Sunday, September 18, 2011

कैसे जीतें सबको

हर आदमी जब स्वयं को श्रेष्ठ समझाने की होड़ में लगा हो ,जब परिवार ,समाज ओर राष्ट्र का हर नागरिक अपनेआपको एक अलग महत्व दे बैठा हो, वहां सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम अपने आपको कैसे स्थापित करें,कैसेसबको यह समझाए कि हमारे मूल्य ,आदर्श सत्य ओर नैतिकताके आचरण से हम समाज ओर राष्ट्र को हमएक नई दिशा देना चाहते है |हर व्यक्ति समय ओर परिस्थिति के लिए हमे अपने को श्रेष्ठ साबित करना होता है |

आज परिवार सम्बन्ध ओर हमारी भावनाओं के बहुत नजदीक रहने वाले लोग ओर हमारा समाज सब एक बड़े प्रश्नके रूप में हमारे सामने खड़े होते है ,सबकी कामना होती है कि हम उनसे श्रेष्ठ व्यवहार करें उनको उचित सम्मान देंओर सबकी परीक्षा में खरे उतरे|हमारे परिवार कि अपेक्षा यह रहती है कि हम उनके हर आदेश का पालन करेंउनके परिवारकी गरिमा के अनुरूप स्वयं को परिभाषित करें ओर किसी भी हालत में उनकी अवहेलना नहीं करेंसबकी मानसिकता के अनुरूप काम करते रहे ओर उनके काम में सहयोग देते रहें |

मित्र वर्ग हमसे अपनी तमाम आपूर्तियाँ करना चाहता है ,अपनी व्यक्तिगत शैक्षणिक ,सामाजिक ओर मानसिकशारीरिक सारी कामनाएं है यहाँ जिनकी पूर्ती हमसे करने कि कामना रखते है हमारे निकटतम मित्र |इनकीकामनाये अन्नंत है पर शर्त यह है कि हम सारे कार्यों में उन्हें सहयोग देकर भी हम उनके आधीनस्थ बने रहे याउनसे महत्व के मामले में उनसे कमजोर बने रहे ,शायद यह सब उनके अस्तित्व के लिए बहुत जरूरी है |
इस वर्ग को सहज ही यह गुण प्राप्त है कि वह आपकी उस हर चीज का आतंरिक रूप से विरोधी बन जायेगा जिसमे उसे यह लगेगा की वह आपसे कमजोर हैयही भाव उसे आपसे जलन या इर्ष्या के रूप में मिलने लगेगा |प्रुकृति का नियम है कि वह बल धन शोहरत रूप रंग ओरप्राकृतिक बदलावों को देकर इंसान -इंसान में इर्ष्या पैदा करती रही है |क्योकि हर आदमी की समझ उसके सिद्धांतओर सत्य केवल उसके लिए ही चलते है ,लाभ देखकर |

समाज ,राष्ट्र ओर परिवेश अपने अपने अनुरूप हमे उपयोगित करना चाहता है , यदि हम बलिदान हुए तो गर्व वोकरेगा ,यदि हम दबे पिसे रहगये तो सहानुभूति देगा वह भी दिखावे के लिए ,ओर इन सबके लिए हामारा अस्तित्वभीड़ के अतिरिक्त कुछ है भी नहीं |

दोस्तों यही है दुनिया ओर हमारा परिवेश जिसमे केवल इर्ष्या है , एक प्रतियोगिता है ,एक बिना ख़त्म होने वालीदौड़ जिसमे हमें हर कदम पार आगे रहना है आप केवल इन बातो का उपयोग करे |

  • आप इश्वर की अनमोल कृति हैउस सर्वशक्तिमान ने आपको सबसे सुन्दर ओर नियत उद्देश्य के लिए बनायाहै आपको अपने पर गर्व ओर गर्भित उद्देश्य की खोज करनी चाहिए|उस पर ओर अपने पर विश्वास रखें |
  • आप एक व्यक्तिगत इकाई है ओर आपको अपने बारे में सोचना चाहिए|
  • दूसरों के आकलन ओर उनकी निंदा सेआपके बल में कमी ओर उनकी शक्ति का विस्तार होगा |
  • आपके अडिग आदर्श ओर सत्य के सहारे चलने का संकल्प होना चाहिए |
  • आपको सबसे अच्छा व्यवहार करना है ,ना पसंदी पर आपको क्रोध से बचाना चाहिए ,क्रोधह केवल तब करेंजब आप यह सोचें कि इससे सामने वाले में कोई सुधार की गुंजाइश है |
  • अपना अपमान ओर आलोचना सहनी जिसको भी आगई है वही काल पुरुष बन पाया है ,आपमें वो गुण हैबस उन्हें आजमाते रहिये |
  • जिस बात में आपकी आवश्यकता ना हो वह नहीं बोलें ,पहले सब बोलने को बाध्य करेंगे फिर उसे ही आपकीआलोचना बना लेंगे|
  • बड़ों को सम्मान ,छोटों को प्यार ओर सबसे सम्मान से बोलने की कला आपको आनी चाहिए
  • सारे संबंधों में एक अंतराल बनाए रखें |
  • आपको दूसरों की सहायता करनी चाहिए परन्तु उस सीमा तक जिस पर आप अपने आदर्श ओर सत्य कोकायम रख सकें |
  • अपने सिद्धांतों से समझौता ना करें ,जीवन बहुत दुर्लभ है अपनी शर्तों के हिसाब से जीने का संकल्प लें
दोस्तों इन सबके साथ एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है की आप अपने अंतरात्मा की आवाज कोसुनना सीखें ,एक सर्व शक्तिमान की अनुभूति करें ओर उससे यही कामना करें कि आप स्वयं में पूर्ण है जों आज गलतियाँ हुई कल न होंउनसे आपको वह कल रोक लेगा ,इससे आपका व्यक्तित्व ओर अधिक परिष्कृत होकर आपको आपकीएक ऐसी पहिचान देगा जिसे इतिहास याद रखेगा |

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