समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जों तटस्थ है समय लिखेगा उसका भी अपराध
जीवन चलता रहता है युग बदलते रहते है ओर अनवरत चलता रहता है एक दीर्घ कालीन शोषण हर शक्ति संपन्न कमजोर का शोषण कर अपने आपको शेष्ठ बताने की कोशिश करता है |आज राष्ट्र इन्हीं शक्ति सम्पन्नों के हाथ की कठपुतली सा बन गया है उनके शोषण का केंद्र बना समाज अनेक प्रकार से प्रताड़ित किया जारहा है ,सब अपने २ स्वर में अपनी शक्ति के हिसाब से समाज को शोषित करने में जुटे है |
भारत में समाज में याप्त भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई है की आम आदमी का जीना दुश्वार हो गया है नोकारियों केलिए भटक कर आत्म हत्या करने वाले युवक गरीबी रेखा के अंदर खिसकता समाज ,राष्ट्र के निर्माण ढाचें को खोखला बनाने का काम भी इसी भ्रष्टाचार ने किया है |गरीबी के बड़े चक्रों में फंसी अर्थव्यवस्था में दो जून का भोजन नही जूता पारही लोग अभावों में मर रहे है ओर शक्ति सम्पान्न अपने गोदामों ओर घरों में अकूत संपत्ति अर्जित करने में व्यस्त है |
गांधी की अपरिगृह मानव मूल्यों ओर सबसे पिसे तबके को न्याय दिलाने का मूल भाव आज अन्ना हजारे ने अपने हाथ में लिया है ओर वो एक नव क्रान्ति का बिगुल लेकर समाज में खड़ा हुआ है ,आज समाज का हर वर्ग शोषण का शिकार है उसका भला चाहने वाले खुद साधनों का ढेर बन गए मगर आम आदमी ओर गरीब ओर बेसहारा तथा साधन हीन होगया है
जों लोग कल अन्ना को बुला कर अपने साथ समझाने खरीदने की कोशिश कर रहे थे पलक झपकते ही अन्ना को भ्रष्ट ओर गिरा हुआ बताने लगे |सत्ता के गलियारों ने आम आदमी को बहुत बुरी तरह ठगा है रक्षक को भक्षक बनते देखा है ओर हर क्रान्ति वीर को नेस्तनाबूद करते देखा है |
धर्म संस्कृति ओर गांधी वादी विचारधारा के सत्याग्रह पर पुलिस की बर्बरता पूर्ण कार्यवाही में लहुलुहान आम आदमी आज अन्ना के साथ हाथ बांधे खड़ा है ,पहले भी भाहूत पिटा सिमटा ओर शोषित हुआ है अब वह संघर्ष के लिए तैयार है एक जागृत भारत उसे कुचलने की साजिश अब फेल होगई है ओर आज आम आदमी के हाथ में वो गर्दन आ गई है जों उसकी इस दशा के लिए जिम्मेदार है |अन्ना नही आज देश का हर युवा यह समझ गया है कि यदि आज नहीं जागा तो १८५७ के बाद १९४७ कि तरह कई दशाब्दियों उसे अपनी आजादी के लिए संघर्ष करना होगा
समय को सहारा नहीं दे सके तुम तो
समय तुमको बागी बनाता रहेगा
तुम्हारे भी कल को भुगतना पड़ेगा
उठो आप जागो नई इस सुबह को
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
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