बसि कुसंग चाहत कुशल रहिमन यह अफ़सोस
मान घट्यो समुद्र को जो रावण बसा पड़ोस
आज हम विकास कि दौड़ में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे है और हम पर समय बहुत कम है बहुत सारा सोचने मनन करने और अच्छे बुरे में भेद करने का ,अब जब आज का समय इस प्रकार का हो गया है कि हमे अपने अच्छे बुरे और सामान्य जीवन में हर स्तर पर अपने सहयोगियों की जरूरत होने लगी है और शायद उनके बगैर हम स्वयं के सुखो की कल्पना भी नहीं कर पाते ऐसे समय में इतनी आवश्यक आवश्यकता के लिए हमें श्रेष्ठ का चयन करना चाहिए | मित्रों आदमी सामाजिक प्राणी माना गया है और शायद समाज कि आवश्यकता उसके लिए सबसे महत्व पूर्ण बिंदुओं में से एक है जिस पर उसके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण स्थिति -- जीवन के संतोष का स्तर टिका होता है और यही उसके विकास और पराभव का मार्ग भी खोलता है अतः जीवन में इसका विचार किया जाना शायद अधिक महत्व पूर्ण है |
आज जब मैं युवाओं को देखता हूँ तो उनके अनुभवों में अधिकाँश मित्र या तो धोखे का पर्याय बन जाते है या वे सब अपनी आकाँक्षाओं से जुड़े अपने बारे में ही सोच पाते है , एक और हम यह जानते है कि हमारा सामाजिक जीवन श्रेष्ठ मित्रों कि कामना करता है जो हमे हमारी नकारात्मकताओं के समय हमे ऊर्जा वान बना कर समय कि विपरीतता से हमे संघर्ष करने और जीतने का तरीका बताये ,कंधे से कन्धा मिलाकर हमें बुरे वक्त में सहायता दे ,और जीवन के उन पहलुओं पर जहाँ हम हार रहे हों वहाँ हमें जीतने का अवसर दे ,शायद ये सब अपेक्षाएं की जाती है अपने मित्र से साथ ही यह सोचा जाता है कि मित्र हमारे भावनात्मक पक्ष को समझ कर हमे सहयोग देता रहे |
यहाँ आज के समय में एक और महत्व पूर्ण विषय हमारे साथ जुड़ रहा है कि हम सीमा से अधिक आधुनिक होना चाहते
है तथा अधिक लोगों से मित्रता को हम अति आधुनिक होने कि निशानी मानने लगते है और यह कहने लगते है कि जिसके मित्र नहीं वो तो व्यवहारिक ही नहीं हो सकता ,यहाँ सबसे अधिक महत्व पूर्ण बात यह है कि एक और तो मित्रता सबसे अधिक महत्व आपके जीवन कि दिशा के लिए है और आप उसके चयन में इतनी लापरवाही कैसे कर सकते है ,आपके जीवन कि तमाम सुख और दुःख कि स्थितियां यहीं से आरम्भ हो सकती है ,आपके गलत निर्णय आपको और अधिक परेशानी और गहरे सदमे में डाल सकते है |
दोस्तों मित्रता जीवन में बहुत बड़ा स्थान रखता है हमारे समाज , परिवार मन ,मष्तिष्क के भीतर से जुड़ा होने का अनुभव देता है हमें , तो इन सबसे मित्रता हमे उन्नति या पराभव के बिंदु तक लीजा सकती है ,मित्रों अनेक धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि यदि जीवन में मित्रता की आवश्यकता हो तो उसका चयन खोज पूरी ताकत योग्यता से की जानी चाहिए यह सोच कर कि यहीं से आपके जीवन को दिशा मिल सकती है , गुरु ,मित्र , और उद्देश्य के चयन में पूरे धैर्य से विचार करना चाहिए |
सबसे ऊपर वाली पक्ति में बसि ---------- पड़ोस
कहने का आशय यह कि बुरे लोगों की मित्रता के बाद अपनी कुशलता की कामना करना व्यर्थ है ,क्योकि समुद्र जैसा महा विशाल अस्तित्व रखने वाले पर भी छोटे छोटे बंदरो ने पुल बना कर उसकी मर्यादा भंग करदी थी क्योकि वह रावण जैसे ख़राब व्यक्ति के पास निवास करता था |
आज जब मित्रता के नाम पर कोई न्याय नहीं कररहा है वहाँ इस सबसे महत्वपूर्ण सम्बन्ध के लिए निम्न विषय स्थितियों को अवश्य ध्यान रखें |
- मित्रता का चयन स्टेटस सिम्बोल (अति आधुनिक होने की निशानी )नहीं होकर एक ऐसी आवश्यकता है जिसमें वर्त्तमान की जरूरतें नहीं वरन भविष्य के विकास की सम्भावनाएं हों |
- मित्र अधिक जल्दी न करें इस बात पर भी विचार करें कि सामने वाला आपको अधिक महत्व क्यों देरहा है क्या उचित कारण है अथवा नहीं |
- आप जिसमे अपने मित्र को ढूढ़ रहे है उसमे आपकी कल्पना के अनुरूप गुण है कि नहीं केवल एक दो गुणों को वर्त्तमान के परिवेश में देखने से आपका भविष्य समस्याओं से घिर सकता है |
- जीवन में सफल होने के लिए सशक्त और लम्बे समय तक सम्बन्ध बनाये रखने के लिए आपको अपनी सीमाएं तय करनी होंगीं ,जिनका अतिकृमण न किया जावे |
- मित्रता का भाव का आशय यह नहीं है कि आप सबसे अच्छा व्यवहार न रखें आपको सबके साथ श्रेष्ठ व्यवहार रखना है , परन्तु अपने मित्र के साथ समय समय पर अपनी परेशानियां बांटते रहें यदि आपका मित्र इस स्तर का है तो |
- स्वयं को श्रेष्ठ बताने की होड़ नहीं होनी चाहिए मित्रता में , वहाँ हमें अपने मित्र की हर कमी को अपने कार्यों से श्रेष्ठ बताने का प्रयत्न करना चाहिए |
- मित्रता सहयोग ,त्याग ,बलिदान और दूसरे के सुख में अपना सुख ढूढ़ने वाला व्यक्तित्व है उसमे यदि ये गुण नहीं है तो शायद आपका चयन गलत है |
- मित्रता माँ मायने आपका(यूज)उपयोग करने का (सर्टिफिकेट) प्रमाणपत्र नहीं है जिससे सामने वाला आपका शोषण करता रहें मित्रता अपने लाभ की कामना नहीं सामने वाले को सुख देने का सम्बन्ध है |
- बुरे समय में मित्र और सम्बन्धों का सही अर्थ पता लग जाता है |
- मित्र का आशय यह नहीं कि वह अपने जीवन की दुर्घटनाएं सुना सुना कर आपकी सहानुभूति के साथ आपका शोषण करने लगे आपको इन सब स्थितियों का ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिए
- यदि समय के साथ आपको यह मालूम हो जाए कि आपसे झूठ , है या आपकी सहानुभूति का गलत प्रयोग किया गया है या आपको सामने वाले से नकारात्मकता का भान हो रहा है तो आपको शीघ्र शीघ्र ही उस व्यक्ति का त्याग कर देना चाहिए और एक नए प्रण के साथ जिससे आपका भविष्य आपको सशक्त और विकास का मायने बना सके |