप ने निम्न मान दडों का ध्यान रखा तो निश्चित ही आपको समय श्रेष्ठ साबित कर सकता है
- जीवन में अपने , रिश्ते , सम्बन्ध केवल आधार भूत रिश्तों में ही निहित समझे माता , पिता भाई बहिन गुरु शायद यही आधार भूत रिश्तों के मायने है इनके आलावा हर रिश्ते को परखते रहें |
- आधारित जो सुख दूसरों पर आधारित हुआ वह अंततोगत्वा हमारे दुःख का कारण अवश्य बनेगा क्योकि आदमी का स्वाभाव है कि वह सबसे पहले अपने को सुख देता है |
- जीवन एक दिन उन रिश्तों की असलियत आपको जरूर बताता है मगर एक नशे के आदी व्यक्ति की तरह हम अपने मन को मनदिलासा देकर सत्य को असत्य साबित करते रहते है |
- दूसरे के मूल्याकन और अपनी स्वयं की त्रुटियों को दूसरों पर दोषारोपित करने से आपके व्यक्तित्व में नकारात्मकता ही बढ़ेगी
- कैसा अजीब स्वभाव है इस आदमी का वह उस व्यक्ति से सबसेअधिक नफ़रत !घृणा और विद्वेष मान बैठता है जो उसके जीवन की अधिक चिंता करते है क्योकि उन्हें ही बार बार टोकना रोकना अच्छा बुरा बताना होता है और बार बार यह नियंत्रण क्रोध का कारण न बनकर विचार का कारण बनना चाहिए
- अपने जीवन में किसीको आदर्श मान कर उनका अनुशरण अवश्य करें जीवन की क्रिया शीलता में जब व्यवधान आये वहाँ परामर्श लिए जाए सकते है |
- स्वयं की तुलना किसीसे न करें क्योकि आप ईश्वर की स्वतंत्र और श्रेष्ठ इकाई है और आपको किसी निश्चित कार्य के लिए पैदा किया गया है आपको उसे पूर्ण करना है |
- जीवन अनमोल है उसकी कीमत समझकर चलें और आप कहाँ जा रहें है यह स्पष्ट तय समझे यद् रहे जीवन के किसी भी भाग में सॉरी नहीं होती अतैव जीवन के हर क्रियान्वयन को धैर्य और चिंतन के बाद क्रिया स्वरुप में परणित करें |
- शिकायत का बार बार खड़ा होनाआपकी कमजोरियों को बताता है और यहीं से आपका व्यक्तित्व नकारात्मकता की दिशा में मुड़ने लगता है |
- आनंद संतोष और श्रेष्ठ लगने के लिए आदमी हजारों उपाय करता है मगर ध्यान रहें कि आनंद का स्त्रोत्र आत्मा का विषय है जहाँ आपको भौतिक सुख सुविधाओं एवं शरीर और मन के बहुत अधिक प्रयोग और अच्छी वस्तुओं स्थान और हजारों भौतिक सुविधाओं केंद्र बन कर स्वयं को प्रसन्न मानते है तो आपको केवल यातनाएं ही सहनी होंगी क्योकि इसका कोई अंतिम छोर है ही नहीं
मन विचार और कर्म का प्रयोग सदैव धैर्य और कर्त्तव्य से जुड़ा है ,संसार में अकेला आया व्यक्ति अकेले ही जीवन में अविराम गति से अपने लक्ष्य की और अग्रसर है यहाँ केवल स्वयं के बल और आत्मा की दिशा में चलने वाले को वो दुर्लभ आनंद अनुभूति प्राप्त हो पाती है जो समय बहुत कम लोगो को प्रदान करता है अन्यथा यहाँ केवल भीड़ की तरह आदमी भागता रहता है और आनंद आगे आगे भगता रहता है एवं जीवन प्यासा का प्यासा ही रह जाता है |
मन विचार और कर्म का प्रयोग सदैव धैर्य और कर्त्तव्य से जुड़ा है ,संसार में अकेला आया व्यक्ति अकेले ही जीवन में अविराम गति से अपने लक्ष्य की और अग्रसर है यहाँ केवल स्वयं के बल और आत्मा की दिशा में चलने वाले को वो दुर्लभ आनंद अनुभूति प्राप्त हो पाती है जो समय बहुत कम लोगो को प्रदान करता है अन्यथा यहाँ केवल भीड़ की तरह आदमी भागता रहता है और आनंद आगे आगे भगता रहता है एवं जीवन प्यासा का प्यासा ही रह जाता है |
भीड़ सा निर्मूल्य मत बनाओ जीवन को dont make yourself useless crowd
कब तक महा पुरुषों के पद चिन्हों पर चलने का प्रयत्न किया जाए कब तक समय परिवर्तन और आधुनिकता के लिए समय के साथ भागने का प्रयत्न करें ,शायद हमारी मौलिकता ख़त्म हो चुकी है हम बहुत सारी नावों पर एक साथ भागने के चक्कर में अपनी आत्मानुभूति ,आदर्शों और हर जगह अस्थिर हो गए है शायद पुराने मान दंड इस तरह से बदल दिए गए जिनका कोई महत्व ही नहीं रहा एक आधुनिकता प्यासी आधुनिकता जिसमे केवल अतृप्तता ,बेइंतहा खालीपन और नैराश्य है अच्छा बुरा सोचने का मायने केवल यह कि वह उस समय अच्छा लग रहा है या नहीं ,यही दौड़ है ,यही विकास है, यही सांकृतिक प्रतिमान है तो भविष्य का क्या ईश्वर जाने ।भीड़ सा निर्मूल्य मत बनाओ
जीवन उन मान दडों का नाम है जहाँ अधिकाँश लोग एक भीड़ में जीने का प्रयत्न करते है उनमे साहस नहीं होता कि वो समाज को कोई आदर्श, सन्देश ,और सीख दे सके वे एक सामान्य भीड़ की तरह बिना नाम के ही होते है अपनी उपलब्धियों के लिए सजग और क्या चीज उन्हें सुख देगी यह आकलन, बस पूरा जीवन छोटी छोटी सी चीजों को बटोरने में लगा रहता है, केवल अपनी आपूर्तियाँ अपना स्वार्थ और अपने खोखली धारणाये लिए हम चलते रहते है यह भूलकर कि यह जीवन केवल इसका नाम ही नहीं कुछ पाने , बनाने और जीवन के अंत में एक सुस्पष्ट मार्ग छोड़ जाना जिसेसमय ,इतिहास औरभविष्य हजारों साल तक नमन करता रहे |
विवेकानन्द ,भगतसिह,सुखदेव,अरस्तु, आयस्टीन गांधी मंडेला ,रामतीर्थ राम रहीम और ईसा ये सब आज हमारे मन में सर्वोपरि लगते है देश की रक्षा में लगा नौजवान अपने सारे रिश्ते ,सुख ,सुविधाएं प्रेम और परिवार छोड़कर एक लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है ,अपने सारे जीवन को बलिदानी जत्थों में बदले हुए देश की सुरक्षा में लगे सैनिक बर्फ में अपने गलते हुए अंगों की वेदना से अनभिज्ञ एक लक्ष्य की और संकल्पित दिखाई देते है और हम युवा यदि केवल अपने स्वार्थों , उपलब्धियों को प्राप्त करने में लगे है तो शायद चयन आपको ही करना होगा ,|
दोस्त जीवन इसका नाम नहीं है कि आप कितने प्रसन्न और अमीर हुए न ही उसका मायने यह है कि आपने शारीरिक और मानसिक तौर पर कितना सुख भोगा ,या आप समाज में कितने प्रसंशित हुए बल्कि सही अर्थों में जीवन का मायने यह था कि आपने अपने समाज राष्ट्र ,परिवार और लोगों के प्रति क्या किया क्या जीवन पाने का नाम है नहीं , बल्कि त्याग ,अपरिगृह और सबकुछलुटा देने का संकल्प है जीवन का नाम ,हम धन वैभव योवन ,सुख ,रूप रंग और आधुनिकता की दौड़ में केवल यदि अपने स्वार्थों और अपनी उपलब्धियों को ही याद रखरख सके तो भीड़ की ही तरह समय हमें शीघ्र मिटा देगा
- समय न मेरा हुआ न तुम्हारा होगा उसे बांधने के लिए आपपर लक्ष्य होने चाहिए अन्यथा आपका जीवन रथ वैसे ही भटक जावेगा जैसे तिनके आन्धी के प्रचंड वेग में भटक जातेहै।
- लक्ष्य कीप्राप्ति और चिंतन! तथा उसके लिए प्रयत्न का एक अनवरत क्रम चलता रहना चाहिए जैसे ही आप इस गति को भूले तुरंत आपका लक्ष्य आपसेआपसे दूर होने लगता है |
- प्रेम गली अति साँकरी जा में दो न समायें ,अर्थात एक समय में एक से ही प्रेम हो सकताहै ,हम या तो अपनी उपलब्धियों स्वार्थ और सुख की बात करलें या फिर अपने लक्य की सफलता
- सफलता जीत ,का शॉर्टकट हो सकता है मगर ध्यान रहे कि जीवन में उद्देश्य तक पहुँचाना और उसके सम्पादन के बाद संतोष का स्तर बनाना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है |
- सुख दुःख और मन अपमान कि कामनाएं मन को कमजोर और लक्ष्य से भटकाने का प्रयत्न करती है बार बार यह प्रयत्न क्यों कि सब हमारी प्रसंशा करें सुख दुःख में सम भाव बनाये रखें
- जीवन में समाज के हर निर्णय से आप खुश हो यह जरूरी तो नहीं है ना ,मगर यह ध्यान रखें कि अपने लक्ष्य के मार्गों से समझौता नहीं करें |
- आदर्शों को बहुत अडिग बनाइये और उनसे समझौता न किया जाए आदर्शों के लिए सम्बन्धों की बलि चढाने में भी संकोच नहीं करें क्योकि यह आवश्यक नहीं कि आप व्यक्ति समय और परिवेश के साथ अपने आदर्श बदलते रहें
- जो कार्य अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए किये जाएँ उनके लिए दूसरों कि सहमति की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए क्योकि ये आपके भविष्यभके स्वरुप को भी तय करेंगे |
Sunday, March 2, 2014
सफलता से पहले कुछ नहीं बढ़े चलो
हर हाल में सफलताएं आपकी है और जितना बड़ा लक्ष्य लेकर हम चलेंगे उतनी ही अधिक समस्याएं आएंगी हमारे सामने ,क्योकि समस्याएं केवल उनके सामने आती है जिन्हें वे वीर और अतुलनीय समझती है ,ध्यान रहें कि भिखारी के सामने केवल एक प्रश्न है रोटी, कपड़ा , मकान और शायद इससे अधिक कोई समस्या नहीं है ,अरब पति के सामने भी केवल एक समस्या है ,प्राप्त धन को बचाये रखना और वृद्धि करना मगर मेरे युवा के सामने जो समस्याएं है वो सामान्य नहीं है , उसे हर हाल में उन्हें हल तक पहुंचा कर अपने उद्देश्य के बिंदु तक सफल होना है और यही उसका एक जागृत लक्ष्य भी है |
दोस्तों जीवन में जिसने भी संघर्ष किया और अपने आपको जीतने की सीमाओं पर देखा है वही सफल अफल हो पाया है और यह भी ध्यान रखें कि हम जब किसी बड़े उद्देश्य के लिए तैयार होकर चलने लगेंगे तब ही बहुत सारी समस्याएँ हमारी मानसिकता, शारीरिकता ,लोभ, मोह और प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रलोभनों से हमे भटकाने का प्रयत्न अवश्य करेंगी और यदि हम उनके धोखे में आकर बहुत दुखी या बहुत घमंड में आगये तो शायद हमारे लक्ष्य बहुत दूर चले जायेंगे फिर शायद उन्हें प्राप्त करने में हमे और अधिक समय लगाना होगा |
दुःख , धोखा ,फरेब , तिरस्कार और अपमान से मन को आघात लगता है परन्तु यह भी अकाट्य सत्य है कि जो भी सफलता के बड़े लक्ष्य पर पहुंचें है उनमे से अधिकाँश लोग इन्हीं के कारण बड़े बन पाये है ,सुख दुःख को अपने जीवन में स्वीकार करने के तरीके पर ही आपके भविष्य की सफलता निर्भर होती है। हम यदि किसी धोखे फरेब अपमान या तिरस्कार पर अपने को दोषी मानते है अकर्मण्य होजाते है या स्वयं को कोसने लगते है तो स्वयं अपने आपको पराभव दे रहे होते है और यहीं से नकारात्मकता का समूह हमें घेरता जाता है | मित्रों बुरे समय और बुरे व्यावहार का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि वह आपको एकात्मक , पूर्ण शक्ति और तीव्र आवेग से भर कर खड़ा कर देता है इसमें इतनी तीव्रता और तीव्र संकल्प की शक्ति होती है कि वह जीवन की किसीभी सफलता को प्राप्त कर सकता है हाँ आपमें वही आग का आरम्भ का इन्तजार करती है आपकी सफलता |
दोस्तों जीवन में जिसने भी संघर्ष किया और अपने आपको जीतने की सीमाओं पर देखा है वही सफल अफल हो पाया है और यह भी ध्यान रखें कि हम जब किसी बड़े उद्देश्य के लिए तैयार होकर चलने लगेंगे तब ही बहुत सारी समस्याएँ हमारी मानसिकता, शारीरिकता ,लोभ, मोह और प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रलोभनों से हमे भटकाने का प्रयत्न अवश्य करेंगी और यदि हम उनके धोखे में आकर बहुत दुखी या बहुत घमंड में आगये तो शायद हमारे लक्ष्य बहुत दूर चले जायेंगे फिर शायद उन्हें प्राप्त करने में हमे और अधिक समय लगाना होगा |
दुःख , धोखा ,फरेब , तिरस्कार और अपमान से मन को आघात लगता है परन्तु यह भी अकाट्य सत्य है कि जो भी सफलता के बड़े लक्ष्य पर पहुंचें है उनमे से अधिकाँश लोग इन्हीं के कारण बड़े बन पाये है ,सुख दुःख को अपने जीवन में स्वीकार करने के तरीके पर ही आपके भविष्य की सफलता निर्भर होती है। हम यदि किसी धोखे फरेब अपमान या तिरस्कार पर अपने को दोषी मानते है अकर्मण्य होजाते है या स्वयं को कोसने लगते है तो स्वयं अपने आपको पराभव दे रहे होते है और यहीं से नकारात्मकता का समूह हमें घेरता जाता है | मित्रों बुरे समय और बुरे व्यावहार का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि वह आपको एकात्मक , पूर्ण शक्ति और तीव्र आवेग से भर कर खड़ा कर देता है इसमें इतनी तीव्रता और तीव्र संकल्प की शक्ति होती है कि वह जीवन की किसीभी सफलता को प्राप्त कर सकता है हाँ आपमें वही आग का आरम्भ का इन्तजार करती है आपकी सफलता |
हमारी पूर्ण सफलता न होना यह बताती है कि हम अपने उद्देश्यों के प्रति पूर्ण संकल्पित नहीं हुए है मेरे दोस्त जीवन में सफलता तो हमे यह बताती है कि हम अपने उद्देश्य में १००% संकल्पित होकर प्रयत्न करें जबकि समाज ,परिवार हमारा मन मष्तिष्क और सामाजिक मांगें हमारे अल्पकालिक लक्ष्य बनाकर उनकी आपूर्ति की मांग करती रहती है परिणाम यह कि हमारा संकल्प ४, ५ या उससे अधिक उद्देश्यों में बाँट जाता है परिणाम हमारी सफलता २०%या २५% रह जाती है और जिसे समाज सफल नहीं मानता | मेरा करबद्ध अनुरोध है कि सफलता के लिए निम्नाकित बिंदुओं पर भी विचार करें |
- सफलता के उद्देश्य एवं जीवन के रिश्ते नाते एवं सामाजिक सम्बन्ध का कोई सम्बन्ध नहीं है उद्देश्य के लिए जीवन से कर्त्तव्य का अधिकांश भाग तय किया जाए साथ ही सबसे अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने का प्रयत्न करें |
- दूसरों की आलोचनाओं में समय व्यर्थ नहीं गवाएं नहीं तो क्रिया के बराबर प्रतिक्रिया के कारण आपको भी नकारात्मकता झेलनी होगी आप ऐसे लोगों को अपनी सोच के बहार रखने का प्रयत्न करें |
- जीवन की हर असफलता में भावावेश से नहीं वरन पूर्ण धैर्य के साथ आगे का मार्ग तय करें जिससे आपकी सफलता अधिक और अधिक निश्चित हो सके |
- असफलता के सभी कारणों पर खुले मन से विचार किया जाना चाहिए और जो कारण उसमे अधिक नकारात्मक भूमिका में हो उन्हें तत्काल निकालने हटाने का प्रयत्न करने की कोशिश करें |
- दुःख ,तिरस्कार अपमान ,की आग को और अधिक तीव्र बना कर उसे पूर्णतः अपने सकारात्मक लक्ष्य की और मोड़ दें इस प्रचंड ऊर्जा से उद्देश्य और लक्ष्य जल्दी प्राप्त हो जायेंगें |
- बदला यानि प्रतिशोध और इसके कारण ही हम अपनी सकारात्मक ऊर्जा को अंतर्मुखी के स्थान पर बहिर्मुखी कर बैठते है जिससे हमारे परिवर्तन धनात्मक नहीं हो पाते , प्रति शोध का आशय है कि दूसरे के व्यवहार पर शोध कर अपना रास्ता बदल देना यही सबसे सार्थक बदला भी है |
- सफलता आपकी परीक्षा लेती है कि आप उसके लिए कितने संकल्पित हो और जिस दिन यह संकल्प आपकी जिद और एक मात्र लक्ष्य हो जाता है तो सफलता भी स्वयं आपके सामने नट मस्तक हो जाती है |
- सफलता के पहले आपको नहीं रुकना चाहिए आपका कर्त्तव्य है कि आप निरंतर अकेले और पूरी ताकत से चलते रहें आपको अपने लक्ष्य अवश्य मिलेंगें |
- जीवन में मुख्य उद्देश्य एवं सहायक उद्देश्यों को स्प्ष्टतः समझते हुए क्रियान्वित किया जाए प्राथमिक उद्देश्य तक पहुचाने के लिए ये सामयिक उद्देश्य आपको वाहिकाओं के रूप में सहायता अवश्य देंगें |
Subscribe to:
Posts (Atom)
अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि
अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...