Friday, September 25, 2015

basic management of life and your thought जीवन का बुनियादी प्रबंधन और आपके विचार


 basic management of life and your thought
      जीवन का बुनियादी प्रबंधन और  आपके विचार

new management funda  ( story of success)



बहुत बड़ा कद था एस. के. एस का वह एक बड़ी मल्टी नेशनल कंपनी में चीफ था अमरीका बेस कंपनी का अलग अलग देशों में बड़ा अनुभव था उसके पास उसने कंपनी की  प्रगति रिपोर्ट देखा और यह पाया कि दो राष्ट्रों में कंपनी का कार्य बड़ा ही खराब और बंद होने के कगार पर खड़ा है ,एस के ने तुरंत निश्चय किया कि वह स्वयं जाकर वहां की  व्यवस्थाएं देखेगा, जिससे कंपनी  के लाभ और प्रगति में अंतर आ सके, यह सोच कर उसने एक समस्या गत देश को  स्वयं के सघन निरीक्षण में लिया और सुधार कार्यक्रम आरम्भ किया , यहाँ आकर  उसने देखा कि हर कर्मचारी हर व्यक्ति उससे मिलने और स्वयं को श्रेष्ठ बताने की होड़ में लगा है, हर आदमी की रूचि अपने कार्य से अधिक दूसरे के कार्य में है,
एस  के  ने अपने मुख्य सचिव को बुलाया और कम्पनी के बारे में पूछा सचिव ने ढेरों बातें बताई, उसमे हर आदमी का वर्णन बुराई और उसपर ही कंपनी की अव्यवस्था का ठीकरा फोड़ता रहा, चीफ  , एस. के. का सिर घूमने लगा , अलग अलग लोगो से बात करने पर उसने देखा  कि हर इंसान अपने से ज्यादा दूसरों की चर्चा में लगा हुआ है , कार्य स्थल के अलग अलग लोगो को बुला कर उसने जानकारी ली ,फिर दूसरों के  खिलाफ कार्यवाही की गई,फिर उनके पक्ष सुनकर दूसरों के  फिलाफ फिर कार्यवाही हुई ,और सारी कम्पनी का वातावरण  अस्थिर होगया था ,  सघन सी सी टी वी कैमरो के लगाए जाने पर यह स्पष्ट होगया कि, यह ऑफिस कम  एक रूढ़िवादी क्लेशी परिवार का  चित्रण ज्यादा है , हर आदमी अपने काम का रुतबा जमाने के लिए ,काम कम और दूसरों का चरित्र चित्रण अधिक कररहा है , कहीं आशिकी चल रही है  नई  युवतियां अधिक बातों और चेष्टाओं से अकारण ध्यान खीच रहीं थी , कहीं गोष्ठियां , और कहीं कैसे भी काम से बचने का कोई उपक्रम , जैसे ही किसीके फिलाफ कोई निर्णय लिया जाता दुसरे ग्रुप में जश्न मनाया जाने लगता था ,  और दुसरे ग्रुप को नीचे दिखाने के लिए पहला ग्रुप अलग तैयारी करने लगता था ,पुराने ढर्रे पर पुरानी रूढ़िवादी रीतियों में नए काम करने वाले , पढ़े लिखे लोगों को हतोत्साहित भी कर रहे थे ,बार बार यही कहा जाता था तुम दो दिन के बच्चे क्या जानो यह सब , एस के   बहुत अधिक परेशान होकर अपनी सारी योग्यता विहीन सा होने लगाथा  ,विकास के स्थान पर उसमें भी नकारत्मकताएं आने लगी ,और पूरा जीवन का सफल क्रम उसे मुंह चिढ़ाने लगा ,उसने  अपने ध्यान रूम में स्वयं को एकाग्र  किया , अचानक विडिओ काल पर उसके गुरु का फोन अाया वे बोले बेटा आप बहुत परेशान हो ,पूरी घटना सुनने के बाद गुरु बोले  बेटा अब मै  जैसा कह रहा हूँ आप वैसा ही करें कर्त्तव्य को एक कर्ता  के रूप में देखें, और कर्म स्थल को युद्ध के मैदान की तरह ,जंहाँ आदर्शों के साथ आपको सब कुछ जीतना है ,गुरु ने बताया कि

हर काम करने वाले आदमी को एक नए सिरे से प्रशिक्षण दिया जाए |
हर कर्मचारी का दायित्व उसे पूर्ण करना है ,वह कृष्ण के कर्म योग का मेंबर है उसकी जीवन की सफलता भी ,काम की सफलता पर है | 
 साथ ही विकास के कार्यों हेतु  एक नई युवाओं की टीम बनाई जाए |
ऑफिस के क्षेत्र को पीस एरिया घोषित करें, जहाँ जोर से बात करना , अप्रासंगिक बातें करना प्रतिबंधित हों |
सामान्य बातों के लिए अलग रूम और व्यवस्था की जाए |
समयानुसार मूल्यांकन किया जाए , और माह में एक बार उनसे दिन के अनुसार रिपोर्ट और समस्याएं जरूर पूछे |
सबकी कमियों के स्थान पर उनकी स्ट्रेंथ पर ध्यान लगाए |
किसीको भी किसी के बारे में बोलने का हक ना दें| 
स्वयं अपने तकनीकी स्त्रोतों से व्यक्ति के बारे में जानकारीलें  और सम्बंधित से बात करें |
हर बातके निर्णय को अपने ऊपर न लेकर सबकी  जबाब देही  स्पष्ट करें
७ - ७ डेज के सजा के प्रावधान किये जाए जिसमे वेतन न काट कर केवल उसे आराम वाले कमरों में बैठाया जावे
कोई काम न दिया जावे ,
व्यक्ति  को धर्म से जोड़े तथा उसका प्रेक्टिकल भी कराते रहें |
जो लोग कंपनी के लिए स्वयं को नहीं बदल सकें उन्हें दुगना पैसा देकर कंपनी से अलग किया जाए |
                             
 एस  के ने जैसे ही नियमों के तहत काम आरभ किया कंपनी का वातावरण बदलने लगा कुछ विरोध के बाद  योजना सफल होने लगी , कार्य स्थल पर बात न करना और सेंट्रल रूम का सघन चेकिंग में देखते हुए लोगो का व्यवहार बदलने लगा , प्रशिक्षण और विकास के के कार्यों से जुड़कर आज यह कम्पनी विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों  में से एक है , और एस  के एक सफल और श्रेष्ठ डायरेक्टर भी है |

आज का जीवन समाज और वातावरण इतना जटिल होगया है कि आदमी अपनी  चिरंतन शान्ति और जन्म से मिला  गुण या यूँ कहिये अपना स्वयं का संतोष स्वयं खो बैठा है , उसके चारो ओर  अपर्याप्तता , असंतोष , अस्थिरता , और अँधेरा ही अँधेरा दिखाई देता  है , उसे अपने ही अंदर हजारों  कमियाँ दिखाई देती   है ,और बार बार जब उसकी  आत्मा उसका आंकलन नहीं कर पाती तो  स्वतः उसमे नैराश्य पैदा होने लगता है , फिर जहां का उत्पादन ही नकारात्मकता के वातावरण से आरम्भ  हो वहां कैसे आनंद का उद्भव हो पायेगा ,अतः सफलता के लिए प्रयास अवश्य  किये जाने चाहिए |
तुलना
आज की सबसे बड़ी समस्या है तुलना हम जिन परिवारों में पले  बढ़े  है उनसे हमने यही सीख पाया है कि किसके यहाँ क्या है हमारे पास क्या नहीं है  यूं कहिये   उसकी कमीज मेंरी कमीज  सफ़ेद क्यों , हमारे समाज, परिवार ,और मित्र मंडली के पास क्या क्या सुविधाएं  कौन कितना पढ़ा है कौन कितना बड़ा है और हम पर क्या नहीं है इसका विचार हम केवल  और ,मित्रों में ही  अपितु    आदि हो जाते है , परिणाम  यह कि  हमारा तमाम जीवन  दुःख और  परिभाषाएं ही नहीं तय करपाता , हम अपने से अधिक किसी पर  देखने को ही तैयार नहीं हैं |
 basic management of life and your thought  जीवन का बुनियादी प्रबंधन और  आपके विचार
भाव शून्यता
पास के  घर से एक बड़े  शोर और रोने   आयी रोने के सामूहिक स्वर  बहुत तेज थे बड़ी चीत्कार थी  एक निरीह सी रोने की  रट बैठ सी गई थी बहुत गहरा दर्द था उसमे , लोगो की भीड़ इकट्ठी  लगी थी समाज परिवार भी इकठ्ठा होने लगा मालूम यह पड़ा  कि  गुप्ता जी के बड़े लड़के की एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई है , बड़ा  नेक और आई आई टी पास करके गूगल में सर्विस कररहा था बच्चा ,  मैंने भी खा बहुत बुरा हुआ ,  मन  भीड़  में  विचार करने लगा अपने बच्चे के साथ का ही तो था , बड़ा घमंड था बाप को होगया न सब खत्म , हमारे लड़के को  कभी सपोर्ट नहीं किया , बाप को बहुत घमंड था , बहुत उड़  रहा था साला , ये तो होना ही था अचानक अपने बच्चों के साथ यही हादसा न हो जाए   सोचकर झटका लगा  और ईश्वर की और देख कर सच्चे   बहुत बुरा हुआ ------ यही समाज यही परिवार यही है आपके वो अपने जिनकी आप अपने सपोर्ट के लिए परिकल्पना करते है शायद आप सब कुछ जानकर भी अनजान बने अंधों की   तो ठोकर तो लग्न लाजिमी है |

सकारात्मकता 
 मित्रो  आज यदि आपको अपने जीवन को सकारात्मक देकर स्वयं को सफलता देनी है तो सर्वप्रथम  अधिकार दायित्व कर्त्तव्य , संसाधन और अपनी कार्य करने की शक्ति का  आवश्य होना चाहिए , क्योकि यह ध्यान रखें यदि आपने अपनी शक्तियों और कमजोरियों का नहीं रखा तो  जीवन के मूल उद्देश्य  अपनी सफलता तक ही नहीं पहुँच पायेगा ,हम अपनी शक्तियों के साथ नितांत अकेले है

स्वयं का चिंतन
जीवनके अधिकाँश भाग व्यर्थ  गंवाते रहते है, हम  अपने लिए   कुछ करते ही  नहीं  है , हमारा चिंतन , कार्य और सोच सब दूसरों के इर्द  घूमती रहती है , नौकरी इसलिए करनी है की सबका पेट पलना है , पढ़ाई इसलिए करनी है कि नौकरी मिल जाए ,  शादी  करनी है क्योकि घरवाले अपने दायित्व निभा पाएं ,बच्चे इसलिए  कि  वे हमारी सेवा करते रहें भले ही हमने जीवन में अपने बड़ों  की सेवा की हो या न की हो ,यानि की हर , चीज हम वही  करने की  कररहे है जिससे हमे थोड़ा शारीरिक सुख मिल जाए, जबकि सुख का सम्बन्ध आत्मा से है जिसके  पर  कुछ है ही नहीं | जीवन के  बुनियादी प्रबंधन में इनका प्रयोग अवश्य करें


  • दूसरो को सम्मान देना सीखिये क्योकि आप समाज को जो भी दे रहे है आपको वही वापिसी में मय  ब्याज के मिलने वाला  है , इससे आपका सम्मान बढ़ेगा | 
  • गलतियों पर तुरंत प्रतिक्रिया न  दें थोड़ा प्रतीक्षा करें , और सामने वाले को यह अवश्य मालूम हो जाए कि आपने उसकी गलती जान ली है मगर उसे जलील न करें | 
  • आअप ईश्वर , अल्लाह , ईसा और आप जिसे भी पूरे ब्रह्माण्ड की परम सत्ता मानते हों स्वयं को उससे जुड़ा हुआ महसूस करें और हर कर्त्तव्य के समय सही गलत पर विचार अवश्य करें | 
  • दिन में एक समय ऐसा भी निकालें जिसमे यह विचार अवश्य करें मई अपने और अपनी अंतरात्मा के आदर्शों के निर्माण हेतु क्या कर रहा हूँ | 
  • जीवन का मूल सिद्धांत है कि  वह   केवल उन्हें इतिहास रूप में याद कर पाता  है जो अपने आदर्शों से समाज और राष्ट्र के लिए मिसाल बन सकें वैसे तो इतिहास असंख्य खजानों के स्वामियों को भी याद नहीं करने देता | 
  • दूसरों के दुःख में अवश्य शामिल हों उर यही विचार करें की ये हादसा यदि उनके घर में होता तो उन्हें कितना दुःख होता , भविष्य अनिश्चित है और प्रकृति से सबको दर कर रहना चाहिए | 
  • जिन विषय स्थितियों पर आपका वश  नहीं है उनके बारे में सकारात्मक रुख बनाये रखिये क्योंकि आपके साारात्मक रुख रखने से परिस्थितियों का सामना करने की ताकत आपको सहज मिल जायेगी | 
  • हर समस्या का कोई नियत हल अवश्य है वह केवल ढूढने से एवं  प्रयत्न से ही  आपको प्राप्त होगा ये  विश्वास अपने मन में बनाये रखिये | 
  • स्वयं के कार्यों और सोच पर कड़ी नजर बनाये रखिये और समयानुसार उसमे परिवर्तन करने का प्रयत्न करते रहिये क्योकि निरंतर प्रयत्न से जीवन सहज हो जाएगा | 
  • शरीर सुख आपमें थोड़े समय बाद वितृष्णा , चिड़चिड़ापन , अपश्चाताप और वैराग्य का भाव देगा जबकि मानसिक ऊचाइयों पर पहुँच कर आपको सत् चित आनंद की प्राप्ति होगी |

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