नफ़रत शत्रुता और अलगाव स्वयं अपनी सीमाएं अनादर बेज्जती और हत्या तक बाँध पाए हैं परंतु अपनत्व प्रेम और उसकी कशिश व्यक्ति की आत्मा से जुड़ी कोई छाया है जिसका आंकलन सदियों से नहीं हो सका है कारण यह है की आत्मा का विराट स्वरूप जो स्वयं प्रकृति और और ब्रहमाँड जैसा विशाल हैं ,ऋणात्मकता शरीर है जो अपनी परिभाषा जन्म से मृत्यु तक ही बाँधने मे सक्षम है है परंतु प्रेम सौहार्द और अपनत्व का रूप रंग भार और प्रभाव इतना विराट है कि उसका आंकलन और माप व्यक्ति की चिंतन शीलता से भी परे ही रहेगें क्योंकि उसमें परमात्मा समाया है
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
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