Tuesday, March 8, 2022

महा शक्ति पुंज है नारी

महा शक्ति पुंज है नारी 

चंद्रयान मिशन बहुत ही सफलता पूर्ण रहा था मेघा और उसके  आधीनस्थ   ३ अधिकारी  इस चंद्रा अभियान का हिस्सा थे इस अभियान का सबसे बड़ा और सशक्त पहलू यह था कि इसे इसरो की सबसे कम उम्र की सीनियर ओफ़ीसर मेघा लीड कर रही थी  ,अभियान की सफलता के साथ लेंडिंग और अपना मिशन पूरा करके ये दल लौट रहा था ,सारे देशों के प्रधान देश को सलामी बधाई दे रहे थे और दल के सदस्य पूरी निष्ठा के  साथ अपने आपको धन्य मान कर मेघा की प्रसंशा कर रहे थे मेम आपने पूरे विश्व का सबसे कम लागत का अभियान बनाया और उसे बहुत छोटे से समय में सिंद्ध कर दिया प्रधान मंत्री आपको कई बार नारी शक्ति का गौरव जीनीयस और  न जाने क्या क्या कह  रहे है,अमेरिका रुस  और अधिकांश विकसित देश  आपका लोहा मानने पर मजबूर है ,अचानक मुस्कुराती मौन मेघा का मन अतीत की गहराइयों में खो गया और पूरा बीता हुआ कल समय उसे याद आने लगा

मैंने अपनी १२ की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी ,परिवार में जश्न का माहौल था, पिताबहुत प्रसन्न थे मगर एक गहरी रेखा थी माथे पर, कई रात सो नहि पाए थे ,माँ के कई बार बार पूछने पर रुआंसे होकर कहने लगे आगे का ख़र्चा कैसे होगा ,शादी भी करनी है कल ,कम से कम भी सही ५०-६० हज़ार फ़ीस साल की तो लगेगी ही और देर रात तक हम कब सो गए वो पता ही नहीं पड़ा ,रात भर सपनों में भी समाज डर और बदहवासी बनी रही माँ सोचती रही सब बेच डालूँगी अपनी बेटी को बहुत बड़ा  बनाऊँगी ।

सुबह होते ही गुम सुम माँ इधर उधर घूमती रही ,कई बार गहनों का डिब्बा देख आइ थी, मेघा ने  बात की मगर वो मौन ही बनी रही ,पिताजी के जाने की बाद माँ का सारा साहस और बनावटी पन,ग़ायब हो गया ,एक कमजोर आधार हीन और साहस हीन नारी प्रतीत हुई माँ ,ज़ोर ज़ोर से रोने लगी, घबरा गई थी मैं ,क्या- क्या हुआ माँ ,पानी पिलाया माँ को ,माँ अचानक छोटी बच्ची सी मेघा के  ऊपर सिर रख के बोली तू फ़र्स्ट आयी, पर अब आगे  की पढ़ाई कैसे होगी ,कई रातों  से सो नहीं पाए है हम ,मैं कुछ भी करूँ तेरे को बहुत बड़ा बनाऊँगीबेटा ,सारे गहने सब बेच दूँगी,कहते कहते ज़ोर ज़ोर से रो रहीं थी माँ, मैं सिर सहलाते हुए कह रही थी सब ठीक होगा ,,अंदर से हिल मैं भी गई थी, माँ को सांत्वना देकर कमरा बंद करके बहुत रोई थी मैं ,तब गीता का एक ही श्लोक याद आया "कर्मण्ये वाधिकारस्ते' लगा कृष्ण कह रहे है  मैं तो उसे ही जिताता  जो सब तरफ़ सबसे हारा हुआ और कर्तव्य शील होता है होता है जिसका स्वयं पर यानी मुझ पर अटूट विश्वास होता है एक दमएक बड़े संकल्प संकल्प के साथ उठ खड़ी हुई थी मैं ।

भारी दुविधा में थी मैं कोई ओर -छोर दिखाई नहीं दे रहा था ,एक कोचिंग में छोटे बच्चों की आन लाइन कक्षा लेती थी ,एक दो हज़ार रुपए मिल जाते थे, स्कूल में नवमी कक्षा से ही कंप्यूटर की पढ़ाई में अव्वल रही थी मैं , सोचा परिवार की समस्या बड़ी है और सत्य भी तो है ,अचानक माँ बोली अपने प्राचार्य से बात कर, तुझे लड़की जैसा मानते है ,प्राचार्य  सुदीप बोस को  पिताजी ने सारी बातें बताई गहरी चिंता की रेखाए सर के माथे पर दिखाई देने लगी फिर एक कोने में लगी तारा माई के चित्र को प्राणाम करके बोले शर्मा जी मुझे एक सप्ताह का समय दो मेघा मेरी भी बेटी है और बहुत कुशाग्र बुद्धि की है एक दिन ज़रूर देश का नाम ऊँचा करेगी। देखता हूँ क्या कर सकता हूँ मैं ।

सर ने तीसरे रोज़ बताया मेघा तुम्हारी सारी समस्याएँ ख़त्म हो ,गई है ,मैंने तुम्हारे बच्चों को पढ़ाए हुए आन लाइन प्रशिक्षण की सीडी को राष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग चलाने वाली संस्था को भेजा ,वो लोग बहुत ख़ुश है आपके शिक्षण से,उन्होंने कहा है कि वे ५००/रु प्रति कक्षा आपको देंगे और एक माह की   ३० कक्षाओं की सीडी आपको माह से पूर्व जमा करना होगी और ज़्यादा काम आने पर,उसे समय से पूरा करना होगा जिसका ७००/के हिसाब से भुगतान मिलेगा आपको ।बस फिर क्या था मैं सारे कोर्स करके ,केम्पस सलेक्शन में चुनी गई मैं और ५ वर्षों के अंदर ३नई तकनीकों को खोजने वाली विश्व की पहली युवा वैज्ञानिक बन गई और यही निर्णय लिया की नई तकनीक के उपयोग के साथ मैं स्वयं इस सेट लाइट से अपना ग़्रुप ले जाऊँगी और इसमें  मैं सफल होकर आज मैं लौट रही थी

अचानक क़्रू मेंबरस की आवाज़ें आने लगी ,चन्द्रयान सकुशल वापिस आ गया था ,एक लम्बी प्रक्रिया के बाद काँच के जार नुमा कमरे में बंद कर के सारे टेस्ट किए गए थे ,१० दिन बाद इसरो डायरेक्टर का फ़ोन आया आप रीसर्च रूम में आइए ,यहाँ आपको बहुत बड़ा सरप्राइज़ देना है ,बहुत पूछा मैंने सर बताइए प्लीज़ क्या कोई नए अभियान पे जाना  है ,कोई सीक्रेट मीटिंग है ,वे बोले उससे भी महत्वपूर्ण  है ,मैं समझ नहीं पाई कुछ, कोई नया अभियान लॉंच होना है, या मिशन में कोई ग़लती रह गई है,बहुत दिमाग़ लगाया समझ ही नहीं पाई ,सुबह तैय्यार होकर असमंजस में रीसर्च सेंटर पहुँची डायरेक्टर साहब बैठे थे, साथ ही कोई बड़े ओफिसर थे जो दिल्ली से आए थे,मैंरे से पहले डायरेक्टोर साहब, ही बोले जय हिंद यंग ओफिसर मैंने जय हिंद कहा और बैठ गई ,साहब ने बताया की ये ओफिसर दिल्ली से आए है आपको आपके मिशन के लिए नोबल प्राइज़ मिलना तय हुआ है , ख़ुश थी मैं अचानक डायरेक्टर साहब ने सामने लगा पर्दा हटा दिया ,वहाँ माँ पापा और सर  दिखे नजाने कबसे मुझे देख कर अपनी बूढ़ी आँखों से पूरी ज़िंदगी की तपस्या बहाए चले जा रहे थे, मैं झपट कर उनके पास पहुँची और लिपट  गई सबसे , सालों का रोना एक साथ रोली थी मैं , एक छोटी बच्ची सी माँ से लिपटी रही पिताजी और सर सिर पर हाथ फेरते रहे लगा समय यहीं रुक जाए, यह नोबल प्राइज़ से भी बड़ी महान उपलब्धि थी 


समय किसी को क्षमा नहीं करता,न  ही रुकता है ,जीवन की गति से चलता रहता है ,दुःख सुख जय पराजय आते जाते रहते है परंतु मन का वह संकल्प जो आपको  गिरने केबाद  उठने  का सहारा देता है ,या भाव देता है ,इसी में कहीं ईश्वर का वास है वह जानता है  कि जब आप फिर के उठोगे और फिर अपने अथक श्रम से सफलता पाओगे तब वह जीतने का भाव तुम्हें कैसे भी प्राप्त नहीं हो सकता ,गिरना प्रकृति है ,मगर पुनः खड़े होकर चलना, अपने लक्ष्य  को जीतना ,वास्तव में यही सकारात्मकता है, इसे ही अनेक विद्वान ईश्वर कहते है, महान संघर्ष का फल निश्चित ही आपको विजयी और अजेय बनाएगा यही संकल्प जीवन का आधार है इसे निष्ठा से बनाए रखिए 


  • निम्नको ध्यान अवश्य रखें 
  • दुःख संघर्ष आपकी क्रियान्वयनता की परीक्षा है,जो आपको सिद्ध करना चाहती है 
  • स्वयं पर विश्वास रखिए क्योंकि आपको उस परमात्मा ने कुछ विशेष अवश्य दिया है ,जिसे आपको समझ कर सिद्ध करना है 
  • सम्मान से सम्मान और संस्कार मिलते है ,वही शांति का भाव पैदा करता है ,उसे अपने जीवन का आधार बनाए 
  • निरंतर अपने आपको निष्काम कर्म के लिए तय्यार रखें, फल प्रकृति का विषय है जो अवश्य मिलेगा ,शर्त यह है कि कर्म की निरंतरता बाधित ना हो 
  • स्वयं की सकारात्मकता बनाए रखे ,क्योंकि जब कुछ विपरीत समय आएगा तब इस सकारात्मकता से ही नकारात्मकता की हार हो पाएगी 
  • जीवन बहुत ख़ूबसूरत है परमात्माने आपको बहुत कुछ दिया है, और आगे के संघर्ष में जिता कर सफल बनाना चाहता है 






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