Thursday, February 18, 2010

तू मिटा के अपनी हस्ती इतिहास बन गया है

दोस्तों जीवन में उपलब्धियां दो ही तरीके से प्राप्त होती है एक शोर्ट कट से दूसरा लम्बे रास्तो से, नए मान दंडों कोनिर्मित करते हुए चलता हुआ कोई अकेला आदमी ,जिसे बार बार विचार क्रियान्वयन विरोधो और आक्षेपों के साथअपना मार्ग खोजना होता है , वह कैसे अपने आप को सिद्ध करे, इस को क्रियान्वित कर वह सम्पूर्ण जीवन को एकबड़ा संग्राम बना डालता है, उसके हर क्रियान्वयन में असफलता निरंतर प्रयास से सफलता दिखाई देने लगती है|
उसे हर क्रियान्वयन में अपने आपको मिटा कर केवल उद्देश्य खोजना होता है, और वह उसे प्राप्त भी कर लेता है| मानवता , परमार्थ बलिदान त्याग और स्वयं को मिटा कर भी दूसरों के लिए रास्ता देने कि ललक उसे जीवन मेंइतिहास पुरुष बना देती है वह स्वयं मानवीयता का उदहारण हो जाता है भले ही उसका जीवन कष्ट , अभाव औरदर्द का मायने बन गया हो मगर उसका उद्देश्य उसे स्वयं अमृत्व दे देता है |

सफलता के लिए बहुत से लघु मार्ग ओर निरंतर क्रियान्वयन का लम्बा रास्ता है ,हम बहुधा सरल ओर सस्तारास्ता चुन बैठते है ,यहाँ विचार भावनाए ,आदर्श , ओर परमार्थ सब व्यर्थ दिखाई देते है ,यहाँ केवल अपनीआपूर्तियाँ अपनी उपलब्धियां ओर अपना स्वयं का लेखा जोखा देखने का मार्ग होता है ,यहाँ हम स्वार्थों कि उस मृगमरीचिका में जी रहे होते है जों हमे अपनी उपलब्धियों से ज्यादा कुछ सोचने ही नहीं देती |हम किसी को भी सीडीबना कर अपना रास्ता तय करके सीडी में लात मार के गिराना भी नहीं भूलते और आदर्शों भावनाओं मानवीयता केलिए हमारे पास समय ही नहीं रहता हम केवल अपनी उपलब्धियों के सामने झूठ फरेब चालबाजी और किसे भीकाम निकालने कि अदा समझते है और इतिहास पुरुष बन बैठते है |क्या हमारा मन हमे इन उपलब्धियों के लिएकभी प्रोत्साहित कर पाएगा शायद कभी नहीं |

दोस्तों यह सत्य है कि हम केवल एक ही तरीके से अपने आप को सिध्ह कार सकते है जीवन में वह ललक खादीकरे जिसमे उद्देश्यों के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव हो किसीने सही लिखा है कि
प्रेम गली अति सांकरी जा में दो समाय
अर्थात जीवन में संकल्प का सार यह है कि आप एक उद्देश्य एक संकल्प ओर एक भाव के साथ अपने अस्तित्वको उद्देश्य पूर्ती में लगा दे आपको सफलता अवश्य मिलेगी
वो अपनी हस्ती मिटा मिटा कर वहा पे पंहुचा जहाँ कोई
कोई आशा कोई शिकवा नाकोई हमदम कोई गम था
उसे दुनिया का ध्यान था जब चला कहा से कहा तलक वो
बस एक अकेला चला वहा से जहा पे अपना कोई नहीं था




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