Saturday, July 4, 2020

गुरु पूर्णिमा एक ऐसा अवसर जिसमें आप में जो भी सकारात्मक हो वो सब गुरु तत्व का है जीवन भर परमात्मा के और आपकोसकारात्मक ऊर्जा देने वाले लोगों के सतत सम्पर्क में रहिए एक दिन परमात्मा अपना स्वयं का स्वरूप अवश्य बता देगा उसकी खोज कीमानसिक व्याकुलता ही तो सच्ची आराधना है स्वयं और परमात्मा के प्रति ईमानदार हो जाए 

कल दिनांक //२०२० को गुरु पूर्णिमा का पवित्र पर्व है और यह एक  महान सकारात्मक पर्व है उसका ऐसा ही चिंतन ध्यान पूजन होनाचाहिए जो आपको अपने वास्तविक रूप में ही  परमात्मा का चिंतन करा सके 

केवल एक उपाय है स्वयं को परमात्मा तक  ले जाने की व्याकुलता पैदा करें ,आप  संसार के प्रति व्याकुलता क्रोध प्रेम और सुख दुःखदिखा रहे है इसलिए थोड़ी कसर है उसे दूर करें 

विश्व जिस महामारी से जूझ रहा है उसमें राष्ट्रीय भावना को सहयोग दे  क्योंकि जननी जन्म भूमि सैकड़ों स्वर्गों से अधिक महत्वपूर्ण है 

गुरु पूर्णिमा  के अवसर पर घर में रहे जिसका भी चिंतन ध्यान अभिषेक करते हो करें 
थोड़ा अनाज खाद्य पदार्थ ज़रूरत मंद को ज़रूर बाँटे 
अपने अपने चिंतन से विद्वेष को समाप्त कर  क्षमा और  विनम्रता अपनाए 

अंतिम  निवेदन यह है कि अपने घर से ही अभिषेक प्रणाम और ध्यान करें  भीड़ ना लगाए  नियमों का  उल्लंघन ना करें और अधिक सेअधिक फ़ोन पर बात करके हमें अपना सहयोगी बनाए रखें
शासन द्वारा ग्वालियर को शनिवार इतवार पूर्ण बंद रखा गया है उसमें सहयोगी बने 

जय माँई जय गुरुमहाराज आपकी सदा जय हो 

Saturday, May 2, 2020

एकांत की महा शक्ति (लॉक डाउन) Great power of solitude (lock down)

एकांत की महा शक्ति (लॉक डाउन)
Great power of solitude (lock down)

आबिद  को अभी शहर आए हुए कुछ अरसा ही हुआ था, एक लिपिक थे रेवेन्यू  के महकमे में ,दो पत्नियाँ और तीन बच्चे थे ,समय , शहर, ज़रूरतें बहुत बढ़ रही थी और तनखवाह इतनी कि बस काम ही चल पाता था, बेटा अभी ७ साल का ,बेटियां १४-१५ साल की हो गई थी , मगर स्कूल का  ख़र्चा मोबाइल और समाज में फैला आधुनिकता का  गणित सारी आमदनी पर एक ग्रहण  लगा ही देता था, कभी बच्चे  पिज़्ज़ा बर्गर मेकरोनि और मैगी की माँग करते, कभी पत्नी की मूक भाषा किसी होटेल में शादी की वर्ष गाँठ मनाने की माँग करती ,कभी कोई मेहमान आ धमकता, तो कहने का मतलब यह था कि ऐसे ही चलता था काम , बार कहा था आबिद ने नहीं करनी दूसरी शादी ,पूरे घर मेंकोहराम मच   गया था ,अनवर, मोहसिन ,ज़माल पागल है क्या चार  बहू वाला भरा पूरा परिवार है  , अब्बू पागल थे क्या जिन्होंने  की ४  शादी की ,मानते न मानते दूसरी शादी करनी पडी, अब कौन कहे क्या हालात है ,इन महिलाओं पर तर्क कुतर्क की  कमी  नहीं  होती है| गांव से अनाज आजाता था मदद करते थे सब, मगर कोई बीमार जो जाए या कोई खर्चा आजाये तो   बड़ी भारी तकलीफ होती थी ,अब्बू बताते थे ,तेरे नो भाई बहिने ख़त्म हो गये  थे क्योकि इलाज नहीं मिल पाया, यही अल्लाह का लिखा होगा , उन्हें मै यह  समझा नहीं पाया कि कम दायित्व  हो तो  जीवन की गुणवत्त्ता बढ़ जाती है ,|

इसी बीच  एक खबर आई कि चीन में एक फ्ल्यू  फ़ैल गया है और सारे उस क्षेत्र  को बंद कर दिया है ,सड़कों पर स्क्रीनिंग की जा रही है, जिसको बुखार खांसी जुखाम जैसे लक्षण है उनको सबको सुरक्षित और  अलग स्थानों पर बंद करकेरखा  गया  है ,लोगो का  कहना था  चीन के  वुहान शहर की जीवाणु लेबोटरी में कोई  वाइरस परीक्षण चल रहा था ,वहां से  लीक लीक हुआ था वो और  वहां सब बंद कर दिया गया ,मगर कुछ दिनों में ही ये पूरे शहर में बड़े स्तर पर पहुंच गया था लोग एक दूसरे की छुआ छूत से फैलता है ये ,चीन ने शहर तो लॉक किया, मगर वहां से जाने वाला ट्रांसपोर्ट चालू रखा, परिणाम दुनिया के सारे देशों में एक सोची समझी साजिश के तहत एक जीवाणु युद्द छेड़ दिया, गया जिसमे लाखों लोग मारे गए , अचानक जनवरी में भारत में पहला केस कॅरोना वायरस का पाया गया, हड़कंप मच गया था, मगर उसके बाद कोई ज्यादा प्रभाव दिखा नहीं ,भारतीय शासन प्रशासन इसकी योजनाओं में जुट गया, परिणा जब इसका प्रभाव मार्च के अंत में ज्यादा प्रभावी हुआ तो ,उसका कुछ कुछ संरक्षण हेतु निर्देश पहले ही मालूम हो चुके थे ,उनका अमल और जनता से प्रार्थना चालू की और उसके सकारात्मक परिणाम मिले |

आबिद और पूरा मोहल्ला शासन के लोकडाउन के कारण घर में ही कैद थे अभी २०  किलो आटा  था घर में, मगर ६ लोगो के परिवार में १५ दिन तो चलना ही चाहिए ,समय समय पर शासन द्वारा भेजी सामिग्री खरीद कर आज २ महीने पूरे होगये थे ,रशीदा ,जुबेदा अपनी पूरी ५ नमाजें कर  ही  रही थी , हम तीनों ने मिल कर यह तय किया बच्चों से कहा  कि वो अपना काम सीखें  और पढ़ाई ,खेल , ऑनलाइन लर्निंग , म्यूजिक और छत पर घूमने का अनुशासन मानेंगे तो खाना उनके हिसाब से ही बनाया जाएगा और उसमे भी मदद करना आवश्यक होगा , बड़ी सहजता से चलने लगा था जीवनघर घर के लिए पत्नियों द्वारा २०माक्स बनाये लगाया तो लोगो ने काफी तारीफ की आबिद ने और माक्स बनवा कर बब्बन की दूकान पर रखने का कहा तो वो तैयार हो गई ,जुबेदा रशीदा  नए कपड़ों के टुकड़ों से माक्स बनाने चालू किये ,दिन में दोनों मिल कर ५० माक्स  बना लेती थी, दूकान वालों से बात किया पहले उन्होंने १५ रुपये में माक्स खरीदा दोनो बेटिया कोई कोई फूल बूटे  बना देती थी तो वो माक्स ५० रूपये तक बेचा जाता था , सारे नए चादर , घर में पड़े नए कपड़ों के माक्स बनने लगे ,दूसरी तरफ बाजार से आने वाला सामान बंद सा हो  गया था केवल कुछ एक जरूरत का सामान ही आरहा था |

दो माह में ही सारे खर्चे का हिसाब देख कर, आबिद और पत्नी हतप्रभ थे कि लगभग  एक लाख रु की बचत हुई थी, तनखाह६०  हजार थी, बाहर से सामान न आना और जरूरत के किराने और बिजली पर केवल २० हजार खर्चा हुआ था ,पहली बार पति पत्नी को लगा कि हम पर पैसे की कोई कमी नहीं है, कमी है तो केवल एक सोच की जिसमे मन ने संतोष पैदा करना बंद कर दिया है , दो ढाई महीने में परिवार का कोई बीमार नहीं हुआ ,न बाहर का सामन आना न खाना पीना , पिछले सालों  में लाखों रु बीमारियों पर जाया किया गया था , परिवार को मालूम हो गया था कि यदि उन्हें एक समय में उन्नति संतोष और जीवंतता चाहिए तो ,वो अपने घर की बनाई चीजोंका प्रयोग करें ,आज उनका  माक्स बनाने का काम और तकनीक  दोनो बदल गई थी ,जुगाड़ की ऑटोमैटिक मशीन बनाली गई थी, और खादी कॉटनऔर अच्छे कपड़ों पर अच्छे परीक्षण किये जा रहे थे ,जो खूब सफल सिद्ध हुए कॅरोना महा मारी एक बड़ी सकारात्मकता लिए हमारे लिए सिद्ध हुई थी, तीन गरीब लड़कियों को इससे जोड़ लिया था और  कहा  था कि आप भी और लोगो को जोड़ो ंकपडा हम देंगे, डिजाइन भी हम बताएँगे  और यह तरकीब बाजार में खूब काम भी आयी |आबिद अपनी नमाज के बाद अल्लाह के सामने नतमस्तक थे हे मालिक जब सारी आशाएं टूट जाती है तब आपका निर्णय चालू होता है और वो कभी खराब नहीं हो सकता दोनों पत्नियों के साथ रोढ़ा था पूरा परिवार खुदा की मेहरबानी पर |

जैसे जैसे हमारी निर्भरता बाह्य संसाधनों पर आश्रित हुई उसके दुष्परिणाम हमें जल्दी ही भुगतने पड़े है ,बड़ी बड़ी कम्पनियाँ अपने प्रोडक्ट बाजार में लेकर खड़ी  हो गई है ,जिनका मूल उद्देश्य केवल लाभ कमाना था, फ़ूड चेन्स खुल गई ,रिप्रोडक्शन का रिवाज इतना चला कि उसके परिणाम दुष्परिणामों की जरूरत ही नहीं समझी गई , और कैसे भी लाभ कमाने की दौड़ में हम सारे मान दंड भूल बैठे , स्वाद ने स्वास्थ्य को खा लिया , नए युग की नयी नयी खोजों ने आदमी को तकनीक तो उपलब्ध कराई ,मगर उसके विषाक्त ,दूरगामी परिणाम अनेक गंभीर बीमारियां लिए खड़े थे, खाने ,पहनने और दैनिक जीवन चर्या में प्रयोग की जाने वाली हजारो प्रयोग की वस्तुओं ने जमीन पानी हवा और आकाश , तक को भयानक संक्रमित कर डाला , आज जब कॅरोना की वजह से लॉक डाउन में घर में बैठने को मिला, तब नयी रचनात्मकता , कम बीमारिया कम संक्रमण और हवा पानी आकाश औरजल संक्रमण में भारी कमी ,आपको यह चेतावनी अवश्य दे रही है ,कि आप इस लॉक डाउन से यह अवश्य सीखें  कि ,आपकी अधिक सुरक्षा घर में ही उपलब्ध है| यह सिद्ध हो गया है, कि महा प्रदूषण के एक मात्र जिम्मेदार आप है ,जिसके लिए आपको अपनी आगामी भूमिका निश्चित करनी चाहिए| 

कॅरोना सकारात्मकता और प्रभावी एकांत की शक्ति
  • समय का सदुपयोग करते समय एक समय  बद्ध  क्रियान्वयन हो क्योकि समय की लापरवाही जीवन को गलत मोड़ देने का एक मात्र कारण है |  
  • स्वयं में रचनात्मकता का बीज कभी ख़त्म न होने दे, क्योकि एक नियम यह भी है जब ,रचनात्मकता को मन में स्थान देते है तब  सम्भावनाये अधिक प्रबल होती है | 
  •  स्वयं को क्रियान्वयन और सफलता का   संकल्प  लेकर चलते  रहे ,यही  आशा वादिता एक दिन  आपको सफलता  के नए  मानदंड स्थपित   करने में  सहायता देगी  | 
  •  नया समय नई तरह की मांग  करता है ,उसके लिए समय  अनुसार खुद को परवर्तित करते रहे, जो समय की मान्यता  के साथ नहीं चल पाते उन्हें  ,समय हरा देता है | 
  • दुनियां  भर  साथ  चलते चलते आपको स्वयं  के साथ चलने  का मौका ही आया , परिणाम  आप कभी आत्म चिंतन करके अपनी शक्तियों और  कमजोरियों का कभी मूल्यांकन ही नहीं कर सके | 
  • स्वयं से साक्षात्कार  की प्रक्रिया आरम्भ कीजिये ,धीरे धीरे सब कुछ सहज हो जाएगा और आपको स्वयं अपनी विराट शक्ति  का अनुमान जाएगा | 
  • दरिद्रता या गरीबी  सीधा सम्बन्ध आपकी कार्य प्रणाली , आपका समाज के साथ व्यवहार तथा आपकी कार्य कुशलता भी  इसमें महत्व पूर्ण भूमिका अदा  करती है | 
  • जिस भी इष्ट को मानते हो आपको उसके साथ चलना चाहिए क्योकि हर धर्म आपको क्रियाशील और सकारात्मक कार्यों  जुड़ा हुआ देखना  चाहता है | 
  •  हर समस्या से अपने लिए भविष्य के उन सूत्रों का निर्माण अवश्य करें जिससे आगे आने वाले समय में ऐसी समस्याओं का सामना सहज हो सके मे| 
  • धैर्य , शक्ति और सकारात्मकता से हर समस्या का समाधान हो सकता है हर समस्या अपने साथ हल भी लेकर आती है उसका अध्ययन कर स्वयं का क्रियान्वयन तय करें सफलता अवश्य  मिलेगी |

Tuesday, April 28, 2020

गर्व करें पुत्रियों पर Be proud of daughters

गर्व करें पुत्रियों परBe proud of daughters
 वंश की परवरिश बड़े नाजों से हुई थी माता पिता दो बहिने और वंश बहुत
 बड़ा मेडिकल ऑफिसर था ,एक बड़ी दवा कंपनी में ,इंगलिश मीडियम स्कूल में पढ़ा
 लिखा था, ५ वर्ष पूर्व ही  उसकी शादी रश्मि से हुई थी, अपने करियर के 
लिए बेहद आशा बादी  था, बार बार बड़ेलोगो से तुलना करते करते अपने पिता
 को आकलन में बहुत छोटा मानता था , दो बहिने शिखा और ऋतु उससे छोटी
 ही थी, पापा प्राइवेट कंपनी में अकाउंट ऑफिसर थे ,ठीक था कोई कमी थी 
नहीं थी,जो लोन वंश  के लिए लिया था, चुका दिया गया था,पापा मम्मी और
 बहिने सब संतुष्ट थी , बहिनो की शादी की कोई बड़ी चिंता करते नहीं थे , 
 अरे जब कन्हैया ने दी है ,तो वो सारा इंतजाम भी राजा महाराजाओं जैसे करेगा
 ही न, उसमे कोई संदेह नहीं था उन्हें ,,क्योकि केवल अपना आदर्श कर्तव्य और
 ईश्वर भक्ति आती थी उन्हें,  है,शिखा  माइक्रो बाइलोजी में थी और ऋचा 
कम्यूटर साइंस की स्टूडेंट थी ।एक मध्यम परिवार की समस्याओं से पूरी तरह से 
समझ कर ,पिता माता की हर बात की साझी दार हो जाती थीदोनो बेटियां ,
 बहुत पास से देखी  थी उन्होंने पितामाता की चिताएँ।

रश्मि वैसे तो ठीक थी ,मगर वंश की तरह ही बहुत महत्वाकांक्षी थी, हमारे भाग्य मेंकेवल दायित्व ही रह गया है, क्या करेंगे सारा जीवन ऐसे तो काटेंगे नहीं न, वंश  एक मूक सहमति सा खड़ा दिखाई देता था, माँ पिताजी शांत थे ,ज़्यादामहत्व देते नहीं थे उन बातों को ,रश्मि ने बताया अमेरिका वाले चाचा जी बुलाए है ,दौनो  का जॉब लग ही जाएगा, ऐसा मौक़ा बार बार नही  आ पाएगा ,पिता जी ने बहुत विचार करके अनुमति दे दी ,माँ को कुछ ख़राब भी लगा ,मगर पिताजी ने शांत कर दिया,रश्मि को लगा चलो ये दांव बिलकुल निशाने पर लगा अब गुलामी से छुट्टी,शिखा ऋतु को केवल यह लगा ,कि भाई बहुत बड़ा आदमी है ,मगर अपने दायित्व से भागता सा नज़र आ रहा था , परंतु बेटियाँ तो खुद्दार पिता की ही थी न, जिन्हें अपने आप पर पूर्ण भरोसा था ही।


हमसब मिलकर भी माँ को यह नहीं  समझा पाए  कि, भैय्या ने अपनी जॉब बदल कर ठीक किया, वो हमेंशा यही कहती थी बेटा कुछ पापा का हाथ  बँटाता तो अच्छा था ,पापा कई बार यही समझाते रहते थे ,कोई कमी है क्या किसी तरह की कोई समस्या दिख रही हो तो बताओ, वंश को बहुत ऊँचा पहुँचने का सपना है ,जाने दिया न इस लिए उसको, ज़्यादा कहाँ सहयोग मिला उससे ,वो तो यहाँ रहकर भी कितना मिल पाता था हम लोगो को ,  रहा सवाल  बेटियों का तो अम्माँ पहले ही इतना इंतज़ाम कर गईं है कि, हम चार बेटियों की शादी कर सकते है ,इसी लिए आज तक वह सोना हमने छुआ भी नहीं है।लाख तरह से समझाते थे माँ को नहीं समझ आता था ,कुछ फ़ोन तो नहि आया बहूँ का, वश से बात हुई क्या ,सबसे पूछती फिरती थी, कई बार फ़ोन लगाया भी माँ से बात करने को, भाभी कह देती थी सो गए वो, अब माँ को भी अंदर से समझ आगया था कि, उनका बेटा बहुत दूर निकल गया है ।

एक दिन  सुबह माँ उठीं  नहीं देखा तो साँस चल ही नहीं  रही थी, हाथ में वंश की बचपन की तस्वीर ज़रूर थी ,,डॉक्टर आए बताया सदमे में ऐसा हार्ट फ़ेल होता है, शी इज़ नो मोर, कह कर आगे चले गए ,हमारे परिवार पर एक महा संकट छा गया था ,कोई विकल्प था ही नहीं था हम पर ,वंश और रश्मि को बहुत फ़ोन लगाए ,नहीं  लग पाया था फ़ोन। पिता जी ने निर्णय लिया अब जैसी प्रभु की इच्छा , भीड़ बहुत थी पिता जी को  बहुत  समझाने पर भी शिखा ऋचा ने यही कहा माँ ने हमें बेटों जैसे पाला है ,हम भी जायेंगे शमशान और एक नयी परम्परा डालते हुए वे माँ के सभी कर्मों को सहजता से पूरा करने में लगे रहे, और जीवन अपनी सहजता लिए फिर चलने लगा।

ऋचा और शिखा का कोर्स ख़त्म होगाय था शिखा ने राज्य सेवा की परीक्षा दी थी ऋचा केम्पस चयन में एक बहुतबड़ी कम्पनी में  कम्प्यूटर प्रोग्रेमर की  जगह १२,००,०० प्राप्त करली थी पिता   और पूरा परिवार बहुत ख़ुश था, और जिसका इंतज़ार था वह परिणाम भी आया शिखा ने राज्य सेवा परीक्षा में टॉप किया था और यह इस परिवार के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, एक ही दुःख था कि आज माँ हमारे साथ इस सुख की भागीदार नहीं हो सकी, जीवित अवस्था में लाख कोशिश कर के भी माँ को यह नहीं  समझा पाए कि , जो है उसपर गर्व करो,पिताजी कहते थे ,कि हम तुम्हारे लिए सब कुछ ला सकते है ,जो तुम्हें सुख दे ,मगर हम उस वंश में तुम्हारे प्रति माँ का प्यार कहाँ से लाएँ, समझ नहीं  आता था  और बहुधा हम सब इस बिंदु पर आकर दुखी हो जाते थे।


कई माह बाद शिखा पर वंश का फ़ोन आया पूछा ओर सब कैसे है ,हम लोगों को कम्पनी ने आइलैंड का पकेज दिया था, बिना कुछ बोले फ़ोन पिताजी को दे दियागया , फ़ोन माइक पर था ,वंश बोले जा रहा था बड़ा अच्छा प्लेस था, पिताजी हूँ  बोलते  रहे ,अचानक उसके पूछने पर माँ कहा है ,पिता ने गंभीर सवार में कहा, वो नहीं  रही, उधर से आवाज़ आनी बंद हो गई, बिलकुल ठंडा मृतप्रायः सा जबाब देते पिता बोले बेटाबहुत सालों बाद फ़ोन किया तुमने ,अच्छा छोड़ो ये बात बोलो क्या काम से फ़ोन किया,वहाँ से आवाज़ में गिड़गिड़ाने का स्वर था चाचा जी ने हमें धोखा दिया है,३  साल की परमिशन लेकर हमसे ५ करोड़ रुपए लिए है ,अब हमें वापिस आना होगा ,आगे फिर बीजा मिलने की सम्भावना नहीं है,पिता ने कहा हाँ बेटा मै ५ मिनट से बात करता हूँ ,कोई आया यह कहकर उन्होंने फ़ोन किया रखा और बेटियों की तरफ़ आँसू भर कर बोले ये प्रेम है इसका माँ से बेकार मरती रही जान दे दी ,अच्छा बताओ बच्चों ,हमें क्या निर्णय लेना चाहिए,बेटियाँ पिता से लिपट कर रोने लगी ,कहा हम माफ़ करने वाले कौन  है माँ  तो गई न, पिता को सारे उतर मिल गए थे, फ़ोन की घंटी बजी पिता ने कहा हाँ  बेटा ,वंश बोला यदि आप यह पुश्तैनी मकान बेच कर मुझे एक आध करोड़ की मदद कर देते, तो हम लोग आगे का जीवन जमा लेंते , रश्मि ने भी गिड़गिड़ा कर साथ दिया था ,पिता बोले बेटा ये रोंग नम्बर है ,बहुत देर में फ़ोन किया आपने आपकी माँ आपके एक फ़ोन के इंतज़ार में कितनी छटपटाई है नहीं जान सकते तुम ,आप जिस वंश की बात कर रहे है , उसे मरे हुए तीन साल हो गए है, उसके ही ग़म में उसकी माँ की मृत्यु हो गयी, हमने  दौनों के डेथ  सर्टिफ़िकेट पूरे समाज में बाँट दिए है ,यह कह कर फ़ोन रख दिया पिताजी ने,बड़ी देर रोते रहे हम सब इस नयी अंत्येष्टि पर ।


जीवन को जीने का बस एक ही सिद्धांत है किउस जीवन की कितनी जीवंतता का प्रयोग आप कर पाए है  ,वस्तुतः हम केवल अपनी सांसारिक उपलब्धियों को जीवन मान बैठते है,   जबकि वह जीवन हो ही नहीं सकता ,जीवन का आशय है आप किस तरह का, कैसे और किस  गुणवत्ता का जीवन जिए ,आपने अपने अतिरिक्त किसी के लिए क्या परमार्थ किया और क्या आप संसार के सुख का कारण बन पाए या नहीं , हम जिस जीवन परिवेश में पैदा हुए वहां प्रश्न पुत्र पुत्रि यों का नहीं है ,वहां प्रश्न है कि  आपमें परिवार  स्वजनों और एक अच्छे इंसान बनने के गुण  है या नहीं, यदि आपमें सकारात्मकता है तो निश्चित आप जीवन की दौड़ में स्वयं को सिद्ध कर पाएंगे।


ईश्वर ने जीव का निर्माण किया  और उसमे राक्षस से देवता बनने तक के पैमाने और कार्य भी तय किये, आपने और समाज के एक वर्ग ने उसमे परिवर्तन कर उसे अपने अनुरूप तय करने का काम किया ,जीव का लिंग उसके विभेद का कारण हो ही नहीं सकता ,जिस शक्ति की आराधना में हमें यह लिखना पड़  रहा है कि ---
नहिं तव आदि मध्य अवसाना , अमित प्रभाव वेद नहीं जाना
भव भव विभव पराभव कारिणी  विश्व्व विमोहनि स्वबस विहारनि
अर्थात संसार तेरा आदि अंत है ही नहीं, तेरे  हिरण्य गर्भ  से ब्रह्मांडों के निर्माण होते है ,और एक काल बाद तूही काल बनकर ब्लेक होल के स्वरुप में ब्रह्माण्डों का निरंतर अंत करती है, फिर आपको यही मानना पड़ेगा कि जो भी सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों का रचना कार है, वह तेरी ही शक्ति से संचालित है और तू जीवन का एक मात्र कारक है।




जब भी आकलन का प्रश्न हो निम्नांकित पर अवश्य ध्यान दें
  • जन्म के समय से गर्व करना सीखे क्योकि बच्चे का जन्म स्वयं में एक बड़ा त्यौहार है , पुत्री से लक्ष्मी और पुत्र से सहयोग की आशा कर सकते है।
  • सामाजिक भेद को भुलाये हर एक घटना के पीछे ईश्वर की एक तय योजना होती है उसका सम्मान करें।
  • शिक्षा  और परवरिश में किसी भी तरह का भेद आपकी तमाम शांति नष्ट कर सकता है.
  • पुत्र की तुलना में पुत्री में ममत्व ,वात्सल्य ,परवरिश , दया धर्म सहष्णुता ज्यादा होती है जबकि पुत्र ज्यादा व्यवहारिक हो क्र करीब काम हो पाता  है। 
  • पुत्रियां ज्यादा सशक्त भूमिका समाज में निभा पाई है ,जहाँ कार्य योजना का प्रश्न है  वहां अधिक अनुशासन बढ़ तरीके से कार्य आकलन करती प्राप्त हुई है | 
  • सफल पुरुष के पीछे किसी स्त्री के हो ने की कहावत का आधार यही है कि  वह उस पुरुष की प्रोत्साहक और अनुशासन के मूल में रही होगी | 
  • पुत्र में सहज  गुण तुलना स्वयं को दिखाना और अपनी ही समस्याओं को लिए आगे बढ़ाना है पर  पुत्रियों का साथ जिसके साथ भी हुआ वे उसकी समस्या से जुड़कर समाधान ढूढ़ने लगती है। 
  • जिस परिवेश में पुत्रियों का सम्मान नहीं हुआ वहां हमेशा संसाधनों की कमी हो जाती है या पतन का आरम्भ हो जाता है | 
  • स्त्री सम्मान इस बात का प्रतीक  है की वहां एक दैवीय शक्ति विद्धमान रहती है और जहाँ अवहेलना चालू होती है वह दुर्भाग्य स्वयं आरम्भ हो जाता है | 
  • ज्योतिष सिद्धांत कहता है पुत्री की प्रताड़ना , दुर्भाग्य -संतानहीनता ,पति द्वारा ास्त्री का अपमान शरीर -सुख -कार्य  को ख़राब करता हुआ रोगकारी बनाएगा ,| 
  • स्त्री प्रताड़ना किसी भी स्वरुप में की जाए वह सौभाग्य शान्ति , सहजता कार्य और  घर की अब सब ख़त्म करने में सक्षम है |

Friday, April 24, 2020

करोना प्रवास और भारतीय मूल्यkarona migration and indian values

 करोना प्रवास और भारतीय मूल्यkarona migration and indian values 
छोटा सा गाँव था हमारा, ज्यादातर कृषि काम गार ही थे , ज्यादा विकास   नहीं पाया था ,साल में एक दो बार सारे पैसे ख़त्म होजाना एक आम बात थी ,एक दूसरे की सहायता से अनाज लेना ,सरपंच और  पैसे वालों के यहाँ काम करना सामान्य बात ही थी, पांच वर्ष पहले गाँव में एक शादी के कार्य  मुरारी  बाबू आये ,बड़ी सेवा की  थी सबने, दिल्ली  कोई  काम करते थे, बात बात में कहने लगे चलो बड़ा काम चालू हो रहा है ,पांच सो रुपया और खुराक रहने की  जगह सब देंगे ,सपना सा था यह सब, खलबली मच गई गांव में तैयार  हो गए थे दस  बारह  लोग, शर्मा ,बोहरे ,राजू  बिरजू शाक्य ,मुन्ना पठान और रहीम दोनो भाई ,सुखिया और राज अरोरा तथा और गुप्ता और विलियम्स ,व तेजा आदिवासी भी साथ हो लिए ,काम पर, पहुँचते पहुँचते डेढ़ दिन लग गया बस से,सारा  इंतजाम हो गया था हम सबका ,दिल्ली तो कमसे कम ढाईसौ कोस   होगी न गांव से |

 पांच साल से नयी नयी बिल्डिंग पर काम करने  पहुँच ही जाते है हम लोग, कुल मिला कर बारह पंद्रह आदमी काम पर बने ही  रहते थे  ,इतने सालों में तनखाह अच्छी हो गई थी ,काम का और शहर का भी अंदाज हो गया था, तो ज्यादा तकलीफ नहीं होती थी ,घर वालों को काफी सहारा हो गया था ,मुरारी जब कभी जरूरत हो पैसा दे ही देते थे, अलग अलग जगह का काम लेकर वही  रहने खाने की व्यवस्था होना,  पार्टी होना और रात में घोड़े  बेच के सो जाना ,अचानक एक रात खबर मिली कि चीन में कोई कीड़ा वायरस , चमड़गादर और सांप  खाने से फ़ैल गया है ,समझ में कुछ नहीं आया कि ये कोई ये खाने की चीज  है क्या, पर खबर यह लगी कि वहां लाख पचास हजार आदमी मर गया है |और एक दुसरे को छूने से फैल जाता है | 


खबर की गंभीरता का कोई असर नहीं था हमे ,जानते ही नहीं थे कुछ ,मुन्ना बोलै उटपटांग चीजे खाओगे  तो अल्लाह का कहर टूटेगा न  , उन चपटो को मिला नहीं कुछ ,  शर्मा जी बोले खाये साले ये भुगतें हम , बोले अरे छोड़ों वाहे गुरूजी का  खालसा सब ठीक होगा ,,विलियम्स बीच में बोलै आज जाता हूँ ,चर्च कुछ कुछ अच्छा ही होगा , डरे हुए थे सब ,शाम होते होते सब अपने अपने धर्म स्थानों की शरण में पहुँच गए , पूरी ताकत से अपने अपने  अल्लाह ,भगवान् ,गुरु ,और क्राइस्ट को मनाने  लगे, देर रात को सब इकठ्ठा हुए, कुछ कुछ प्रशाद लेकर आपस पे  बांटा गया और आधे आधे डर में  सब  सो गए , रात २ बजे मोरारी बाबू  आये बोले कल से सारा बाजार काम सब बंद कर दिया गया है ,  दिल्ली में भी पहुँच गया है कॅरोना बहुत लोग मरे  है , और कोई आदमी अपनी जगह छोड़ कर नहीं जा सकता ,जहाँ हो वहीँ रहो उसी से बचाव है , नाक से मुँह और आखों से फैलता है ये ,कोई चीज बीमार छूले और उसे तुम छुओ तो तुम्हे भी हो जाए,  जैसा प्लेग , छुआछूत का बुखार , चेचक और छूत  का रोग होता है वैसा ही | मोरारी बाबू ने यह भी कहा  आज से कोई ज्यादा मदद नहीं कर पाएंगे हम ,अभी इतना ही पैसा है लेलो बाँट लो , यह कह कर मुरारी बाबू आठ नोसौ रुपया हरेक को देकर निकल गए ,पैसा तो बहुत जमा था हमारा उनपर, पर खैर देखा जाएगा |


खाने का सामान ख़त्म होगया था, एक फ़ोन नं  देगये थे मुरारी बाबू ,सो उस फ़ोन पर बताया हम १४ लोग इस बिल्डिंग में फँस गए है ,बाबूजी २ दिन से रोटी नहीं मिली, आप कुछ मदद करो उन्होंने तुरंत ३ नंबर हमे लिखवाये ,दो बंद थे ,  तीसरे पर कोई बैठा था, वो बोला , नौकर है तुम्हारे क्या रात दिन होगया ,तुम जहाँ से बोल रहे हो ४० किलो मीटर है ,देखेंगेबाद में , कह कर फ़ोन पटक दिया गया ,मोबाइल फ़ोन पर मुख्य मंत्री मीटिंग ले रहे थे ,हमने छै लाख लोगो को खाना  बांटा है ,मुन्ना दौड़ के छुपते छुपाते पीछे की मस्जिद में  पहुंचा, मौलवी साहब के घर भी काम कर आया था ,एक बार में सब बताया , मौलवी साहब ने १० रोटी और थोड़ी सब्जी बांटने वालों से लेकर देदी ,अरोरा गए गुरुद्वारे ,उन्होंने भी काम किया था, बोले कुछ  मदद करो, ग्रंथि बोले कुल आठ रोटी रख है  लेलो ,बड़ी ख़राब स्थिति है बेटा , पर रोटी लेकर लौटते में भी पुलिस के चार छे डंडे खाने ही पड़ें | भूख और डंडे क्या कहिये दोनो के अलग अलग तकलीफें है ,उस तीसरी रात एक डेढ़  रोटी मिली सबको ,सोचा यहाँ मरने अच्छा तो हम अपने घर को निकल चलें पंडित शर्मा बोले ढाई सो कोस ज्यादा होता है पर सब बोले  दस दस कौस भी सुबह शाम  चले तो पहुँच ही जाएंगेयहाँ तो मरना निश्चित है , गांव में कुछ नहीं तो खाने की कमी तो नहीं है न ,|


अचानक खबर मिली बस जारही है, दौड़ के अपनी अपनी पोटली लेकरदौड़  चले हम सब भी ,मालूम हुआ खबर झूठी थी और पुलिस वलोवालों ने खूब डंडे चलाए,हम सब भाग कर सामने की पहाड़ी पर चढ़ गए,  दो  सायकल थी हम पर, सोचा पहाड़ी पहाड़ी ,ऐसे सीधे चलेंगे हम, एक आदमी सारी  पोटली और सामान लेकर साथ चले और दूसरा आगे आगे पगडंडियों पर चलकर यह बताये की रास्ता ठीक है ,और खाने का कुछ जुगाड़ है क्या , सुबह से दोपहर हो गई थी सायकल वाले ने बताया ८ कोस बाद एक गुरु द्वारा है , वहां और दो  घंटा चल कर पहुँच गए ,गुरु द्वारे वाले संत जी अच्छे  आदमी थे ,वे बोले   बूढ़ा आदमी हूँ , अरोरा उसके पांव दबाने लगा एक शब्द सुनाने लगा ,शर्मा जी रोने लगे बाबा जी ४ दिन में डेढ़ रोटी खाई है , बेटा  बना लो आप , सबने बनाया भोग लगाया और पेट भर खाना खाकर चल दिए वो संत जी क्या थे कहीं के राष्ट्र पति से बड़े जान पड़े थे वो , बाबा ने बची १५ -२० रोटियां भी दे दी थी |

उस रात ३ बजे तक चलते ही रहे थे हम, एक खंडहर जैसा था उसकी पटियों पर सो गए थे हम , ८ बजे चरवाहों मवेशियों की आवाज से जागे पूछा दिल्ली कितनी दूर है, आगंतुक बोल ३० कोस , बाबा की रोटियां बाँट कर खाई गई और अगले सफर पर फिर चल दिए, ३ घंटे बाद सायकल वाले ने बताया एक मोहल्ला है यहाँ, उसके साइड से निकल चलो बाहर बड़ी मस्जिद है ,मुन्ना बोले  सायकल हमें दो ,एक घंटे से नमाज का टाइम होने को है, हम करते है कुछ इंतजाम ,एक कह कर मुन्ना रहीम आगे निकल  गए , मुन्ना और रहीम ने नमाज से पहले ही गाँव के बुजुर्ग को बताया ऐसे भूखे प्यासे भाग रहे है ,रहम करो कुछ हो जाए तो , अचानक वृद्ध के आँखों में आंसू आगये ,क्योनही बेटा करता हूँकुछ , बंटवारे के समय जब हजारों उन्मादियों ने हमें घेरा ,तब एक पंडित जी ने ही हम ७ लोगों को बचाया और महीनों छुपाये रखे , अल्लाह ने मरने से पहले नेकी का मौका दिया है ,हम जरूर करेंगे मदद ,नमाज ख़त्म होगई  थी, मुन्ना ,रहीम और मियां जी का लड़का जावेद ,खाना लेकर पहाड़ी पर खाना खिला रहे  थे बांकी बचा उसे भी फिर बांध गए थे|

अनवरत चलने की प्रक्रिया चालू रही फिर तीन दिन खाने का एक टुकड़ानहीं मिला , २-४-२-४ बिस्कुट आदि से समय  निकलना पड़ा ,क्योकि गाँवों में भी पुलिस घूम रही  थी ,छठवे दिन ऊपर पहाड़ी से सायकल वाले ने बताया  कोई चर्च का घंटा बजा है ,तुरंत विलियम्स ने सायकल ली और चल दिया लोगो को कहा कि ,आप आराम करो मै  देख कर  आता हूँ ,सुबह का समय था ,शायद रवि वार ही था ,काफी सख्ती के बाद ४-५ लोग ही रहे होंगे चर्च में ,विलियम्स वहां पहुंचे , प्रार्थना की और प्रार्थना करते करते मन में भाव आया, कि घर पहुँच भी पाएंगे कि नहीं ,आँखों से आंसू बहने लगे ,प्रार्थना ख़त्म होने पर पादरी बोले बेटे काफी परेशां हो,   ----हाँ  फादर पूरी कहानी सुनाई और बताया की पिछले चार दिन से भूखे है , फादर ने खा लो थोड़ा खा लो ---विलियम्स ने खा नहीं फादर हम १२ लोग है , लगा प्रार्थना कर लू तो आगया था थैंक्स आपका ,सब सुन कर फादर  की आँखें भी भर आई , उनके पीछे उनकी १५ वर्ष की बेटी अचानक आई, उसके हाथ में बहुत बड़ा केक था ,फाथर कुछ बोलते उससे पहले बोली, मैंने सब सुना ,कल मेरा बर्थ डे है ,मगर कोई आना कहाँ है लॉक डाउन है , ये अमेरिका से दीदी ने भेजा है मुझे, जरुरत नहींहै ,जीसस ने इसलिए ही इतना बड़ा केक भेजा है ,विलियम्स और पादरी दोनों निरुत्तर थे आँखों में आंसू लिए खड़े थे और विलियम केक लेकर चल दिया था,ये सोचते हुए किसको है इतनी चिंता हमारी | 

आखिरी दिन और चलने की हिम्मत दिखानी थी ,गाँव से १० कौस दूर दुर्गा मंदिर की पहाड़ी पर  हम पहुँच गए थे ,पंडित जी दूर से देख कर जोर से चिल्लाये ,राजू ,बिरजू ,शर्मा तुम कहाँ से आ रहे हो ,बाबा  की प्रेम भरी बाते करते देख सब जोर जोर से रोने लगे थे,  किसी ने कई सालों से इतने अधिकार और प्यार से बात हीकहाँ की थी, अधिकार से बाबा डांटते हुए बोले ,एक तो दूर दूर बने रहना ,अपना अपना अंगोछा साबुन से धोके सूखा कर  मुँह पर बाँध लो और सामान वहां रखे दे रहे है अपने हाथ बनाओ और खाओ अबकाहे की चिंता माँई तुम्हे सकुशल ले तो आई है , है इतना जरूर जान लो की दूर दूर बने रहना ,घर खबर करा देते है गांव में नहीं जाना है अभी तुमको १५ ,दिन गांव के पास वाली पहाड़ी पर जो राजा का खंडहर है ,वहीँ रहना,सामान सब पहुँच जाएगा नहर है सो पानी की कमी नहीं है ,नहीं  तो यदि रोग हुआ तो ,गाँव में भी फ़ैल जाएगा ,बात समझ आ गई थी ,सब अपने अपने हिसाब से बचाव करते हुए गांव के पास वाले पहाड़ी पर डेरा डाल दिया था   , गांव का चरवाहा आने से पहले सामान रख आया था ,सारा गांव संकल्पित था गावके लोग लगे थे अथितियों को क्वारेंटाइन कराने में। 

कौन सी संस्कृति और किस  जाति  धर्म और व्यवस्था की बात की राज नीति कररहे हैलोग , आप हिन्दुओं मुस्लिमों और ईसाइयो और पंजाबियों को लड़ाने की नाकारात्मक सियासत,के आलावा क्या कर पाए है और इससे किसीको कुछ हासिल भी नहीं हुआ है   ,आज तक जहाँ तक आप सियासत  और सामाजिक सहृदयता की बात करते है ,वह तो हो ही नहीं सकती न ,उदाहरण बड़ा ह्रदय विदारक था ------यदि सियासत में आप मानवीयता ढूढ़ने का प्रयत्न कर रहे है तो आप अपना समय व्यर्थ गँवा रहे है ,सम्राट ने अपने सारे भाइयोंको क़त्ल करा दिया, पिता को बंदी बना लिया, राज्य पर कब्जा कर लिया , और एक शासक तो ऐसा भी रहा जो अपने नमाज करते भाई का सर कटवा मंगवा लिया फिर सिर देख कर कई घंटों रोया ----और बोला तू भाई है उसका दुःख है ,मगर तू राज्य के लिए प्रति द्वन्द्वी है इसलिए ये हत्या भी जरूरी है ------- ये है सियासत और मेरी कहानी है असली भारत | 


कहानी के अनुकरणीय बिंदु 
  • जीवन का संघर्ष हर कदम पर नया हल माँगता है आवश्यकता यह है कि आप हर परिस्थिति के लिए तैयार रहें 
  • कोई भी कार्य कठिन नहीं हो सकता ,जब समस्या बहुत बड़ा पहाड़  सा विशाल काय बनकर खडी  होजाती   है तो उस  चुनौती को  इतने छोटे छोटे भाग में बाँट दो, कि उसका स्वरुप और विशालता ही ख़त्म हो जाए | 
  • दुनियां में उस मालिक ने सबको अपने अपने हिसाब से शक्ति दी है ,और उसका सदुपयोग और समय के अनुसार सकारात्मक निर्णय लेना आवशयक है | 
  • जब ईश्वर ने आपको जन्म दिया है ,तो उसे आपकी परवाह भी है, लेकिन आप ऐसा करें जिसमे सम्पूर्ण मानवता का हित हो | 
  • जाति , , धर्म वर्ण और विभेद ये आपकी शक्ति है, कमजोरी नहीं, आप इन को अपनी कमजोरी न बनाएं ,आप जिस परिवेश में  पैदा हुए है उस पर गर्व करें | 
  • राज्य धर्म सबसे बड़ा धर्म है आप जिस देश समाज और व्यवस्था में पैदा हुए है, उनके नियमों का अनुशासन का पालन करे उसके बाद अपने धर्म का निर्वहन करें | 
  • जाति धर्म की सियासत न की जाए ,क्योकि यहाँ स्वय से अधिक दूसरों की आलोचना में लोगों की रूचि है ,इन सबसे नकारात्मकता का माहौल स्वयं केलिए पतन का कारण बन जाता है | 
  • स्वयं पर विश्वास बनाये रखिये अन्यथा मिली हुई जीत भी ,पल भर में असफलता बन जाती है 
  • संकल्प की शक्ति को जगाये रखिये ,उसे इतनी बार दोहराइये कि  वह आपने सत्य आपके सामने प्रकट करने लगे 
  • हर पल इसे याद रखिये आपको जिसने जन्म दिया है ,उस मालिक को आपकी बहुत अधिक फिक्र है, और उसके हिसाब से समय के साथ जो परामर्श आपको दिए जाते है ,उन पर अमल करें ,क्योकिकेवक आप में ही नहीं सब में ईश्वर का अंश है | 

Wednesday, April 22, 2020

अपनी सफलता और शक्ति सिद्ध करें PROVE YOUR SUCCESS AND POWER

अपनी सफलता और शक्ति सिद्ध करें
 PROVE YOUR  SUCCESS AND POWER

मेरा नाम शुभ्रा है ,कुल मिला कर परिवार मैं  पिताजी माँ और भाई चार ही लोग थे , पिताजी  आबकारी विभाग में एक विभाग के विभागाध्यक्ष थे, पूर्णतः ईमानदारी की प्रति मूर्ति ,लोग उनकी जगह जगह प्रसंशा करते रहते थे ,लोग यह जानते थे की दुनियां इधर से उधर हो सकती है , मगर हमारे जानकी बाबू कभी एक पैसे के बेईमान नहीं हुए, इस लिए कोई भी विभाग का नया आई ए एस अधिकारी आता था ,तो वो बड़े सम्मान की दृष्टी से जरूर मिलता था बाबूजी  से ,और जीवन कम साधनों में भी बहुत अच्छे से चल रहा था ,माँ का तो क्या कहना, हमेशा अपने काम ,पूजा और व्यवस्था में ही लगी रहती थी, पूछती रहती थी बेटा  आज क्या बनाऊं, क्या पहनूं क्या करूँ , कभी कभी झल्ला पड़ती थी करलो जो मन में आये , ये भी कोई पूछने की बात है ,बेचारी चुप होकर अपने आप को  दूसरे काम में लगे रहने का या दिखाने प्रयत्न करने लगती थी ,फिर बाद में मुझे ही लगता था , गुस्सा तो बहार अपने दोस्तों से लड़ाई का था ,इन पर क्यों चिल्लाई ,मन अंदर तक भीग जाता था दुःख से ,पर कह ही नहीं पाती थी | 

कॉलेज में पंकज अकेला निकटतम मित्रों में था, हम दोनो एम् ए इंग्लिश फाइनल के छात्र थे ,पंकज नागपुर से मुंबई आकर अध्ययन कररहा था और पिछले डेढ़ साल में हमने बड़ा अच्छा समय बिताया था ,मेरी डिवीज़न हमेशा क्लास में फर्स्ट ही आती रही और इसकारण ही पंकज मेरे संपर्क में आया था,फाइनल एक्जाम अभी हो चुके थे थीसिस जमा करदी गई थी, रिजल्ट के बाद सोचती यह थी कि, पीएच. डी करुँगी, क्योकि हमारे यहाँ आर्थिक तंगी की वजह से कोई ज्यादा पढ़ ही नहीं पाया था | 

 कॉलेज की केंटीन में आज बड़ा भारी हो हल्ला था ,शुभ्रा ने  पंकज के  जन्म दिन के उपलक्ष में बड़ा इंतजाम किया था ,सारी केंटीन को  अलग ढंग से सजा दिया गया था, और तीन वर्षों की अच्छी दोस्ती में ये तो बनता था न , हल्की ड्रिंक पार्टी , खाने  का बड़ा इंतजाम और म्यूजिक पार्टी का आनंद ही कुछ और था ,बड़ी देर चली थी पार्टी, ख़त्म होने पर पंकज ही उसे घर छोड़ गया था , छोटा भाई नुकुल जो कुल १२ वर्ष का था सातवींकक्षा में पढ़ रहा था ,इन्तजार ही कर रहा था, फोन करते ही उसने है दीदी आओ खोलता हूँ दरवाजा ,बिना आवाज के दरवाजा खोला और दबे पाँव से दोनों अपने कमरे में आगये और थोड़ी थोड़ी बात करके तेज नींद में सो गया था नुकुल, देर तक पंकज बात करता रहा लाख कसमें वादे और जीवन  के तमाम  सपनों  साथ मैं  सो  गई थी | 

समय बीतता गया अचानक दरवाजा बजा  ,एक अंकल आये  पिताजी लिपट गए उनको ,उन्हें देख कर माँ भी खुश हुई, बोली देवकांत बाबू आपको १० वर्ष  बाद देख पाएं है हम लोग, खाना नाश्ता और बातों के दौर चलते रहे , अचानक बाबूजी ने पूछा देवकांत कैसे आये हो ,क्या  नाग पुर  में आपको  कोई   काम था बता दिया होता ,  हमारे विभाग में  जो कमिश्नर आये है न ,उनके भाई विक्रम सिंह है ,उनका लड़का  पंकज यहाँ वि. वि. में अंग्रेजी में एम् ए  कर  रहा है ,उसका गौना का कार्यक्रम चल रहा था ,वो कहे क़ि  मार्कशीट हम ले आये तो सोचा  ठीक है , शुभ्रा ने झपट कर कागज हाथ से लिए ,ऐसा लगा हजारों बाल्टी पानी डाल  दिया हो किसीने उस पर ,फोटो समेत वो सारे कागज़ पंकज के ही थे ,देवकांत बाबू ने बात ही बात में बताया कि शादी के १२ वर्ष बाद हो रहा है गोना , बदहवासी में यही पूछ बैठी मैं चाचा जी ,आप इनको जानते तो हो न ,हां बेटा अच्छे से ये ही तो छोड़ गया था बस पर हमें  | अब कोई प्रश्न बाकी ही कहाँ रहगया था ,मुश्किल से दो रोज बिना खाना पानी  के निकले सब परेशां थे ,अचानक नुकुल ने आकर बाबूजी को कहा दीदी ने जहर पी लिया है ,अभी हांल रो रही थी ,माँ बाबूजी चिल्ला चिल्ला कर रो रहे थे और जैसे तैसे वो अस्पताल लेकर पहुँच गए थे शुभ्रा को | 

जिले के सबसे बड़े अस्पताल में सबसे सीनियर डॉक्टर रॉबर्ट  का कमरा सामने ही था  आई सी यूं के,एक  डॉ को बुलाया गया था ,डॉ राबर्ट कुछ पल देखते रहे शुभ्रा को ,अचानक जोर जोर से चिल्लाने लगे जल्दी करो,ओ टी में लाओ ,जल्दी पूरा स्टाफ भागने लगा ,ओ टी में जाते ही डॉ रॉबर्ट ने दो नलिया पेट में डाली हुए पूरे पेट को अंदर से धो डाला , बेहोशी के लिए जल्दी जल्दी एंटी डोज दिए और जोर से चिल्लाये ये दवा भी नहीं है ,जाओ दवा वाले से बोलो डॉ रॉबर्ट करेंगे पेमेंट ,३ घंटे बाद शुभ्रा को हल्का हल्का होश आया था ,देखा डॉ रॉबर्ट अभी भी  दूर एक कुर्सी पर बैठे मेरी और अलपक देखे जा रहे थे ,मेरी हलचल से वो दौड़ कर आये , नर्स डॉक्टर्स की भीड़ लग गई हर्ष नाद सा था, एक  डॉ बोल रहे थे, सर आप तो सुबह से घर नहीं गए थे , ये तो सर चमत्कार है ,डॉ रॉबर्ट ने बड़े प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरा था बड़े आश्चर्य मैं उनके छुपे हुए आंसू देख पाई थी,जाते जाते बोले गुड नाईट यंग विनर लेडी , जूनियर डॉ कह रहे थे जब आप लोग ८ बजे आये तब डॉ रॉबर्ट जा ही रहे थे घर, पता नहीं किसी का फ़ोन आया या आप उनके कोई रिश्तेदार है ,वो आपके लिए ऐसे ही लगे रहे थे ,इस समय वो पूरे अस्पतालों के डायरेक्टर है | 

 दूसरे दिन एक संभ्रांत सी महिला और डॉ रॉबर्ट मेरे कमरे में आये, कैसी है हमारी यंग विनर लेडी ,मैं हंस दी थी, माँ पिताजी के कुछ समझ नहीं आया यह चमत्कार ,डॉ अपने काम पर चले गए थे ,मैंने उस महिला की तरफ विस्मय भरी नजरों से देखा वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली रिलेक्स एक बड़ा फूलों का गुलदस्ता रख कर बोली बेटा तुम यह जानना चाहती हो कि  डॉ रॉबर्ट इस तरह से क्यों परेशां हुए तुम्हारे लिए साथ क्या  रिश्ता है , बेटा हमारे तुम्हारी तरह एक बेटी थी मोना ,वह आई पी एस की तैयारी कररही थी ,उसके किसी दोस्त ने धोखा दिया था उसे, गम सुम सी रहने लगी थी वो ,एक रात ऐसे ही उसने जहर खा लिया ,आज से एक साल पहले बिलकुल तुम्हारी तरह थी वो ,डॉ रॉबर्ट बहुत प्यार करते थे उसे , उस दिन उसके पापा अस्पताल की एक मीटिंग में बाहर थे ,लेट आये ,जहर अपना असर कर चुका था,  हमारी बिटिया जोर जोर से चिल्ला रही थी पापा मुझे बचा लो, मैं   आई पी एस बन कर समाज को न्याय दूँगी, मगर डॉ रॉबर्ट उसे नहीं बचा पाए ,उनके हाथों में उसका सिर था और वो हमें रोता  छोड़ कर चली गई ,कल रात बहुत रोये है बेटी की फोटो के सामने , एक पल में जीवन ने मुझे रास्ता दे दिया था , डॉ रॉबर्ट मेरे दूसरे पिता भी बन गए थे ,मोना की सारी किताबों ,पिता की ईमान दारी और जीने के एक अद्वतीय संलकल्प ने मुझे आज आई पी एस शुभ्रा देसाई का बड़ा ओहदा दे दिया था ,स्टेज पर एक और पापा दूसरी और डॉ रॉबर्ट गले लग कर जोर जोर से रो रहे थे ,उनकी मोना आज आई पी एस  बन गई थी | 

  • जीवन में आप अपने लिए जितना अच्छा पूर्ण और श्रेष्ठ सोच सकते है उतना कोई दूसरा कैसे सोच पायेगा , आप अपने आपको जब परिस्तिथि और समय के आधीन छोड़ देते है, तो आपकी कर्त्तव्य शीलता की हत्या स्वयं होने लगती है और उसे बचाने के लिए आपको हर समय जागरूक होना आवश्यक है ,संकल्प का आरम्भ जहां से भी हो , उसके प्रति  आपका सकारात्मक भाव और अपने कर्तव्यों की रूप रेखा का विचार होते रहना चाहिए ,जब भी आप समाज के सहारे चलते हुए अपने चिंतन और अपनी क्रियान्वयनता से दूर हटते है ,एक अकर्मण्यता का साम्राज्य आपको जकड़ने लगता है और आप धीरे धीरे अपने ही मकड़ जाल में फंसने लगते है ,बस इन सब से मुक्ति का मार्ग यही है समाज पर आश्रित होकर मत चलो ,अपने ऊपर समाज को आश्रित रहने दो और समयानुसार सबकी मदद करते रहना ही आपका एकमात्र संकल्प होना चाहिए | स्वयं को अकर्मण्य मत बनाइये आपमें जितना अधिक कार्य करने का संकल्प होगा आपको उतना ही अधिक संतोष प्राप्त होगा | 

    जीवन की जागृति के लिए इन बिंदुओं पर भी विचार करें | 

      • जीवन बहुमूल्य है और उसका सौदा किसी भी तरह नहीं किया जासकता जबतक राष्ट्र हित या कर्त्तव्य के लिए बलिदान का अवसर न हो | 

        सम्बन्ध आपके संकल्प से बड़े नहीं हो सकते, जितना  समय आप  संबंधों को देते है उसका कुछ भाग ही सही अपने संकल्प को देना आरम्भ कीजिये सफलता आपकी होगी |

        अपने जीवनकी क्रियान्वयनता से सम्बंधोंका कोई रिश्ता नहीं रखे ,जीवन में सम्बन्ध  और  संकल्प अलग अलग बिंदु है उन्हें मिलाये नहीं | 

        समय समय पर अपने संकल्पों के लिए किये जाने वाले कार्यों का मूल्यांकन करते रहें ,अन्यथा आप एक जगह खड़े गाड़ी चलने की कोशिश करते रहेंगे ,एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे | 

        जो ज्यादा चापलूसी करें उनसे प्रथम दृष्टि में ही सावधान  रहे, वे अपने कारणों से आपके साथ है और उन्हें अपना कार्य सिद्ध होने पर चला ही जाना है | 

        जीवन में आपका कार्य सकारात्मक कर्त्तव्य से जुड़ा रहना चाहिए, जिससे जीवन में हर दिन कुछ नया करने का भाव बना रहेगा | 

        संसार में एक ईश्वर विद्धमान है वह आपके हर अच्छे बुरे कार्य का सह भागी है, आपको स्वयं को एकाग्र कर उससे जुड़ने का प्रयत्न करना चाहिए | 

        दुनियां का सबसे खराब समय जब आप समझे ,तो यह आशा अवश्य जागृत कीजिये, कि  ख़राब के बाद अच्छा समय चालू होना ही है | 

        आप सकारात्मकता  से समझौता कीजिये ,श्रेष्ठ ऊर्जा वाले लोगों से स्वयम जोड़े रखे ,बुरे  समय में  आपको इनके परामर्श की आवश्यकता होगी | 

        अपने आदर्शों से समझौता मत कीजिये, समय के साथ आपको पूर्णता मिलेगी ही ,क्योकि आपका आज से किया गया संकल्प, कल  आपको पूर्ण कर ही देगा | 

        जितनी बड़ी सफलता का समय आना होता है, वह  उतनी ही अधिक  समस्याओं के समाधान आपसे कराने की चाह रखता है, तो ऐसे समय में धैर्य से काम लें | 

        सदैव यह दृण निश्चय रखें कि  सफलता आपको ही मिलनी है ,और उसके लिए आपको  ज्यादा और सही कार्य करना है , सच जानिये दुनियां की सारी  सफलता शांति आपके सामने नत मस्तक हो ही जाएंगी |


Monday, April 20, 2020

आत्म मूल्यांकन की कमी मतलब निराशा deficiency of self realization means depression (स्वयं को बचाये डिप्रेशन से )

 आत्म  मूल्यांकन की कमी  मतलब निराशा
deficiency of self realization means depression 
 (स्वयं को बचाये डिप्रेशन से )
कॅरोना महामारी का बड़ा भारी समय था , सम्पूर्ण विश्व उसकी चपेट में आगया था ,लाखों की संख्या में लोग बे मौत मारे गए थे  ,और सम्पूर्ण विश्वकी सारी मेडिकल की सस्थाए इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि इसका सबसे शक्तिशाली बचाव यह है कि घर में ही रुका जाए , आप कितनी भी चतुराई दिखा लें परन्तु ध्यान रखे कि  आप कैसे भी इस महा मारी से नहीं बच सकते, जब तक आप यह संकल्प न करलें  मैं घर के बाहर न  जाऊँगा न किसी से मिलने की कोशिश करूँगा, जब तक वह मेरे कर्त्तव्य  के सम्बन्ध में या स्वास्थ्य की दृष्टी से आवश्यक न हो| बड़ा भारी प्रचार प्रसार था मरने वालो की विडिओ अंत्येष्टि, स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा अंत्येष्टि और कोई मृत्यु उपरांत क्रिया न हो पाना बड़ा भारी प्रश्न खड़ा होगया था,  आर्थिक ढांचा चरमरा गया था , गरीबों  मजदूरों के लिए खाने के लाले पड़ने लगे थे, ऐसे समय में मानसिकता भी ऐसी ही नकारात्मक  होती जारही थी ,|

श्रेय के  दो बहिनें  थी ,वो डॉक्टरी की पढाई कररही थी, पिता एक बड़े फिजीशियन थे, और माँ रक्षा सस्थान में रिसर्च विभाग की हेड थी, एक अच्छा और पढ़ा लिखा परिवार ,जबसे कॅरोना के कारण देश में बंद की घोषणा की गई, तब से पूरा काम अस्त व्यस्त सा लगने लगा था, ५ घंटे की क्लास २-३ घंटे घूम कर रात में थोड़ा पढ़ाई हो ही जाती थी ,लेकिन लगता है की चलो कर ही लेंगे ,१५ दिन में क्या हो रहा है ,बार बार इस सोच ने उसे आलसी बना  दिया था ,नेट पर कभी कोई फिल्म देखी -कभी कोई गेम उठा लिया ,कभी ऑनलाइन गेमिंग के कम्पटीशन में आ गया और ३० लोगो में फर्स्ट आया हमारा श्रेय ,देर रात तक गेम में डूबा रहा और बताया यह  गया कि आप जो गेम जीते है उसमे आपको एक पावर बैंक इनाममें मिला है ,कहने का  आशय यह कि , पूरे दोस्तों में उसका सर ऊपर उठ गया था, , गेम देर रत तक जागना , खाना पीना सोना सब अस्त व्यस्त हो चुका था, मगर मजा बहुत आ रहा था ,१४ -१५ घंटे उसी माहौल में जीत हार होती रहती थी |



११ बजे थे सुबह के फ़ोन की घंटी बजे जा रही थी , उधर से आवाज आई मैं  प्रिया  बोल रही हूँ ,कैसा चलरहा है सब, सोचा कौन  इससे दिमाग खपाये ,कि कब सोया कब उठा तू बोल ,अरे कैसा चल रहा है ,सब ऐश चल रहा है अपना तो, सबी बढ़िया है ,बस बोरियत है ज्यादा है ,वैसे २-३ घंटा होटल बाजी ,बाजार ,क्लास सब हो जाता था ,मगर अब तो सब बंद है, कभी रहे कहाँ है हम ऐसे ,प्रिया बोली हाँ  तुम लोगो का क्या है ,सब बढ़िया है  ,हमारे यहाँ तो सब टोकते रहते है ,पढाई पढाई ,तो कुछ और कर नहीं कर पाते ,पढ़ाई जरूर थोड़ी चल रही है , मैंने तुझे इस लिए फ़ोन इस लिए किया कि रात  में इलेक्ट्रिक में कुछ पूछना था तुझसे ,अरे यार वही पढ़ने जारहा था मै , अच्छा  छोड़ ज़िंक का रिएक्शन के बारे में,अरे प्रिया वो ही छूट गया था मुझसे ,अच्छा तो रेशो एनालिसिस के बारे में बात करूँ ,नहीं प्रिया  मै  तुझे करता हूँ फ़ोन ,पापा आवाज दे रहे है ,कह कर जैसे तैसे रखा फ़ोन प्राण छूटे |


 पूरी रात सो नहीं पाया था श्रेय आज प्रिया के प्रश्नों के उत्तर कहाँ पढ़ पाया था, मैं चलो कर कर लूँगा ये सब तो ,करना है चलने दो सब , और इसी तरह मूवी, गेम और फोटो चैटिंग में चलने लगा कारोबार ,कभी गेम में हारता था तो पूरे दिन क्रोध ,खाना, पीना, सोना ,रहना ,सब ख़राब हो गया था , पढाई में मन नहीं लग रहा था ,घबराहट हो रही थी ,पापा की सिगरेट ,बच्चे की ब्रांडी सब चख कर देख लिया था, लेकिन घबराहट होना कम नहीं हो रही थी , देर तक जागना ,देरतक उठाना और समय असमय खाना पीना , घरवाले जैसे ही कुछ बोले चढ़ बैठना ,दीखता नहीं है पढ़ाई चल रही है और क्या करूँगा , परन्तु मन की घबराहट कभी कभी जब  सामने खड़ी  हो जाती थी तो पूछती जरूर थी कि  कौन से पढ़ाई कररहे हो भैय्या , कोई जबाब नहीं होता था ,सब लोग पढ़ाई का ढिढोरा पीटते है मगर मिलते तो हर समय ऑन लाइन ही है ,नहीं आया यह मैथ्स कभी भी समझ में |


२० दिन हो चुके थे अभी कोई राहत के आसार नहीं दिख रहे थे,  रात भर जागना २-३ बजे मैगी पिज्जा मेकरोनी बना कर खाना १२-१ बजे उठाना और फिर नाश्ता करके ऑन लाइन आजाना ,पूरी ऐसी दिन चर्या ने श्रेय को बीमार कर दिया था ,घबराह्ट और जब जब पढ़ाई का कोर्स उसके सामने आता था ,सारी  तकलीफें और बढ़ जाती थी, ,पिछले ५ दिन से उठा नहीं था वह ,किसी से बात करने की इच्छा नहीं थी ,मन डूबता सा लग रहा था, जोर जोर से
 रोने का मन कर रहा था ,एक शून्यता बढ़ती जा रही थी, और बार बार लगता था की मरने के टास्क वाले गेम में कैसे जीतते होंगे लोग ,क्या मिलता है उन्हें , शायद यही सोच का बिंदु यह स्पष्ट कररहा था ,कि हमारा श्रेय भारी अवसाद या डिप्रेशन का शिकार हो गया है , कोई बात का कहो बस रोना ,मुझे अकेला छोड़ दो जाओ आप सब आदि |


पिताजी ने चेक अप किया, नहीं समझ आया, तो २-३ साइकेट्रिस्ट बुलाये, दवा देना चालू  किया गया, ज्यादा आराम ज्यादा से ज्यादा दिमाग को मिलना चाहिए तो नशे में लेटा रहा ,मरणासन्न सा ,कोई विकल्प नहीं दिख रहा था,  डॉक्टर्स  का  कहना था ,काफी समय से इसको समस्या रही होगी इसे, अभी दवा चालू रहने दे हम बाद में कम कर पाएंगे ,इस दवा का डोज ,पूरा परिवार चिंतित था ,बहुत ज्यादा परेशां भी लग रहा था, कोई विकल्प नजर नहीं आ पा रहा था,ऐसे ही बीतने लगे दिन |
 अचानक फ़ोन की घंटी बजी ,दूसरी तरफ से आवाज आई बेटा हम सर्वेश्वरानन्द है , हम बद्री नाथ से चले थे ,यहाँ आकर मालूम हुआ स्टेट लॉकडाउन  है ,पापा तुरंत बोले आ जाइये गुरूजी ,आपकी बहुत जरूरत भी है ,गुरु जी को श्रेय के बगल में ही कमरा मिला था , बचपन से श्रेय की गुरूजी से पटरी भी काफी खाती थी ,श्रेय से गुरूजी ने मिलते ही कहा,बेटा बहुत अच्छे दिख रहे हो, जब छोटे थे तब मैं  और तुम ही ध्यान करते थे इस घर में , मुस्कुराहट आ गई थी श्रेय में चेहरे पर , गुरु जी के शिष्य ने रोटी हलुआ दाल बनवा कर ,भोग लगा कर श्रेय को भी खिलाया , बड़ा परिवर्तन लगा था श्रेय में ,गुरूजी ने कहा पुत्र नहाना ,ध्यान फिर मै  वेद पढूंगा ,तू अपनी पढाई करना ,हम दोनो समझायेंगे एक दूसरे को अपने अपने विषय और ऐसा हुआ भी , काफी परिवर्तन था श्रेय में ,एक टाइम टेबल गुरूजी का टांग दिया गया ,एक टाइम टेबल श्रेय का टांग दिया गया और दोनों अपने अपने काम में पूर्ण सफलता से लग गए ७ दिन बाद कोई दवा नहीं लाइ गई , पिताजी को विश्वास  होगया की उनका बेटा पुनः अपनी सफलता की सीढ़ी पर चढ़ने लगा है ,| पिता ने देर रात्रि इस पूरे घटना क्रम का कारण गुरु देव से पूछा तो गुरु जी ने कहना चालू किया|----



 मनुष्य को ईश्वर ने पूर्ण सकारात्मक ,गतिशील और एक वृहत अनुशासन से बांध कर ही पैदा किया है, उसका सोना, उठाना ,खाना, पीना- शरीर के लिए किया जाने वाला हर  उपक्रम और आत्मा के लिए किया जाने वाला प्रत्येक उपक्रम सब नियत है ,उसके अनुरूप ही जाने ,अनजाने हम  अपना कार्य करने लगते है -बाद में यही समझते है कि यह अनुशासन हमारा अपना है, समय वैज्ञानिक आधार पर प्रगति कररहा है, मगर ये जो बड़ी बड़ी कम्पनियाँ खड़ी होकर अपनी ग्राहक संख्या को बढ़ाने के लिए वो सब करती है ,जो इंसान की मूल भूत गति को अस्थिर करने लगती है , हेड फोन लगाकर अनियंत्रित ध्वनि से मष्तिष्क की गति में अंतर पड़ने लगा है, और तरह तरह के रोग पैदा होने लगे है , जब कि जीवनकी क्रमबद्धता, गतिशीलता और उसके कार्य करने की अनुशीलता तय है ,तो हम उसकी कार्य शैली में व्यवधान उत्पन्न करके उसे अस्थिर और असवेदन शील बना देते है ,परिणाम यह कि धीरे धीरे वह अपने अनुशासन को छोड़ कर ,सांसारिक बिज़नेस के जगत का खिलौना बनने लगता है , हजारो अध्ययन के बाद बड़ी कम्पनियां  ये समझ पाई कि  जब हार्मोनल परिवर्तन हो ,तब उसे उत्तेजना की सामिग्री दें ,जब व्यक्ति में हार पैदा हो रही हो तब एक कृत्रिम जीत से उसे ठगा जाये यदि उसका मन यह चाल समझ गया और रचनात्मक होगया  तो फिर उनका बिज़नेस तो नहीं चल पायेगा न |

गुरूजी बोलते गए पुत्र मनुष्य का शरीर ऐसा  है ,यदि उसको स्वतंत्र छोड़ दिया तो ,वह कहाँ जाएगा यह तो पता नहीं, बस यह जरूर निश्चित है की वह अपना सारा सयम शांति और स्थिरता नष्ट कर लेगा ,इसके लिए धर्म ग्रंथों ने यही बताया की मनुष्य का समय पर कोई अधिकार नहीं है,  उसका मृत्यु का समय कब है ,कब उसका भाग्योदय है ,यह सब अनभिज्ञ है लेकिन इतना अवश्य है कि , उसपर समय की कमी है ,आप अंदाज लगाइये की २५००० दिनों की संख्या में जीवन ख़त्म होने की तैयारी करने लगता है ,जब हम ये सोचने लायक होते है तब १०या १५ हजार दिन निकला चुके होते है , अर्थात यदि जीवन की उपलब्धियों को पाना है ,तो आपको उसे घोड़े को तरह कसी लगाम में लेकर स्वयं को तैयार करना आवश्यक है ,पिता हत प्रभ से सुनते रहे  और हाथ जोड़ कर  नत  मस्तक होगये |


हम सब कमोवेश डिप्रेशन  में जी रहे है ,यदि आप सोचते है ऐसा नहीं है तो इन बिंदुओं पर विचार करके अपना आकलन अवश्य करें ये डिप्रेशन की प्राथमिकी है आप अवश्य देखें कि कही आप भी धीरे धीरे , मानसिक उद्वेग, क्रोध , तीव्रता ,प्रतियोगिता ,श्रेष्ठ बनने की भावना ,स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताने की होड़, और अपने मन से अलग  प्रकार से प्रयत्न कररहे है कि , हम अपनी कला  अपना चित्र अपने आपको निखार कर दिखाने की कोई स्थिति नहीं छोड़ना चाहते ,समाज में तरह तरह ने नशे और उनका श्रेष्ठता के लिए प्रयोग आपको और अधिक नकारात्मक ंबनारहा है , बहुत अच्छे कपडे ,लोगों की   चाह और वो सब उपक्रम जो आपको कुछ और बताने की कोशिश कर रहा है वो सरे कार्य आपको एक डिप्रेशन कीहम स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध कर सकें , आप स्वयं को लाइक्स के जाल में फंसाये हुए, अपने आपको ढूंढ  रहे है ,असंतुष्ट , अनियंत्रित और हारते हुए व्यक्तित्व की तरह , आवश्यक है स्वयं में स्थिर होकर ,जो है उसमे अभिमान ,प्रसन्नता , तृप्तता  और संतुष्ट रहना सीख लें ,शायद यहीं से जीवन की सकारात्मकता आपको सफलता के उस बिंदु पर खड़ा करदेगी, जहाँ समय आपके सामने आपको इतिहास पुरुष बना देगा तब आपमें समारात्मकता का भंडार स्वयं पारिलक्षित होने लगेगा |
निम्नांकित पर विशेष ध्यान  दें
  • व्यक्ति का निर्माण उसकी एक सकारात्मक गतिशीलता के साथ हुआ है ,उसके लिए स्वयं को सकारात्मक गतिशीलता के लिए तैयार रखे ,उसका अवलोकन करें | 
  • सुख का सम्बन्ध अंतर में छुपी कोई भावना है, उसे बाह्य संसाधनों में ढूढ़ कर ,आप समय व्यर्थ गँवा रहे है आपको अपने अन्तः के सुख की खोज करनी है | 
  • जब आप नशे में ढूढ़ते हो चाहे वह वस्तुओं का हो धन का हो संपत्ति का हो या संतान का हो ध्यान रहे एक दिन आपके अहंकार के ये साधन ही आपके पराभव का कारण बन जाएंगे  | 
  • स्वयं की भावनाओं पर एक कसी हुई लगाम लगाइये ,और नियत गति से ,रचनात्मक दौड़ में स्वयं को लगा दीजिये ,यदि स्वयं को स्वतंत्र छोड़ दिया तो ,आपका पराभव निश्चित है ,क्योकि मन की गति आपसे कई गुना तेज है | 
  • आप जब स्वयं से झूठ बोलते है, तब आपका ही व्यक्तित्व आपको झूठा सिद्ध करने लगता है ,आपको तमाम ऐसे प्रयत्न करने चाहिए ,जहाँ आपका अन्तः का स्वरुप और आप एक जैसे हो जाए | 
  • आपको नैराश्य से बचनेका एक प्रयत्न यह भी है कि, आप एक समय सारिणी बनाये और कड़ाई से इसे पूर्ण करने का प्रयत्न करें, आप पर समय ही नहीं होगा, नकारात्मकता के लिए | 
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रयोग उपयोग बहुत आवश्यक है ,परतु उसपर  निर्भरता आपके व्यक्तित्व को ख़त्म करदेगी, और एक दिन ऐसा अवश्य आएगा, जब आपके  प्रयोग के  ये गैजेट ही आपका उपयोग करने लगेंगे ,जैसा आज कर रहे है | 
  •  प्रतियोगिता दौड़ किसके साथ ,आप अपने आप में अलग हो ,आपकी योग्यताये अलग है ,आपका दूसरों से तुलना करना आपकी नकारात्मकता को बताता है ,आप पूर्ण हो उसे पूर्ण ही रहने दें | 
  • नशा किसी भी तरह का हो ,मगर धीरे धीरे उसका असर प्रभाव कम होता जाता है, परिणाम आप जिस सांसारिक  नशे की चाह कररहे हो ,वो आपको नैराश्य ही दे पायेगा रचनात्मकता नहीं | 
  • हम जो है बस वो ही बने रहने का प्रयत्न करे ,जैसे ही हम कुछ और बनने का प्रयत्न करते है ,हमारा पराभव स्वतः आरम्भ हो जाता है | 

Saturday, April 18, 2020

ब्रह्माण्ड का आधार मै हूँ I am the basis of the universe (रामायण से पूर्व गीता उपदेश )

ब्रह्माण्ड का आधार मै हूँ  
I am the basis of the universe
(रामायण से पूर्व गीता उपदेश )
महानारायण अर्थात ब्रह्माण्ड का नियंता बहुत ज्यादा व्यस्त थे एक बहुत बड़ी कलाकृति बना रहे थे ,सारे ब्रह्माण्ड की सुंदरता ,शक्ति ,सोच, पांडित्य और श्रद्धा ,साधना ,कर्म, योग स्थिरता ,वैभव ,विद्वता और असंख्य  गुण  डाल दिए थे अपनी कृति में ,फिर उसको शक्तियां देना आरम्भ की अस्त्र ,शस्त्र , दिव्य और अजेय  मारण , संहारक और दुर्लभ शक्तियों से उसे सजाया गया ,मन की ओजस्विता इतनी कि अपने मन की गति से भ्रमण , पृथ्वी आकाश पाताल  और सारे ,दृश्य अदृश्य घटनाओं का सहज ज्ञान डाला दिया गया ,टूटने फूटने का डर सबको है, नारायण ने अपने पुतले को सिद्ध किया शस्त्र , अस्त्र  ,  तीर ,भाला ,नुकीली कटीली और पृथ्वी पर उत्पन्न कोई चीज तुझे काट नहीं सकती , तू गिर के नहीं टूट सकता ,दुनिया की कोई शक्ति तुझे नुकसान नहीं पहुंचा सकती ,तू अजेय ही रहेगा , और जो चाहेगा वो करने में सामर्थ्य वान  बनेगा ,दुनिया का कोई व्यक्ति और जीव तेरा अंत नहीं कर सकता, क्योकि तेरा निर्माण मैंने किया है और तुझे दुनिया का सबसे शक्तिशाली और सुंदर कृति बनाया है , न आज तक ऐसा पुतला बना है न बनेगा | 

पुतले के निर्माण की प्रक्रिया पूरी हो गई थी ,सब और से निरीक्षण करने के बाद ,सब तरफ से संतुष्ट होकर, उस महानारायण ने उस पुतले में प्राण संचार किया ,जीवित किया और उसमे आत्म तत्त्व का निर्माण भी कर दिया, अचानक पुतला एक विशालकाय योद्धा के रूप में महानारायण के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा होगया, उसे चारो और से देखने के बाद महा नारायण ने उसे आवाज दी, महा गर्जन सी ,दृष्टी दी एक महा सम्मोहन सी ,गति दी हजारो अश्वों की चाल सी , भुजाओं का बल सहत्रों हाथियों के बल से कहीं ऊपर था ,और ध्यान दिया उस मनु भागीरथी और  ब्रह्मा सा, कि  वह आपने ध्यान से ही इष्ट को समक्ष पैदा करदे ,उसके छै चक्र स्तंभित और उसके वश में थे ,वह अपने सह्त्रसार में जीवंत सजीव और गति मान था , मन्त्र ,तंत्र ,और विषम यंत्रों का जानने वाला मारण ,मोहन ,वशीकरण ,उच्चाटन कीलन और उद्वासन इन महा षट विद्या तंत्र, का जानकार था नारायणका यह पुतला ,कहने का आशय यह कि  अपार शक्ति ज्ञान और पूर्णता के साथ ,सजीव निर्माण था यह महा नारायण का | 

पूर्ण निर्माण के बाद, बड़ी प्रेम भरी नजरों से देख कर ,पुतले ने महानारायण की स्तुति आरम्भ की ,हे काल पुरुष आप अलग अलग नामों से , अलग अलग युग में पैदा होते रहे और संसार का उद्भव पालन और नाश के कारण भी रहे है ,आप ही आदि है आप ही अंत है , आप ही दुःख है ,आप ही सुख है ,जड़ -चेतन ,अच्छा- बुरा शक्ति- सम्पन्नता  व शक्ति हीनता ,सब आप में ही निहित है ,आप ही हाथी जैसे बड़े जीव में है ,और आप ही चीटीं से लाखों गुना छोटे अदृश्य जीव में निहित है, हे नाथ संसार में जो दृश्य अदृश्य है वो सब आपमें ही निहित है ,आपको बारम्बार प्रणाम ,हे महाबाहो प्रलय काल में आप क्रुद्ध होकर संहारक हुए ,तो कभी पालन करने में माता बनकर सबको पोषण दे रहे थे, ,और आपके द्वारा ही अनंत जगत पैदा होता हुआ दिख रहा था , अनंत ब्रह्माण्ड में अनेक काल मुखों से विलुप्त होते हुए संसार को मैंने देखा है ,तो आपके  अनगिनत हिरण्य गर्भों से पैदा होते हुए संसार भी देखे है यह कहकर पुतला महानारायण के चरणों में साष्ट्रंग प्रणाम करते हुए लेट गया | 

महानारायण ने बड़े वात्सल्य से उसे उठाया और पूछा पुत्र तेरा मन अशांत क्यों है , निसंकोच होकर अपने मन की बात पूछो -- पुतले ने कहा हे दीनों पर दया करने वाले ,मै कौन हूँ ,मेरा नाम क्या है ,मै  किस काम से पैदा हुआ हूँ  और स्वयं को ही नहीं जानता ,इस लिए बड़ा व्याकुल हूँ ,महानारायण ने गंभीर होकर कहा ,पुत्र तेरा नाम रावण है, श्रेष्ठ ऋषिकुल में पैदा होते हुए भी तू  महाराक्षस सा संसार में अवतरित होगा ,तेरा कार्य सम्पूर्ण राक्षस कुल को एकत्रित कर उनपर शासन करना होगा ,दुनियां के सारे राक्षस कुल का तू एकमात्र सम्राट होगा , देवता दानव , किन्नर, नाग और संसार का हर शक्तिशाली तेरे सामने निस्तेज हो जाएगा और तेरा एक क्षत्र  राज्य होगा ,वह भी निष्कटक ,बहुत देर अपनी गुण गाथा सुनी पुतले ने फिर उदास होकर कहा कि ,स्वामी मेरा यह जन्म केवल अपयश के लिए, ख़राब काम करने के लिए या धर्म विरुद्ध कर्म के लिए जाना जाएगा और जिससे मुझे मुक्ति नहीं मिलेगी कभी , दया कीजिये --- महानारायण बोले पुत्र जब भी ब्रम्हांड में कोई संकट आता है ,तो मुझे ही अवतार लेना होता है , तेरी मुक्ति के लिए भी मुझे स्वयं अवतार लेना होगा ,फिर तेरे कुल समेत सम्पूर्ण राक्षस जाति  का अंत करके ,तुझको मुझमे ही समाना होगा क्योकि मै ही इस सृष्टि कस निर्माणक हूँ, पुत्र इसी तरह हर जीव चर -अचर गोचर - अगोचर में मै  ही उसकी उत्पत्ति पालन और नाश का कारण भी हूँ ,कभी तुझको कंस और मुझे कृष्ण बनाना होता है ,कभी राम मै  बनता हूँ तो रावण तुझे बना कर भेजना होता है और संसार में हर जीव को अपने अनुसार अपना धर्म निबाहना होता है, यह कहकर महानारायण अंतर्ध्यान हो गए ,और पुलस्त्य कुल मेंएक नवजात शिशु की आवाज गूंजने लगी ---

 कर्म ही सबसे  महान विषय है जो आपका भविष्य निर्धारित करता है ,  जिन विषय स्थितियों में आपका वश नहीं है उसमे अपने आपको फँसाए ,बिना वजह के चिंता करके आप वर्तमान को निस्तेज क्यों बना रहे है ,आप में अपरमित शक्ति पराक्रम और अनंत ज्योति है ,जिससे आपको अपने अन्तः को प्रकाशित करना है , आप हमेशा अतीत और भविष्य की सोच से वर्तमान को जोड़े रहे, परिणाम न आपके पास अतीत आपया और ना ही भविष्य वरन इस नकारात्मक सोच के लिए आपको जो मूल्य चुकाना पड़ा ,वो सबसे ज्याद मूल्यवान और महत्वपूर्ण था ,आपने अपना वर्तमान ही दांव पर लगा दिया, जिसकी भरपाई हो ही नहीं सकती ,आवश्यकता इस बात की थी कि हम अपनी कार्य शैली को  इतना परिष्कृत  करें कि कल हमे इसके प्रतिउत्तर में पश्चाताप में न खड़ा हो ना  पड़े | 

 निम्नांकित पर विचार अवश्य करे 
  • ईश्वर एक है उसके सारे रूपों में कोई भेद नहीं है, यदि आप अपने धर्म को सर्वोपरि मानकर दूसरे के धर्मों की अवहेलना करते  अभी ईश्वर  आपसे काफी दूर है | 
  •  अतीत भविष्य के लिए परेशांन  होने से आप वर्तमान की गतिशीलता और उसकी सकारात्मकता को खो रहे है जबकि वर्तमान भविष्य का निर्णायक है | 
  • संसार में स्वयं को जानना और उसकी आदर्श रूप रेखा के साथ कार्य करना ही सबसे बड़ा  धर्म है , आप अपने धर्म के अनुसार कार्य करें | 
  • जीवन आपको बार बार मौके नहीं देता ,किसी गलत कार्य को अपनी गलती मानते हुए ही ख़त्म कर देना तथा प्रायश्चित और गलती स्वीकार कर लेना ही सबसे बड़ा धर्म है | 
  • व्यक्ति की सोच और समझ की एक सीमा होती है और वह अपने से जुड़े निर्णय न्याय संगत ढंग से नहीं कर पाता  अतः उसे विद्वान और बड़ों की सलाह माननी चाहिए | 
  • सचिव , डाक्टर , और गुरु आपके डर से प्रिय  लगने वाली बातें ही बोलने लगे तो राज्य ,धर्म ,और शरीर का विनाश कोई नहीं बचा सकता | 
  • समय पर किसी का अधिकार नहीं है , इस लिए जितना जल्दी अच्छा काम कर सकते है कर लीजिये ,क्योकि समय कल दुबारा आपको मौका दे न दे, इसमें संशय है | 
  • अन्याय अनाचार और नकारात्मकता का फल भी नकारांमक ऊर्जा का सृजन करेगा ,अतः हर कार्य से पूर्व उसकी सकारात्मकता पर विचार करना अधिक आवश्यक है | 
  • स्त्री का निरादर   करना ,बहुत बड़ा अपराध है , जहाँ तक संभव हो उसके सम्मान  के विषय में विचार करते रहिये | 
  • राज्य ,धन वैभव और बल की अधिकता के कारण अहंकार उत्पन्न होता है और यही से दूसरों का अपमान का भाव पैदा होने लगता है जो विनाश की महा जड़ माना गया है |

Thursday, April 16, 2020

कर्म और सोच ही निर्धारित करती है जीवन को Karma and thinking determine your life

कर्म और सोच ही निर्धारित करती है जीवन को

Karma and thinking determine your life
(दुष्कर्मों और आलोचनाओं से बचें)
वीर का जन्म बड़ी मन्नतों के बाद हुआ था राज  परिवार में बड़े जश्न मनाये गए थे ,बन्दूकें चली ,सारे आस पास के गाँव में भंडारे खिलाए गए ,पूजा का प्रशाद गया बाँटा गया और जीवन चलने लगा , संयुक्त परिवार की मान्यताओं में बढ़ते हुए परिवार थे, वीर की तीन ताई और तीन ताऊ थे ,और उनके छै भाई और चार बहिने , वीर की भी परवरिश इसी माहौल में होने लगी थी, चार साल के वीर को माँ यही समझा समझा के रखती थी ,उनके घर नहीं जाना, ये ताऊ बेकार है ,वो वाले ताऊ बेमान है, फिर यह समझाती , हमारी तो शादी बहुत बड़े ख़ानदान में होरही थी ,तुम्हारे बाबा नाक रगड़ने पहुँच गए ,इस घर में ज़िंदगी ख़राब हो गई मेरी,तमाम झूठ सच इसी तरह की बातों में बढा पलाथा वीर| 

समय बीतता गया स्कूल कॉलेज में ज्यादा सफलता मिलनी ही नहीं थी, सो नहीं मिली ,वीर किसी की भी सुन नहीं सकता था ,कॉलेज में रिवाल्वर लटकाकर जाना ,एक  गुट बना कर नकल करना, फिर थर्ड डिवीजन से पास होना फिर शराब का जश्न हवाई फायर इस तरह बी ए पास होगया था ,हमारा अपना वीर ,जरा जरा सी बात में गंदी गालियां देना और हर बात पर अपने दृष्टी कोण को थोपना काम था हमारे वीर का ,कही से भी कोई क्लेश का बिंदु छूट नहीं सकता था उससे  ,दिन भर किसी न किसी बात पर उलझते रहना और हर २-४ दिन बाद उसकी लड़ाई थाने 
  जाना बड़ा निश्चित था | 

जिन राजनैतिक पार्टियों में वो लड़ाई झगडे और वर्चस्व की लड़ाई के लिए जाता था, वहां पर ही उसके मत भेद खड़े होने लगते थे जो एक पुराने लीडर थे ,उनसे पैसों के लेन दैन  को लेकर मतभेदहो जाता था परिणाम यह था कि दूसरे राजनैतिज्ञ वीर का उपयोग करने में पीछे नहीं थे ,एक दिन अनायास खबर आयी की पुराने वाले नेताजी किसी सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए है  ,सम्बन्ध जो भी हो वीर के परिवार से बहुत निकट सम्बन्ध थे ,नेताजी का बड़ा प्रभाव था ,उनका अपने क्षेत्र में, लाखों लोगो की भीड़ थी ,बड़ा भव्य रथ के साथ अंतिम संस्कार हुआ ,वीर परिवार के साथ सबसे आगे था , नेताजी के परिवार को उसने उतनी सहायता दी थी  ,जितनी सहायता नेता जी अपने परिवार को कभी नहीं दे पाए थे, छोटे लड़के के बिज़नेस को ५० लाख लगा कर नए मुकाम पर खड़ा कर दिया ,बड़े पुत्र को बड़े कृषि जमीन को हाउसिंग के प्लान  में परिवर्तित कर लिया गया और नेताजी की पत्नी भी उसके उपकार को देखते हुए उसे अपना तीसरा पुत्र मानने लगी थी |चुनाव का समय था ,नेताजी की सीट पर नेताजी का बड़ा पुत्र और पत्नी ने उस सीट पर वीर को उतारने की सहमति दे दी थी ,पार्टी नेताओं को  इस निर्णय पर राजी भी कर लिया गया था ,नेताजी की बड़ी फोटो के साथ चुनाव में वीर खड़ा हो चुका था बड़े बड़े नेता आकर उसे भविष्य का श्रेष्ठ नेता मान चुके थे ,क्योकि उन्हें पालूम था उसके पास सारे तरह के बल काम करते है ,चुनाव का परिणाम वीर के पक्ष में ही आया और फिर बड़े जश्न मनाये जाने लगे ,


राजनैतिज्ञों  की कतार में वीर का अच्छा नाम माना जाता था ,उसकी पत्नी बच्चे उसकी अत्याधिक महत्वांकांक्षा के कारण उससे अलग होगये थे ,और उसके जीवन की केवल एक प्यास रह गई थी , यश यश और केवल पैसा यश और जो अच्छा लगे वो उसका हो |  बढ़ता हुआ समय और मन की अस्थिरता ने वीर को एक दम अशांत कर दिया था ,जो भी सम्बन्ध वो ताकत और धन बल से पैदा कर लेता था ,वे भी बड़ी भारी अस्थिरता ही देकर जाते थे ,काम के बदले रिश्ते धन, वैभव संपत्ति,ले देकर भी कोई शांति प्राप्त नहीं कर पाता , शरीर शुगर ,हाई बी पी और अनेक बीमारियों का केंद्र बन चुका था ,खाना, पीना, रहना ,सोना सब एक अज्ञात भय के साये में था ,कि कारण क्या है,यह भी समझ से परे है , कभी कभी अतीत की घटनाएं बहुत परेशां करती थी ,जो किसी को बताई भी  नहीं जा सकती थी | 

कई बार एम्स जैसे बड़े अस्पताल में दिखा दिया ,लेकिन आज तक कोई बीमारी नहीं पकड़ पाया, दिन ब दिन शरीर ख़त्म होता जा रहा था |इसी बीच सुना की कोई बहुत बड़े साधू हिमालय से आये है ,वीर ने अपने पी ए को कहा मिलना बहुत जरुरी है,एकांत में बाबा वीर से बोले बेटा ,तेरा कर्म चक्र तुझे सताने पर आगया है, तू अपने जीवन की सारी  भूल मेरे सामने बता कर प्रायश्चित कर , बाबा की आवाज में एक भारी सम्मोहन था ,वीर एक कठ पुतली की तरह बोलता गया महाराज दो हत्याएं हो गई है ,लेकिन मालूम किसी को नहीं है ,बाबा बोले  नहीं बेटा १५ वर्ष की उम्र में एक दोस्त को जिसे ज्यादा पीटा था ,वो भी मर गया था ३ हत्याएं की है तूने ,फिर तो पूरी कहानी तोते की तरह बताता चला गया था वीर ,साधु बोले  बेटा तुमने जिन नेता जी को मरवाया है वो तो पुत्र जैसा मानते थे तुमको।,आज तुमपर अफरात दौलत है ,शोहरत है, मगर तुम पागलपन के उस स्तर पर पहुँच चुके हो ,जहाँ किसी चीज से तुम्हे शांति नहीं मिल पा रही ,घर वाले पत्नी और रिश्तों को तूने तुच्छ समझ कर एक पेशेवर व्यक्ति की तरह व्यवहार किया ,आज तेरे लिए वो सब भावनात्मक सम्बन्ध न रह कर पेशेवर सम्बन्ध हो गए है, तू उनको लूटना चाहता है वो तुझे लूटना चाहते है | फिर शांति कहाँ से लाएगा , तेरी सारी नकारात्मकता का आरम्भ जो तूने अपनी माँ ,पिता परिवार और समाज से पाया है , उसका फल तुझे ही भुगतना पड़ेगा और  उसके लिए तुझे अपनी स्वीकारोक्ति पैदा करनी ही होगी ,यदि तू जीवन का पश्चाताप ही करना चाहता है तो, जीवन सेकैसे भी जीतने की इच्छा और राजनैतिक दांव पेच सब निकाल दे ,और अपनी गलतियों के पश्चताप हेतु स्वयं को झूठ फरेब लाभ हानि से दूर कर , अपने किये के लिए अपनी सजा और अच्छे कामों का निर्धारण कर ,शायद वो ईश्वर तेरी सजा कुछ कम कर दे जिससे तुझे थोड़ी शांति मिलपाये | 
आखिर कौन दोषी था उसके जीवन का --- वीर के सामने माँ का बात बात में झूठ बोलने के लिए प्रेरित करना ,पिता का निरीह पक्षियों का शिकार करना, दूसरे की तकलीफ में सुख मिलना ,खान पान रहन सहन और पूरे समाज में जो खुद को अच्छा न लगा उसके लिए मारपीट हत्या और साजिशों की एक पूरी  सूची उसके सामने घूम रही थी, लोग उसे धर्मात्मा कहते थे मगर उसकी आत्मा हमेशा दुत्कारती रही और जीवन बड़ी ग्लानि लिए खड़ी थी ,लगता था इससे तो मुझे फांसी हो जाए ,छूट तो जाऊँगा इस मन की तिरस्कार भरी सोच से ,करूँगा साधु महाराज ने जो प्रायश्चित कहा  है वो यही सोचते सोचते गहरी नींद में सो गया था वीर | 


दुनियां का सबसे बड़ा पाप था ,आलोचना करना और इसके प्रभाव असंख्य गुना प्रभावी होते है ,ध्यान रहे जब हम किसी की आलोचना करते है तो, उसकी नकारात्मकता ब्रह्माण्ड में घूमती हुई एक नियत शुन्य में जा कर टकराती है ,और उसकी नकारात्मकता से तीव्र सयोजन कर ,उस व्यक्ति तक लौटती है जिसकी आलोचना की है, फिर यह उस की जीवन तरंगों ओरा से प्रभावित होकर ,उसी व्यक्ति तक पहुँचती है जिससे ये नकारात्मकता निकली थी ,फिर इस व्यक्ति को नैराश्य ,अवसाद पागलपन ,मिर्गी,और मानसिक रोग होना स्वाभाविक है न ,यह केवल आलोचना का प्रभाव है , कर्म का प्रभाव इससे लाखों गुना तेज और सटीक है, उससे कोई नहीं बच नहीं सकता ,मगर एक मार्ग है जितना जल्दी स्वयं को सही रास्ते पर लाते हुए ,प्रायश्चित किया जाए और स्वयं को सत्मार्ग पर लगाने की चेष्टा करें इससे शायद जीवन की शान्ति , अर्थ और उसकी  उपलब्धि प्राप्त हो सके | 


अपनी जीवन शैली में निम्नांकित  का प्रयोग  व चिंतन अवश्य करें| 


  • बच्चो की शिक्षा में वर्तमान के काम चलाने की प्रक्रिया  से अधिक महत्व पूर्ण है उनके जीवन मूल्यों की रचना में सहयोग प्रदान किया जाए | 
  • व्यक्ति निर्माण के लिए सब पर दया एवं अहिंसा का भाव ,व्यक्ति का स्वाभाविक रूप है ,निर्दयता और  हिंसक स्वभाव से दूरी बनाये रखे | 
  • सत्य ,शान्ति और सदाचार व्यक्ति को जीवन के  अंतिम उद्देश्य देने में श्रेष्ठ माने  गये  है ,और यहाँ से ही स्वयं का विश्वास अपने प्रति प्रगाढ़ होता है | 
  • तुच्छ उपलब्धियों के लिए स्वयं के मूल्यों से समझौता न किया जाए, क्योकि ये मूल्य ही एक दिन आपको शान्ति सौहार्द और उन्नति के मार्ग पर लेजाने वाले है | 
  • हर किसी की आलोचना का अर्थ है कि , आपके अंदर बहुत सारी  नकारात्मकताएँ  अभी शेष है ,पहले स्वयं का निर्माण आवश्यक है | 
  • कर्म का फल आपको चाहते न चाहते मिलना ही है ,तो कर्म करने से पहले स्वयं को स्थिर करके अच्छे बुरे पर विचार करना आवश्यक है | 
  • सांसारिकता में डूबा हुआ श्रेष्ठ व्यक्ति जो सदाचार की परिभाषा जानता है ,वह जगल में बैठे हुए योगी से कई गुना श्रेष्ठ है, शायद उसे ही विदेह कहा जाना उचित है | 
  • दुनियां की सारी उपलब्धियां जो आपने अपने परिश्रम और सत्य व ईमानदारी के स्त्रोतों से अर्जित की है ,वे  आपको शान्ति और उपभोग का सुख देगी, कुमार्ग से कमाया हथियाया और लूट ,बेईमानी से अर्जित धन तुम्हारी पीढ़ियां नष्ट कर देगा| 
  • मृत्यु और ईश्वर के सन्मुख रहने का विचार आपको तमाम नकारात्मकताओं से बचा सकता है ,क्योकि आपके कर्म आपकी शक्ति के अहंकार के कारण ख़राब होते है | 
  • अहंकार शरीर, पद ,पैसे, संतान या भौतिक या आतंरिक शक्तियों का हो, वह यह बताता है की आपका अंत निकट है ,क्योकि जब आपको अपना गलत अनुमान होगा ,वही से आपका पराभव आरम्भ हो जाएगा |

अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...