एकांत की महा शक्ति (लॉक डाउन)
आबिद को अभी शहर आए हुए कुछ अरसा ही हुआ था, एक लिपिक थे रेवेन्यू के महकमे में ,दो पत्नियाँ और तीन बच्चे थे ,समय , शहर, ज़रूरतें बहुत बढ़ रही थी और तनखवाह इतनी कि बस काम ही चल पाता था, बेटा अभी ७ साल का ,बेटियां १४-१५ साल की हो गई थी , मगर स्कूल का ख़र्चा मोबाइल और समाज में फैला आधुनिकता का गणित सारी आमदनी पर एक ग्रहण लगा ही देता था, कभी बच्चे पिज़्ज़ा बर्गर मेकरोनि और मैगी की माँग करते, कभी पत्नी की मूक भाषा किसी होटेल में शादी की वर्ष गाँठ मनाने की माँग करती ,कभी कोई मेहमान आ धमकता, तो कहने का मतलब यह था कि ऐसे ही चलता था काम , बार कहा था आबिद ने नहीं करनी दूसरी शादी ,पूरे घर मेंकोहराम मच गया था ,अनवर, मोहसिन ,ज़माल पागल है क्या चार बहू वाला भरा पूरा परिवार है , अब्बू पागल थे क्या जिन्होंने की ४ शादी की ,मानते न मानते दूसरी शादी करनी पडी, अब कौन कहे क्या हालात है ,इन महिलाओं पर तर्क कुतर्क की कमी नहीं होती है| गांव से अनाज आजाता था मदद करते थे सब, मगर कोई बीमार जो जाए या कोई खर्चा आजाये तो बड़ी भारी तकलीफ होती थी ,अब्बू बताते थे ,तेरे नो भाई बहिने ख़त्म हो गये थे क्योकि इलाज नहीं मिल पाया, यही अल्लाह का लिखा होगा , उन्हें मै यह समझा नहीं पाया कि कम दायित्व हो तो जीवन की गुणवत्त्ता बढ़ जाती है ,|
इसी बीच एक खबर आई कि चीन में एक फ्ल्यू फ़ैल गया है और सारे उस क्षेत्र को बंद कर दिया है ,सड़कों पर स्क्रीनिंग की जा रही है, जिसको बुखार खांसी जुखाम जैसे लक्षण है उनको सबको सुरक्षित और अलग स्थानों पर बंद करकेरखा गया है ,लोगो का कहना था चीन के वुहान शहर की जीवाणु लेबोटरी में कोई वाइरस परीक्षण चल रहा था ,वहां से लीक लीक हुआ था वो और वहां सब बंद कर दिया गया ,मगर कुछ दिनों में ही ये पूरे शहर में बड़े स्तर पर पहुंच गया था लोग एक दूसरे की छुआ छूत से फैलता है ये ,चीन ने शहर तो लॉक किया, मगर वहां से जाने वाला ट्रांसपोर्ट चालू रखा, परिणाम दुनिया के सारे देशों में एक सोची समझी साजिश के तहत एक जीवाणु युद्द छेड़ दिया, गया जिसमे लाखों लोग मारे गए , अचानक जनवरी में भारत में पहला केस कॅरोना वायरस का पाया गया, हड़कंप मच गया था, मगर उसके बाद कोई ज्यादा प्रभाव दिखा नहीं ,भारतीय शासन प्रशासन इसकी योजनाओं में जुट गया, परिणा जब इसका प्रभाव मार्च के अंत में ज्यादा प्रभावी हुआ तो ,उसका कुछ कुछ संरक्षण हेतु निर्देश पहले ही मालूम हो चुके थे ,उनका अमल और जनता से प्रार्थना चालू की और उसके सकारात्मक परिणाम मिले |
आबिद और पूरा मोहल्ला शासन के लोकडाउन के कारण घर में ही कैद थे अभी २० किलो आटा था घर में, मगर ६ लोगो के परिवार में १५ दिन तो चलना ही चाहिए ,समय समय पर शासन द्वारा भेजी सामिग्री खरीद कर आज २ महीने पूरे होगये थे ,रशीदा ,जुबेदा अपनी पूरी ५ नमाजें कर ही रही थी , हम तीनों ने मिल कर यह तय किया बच्चों से कहा कि वो अपना काम सीखें और पढ़ाई ,खेल , ऑनलाइन लर्निंग , म्यूजिक और छत पर घूमने का अनुशासन मानेंगे तो खाना उनके हिसाब से ही बनाया जाएगा और उसमे भी मदद करना आवश्यक होगा , बड़ी सहजता से चलने लगा था जीवनघर घर के लिए पत्नियों द्वारा २०माक्स बनाये लगाया तो लोगो ने काफी तारीफ की आबिद ने और माक्स बनवा कर बब्बन की दूकान पर रखने का कहा तो वो तैयार हो गई ,जुबेदा रशीदा नए कपड़ों के टुकड़ों से माक्स बनाने चालू किये ,दिन में दोनों मिल कर ५० माक्स बना लेती थी, दूकान वालों से बात किया पहले उन्होंने १५ रुपये में माक्स खरीदा दोनो बेटिया कोई कोई फूल बूटे बना देती थी तो वो माक्स ५० रूपये तक बेचा जाता था , सारे नए चादर , घर में पड़े नए कपड़ों के माक्स बनने लगे ,दूसरी तरफ बाजार से आने वाला सामान बंद सा हो गया था केवल कुछ एक जरूरत का सामान ही आरहा था |
दो माह में ही सारे खर्चे का हिसाब देख कर, आबिद और पत्नी हतप्रभ थे कि लगभग एक लाख रु की बचत हुई थी, तनखाह६० हजार थी, बाहर से सामान न आना और जरूरत के किराने और बिजली पर केवल २० हजार खर्चा हुआ था ,पहली बार पति पत्नी को लगा कि हम पर पैसे की कोई कमी नहीं है, कमी है तो केवल एक सोच की जिसमे मन ने संतोष पैदा करना बंद कर दिया है , दो ढाई महीने में परिवार का कोई बीमार नहीं हुआ ,न बाहर का सामन आना न खाना पीना , पिछले सालों में लाखों रु बीमारियों पर जाया किया गया था , परिवार को मालूम हो गया था कि यदि उन्हें एक समय में उन्नति संतोष और जीवंतता चाहिए तो ,वो अपने घर की बनाई चीजोंका प्रयोग करें ,आज उनका माक्स बनाने का काम और तकनीक दोनो बदल गई थी ,जुगाड़ की ऑटोमैटिक मशीन बनाली गई थी, और खादी कॉटनऔर अच्छे कपड़ों पर अच्छे परीक्षण किये जा रहे थे ,जो खूब सफल सिद्ध हुए कॅरोना महा मारी एक बड़ी सकारात्मकता लिए हमारे लिए सिद्ध हुई थी, तीन गरीब लड़कियों को इससे जोड़ लिया था और कहा था कि आप भी और लोगो को जोड़ो ंकपडा हम देंगे, डिजाइन भी हम बताएँगे और यह तरकीब बाजार में खूब काम भी आयी |आबिद अपनी नमाज के बाद अल्लाह के सामने नतमस्तक थे हे मालिक जब सारी आशाएं टूट जाती है तब आपका निर्णय चालू होता है और वो कभी खराब नहीं हो सकता दोनों पत्नियों के साथ रोढ़ा था पूरा परिवार खुदा की मेहरबानी पर |
जैसे जैसे हमारी निर्भरता बाह्य संसाधनों पर आश्रित हुई उसके दुष्परिणाम हमें जल्दी ही भुगतने पड़े है ,बड़ी बड़ी कम्पनियाँ अपने प्रोडक्ट बाजार में लेकर खड़ी हो गई है ,जिनका मूल उद्देश्य केवल लाभ कमाना था, फ़ूड चेन्स खुल गई ,रिप्रोडक्शन का रिवाज इतना चला कि उसके परिणाम दुष्परिणामों की जरूरत ही नहीं समझी गई , और कैसे भी लाभ कमाने की दौड़ में हम सारे मान दंड भूल बैठे , स्वाद ने स्वास्थ्य को खा लिया , नए युग की नयी नयी खोजों ने आदमी को तकनीक तो उपलब्ध कराई ,मगर उसके विषाक्त ,दूरगामी परिणाम अनेक गंभीर बीमारियां लिए खड़े थे, खाने ,पहनने और दैनिक जीवन चर्या में प्रयोग की जाने वाली हजारो प्रयोग की वस्तुओं ने जमीन पानी हवा और आकाश , तक को भयानक संक्रमित कर डाला , आज जब कॅरोना की वजह से लॉक डाउन में घर में बैठने को मिला, तब नयी रचनात्मकता , कम बीमारिया कम संक्रमण और हवा पानी आकाश औरजल संक्रमण में भारी कमी ,आपको यह चेतावनी अवश्य दे रही है ,कि आप इस लॉक डाउन से यह अवश्य सीखें कि ,आपकी अधिक सुरक्षा घर में ही उपलब्ध है| यह सिद्ध हो गया है, कि महा प्रदूषण के एक मात्र जिम्मेदार आप है ,जिसके लिए आपको अपनी आगामी भूमिका निश्चित करनी चाहिए|
कॅरोना सकारात्मकता और प्रभावी एकांत की शक्ति
आबिद को अभी शहर आए हुए कुछ अरसा ही हुआ था, एक लिपिक थे रेवेन्यू के महकमे में ,दो पत्नियाँ और तीन बच्चे थे ,समय , शहर, ज़रूरतें बहुत बढ़ रही थी और तनखवाह इतनी कि बस काम ही चल पाता था, बेटा अभी ७ साल का ,बेटियां १४-१५ साल की हो गई थी , मगर स्कूल का ख़र्चा मोबाइल और समाज में फैला आधुनिकता का गणित सारी आमदनी पर एक ग्रहण लगा ही देता था, कभी बच्चे पिज़्ज़ा बर्गर मेकरोनि और मैगी की माँग करते, कभी पत्नी की मूक भाषा किसी होटेल में शादी की वर्ष गाँठ मनाने की माँग करती ,कभी कोई मेहमान आ धमकता, तो कहने का मतलब यह था कि ऐसे ही चलता था काम , बार कहा था आबिद ने नहीं करनी दूसरी शादी ,पूरे घर मेंकोहराम मच गया था ,अनवर, मोहसिन ,ज़माल पागल है क्या चार बहू वाला भरा पूरा परिवार है , अब्बू पागल थे क्या जिन्होंने की ४ शादी की ,मानते न मानते दूसरी शादी करनी पडी, अब कौन कहे क्या हालात है ,इन महिलाओं पर तर्क कुतर्क की कमी नहीं होती है| गांव से अनाज आजाता था मदद करते थे सब, मगर कोई बीमार जो जाए या कोई खर्चा आजाये तो बड़ी भारी तकलीफ होती थी ,अब्बू बताते थे ,तेरे नो भाई बहिने ख़त्म हो गये थे क्योकि इलाज नहीं मिल पाया, यही अल्लाह का लिखा होगा , उन्हें मै यह समझा नहीं पाया कि कम दायित्व हो तो जीवन की गुणवत्त्ता बढ़ जाती है ,|
इसी बीच एक खबर आई कि चीन में एक फ्ल्यू फ़ैल गया है और सारे उस क्षेत्र को बंद कर दिया है ,सड़कों पर स्क्रीनिंग की जा रही है, जिसको बुखार खांसी जुखाम जैसे लक्षण है उनको सबको सुरक्षित और अलग स्थानों पर बंद करकेरखा गया है ,लोगो का कहना था चीन के वुहान शहर की जीवाणु लेबोटरी में कोई वाइरस परीक्षण चल रहा था ,वहां से लीक लीक हुआ था वो और वहां सब बंद कर दिया गया ,मगर कुछ दिनों में ही ये पूरे शहर में बड़े स्तर पर पहुंच गया था लोग एक दूसरे की छुआ छूत से फैलता है ये ,चीन ने शहर तो लॉक किया, मगर वहां से जाने वाला ट्रांसपोर्ट चालू रखा, परिणाम दुनिया के सारे देशों में एक सोची समझी साजिश के तहत एक जीवाणु युद्द छेड़ दिया, गया जिसमे लाखों लोग मारे गए , अचानक जनवरी में भारत में पहला केस कॅरोना वायरस का पाया गया, हड़कंप मच गया था, मगर उसके बाद कोई ज्यादा प्रभाव दिखा नहीं ,भारतीय शासन प्रशासन इसकी योजनाओं में जुट गया, परिणा जब इसका प्रभाव मार्च के अंत में ज्यादा प्रभावी हुआ तो ,उसका कुछ कुछ संरक्षण हेतु निर्देश पहले ही मालूम हो चुके थे ,उनका अमल और जनता से प्रार्थना चालू की और उसके सकारात्मक परिणाम मिले |
आबिद और पूरा मोहल्ला शासन के लोकडाउन के कारण घर में ही कैद थे अभी २० किलो आटा था घर में, मगर ६ लोगो के परिवार में १५ दिन तो चलना ही चाहिए ,समय समय पर शासन द्वारा भेजी सामिग्री खरीद कर आज २ महीने पूरे होगये थे ,रशीदा ,जुबेदा अपनी पूरी ५ नमाजें कर ही रही थी , हम तीनों ने मिल कर यह तय किया बच्चों से कहा कि वो अपना काम सीखें और पढ़ाई ,खेल , ऑनलाइन लर्निंग , म्यूजिक और छत पर घूमने का अनुशासन मानेंगे तो खाना उनके हिसाब से ही बनाया जाएगा और उसमे भी मदद करना आवश्यक होगा , बड़ी सहजता से चलने लगा था जीवनघर घर के लिए पत्नियों द्वारा २०माक्स बनाये लगाया तो लोगो ने काफी तारीफ की आबिद ने और माक्स बनवा कर बब्बन की दूकान पर रखने का कहा तो वो तैयार हो गई ,जुबेदा रशीदा नए कपड़ों के टुकड़ों से माक्स बनाने चालू किये ,दिन में दोनों मिल कर ५० माक्स बना लेती थी, दूकान वालों से बात किया पहले उन्होंने १५ रुपये में माक्स खरीदा दोनो बेटिया कोई कोई फूल बूटे बना देती थी तो वो माक्स ५० रूपये तक बेचा जाता था , सारे नए चादर , घर में पड़े नए कपड़ों के माक्स बनने लगे ,दूसरी तरफ बाजार से आने वाला सामान बंद सा हो गया था केवल कुछ एक जरूरत का सामान ही आरहा था |
दो माह में ही सारे खर्चे का हिसाब देख कर, आबिद और पत्नी हतप्रभ थे कि लगभग एक लाख रु की बचत हुई थी, तनखाह६० हजार थी, बाहर से सामान न आना और जरूरत के किराने और बिजली पर केवल २० हजार खर्चा हुआ था ,पहली बार पति पत्नी को लगा कि हम पर पैसे की कोई कमी नहीं है, कमी है तो केवल एक सोच की जिसमे मन ने संतोष पैदा करना बंद कर दिया है , दो ढाई महीने में परिवार का कोई बीमार नहीं हुआ ,न बाहर का सामन आना न खाना पीना , पिछले सालों में लाखों रु बीमारियों पर जाया किया गया था , परिवार को मालूम हो गया था कि यदि उन्हें एक समय में उन्नति संतोष और जीवंतता चाहिए तो ,वो अपने घर की बनाई चीजोंका प्रयोग करें ,आज उनका माक्स बनाने का काम और तकनीक दोनो बदल गई थी ,जुगाड़ की ऑटोमैटिक मशीन बनाली गई थी, और खादी कॉटनऔर अच्छे कपड़ों पर अच्छे परीक्षण किये जा रहे थे ,जो खूब सफल सिद्ध हुए कॅरोना महा मारी एक बड़ी सकारात्मकता लिए हमारे लिए सिद्ध हुई थी, तीन गरीब लड़कियों को इससे जोड़ लिया था और कहा था कि आप भी और लोगो को जोड़ो ंकपडा हम देंगे, डिजाइन भी हम बताएँगे और यह तरकीब बाजार में खूब काम भी आयी |आबिद अपनी नमाज के बाद अल्लाह के सामने नतमस्तक थे हे मालिक जब सारी आशाएं टूट जाती है तब आपका निर्णय चालू होता है और वो कभी खराब नहीं हो सकता दोनों पत्नियों के साथ रोढ़ा था पूरा परिवार खुदा की मेहरबानी पर |
जैसे जैसे हमारी निर्भरता बाह्य संसाधनों पर आश्रित हुई उसके दुष्परिणाम हमें जल्दी ही भुगतने पड़े है ,बड़ी बड़ी कम्पनियाँ अपने प्रोडक्ट बाजार में लेकर खड़ी हो गई है ,जिनका मूल उद्देश्य केवल लाभ कमाना था, फ़ूड चेन्स खुल गई ,रिप्रोडक्शन का रिवाज इतना चला कि उसके परिणाम दुष्परिणामों की जरूरत ही नहीं समझी गई , और कैसे भी लाभ कमाने की दौड़ में हम सारे मान दंड भूल बैठे , स्वाद ने स्वास्थ्य को खा लिया , नए युग की नयी नयी खोजों ने आदमी को तकनीक तो उपलब्ध कराई ,मगर उसके विषाक्त ,दूरगामी परिणाम अनेक गंभीर बीमारियां लिए खड़े थे, खाने ,पहनने और दैनिक जीवन चर्या में प्रयोग की जाने वाली हजारो प्रयोग की वस्तुओं ने जमीन पानी हवा और आकाश , तक को भयानक संक्रमित कर डाला , आज जब कॅरोना की वजह से लॉक डाउन में घर में बैठने को मिला, तब नयी रचनात्मकता , कम बीमारिया कम संक्रमण और हवा पानी आकाश औरजल संक्रमण में भारी कमी ,आपको यह चेतावनी अवश्य दे रही है ,कि आप इस लॉक डाउन से यह अवश्य सीखें कि ,आपकी अधिक सुरक्षा घर में ही उपलब्ध है| यह सिद्ध हो गया है, कि महा प्रदूषण के एक मात्र जिम्मेदार आप है ,जिसके लिए आपको अपनी आगामी भूमिका निश्चित करनी चाहिए|
कॅरोना सकारात्मकता और प्रभावी एकांत की शक्ति
- समय का सदुपयोग करते समय एक समय बद्ध क्रियान्वयन हो क्योकि समय की लापरवाही जीवन को गलत मोड़ देने का एक मात्र कारण है |
- स्वयं में रचनात्मकता का बीज कभी ख़त्म न होने दे, क्योकि एक नियम यह भी है जब ,रचनात्मकता को मन में स्थान देते है तब सम्भावनाये अधिक प्रबल होती है |
- स्वयं को क्रियान्वयन और सफलता का संकल्प लेकर चलते रहे ,यही आशा वादिता एक दिन आपको सफलता के नए मानदंड स्थपित करने में सहायता देगी |
- नया समय नई तरह की मांग करता है ,उसके लिए समय अनुसार खुद को परवर्तित करते रहे, जो समय की मान्यता के साथ नहीं चल पाते उन्हें ,समय हरा देता है |
- दुनियां भर साथ चलते चलते आपको स्वयं के साथ चलने का मौका ही आया , परिणाम आप कभी आत्म चिंतन करके अपनी शक्तियों और कमजोरियों का कभी मूल्यांकन ही नहीं कर सके |
- स्वयं से साक्षात्कार की प्रक्रिया आरम्भ कीजिये ,धीरे धीरे सब कुछ सहज हो जाएगा और आपको स्वयं अपनी विराट शक्ति का अनुमान जाएगा |
- दरिद्रता या गरीबी सीधा सम्बन्ध आपकी कार्य प्रणाली , आपका समाज के साथ व्यवहार तथा आपकी कार्य कुशलता भी इसमें महत्व पूर्ण भूमिका अदा करती है |
- जिस भी इष्ट को मानते हो आपको उसके साथ चलना चाहिए क्योकि हर धर्म आपको क्रियाशील और सकारात्मक कार्यों जुड़ा हुआ देखना चाहता है |
- हर समस्या से अपने लिए भविष्य के उन सूत्रों का निर्माण अवश्य करें जिससे आगे आने वाले समय में ऐसी समस्याओं का सामना सहज हो सके मे|
- धैर्य , शक्ति और सकारात्मकता से हर समस्या का समाधान हो सकता है हर समस्या अपने साथ हल भी लेकर आती है उसका अध्ययन कर स्वयं का क्रियान्वयन तय करें सफलता अवश्य मिलेगी |
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