Wednesday, September 14, 2011

दोस्त मुझको मेरी पहचान दे --------------समस्या ओर सफलता

हुत बड़ा है ये संसार ओर हर इन्सान की बहुत छोटी है सीमाएं वह अपने कुछ अपनों में खड़ा अपनी पहिचान ढूढता रहताहै, ओर बार बार उसे अपने ही किये पर पछतावा होता रहता है |मन क्लांत होकर अपने अतीत को खोजता झांकता
ओर अपराध बोधों से ग्रसित होता रहता है |दुःख का कारण भी कोई अपना बहुत निकट का ही होता है जिसे हम छोड़पाते है, स्वीकार कर पाते है|द्वेष ,जलन ओर अपना अपमान , इसी कश कश में जीवन के बहुमूल्य लम्हे धीरे धीरेखिसकते जाते है| हम बार बार अपने को आरोपित इश्वर को दोषी समय को विपरीत मानते हुए स्वयं को कोसते रहते हैशायद इन सबसे हम अपनी आत्मा, बल ओर अपनी ही शक्ति से विमुख एक कमजोर निर्बल ओर बेसहारा की मानसिकताबना बैठते है बस यहीं से हमारा पराभव आरम्भ हो जाता है |

हमें शिकायत रहती है की हम एक अच्छा आदर्श ओर सत्य का व्यवहार करकर भी उपेक्षा का शिकार होते है जिनके लिएहम सर्वस्व निछावर करने का भाव रखते है वे ही लोग हमे समझने की कोशिश नहीं करते ओर हमे गलत ठहराते रहते हैहमे उन लोगो से शिकायत होती है जों हमारा भाव समझ कर अपने हल्के व्यवहार से हमे तरजीह नहीं देते जबकि हमउनके हर कदम हर साँस पर अपने अस्तित्व को उनकी सुरक्षा कवच होने काभाव बनाए बैठे होते है |हमारी शिकायत यहीरहती है की हमने सबसे प्रेम सत्य ओर निस्वार्थ भाव से व्यवहार किया ओर सबने हमें ही सबसे ज्यादा उपेक्षित करके छोड़दिया क्या यह सही था|

एक बड़ी शिकायत यह भी रही है हमे सामने वाले ने ठग लिया है ,अपनी आपूर्तियों के लिए उसका व्यवहार विनम्र ओरबहुत दयनीय भाव के भी ऊपर रहा था ,अपने विश्वास को जताने के लिए उसने तमाम झूठ ओर भावनात्मक शास्त्रों कासहारा लिया ,अपने आपको आपका सबसे बड़ा शुभ चिन्तक बताने के लिए उसने आपके हर काम अपने ऊपर लेकर आपकोअपंग बना दिया ,ओर धीरे धीरे आपकी हर सोच पर वह हावी हो गया |फिर अचानक उसने अपने लिए दूसरे ठिकाने ढूढनेचालू किये ओर आपके साथ अन्याय का सिलसिला चालू हो गया क्योकि आपके पूरे अस्तित्व पर केवल वो ही छाया थाजिसने आपको अपनी बैसाखिया दी थी|ओर किसी भी अन्य सोच पर पाबंदी लगा दी थी |आप सबसे ज्यादा वही से अपनेआपको उपेक्षित महसूस कर रहे थे |

दोस्तों यह सब बाते आपको एक पुनर्चिन्तन की ओर प्रेरित जरूर करती है ,एक परम शक्तिशाली शक्ति संपूर्ण जगत के साथआप में भी विद्यमान है , आप केवल शरीर नहीं है एक चिरंतन ओर शक्तिशाली व्यक्तित्व है ,बस केवल यही कमी है किसमाज , सहारों , झूठी प्रसंशा ने आपको अकर्मण्य ओर बनावटी आवरण से ढक दिया है , जिससे आप अपनी ही पहिचानभूल गए है |दोस्त जीवन के इसी बिंदु से सामाजिक ,धार्मिक ,ओर सांस्कृतिक क्रान्ति का आरम्भ हुआ है |दुःख , यातना ओरतिरस्कार से ही इतिहास ने महा पुरुष पैदा किये है ,|उपेक्षा , अन्याय ओर तिरस्कार की घोर ज्वाला को ओर अधिक भड़काकर अपनी सारी ऊर्जा को एक ऐसे सांचे में ढाल कर संकल्प लें कि जीवन को बहुत बड़े मकसद पूरे करने है ओर आप इसअपरमित शक्ति से उसे पूरा भी करेंगे |

जों आपको प्यार ,सम्मान ओर न्याय करने वालो से नफ़रत नहीं करें
सबकी सहायता करें ओर याद भी रखें
सबसे संयमित व्यवहार करें स्वयं को कभी कमजोर बनने दें
हर समस्या के लिए तैयार रहे हर समस्या आपको नए अंदाज में जीना सिखाएगी विश्वास रखें
शिकायत करें ही खुद को दोष दें
भविष्य ओर अतीत के पन्नों को उलट कर बंद करदें वर्तमान को छीन लें |
, |
सर्व शक्तिमान इश्वर आपके साथ है ओर वह हर समस्या का सटीक हल आपसे निकलवाकर आपको परिष्कृत करदेगा यहविश्वास रखियें |जीवन आपके लिए समस्या नही एक कला होगी जिसमे ख़ुशी शांति ओर श्रेष्ठता छिपी मिलेगी आपको|

2 comments:

Anonymous said...

apne hee jab dukh dene ki seema par kar dete hai tab mann se us dukh ko nikalna bahut kathin hota hai kuch samay ke liye unhe bhol sakte hai magar jeevan ke marg par kahi na kahi phir wahi dukh pohchane wale apne aa jate hai es ka kia hal hai

drakbajpai said...

apane to sapane hote hai n

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