Thursday, May 14, 2015

yours strength and weaknesses आपकी शक्तियां और कमजोरियां

yours strength and weaknesses
आपकी शक्तियां और कमजोरियां

वार्षिका चौधरी जोर से चिल्लाया था दरबान एक मोटी  सी फाइल लेकर एक युवती नौकरी बोर्ड के सामने थी चेयरमेन ध्रुव ने जैसे ही उसे देखा एक शांत और तटस्थ भाव से अनदेखा कर दिया , युवती के हाथ की फाइल छूटकर नीचे गिर गई उसे तेज पसीना आगया शायद वो बहुत ज्यादा घबरा गयी थी ,युवती के बैठने के बाद ध्रुव ने बड़े ही संयमित और शांत स्वर में  कहा हम सबने आपका प्रोफाइल देखा काफी पढ़ी है आप ,और आपको हमारी कंपनी  विदेशी शाखा में नियुक्त करती है ,नियुक्ति के बाद आप सारी बातें शिकायते वहीँ के ऑफिस में करें यहाँ आपको आने की आवश्यकता नहीं है ? युवती ने रुंआसे अंदाज़ में नीचे देखकर सर हिलाया और बाहर निकल गई | सारा बोर्ड हतप्रभ और चकित था ये कैसी नियुक्ति थी , मेम्बचकित थे |  ध्रुव के अकेले अच्छे मित्र यश , उस रात्रि ध्रुव के घर पहुंचे और उस नियुक्ति के बारे में फिर पूछा ,ध्रुव ने  बड़े गंभीर  स्वर में कहना आरम्भ किया ,वो दिन मेरे जीवन के भयानक दिन थे ,जब मैं गाँव से  अभी स्कूल पास करके कालेज में प्रवेश लिया था  वहां सारे गाँव वाले मुझे दद्दू ,मामा , या फूहड़ कहकर बुलाते थे ऐसे में एक लड़की को मुझ पर दया आई ,सब लोगो से उसने यही कहा की वो लोग मुझे परेशान न करें, और धीरे धीरे मै उसके आस पास घूमकर रहगया ,उसका सारा होमवर्क और नोट्स मैं  ही लिखता था ,घरके काम भी करता रहता था , यानि कि यह की मेरा वज़ूद उसके ही वज़ूद का हिस्सा बन कर रह गया था , मैं भी चाहने लगा था उसे दिलोजान से ,कभी कभी वो समय गुजारने को बुला भी लेती थी मुझे , उसने ही कहा कई बार मैं  बहुत प्यार करती हूँ तुम्हें ,पढ़ाई ख़राब हो गई थी ,दिन  रात केवल वो और उसकी तीमारदारी में खुद को देखता था मैं  , वैसे उसके घर बेरोक टोक जाने का अधिकार भी पा लिया था मैंने ,एक रोज रात ८ बजे के समय  मैं उसके घर पहुंचा पीछे के गेट से अंदर दाखिल हुआ और उसके कमरे में जैसे ही दरवाजा खोला नशे  हालत में दो युवको के साथ मैंने उसे देखा आधे कपड़ों में ही बिना किसी जल्दी में उसनेआकर  मेरे मुंह पर धड़ा धड़ चांटे मरने चालू कर दिए जाहिल, गवार , बद्तमीज तेरी ओकात ही क्या है साला हमारे टुकड़ो पर पलने वाला ,क्या तेरे जैसे नीच से शादी करूंगी मैं ,जिसे  तमीज नहीं है ,,चलेजा यहाँ से लौट कर मत आना अपराध मेरा इतना ही था कि मैंने बिना अनुमति के उसकी असलियत जान  ली  थी , ----हेभगवान कितना बड़ा छल था ,मेरे साथ और मैं ही अपराधी था ------ कानों में  शून्यता  थी उसके दोस्तों ने बहुत मारा  था मुझे, और  मैं यह विश्वास नहीं कर पा रहा था कि  वास्तव में यह वही लड़की है जो मेरे प्यार में अपना सब कुछ लुटाने  का दम  भरती थी , मैं वहां से निकला और रेल की पटरी पर गाड़ी के सामने कूद गया फिर जब होश आया तो मालूम हुआ मैं आपने कसबे के अस्पताल में था एक पाँव कट चुका था ,  और बूढी माँ और पिताजी जमीन में लेटे थे मेरे ठीक होने की प्रतीक्षा कररहेथे , सारी जमीन बेचीं जा चुकी थी  एक मकान  भर रह गया था , सोचा अब जीवन ख़त्म क्यों करूँ , अपने गम दुनियां के फरेब को एक ताकत बनाऊँ  और चल पड़ा  २ वर्ष पढ़ाई करके आज मैं इस डायरेक्टर के पद पर हूँ , जानते हो यह वही लड़की थी जो इंटरव्यू के लिए आई
थी ,पहले  मन में आया मैं  इसे रिजेक्ट करदूं मगर यह किसी न किसी रूप में सामने आएगी , और मेरे विकास की जिद इसे देख कर और प्रबल होगी इसलिए यह निर्णय लिया कि एक अनाम द्वीप पर इसे अपनी कंपनी की  नौकरी के लिए रख दूँ ,  जो मेरे हिसाब से काला पानी जैसा है ,सोचता यह हूँ कि यदि  जीवनका यह रूप नहीं  देख पाता  तो शायद आज  उस प्रतिशोध की आग से मेरा   अग्निपुत्र जैसा जन्म नहीं हो पाता | यश समझ गया  कि जीवन की सबसे बड़ी कमजोरी ही जिसका सम्पूर्ण बल बन गई हो उसे काल पुरुष बनने से कौन रोक सकता है |


 बहुत सारी अपेक्षाएं रखते है हम सब ,और चाहते यह है जीवन इतना शक्तिशाली हो जिससे सदियों तक लोग उसका अनुशरण करते रहें ,यहाँ सबसे बड़ा प्रश्न यह है  कि हजारों ख्वाहिशों के साथ शक्ति शाली जीवन की कामना खुद ही एक बड़ा विस्मय कारी प्रश्न है , शक्ति का केन्द्रीयकरण  तब होता है जब आपकी सम्पूर्ण चेतना  केवल एक ताकत के साथ अपने लक्ष्य की तरफ केंद्रित हो जाती है ,जहाँ कुछ अपने उद्देश्य के सिवा होता ही नहीं है ,  परन्तु आदमी का स्वाभाव ही ऐसा है कि  वह सारी कामनाओं की पूर्ती के बाद अपने उद्देश्य को भी पूर्ण करना चाहता है ऐसे में ये आकांक्षाएं ही उसके लिए उसकी सबसे बड़ी कमजोरियां साबित होने लगती है |



जीवन  की शक्ति को जानने से पहले आपको स्वयं को जानना जरूरी है की वास्तव में आपका जन्म और जीवन का मूल उद्देश्य क्या है , हम अधिंकांशतः दिवा स्वप्नों के फेर में जिंदगी का बड़ा भाग निकाल देते है जो परिस्थितियां सामने आती है उनके अनुसार स्वयं को बदल बदल कर चलते रहते है , कालान्तर में हम अपनी सच्ची पहिचान ही भूल जाते है , हम परिस्थितियों , समय की मान्यताओं और परिवर्तन की आंधी में सबसे समायोजन बनाकर चलने का प्रयत्न करते है जबकि हम कितने भी आदर्श स्थापित करें मगर समाज हमें बौना साबित करने की होड़ में ही लगा रहता है परिणाम हम सारे आदर्शों अपने मूल उद्देश्य और जीवन के मूल्य भूलकर समाज समय और लाभ की मानसिकता से समायोजन करते रहते है परिणाम हम जीवन की मूल शक्ति का अनुभव ही नहीं कर पाते |


मनुष्य ईश्वर की सबसे शक्तिशाली कृति है और उसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व इस बात पर शक्ति अर्जित करपाता है की वह स्वयं को एकाग्र करके स्वयं को चिंतन की उस पराकाष्ठा पर ले जाए जहां जीवन के प्रत्येक लक्ष्य उसके लिये सहज सेदिखाई देने लगे ,
भारतीय धर्म शाश्त्र में अगस्त्य ऋषि का समुद्र पान , भगीरथ का गंगा पृथ्वी पर लाना  और  जल ,वायु , आकाश , और अग्नि को स्तंभित करने वाली शक्तियां यही बताती है कि मनुष्य का चिंतन जितना प्रबल और शक्तिशाली होगा  वह उतनी ही ऊंचाइयों पर अपनी शक्तियों को लेजा सकता है , अर्थात चिंतन की पराकाष्ठा को पहचानिये तब कही जाकर आप अपनी शक्तियों के साथ न्याय कर पाएंगे |

जीवन में दुःख और सुख दोनों  ही तो अवश्यम्भावी है कभी सुख की मीठी बयार है तो कभी दुःख और यातना का जीवन स्वयं जीवन पर प्रश्न चिन्ह लगा देता है यहाँ यह बात बमहत्वपूर्ण है की सुख और दुःख एक ही सिक्के के दो ऐसे पहलू है जिनका अस्तित्व एक दूसरे पर ही टिका रहता है , सुख का आना दुःख के आने का अलार्म है तो दुःख सुखआने का संकेत देदेता है |
मित्रों सुख  की प्राप्ति का प्रयत्न और ख़ुशी जीवन में प्राप्ति के समय ९०%और प्राप्ति के बाद उपभोग के समय गिरते हुए क्रम में २०%रह जाती है जबकि दुःख अतिरेक की स्थिति में १००%यातना  देता है आत्मा को अर्थात दुःख सम्पूर्णता का द्योतक है जबकि सुख गिरते हुए क्रम में कुछ एक % तक ही सहारा दे पाता है ,

एक बूढी औरत का पर्स गिर गया वह परेशान हो गई रोने लगी फिर लोगो ने कहा अम्मा हम छोड़ देते है घर वो धीरे धीरे शांत होने लगी और दुःख कम होने लगा ,
दूसरे  पल उसे याद आया जब उसके लड़के ने उसे धक्का मार कर घर से निकाला था तो उसे कितनी पीड़ा हुई थी आज भी वह १००% तक दुखी होकर रोती है परन्तु पर्स गिरने का दर्द क्षणिक ही रहा
मित्रों जीवन को शक्तिशाली बनाने में हर गम हर दर्द हर पीड़ा का अपना महत्व है और जिसने जितना दर्द और पीड़ा अपने जीवन को शक्तिशाली बनाने के संकल्प  में झोंक दिए है आप सत्य माने उसने उतने ही बड़े कीर्तिमान स्थापित किये है गांधी काकठिन सत्य वृत , नानक का गृहत्याग , ईसा का सूली पर चढ़जाना और अपने प्राण के लिए कुछ भी करगुजरने  का संकल्प इंसान को मनुष्य से देवता बनाने की शक्ति रखता है |


आप अपने धोखों को सीढ़ी बनाये , तिरस्कार और अपमान को लक्ष्य बनाये , आप अपनी शारीरिक कमजोरियों को आत्माका प्रबल वेग   प्रदान करें , आप अपने सामाजिक पारिवारिक और मित्रों के अनादर को भविष्य की शक्ति के संकल्प में खड़ा करें , एक दिन आपका होगा , जहाँ सारी कायनात आपको सफल और श्रेष्ठ सिद्ध कर देगी , कष्ट और यातनाओं  से जीवन गवाने की सोच इसलिए पाप है की आप सामर्थ्य वान होकर भी जीवन के संघर्ष से भागने लगे, और अपराधियों को किसी निरीह इंसान के शोषण के लिए खुला छोड़ दिया ,  ध्यान रहे जीवन के संघर्ष को पूरी ताकत से लड़ कर जीतने के लिए आपका जन्म हुआ है और यही से एक नया  युग का आरम्भ भी होगा जो बता देगा की आप ने ही जीवन के मूल्यों को इस तरह अपनाया जिससे आप कल पुरुष बन सकें है |


 निम्न मत को ध्यान रखें
  • जो विषय स्थितियां अवश्यम्भावी है उनका शोक मानना व्यर्थ है उनके लिए कुछ कुछ संकल्प किये जाए और  उनपर अमल किया जाए | 
  • संसार का हर कार्य आपको यह निर्देश या संकेत देता है की आप उससे कुछ न कुछ अवश्य सींखें चींटियों से बिना हारे चलने का अध्याय और हर जीव से अपने नियमों में चलने का चलन आप भी अपनाइये | 
  • दुःख और कमजोरियां वे है जो आप ठीक करसकते है मगर ठीक नहीं कर पा रहे और इसका ही दुःख मानना चाहिए  जो कार्य आपके  वश में ही  नहीं  है उनके लिए शोक मत मनाएं | 
  • शक्तियों का प्राकट्य केवल चिंतन और एकाग्रता से संभव है और उसके लिए एकाग्रचित्त होकर आत्म मंथन की प्रक्रिया को निरंतर परिष्कृत करने की आवश्यकता है | 
  • आपका जो सुख दूसरों पर निर्भरहुआ उसमे आपको केवल दुःख ही प्राप्त होगा क्योकि आपका चिंतन और उनका चिंतन दोनो पृथक है | 
  • कमजोरियों का अर्थ है अज्ञानता जबतक आप अपने आपको ही नहीं समझेंगे तबतकआप कमजोरियों को भी नहीं पहिचान सकते  अतः स्वयं की चेतना से कमजोरियों को निकलने का चिंतन आरम्भ करें | 
  • शक्ति और कमजोरियों को निरंतर आंकलन की आवश्यकता होती है और निरतंर उनके लिए नए आधार निर्धारित किये जाने चाहिए क्योकि निरंतर परिवर्तन से ही  गुण परिष्कृत हो सकते है | 
  •  अपनी  स्थान पर अपनी शक्तियों का चिंतन कीजिए जिससे आप स्वयं कुछ   समय बाद  अपने में परिवर्तन अवश्य महसूस करेंगे | 
  • जीवन को नकारत्मकताओं के स्थान पर सकारात्मक सोच  से पूर्ण करें जिससे आपकी आधी सफलता आरम्भ में ही तय हो जाएगी | 
  • संसार का आशय ही यह है कि आप जीवन को सद विचारों सद प्रेरणा और सद मार्ग से जोड़े रखें जिससे आत्मबल स्वयं आपकी जीत का कारक हो जाएगा | 
  • स्वयं की तुलना आप किसीसे न करें क्योकि तुलनात्मक दृष्टी कोण से या तो अहम पैदा होगा या विद्वेष और जीवन के लिए ये दोनो ही नकारात्मक है |





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