बड़ा भारी चलन है स्वयं को बड़ा , सुन्दर और श्रेष्ठ दिखने और दिखाने का ,समाज में परिवार में और सम्पूर्ण व्यक्तित्व में हम स्वयं को ही ढूढते नजर आते है , कहीं भी मन यह मानाने को तैयार ही नहीं होता कि हम अपनी श्रेष्ठता में कोई समायोजन कर दूसरों को भी श्रेष्ठ समझ पाये , सेल्फ़ी अपनी ही तस्वीर को हजारों बनावटी अंदाज दे दे कर अनगिनत तस्वीरें खींच डालना परन्तु मन फिर भी नहीं भरना, फिर उनमे से अनगिनत को मिटा या हटा देना और अपनी ही तस्वीर की तुलना हमें जो सबसे आदर्श लगता है उससे करते रहना ,कितना जबरदस्त चलन या कितना बड़ा दिखावा बन कर रह गया है हम शायद अपने ही साथ मजाक कर रहे है और यह बताने का प्रयत्न कररहे है कि हम पूर्णतः भावनाशून्य चेतना शून्य और आदर्शों से शून्य हो चुके है |
श्मशान में भारी भीड़ थी लोगो के चेहरे लटके थे चार किशोर युवक स्टंट करते हुए मारे गए थे लोग उनकी क्रिया कर्म की प्रक्रिया चालू थी , और वही दो तीन युवक मृतक के शवों के साथ थोड़ी दूर खड़ेभारी उत्साह में अपनी तस्वीरें ऐसे खींच रहे थे जिसमे क्रिया कर्म का भी हिस्सा आ रहा था| ,एक युवक ने पूरा वीडीओ बना डाला जिसमे उसके चित्र के साथ एक भालू एक युवक को नोंच नोंच कर खा रहा था ,एक ने ऐसी तस्वीरें डाली जिसम तीन चार गुण्डे एक युवती को परेशान कररहे थे ,और एक तस्वीर में एक युवक को खंजर से क़त्ल करता हुआ व्यक्ति अपनी वीडीओ खुद खींच कर सार्वजानिक वेब साईड पर डाल रहा था
कितना भावना शून्य है यह मन मष्तिष्क जो जरा सी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए अपने आपको स्तर पर लेजाने से भी नहीं हिचकता ,भावना शून्यता की पराकाष्ठा तब होती जब अरब के कई देशों में गैर कानूनी ऊंट रेस में नन्हें बच्चे ऊंटों से बांध दिए जाते है और जितना बच्चे चिल्लाते है ऊंट डर कर उतना ही तेज भागते है , हम किस समाज की कल्पना भविष्य को देना चाहते है जहाँ केवल अपनी सेल्फ़ी का चेहरा हो या कोई आदर्श भी होने चाहिए |
मित्रो समाज और मनुष्य के निर्माण में सबसे ज्यादा सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह रहा है कि वह हम दूसरों के लिए कल्याण भाव रखते है वहां धर्म की परिभाषाओं में यह स्पष्ट कर दिया जाता कि दूसरों के हित में कार्य करने से ही सब से बड़ा धर्म प्राप्त हो सकता है ,और यहीं से वह परिकल्पना आरम्भ होती है जो स्वयं से समाज के विकास की बात करती है , आप ही बताइये कि मेरे सुख , दुःख , सुंदरता , श्रेष्ठता को सिद्ध करने वाला तो समाज ही था न तो उसकी अवहेलना करके मैं स्वयं को सिद्ध कैसे कर सकता हूँ | संसार के उदभव के समय तीन शक्तियां क्रिया शील थी
उदभव जन्म की प्रक्रिया या जीवन का आरम्भ
जन्म लेने वाले का पालन और संरक्षण
जन्म लेने वाले का अंत या उसकी मृत्यु
मित्रों सबसे महत्व पूर्ण प्रक्रिया है पालन और प्रतिपालन यही कल्याण का वास्तविक अर्थ भी है जो जीवको यह सिखाने का प्रयत्न करती है कि जब तक सब के लिए कल्याण का भाव नहीं होगा तब तक सारे विकास और मानवीय मूल्यों के प्रयास व्यर्थ ही सिद्ध होंगे आपका प्रथम कार्य यही है कि आप स्वयं श्रेष्ठ सिद्ध हों और आप जिस समाज परिवार , परिवेश में रह रहे है उसे भी श्रेष्ठ सिद्ध कर सकें |
ईश्वरो सर्व भूतानाम
सर्वे भवन्तुः सुखनाम
ईश्वर और परम संतोष मिलने का स्थान सर्वजगत के प्रत्येक जीव मात्र में निहित है और सबके कल्याण , सुख और संतोष में ही मेरी परम शांति छुपी है , मैं जीवन के हर सुख के साधन का ढेर तो होसकता हूँ मगर उन सब साधनों संसाधनों को बड़ा मानने वाला भी तो होना चाहिए था ,नाव में बैठे हुए किसी बहुत बड़े सम्राट की सारी दौलत ,संसाधन और ऐश्वर्य उसके प्राण तब तक नहीं बचा सकते जब तकसंपत्ति के साथ उस सम्राट में तैरने का या विनम्र स्वाभाव में नाविक से प्राण बचाने की प्रार्थना करने का गुण न हों |
मित्रो सेल्फ़ी खींचना आधुनिक तकनीक और युग की बहुत सामान्य प्रक्रिया है बस उसे आदर्श बनाने के लिए सेल्फिश न होने दें , सेल्फ़ी सेल्फ़ी को सेल्फिश होने से रोकने के लिए आपको स्वतः अपने मूल स्वभाव का ज्ञान करना होगा जीवन में सबसे मुश्किल कार्य है दूसरे के गुणों का गुणगान करना , और आज अधिकाँश समाज केवल इसमें लगा है कि गुण हो चाहे नहीं लेकिन उनका ही गुणगान करें ,आप यदि श्रेष्ठता , सुंदरता , और सरलता विनम्रता के ऊंचे पायदान पर खड़ा चाहते है तो दूसरों की प्रसंशा करना अवश्य सीखें |
जीवन के सिद्धांतों में निम्न मार्गों पर विचार करें
- जीवन में अपने साथ दूसरोंको विकास का मौका दें क्योकि केवल आपके सफल हो जानेसे उस सफलता का महत्व पूर्ण नहीं होगा उसकी सफलता तब है जब आप दूसरों को भी सफल बना सकें |
- दूसरों की प्रसंशा करना सीखें जब हम अपने व्यक्तित्व के विकास की बात करते है तो यह भूल जाते है कि सेल्फ़ी से सेल्फिश तक ( By Selfi to Selfis),विकास को समझने के लिए भी विकसित समाज की आवश्यकता होती है |
- अपनी सेल्फ़ी मतलब आपका व्यक्तित्व समाज , राष्ट्र और भविष्य के लिए कैसे सकारात्मक बनने जारहा है यह चित्र समाज को अवश्य दिखाइए |
- आप ध्यान रखें आप सेल्फ़ी (स्वयं का विकास )की नीति अवश्य अपनाये परन्तु उसे सेल्फिश (स्वार्थ ) होने से रोकते रहिये क्योकि दोनों में बहुत बारीक रेखा का अंतर है |
- मनुष्य में मानवोचित गुण होने ही चाहिए वह इतना शील अवश्य हो जो दूसरों के दर्द की अनुभूति अपनी अंतरात्मा में कर सके|
- अनावश्यक और बनावटी प्रसंशा से अपने व्यक्तित्व को बचाये रखने का प्रयत्न करें क्योकि , प्रसंशा इतना मीठा जहर होता है जो सहज ही आपके अस्तित्व को निगल सकता है |
- जीवन ने आपको जो भी सकारात्मक दिया है उसे आप समाज में अवश्य बाँटें क्योकि बांटने से दुःख सुख और प्रकृति के हर उत्पादन में विकास होता ही है |
- जीवन में किसी भी जीव के पालन का भाव रख कर उसे संरक्षित प्रयत्न अवश्य करें इससे आपमें प्राकृतिक गुण स्वतः बढ़ने लगेंगें और आत्त्मा गौरवान्वित अनुभव करेगी |
- सबको सम्मान और आदर काभाव क्योकि जैसा व्यवहार आप दूसरों के साथ करेंगे आपको भी कालान्तर में वैसा वैसा ही व्यवहार प्राप्त होगा |
- सेल्फ़ी को सकारत्मक कर्तव्यों से समाज के
कल्याण के सूत्रों में बदल डालिये , जब आपको यह विश्वास होने लगे कि मेरे प्रयास से समाज सुखी हुआ है आपकी सच्ची सेल्फ़ी दुनिया के नक़्शे पर अमर अवश्य हो जावेगी | | - अपनी सेल्फ़ी के बड़े परदे आप समाज राष्ट्र राष्ट्र और सम्पूर्ण मानवीयता को ऐसे प्रदर्शित कर डालिये जहां हर कोई आपके आधार से खुश रहना , विकास करना और स्वयं पर गर्व सीखें |
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