Thursday, February 11, 2010

क्षमा का मायने यह नहीं कि आप गलत है |

व्यक्ति हमेशा अपने कार्यों ओर अधिकार दायित्व के निर्वहन में लगा रहता है जीवन की प्रथम पाठशाळा से ही वहयह सीखता रहता है कि कैसे वह स्वयं को अधिक प्रभाव शाली एवं कार्य क्षम सिद्ध सके| इसके लिए उसे पूरे जीवनकुछ कुछ सीखते रहना होता है , वह बार बार गलतिया करता है उन्हें सुधारता है ओर सारे जीवन को एक बड़ाट्रेनिग सेंटर बना डालता है |वह स्वयं ही बड़ा प्रशिक्षण केंद्र होता है वही प्रशिक्षण दाता होता है ओर उसका ही मनमष्तिष्क हार ओर जीत का कारक बनता है |

व्यक्ति धर्म , सहजता से यह भी सीखता है कि उसे किस प्रकार के व्यवहार से अधिक सफलता मिल सकती हैउसके लिए वह कई बार उन परिस्थितियों से भी समझोता करके जल्द ही गलतियां मानने लगता हैजों पूर्णतगलत है परन्तु क्षमा का यह सिलसिला चलता रहता है ,कई बार यह भी जनता है कि वो जिन बातों पर क्रोध याक्षमा के लिए गिड गिडा रहा है वहा सामने वाला पूर्ण रूप से दोषी है मगर वह क्रोध ओर अति शून्य में केवल क्षमाओर मानाने की प्रक्रिया बनाये रखता है शायद समय उसके साथ हो जाए |

मित्रों जीवन ऐसा ही है हम जिन को बहुत प्यार करते है जिनके भविष्य के लिए कुछ भी कर सकते है ओरजिनकी मनो भावनाओं की बहुत क़द्र करते है , जिन्हें कैसे भी परेशां ओर चिंता में नहीं देख पाते उनके लिए हमेबार बार यही करना पड़ता है दोस्तों यही जीवन का सबसे ख़ूबसूरत पहलू भी हो सकता है क्योकि यही उन सबकोअपने क्रियान्वयन पर पुनर्विचार के लिए बार बार प्रेरित भी करता है |ओर यही अनन्य प्रेम उन्हें एक दिन उसशिखर पर लेजाता है जहाँ पर उनको पूर्णता मिलती है ओर आपको अवर्णीय संतोष जों स्पष्ट कर देता है की इश्वर नेजिस कार्य का दायित्व आपको सौपा था आप उसमे सफल हुए|



अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...