Monday, October 10, 2011

स्टीव जोब्स ----युवा प्रेरक ---.--- कर्ण का विजयी निर्वाण

हमारा युवा नायक स्टीव जोब्स एक पूँजी पति ,सामान्य इंसान या एक सी . . . ही नहीं वरन वर्तमान युवा शक्ति के लिए एक ऐसा मान दंड है जों आज के युवा को नयी दिशा देकर उसे नए सिरे से नव निर्मित करने में सक्षम है सम्पूर्ण संसार ने इतिहास पुरुष के रूप में नेल्सन मंडेला ,गांधी ,सिकंदर , अकबर , ओर हजारों ऐसी शख्सियत देखी है जिन्हें महान कहा गया है मगर हमारा स्टीव जोब्स इन सबसे अलग इस युग की सांस्कृतिक सामजिक ओर आदर्शों की वह दिशा है जों हर युवा को एक ऐसी प्रेरणा दे सकता है जिससे शायद यह युग उसे अमर बना डाले मैंने पूर्व के लेखों में उन आदर्शों को कई बार दोहराया है|

गरीबी लाचारी ओर सामाजिक रूप से बहिष्कृत जीवन का बाल्यकाल लेकर समस्याओं उम्मीद ओर इक बड़े उद्देश्य के साथ चलते हुए इंसान की विजय मृत्यु की विजयी कहानी है स्टीव आज के युग में युवाओं का इक ऐसा प्रणेता बन गया है जों मृत्यु के बाद भी लाखों युवाओं को इक पुनर्चिन्तन के लिए मजबूर कर गया हैआज का युवा इक बार उस महा योधा की जीवनी के चक्र में स्वयं को खड़ा करके देख रहा है वह हतप्रभ है इक ऐसी शख्सियत जिसने समस्याओं ओर विकास को सही मायने में परिभाषित किया है ,अपनी माँ को उनलोगों के सामने गिडगिडाते देखा है जों समाज के बहुत बड़े स्तम्भ कहे जाते है ओर वह भी अपने बच्चे की शिक्षा ओर ज्ञान के लिए|


भारतीय दर्शन में कर्ण एक ऐसा जन्म था जिसे वैद्य होते हुए भी वह स्थान नही मिल पाया जों एक वीर योधा को को मिलना चाहिए ,जीवन का संघर्ष तिरस्कार, अपमान , ओर एक अन सुलझी हीन भावनाओं के जाल में जीता हुआ एक महान योधा जों समर्पण दान ओर अपनी वीरता के लिए काल पुरुष बना रहा ,हमारा नायक स्टीव उस महाभारत काल का प्रणेता नही वरन आधुनिक युग का एक ऐसा मान दंड था जिसने सामाजिक तिरस्कार ओर जीवन भर के अभावों को सहजता से जिया उसे खाने पहनने ओर जीवन की छोटी छोटी चीजों के लिए जीवन से संघर्ष करना पड़ा ,उसने हर हाल में अपने आपको सयंमित रखकर स्वयं को सिद्ध किया आज मेरे युवाओं के लिए वह एक बड़ा मान दंड है :

दोस्तों आपकी जीवन शैली में परिवर्तन का एक बड़ा आयाम आरम्भ हो सकता है आप आज केवल उस स्टीव के उन मानदंडों आदर्शों ओर जीवन के क्रिया शील तथ्यों को अपने अंदर स्थापित करने का संकल्प करें|
मै दावे से कह सकता हूँ की स्टीव कोई कंपनी का निर्देशक ही नहीं वरन उसके आदर्शों ओर कार्य शैली से पागलपन मनोरोग डिप्रे ओर हीन भावनाओं से मेरा युवा सहज ही मुक्त हो सकता है आवश्यकता इसबात की है की वह इन सिद्धांतों प़र सोच आरम्भ करें :|

  • जीवन बहुत बहुमूल्य है उसकी रक्षा एवं सतत रूप से ताकतवर बनाये रखने का प्रयत्न करें
  • समस्याएं मनुष्य को पूर्ण परिष्कृत करती है उनके आने पर संयम धैर्य ओर पूर्ण निष्ठां से संघर्ष करने की आवश्यकता है :
  • तिरस्कार अपमान ओर अभावों से जीवन के लक्ष्य नहीं बदलने चाहिए क्योकि यह समस्या आपके शरीर समाज ओर भौतिक विषयों से सम्बंधित है परन्तु आपका लक्ष्य आत्मा का विषय है :
  • एक परम सत्ता आपके हर क्रियान्वयन से जुडी है आप इमानदारी से संकल्प क्रिया ओर सतत चिंतन के शस्त्रों से उसे सहज में जीत सकते है :
  • आत्मा जीवन का परम सत्य है ओर वह हर क्रिया पर आपको निर्देशित करती है आपको उसकी सूक्ष्म आवाज पर ही जीवन के निर्णय करने है ओर किसी भी प्रभाव के बगैर स्वयं को उसके अनुरूप ढलना है :
जीवन में समय , सीमित है हर पल भागता जारहा है आप पीछे छूट रहे है आपपर समय नहीं है आप यह मान कर जीने का प्रयत्न करें की आज मेरा आख़िरी दिन है ओर सारे कार्य उद्देश्य मुझे आज ही पूर्ण करनेहैं उसके लिए नियत योजना का प्रयोग करें :
  • अपने को एकाग्र करके एकचित्त कर अपने विकास के बारे में उस परम सत्ता से दिशा मांगें ओर जों दिशा आपको प्रेरित करें उसपर अमल करें आप निश्चित ही एक मान दंड स्थापित करपायेंगे :
  • सत्य दया ओर धानात्मक कर्म से आपका व्यक्तित्व ओर अधिक परिष्कृत होगा
  • अपनी यातना अभावों को एक ऐसी शक्ति बनाये जिसकी आग से आप स्वयं को संसार में स्थापित कर पायें क्योकि आदमी नितांत अकेला है इसे स्वीकार करें :
  • समस्या ओर अधिक चिंता के समय आप निर्णय न लें यह समय आप उसके ध्यान में लगायें जों आपकी समस्या का निदान करने को तत्पर है ,यह विश्वास अपने मन में जमाये रखें आपको उत्तर मिल जाएगा |
  • आप किसी भी इश्वर व्यक्ति या परम सत्ता पर विश्वास अवश्य रखें ओर प्रति दिन उसे अपने मन से डायल करके बात करते रहें मन मन में |




दोस्तों
यही कुछ सिद्धांत हमारे नायक के जीवन चक्र से जुड़े थे उनका प्रयोग आपको स्वयं सिद्ध करके महा नायक बना देगा :
एक बार फिर उस युवा उत्प्रेरक को भाव पूर्ण श्रद्धांजलि जों मर कर भी अमर है

Sunday, September 18, 2011

कैसे जीतें सबको

हर आदमी जब स्वयं को श्रेष्ठ समझाने की होड़ में लगा हो ,जब परिवार ,समाज ओर राष्ट्र का हर नागरिक अपनेआपको एक अलग महत्व दे बैठा हो, वहां सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम अपने आपको कैसे स्थापित करें,कैसेसबको यह समझाए कि हमारे मूल्य ,आदर्श सत्य ओर नैतिकताके आचरण से हम समाज ओर राष्ट्र को हमएक नई दिशा देना चाहते है |हर व्यक्ति समय ओर परिस्थिति के लिए हमे अपने को श्रेष्ठ साबित करना होता है |

आज परिवार सम्बन्ध ओर हमारी भावनाओं के बहुत नजदीक रहने वाले लोग ओर हमारा समाज सब एक बड़े प्रश्नके रूप में हमारे सामने खड़े होते है ,सबकी कामना होती है कि हम उनसे श्रेष्ठ व्यवहार करें उनको उचित सम्मान देंओर सबकी परीक्षा में खरे उतरे|हमारे परिवार कि अपेक्षा यह रहती है कि हम उनके हर आदेश का पालन करेंउनके परिवारकी गरिमा के अनुरूप स्वयं को परिभाषित करें ओर किसी भी हालत में उनकी अवहेलना नहीं करेंसबकी मानसिकता के अनुरूप काम करते रहे ओर उनके काम में सहयोग देते रहें |

मित्र वर्ग हमसे अपनी तमाम आपूर्तियाँ करना चाहता है ,अपनी व्यक्तिगत शैक्षणिक ,सामाजिक ओर मानसिकशारीरिक सारी कामनाएं है यहाँ जिनकी पूर्ती हमसे करने कि कामना रखते है हमारे निकटतम मित्र |इनकीकामनाये अन्नंत है पर शर्त यह है कि हम सारे कार्यों में उन्हें सहयोग देकर भी हम उनके आधीनस्थ बने रहे याउनसे महत्व के मामले में उनसे कमजोर बने रहे ,शायद यह सब उनके अस्तित्व के लिए बहुत जरूरी है |
इस वर्ग को सहज ही यह गुण प्राप्त है कि वह आपकी उस हर चीज का आतंरिक रूप से विरोधी बन जायेगा जिसमे उसे यह लगेगा की वह आपसे कमजोर हैयही भाव उसे आपसे जलन या इर्ष्या के रूप में मिलने लगेगा |प्रुकृति का नियम है कि वह बल धन शोहरत रूप रंग ओरप्राकृतिक बदलावों को देकर इंसान -इंसान में इर्ष्या पैदा करती रही है |क्योकि हर आदमी की समझ उसके सिद्धांतओर सत्य केवल उसके लिए ही चलते है ,लाभ देखकर |

समाज ,राष्ट्र ओर परिवेश अपने अपने अनुरूप हमे उपयोगित करना चाहता है , यदि हम बलिदान हुए तो गर्व वोकरेगा ,यदि हम दबे पिसे रहगये तो सहानुभूति देगा वह भी दिखावे के लिए ,ओर इन सबके लिए हामारा अस्तित्वभीड़ के अतिरिक्त कुछ है भी नहीं |

दोस्तों यही है दुनिया ओर हमारा परिवेश जिसमे केवल इर्ष्या है , एक प्रतियोगिता है ,एक बिना ख़त्म होने वालीदौड़ जिसमे हमें हर कदम पार आगे रहना है आप केवल इन बातो का उपयोग करे |

  • आप इश्वर की अनमोल कृति हैउस सर्वशक्तिमान ने आपको सबसे सुन्दर ओर नियत उद्देश्य के लिए बनायाहै आपको अपने पर गर्व ओर गर्भित उद्देश्य की खोज करनी चाहिए|उस पर ओर अपने पर विश्वास रखें |
  • आप एक व्यक्तिगत इकाई है ओर आपको अपने बारे में सोचना चाहिए|
  • दूसरों के आकलन ओर उनकी निंदा सेआपके बल में कमी ओर उनकी शक्ति का विस्तार होगा |
  • आपके अडिग आदर्श ओर सत्य के सहारे चलने का संकल्प होना चाहिए |
  • आपको सबसे अच्छा व्यवहार करना है ,ना पसंदी पर आपको क्रोध से बचाना चाहिए ,क्रोधह केवल तब करेंजब आप यह सोचें कि इससे सामने वाले में कोई सुधार की गुंजाइश है |
  • अपना अपमान ओर आलोचना सहनी जिसको भी आगई है वही काल पुरुष बन पाया है ,आपमें वो गुण हैबस उन्हें आजमाते रहिये |
  • जिस बात में आपकी आवश्यकता ना हो वह नहीं बोलें ,पहले सब बोलने को बाध्य करेंगे फिर उसे ही आपकीआलोचना बना लेंगे|
  • बड़ों को सम्मान ,छोटों को प्यार ओर सबसे सम्मान से बोलने की कला आपको आनी चाहिए
  • सारे संबंधों में एक अंतराल बनाए रखें |
  • आपको दूसरों की सहायता करनी चाहिए परन्तु उस सीमा तक जिस पर आप अपने आदर्श ओर सत्य कोकायम रख सकें |
  • अपने सिद्धांतों से समझौता ना करें ,जीवन बहुत दुर्लभ है अपनी शर्तों के हिसाब से जीने का संकल्प लें
दोस्तों इन सबके साथ एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है की आप अपने अंतरात्मा की आवाज कोसुनना सीखें ,एक सर्व शक्तिमान की अनुभूति करें ओर उससे यही कामना करें कि आप स्वयं में पूर्ण है जों आज गलतियाँ हुई कल न होंउनसे आपको वह कल रोक लेगा ,इससे आपका व्यक्तित्व ओर अधिक परिष्कृत होकर आपको आपकीएक ऐसी पहिचान देगा जिसे इतिहास याद रखेगा |

Wednesday, September 14, 2011

दोस्त मुझको मेरी पहचान दे --------------समस्या ओर सफलता

हुत बड़ा है ये संसार ओर हर इन्सान की बहुत छोटी है सीमाएं वह अपने कुछ अपनों में खड़ा अपनी पहिचान ढूढता रहताहै, ओर बार बार उसे अपने ही किये पर पछतावा होता रहता है |मन क्लांत होकर अपने अतीत को खोजता झांकता
ओर अपराध बोधों से ग्रसित होता रहता है |दुःख का कारण भी कोई अपना बहुत निकट का ही होता है जिसे हम छोड़पाते है, स्वीकार कर पाते है|द्वेष ,जलन ओर अपना अपमान , इसी कश कश में जीवन के बहुमूल्य लम्हे धीरे धीरेखिसकते जाते है| हम बार बार अपने को आरोपित इश्वर को दोषी समय को विपरीत मानते हुए स्वयं को कोसते रहते हैशायद इन सबसे हम अपनी आत्मा, बल ओर अपनी ही शक्ति से विमुख एक कमजोर निर्बल ओर बेसहारा की मानसिकताबना बैठते है बस यहीं से हमारा पराभव आरम्भ हो जाता है |

हमें शिकायत रहती है की हम एक अच्छा आदर्श ओर सत्य का व्यवहार करकर भी उपेक्षा का शिकार होते है जिनके लिएहम सर्वस्व निछावर करने का भाव रखते है वे ही लोग हमे समझने की कोशिश नहीं करते ओर हमे गलत ठहराते रहते हैहमे उन लोगो से शिकायत होती है जों हमारा भाव समझ कर अपने हल्के व्यवहार से हमे तरजीह नहीं देते जबकि हमउनके हर कदम हर साँस पर अपने अस्तित्व को उनकी सुरक्षा कवच होने काभाव बनाए बैठे होते है |हमारी शिकायत यहीरहती है की हमने सबसे प्रेम सत्य ओर निस्वार्थ भाव से व्यवहार किया ओर सबने हमें ही सबसे ज्यादा उपेक्षित करके छोड़दिया क्या यह सही था|

एक बड़ी शिकायत यह भी रही है हमे सामने वाले ने ठग लिया है ,अपनी आपूर्तियों के लिए उसका व्यवहार विनम्र ओरबहुत दयनीय भाव के भी ऊपर रहा था ,अपने विश्वास को जताने के लिए उसने तमाम झूठ ओर भावनात्मक शास्त्रों कासहारा लिया ,अपने आपको आपका सबसे बड़ा शुभ चिन्तक बताने के लिए उसने आपके हर काम अपने ऊपर लेकर आपकोअपंग बना दिया ,ओर धीरे धीरे आपकी हर सोच पर वह हावी हो गया |फिर अचानक उसने अपने लिए दूसरे ठिकाने ढूढनेचालू किये ओर आपके साथ अन्याय का सिलसिला चालू हो गया क्योकि आपके पूरे अस्तित्व पर केवल वो ही छाया थाजिसने आपको अपनी बैसाखिया दी थी|ओर किसी भी अन्य सोच पर पाबंदी लगा दी थी |आप सबसे ज्यादा वही से अपनेआपको उपेक्षित महसूस कर रहे थे |

दोस्तों यह सब बाते आपको एक पुनर्चिन्तन की ओर प्रेरित जरूर करती है ,एक परम शक्तिशाली शक्ति संपूर्ण जगत के साथआप में भी विद्यमान है , आप केवल शरीर नहीं है एक चिरंतन ओर शक्तिशाली व्यक्तित्व है ,बस केवल यही कमी है किसमाज , सहारों , झूठी प्रसंशा ने आपको अकर्मण्य ओर बनावटी आवरण से ढक दिया है , जिससे आप अपनी ही पहिचानभूल गए है |दोस्त जीवन के इसी बिंदु से सामाजिक ,धार्मिक ,ओर सांस्कृतिक क्रान्ति का आरम्भ हुआ है |दुःख , यातना ओरतिरस्कार से ही इतिहास ने महा पुरुष पैदा किये है ,|उपेक्षा , अन्याय ओर तिरस्कार की घोर ज्वाला को ओर अधिक भड़काकर अपनी सारी ऊर्जा को एक ऐसे सांचे में ढाल कर संकल्प लें कि जीवन को बहुत बड़े मकसद पूरे करने है ओर आप इसअपरमित शक्ति से उसे पूरा भी करेंगे |

जों आपको प्यार ,सम्मान ओर न्याय करने वालो से नफ़रत नहीं करें
सबकी सहायता करें ओर याद भी रखें
सबसे संयमित व्यवहार करें स्वयं को कभी कमजोर बनने दें
हर समस्या के लिए तैयार रहे हर समस्या आपको नए अंदाज में जीना सिखाएगी विश्वास रखें
शिकायत करें ही खुद को दोष दें
भविष्य ओर अतीत के पन्नों को उलट कर बंद करदें वर्तमान को छीन लें |
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सर्व शक्तिमान इश्वर आपके साथ है ओर वह हर समस्या का सटीक हल आपसे निकलवाकर आपको परिष्कृत करदेगा यहविश्वास रखियें |जीवन आपके लिए समस्या नही एक कला होगी जिसमे ख़ुशी शांति ओर श्रेष्ठता छिपी मिलेगी आपको|

Monday, September 12, 2011

अपने तो सपने होते है ----------

जीवन नाम है एक पुरुषार्थ का ,एक साहस का और एक ऐसी अन चाही प्यास का जों अपने आस पास की हर चीज से हरव्यक्ति से हर स्थिति से सम्मान प्यार और एक ऐसी मानसिकता की चाह क़र बैठती है जिसमे केवल स्वयं का आंकलन औरअपने लिए उनके मन में स्थान ढूढना दिखाई पड़ता है |काल समय और जरूरतें सब ही तो बदलती रहती है और उनमे स्वयंको स्थिर सम्मान मिलने की प्रत्याशा खुद दुःख का कारण बन जाती है और हम बार बार अपनी ही बनाई हुई कृति से हाररहे होते है फिर दुःख सुख कैसा |

दोस्तों जों सुख दूसरों पर आश्रित हुआ वह तो सदैव दुःख का कारक होगा ,जीवन भर हमने केवल ये काम ही किये है
  • जों हमें अच्छा लगा वो सबसे अच्छा है |
  • सारी दुनियां की समस्याएं हम सुलझा सकते है |
  • हमारी सोच ज्ञान और निर्णय सर्व श्रेष्ठ है |
  • हमे केवल अपनी चिंता है ,अधिकार याद है और याद है हूँ केयर्स कहना |
नहीं दोस्त हम कुछ भूल रहे है यहाँ सब गति मान है समय सबका तेजी से भाग रहा है उसने यदि हमें मौका नहीं दिया तोआपको भी नहीं देगा और हर कर्म और सोच का प्रतिउत्तर हमारा कल होगा हमे केवल एक चिंतन करने की आवश्यकतानहीं हुई वो स्वयं हम थे |

मित्रोंजीवन जीना एक बहुत बड़ी कला है एक ऐसी कला जों हर किये को पुरस्कृत कर पाए की आपके तमाम जीवन कोअपराध बोध में प्रदर्शित करता रहे |

सबसे ज्यादा उम्मीद कामना और सच आदमी केवल अपने से ही बोल सका है इसलिए उसे ही अपना सच्चा साथी बनाओदोस्तों सबसे अच्छा और प्रेम व्यवहार करें क्योकिं जीवन आप पर एक बड़ी परीक्षा की तरह था आपके हाथ में है ये आपकितने नंबर स्वयं को दे पाते है|

Friday, August 19, 2011

क्रांति बिगुल से स्वर मिलाएं

समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जों तटस्थ है समय लिखेगा उसका भी अपराध

जीवन चलता रहता है युग बदलते रहते है ओर अनवरत चलता रहता है एक दीर्घ कालीन शोषण हर शक्ति संपन्न कमजोर का शोषण कर अपने आपको शेष्ठ बताने की कोशिश करता है |आज राष्ट्र इन्हीं शक्ति सम्पन्नों के हाथ की कठपुतली सा बन गया है उनके शोषण का केंद्र बना समाज अनेक प्रकार से प्रताड़ित किया जारहा है ,सब अपने स्वर में अपनी शक्ति के हिसाब से समाज को शोषित करने में जुटे है |

भारत में समाज में याप्त भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई है की आम आदमी का जीना दुश्वार हो गया है नोकारियों केलिए भटक कर आत्म हत्या करने वाले युवक गरीबी रेखा के अंदर खिसकता समाज ,राष्ट्र के निर्माण ढाचें को खोखला बनाने का काम भी इसी भ्रष्टाचार ने किया है |गरीबी के बड़े चक्रों में फंसी अर्थव्यवस्था में दो जून का भोजन नही जूता पारही लोग अभावों में मर रहे है ओर शक्ति सम्पान्न अपने गोदामों ओर घरों में अकूत संपत्ति अर्जित करने में व्यस्त है |

गांधी की अपरिगृह मानव मूल्यों ओर सबसे पिसे तबके को न्याय दिलाने का मूल भाव आज अन्ना हजारे ने अपने हाथ में लिया है ओर वो एक नव क्रान्ति का बिगुल लेकर समाज में खड़ा हुआ है ,आज समाज का हर वर्ग शोषण का शिकार है उसका भला चाहने वाले खुद साधनों का ढेर बन गए मगर आम आदमी ओर गरीब ओर बेसहारा तथा साधन हीन होगया है
जों लोग कल अन्ना को बुला कर अपने साथ समझाने खरीदने की कोशिश कर रहे थे पलक झपकते ही अन्ना को भ्रष्ट ओर गिरा हुआ बताने लगे |सत्ता के गलियारों ने आम आदमी को बहुत बुरी तरह ठगा है रक्षक को भक्षक बनते देखा है ओर हर क्रान्ति वीर को नेस्तनाबूद करते देखा है |

धर्म संस्कृति ओर गांधी वादी विचारधारा के सत्याग्रह पर पुलिस की बर्बरता पूर्ण कार्यवाही में लहुलुहान आम आदमी आज अन्ना के साथ हाथ बांधे खड़ा है ,पहले भी भाहूत पिटा सिमटा ओर शोषित हुआ है अब वह संघर्ष के लिए तैयार है एक जागृत भारत उसे कुचलने की साजिश अब फेल होगई है ओर आज आम आदमी के हाथ में वो गर्दन गई है जों उसकी इस दशा के लिए जिम्मेदार है |अन्ना नही आज देश का हर युवा यह समझ गया है कि यदि आज नहीं जागा तो १८५७ के बाद १९४७ कि तरह कई दशाब्दियों उसे अपनी आजादी के लिए संघर्ष करना होगा
समय को सहारा नहीं दे सके तुम तो
समय तुमको बागी बनाता रहेगा
तुम्हारे भी कल को भुगतना पड़ेगा
उठो आप जागो नई इस सुबह को

अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...