Sunday, March 8, 2015

रिश्तों का सम्मान करें ,उनका उपयोग न करें (respect relationships ,don't use them )


 सत्यार्थ एक आधुनिक युवक था हजारों रिश्तों के बीच रहता था जिस महाविद्यालय से वह एम. टेक कररहा था वहां की अधिकाँश लड़कियां उसकी दोस्त थी , पैसे वाले पिता के सत्यार्थ के अलावा दो बच्चे और थे सत्यार्थ अपने छोटे भाई और बहिन को यह शिक्षा जरूर देता था  कि  यारी दोस्ती में रखा ही क्या है सब मतलबी होते है , बहिन ,  भाई सुनते और धीरे धीरे मुस्कुराते रहते , समय बीतता गया सब चलता रहा  अच्छी विदेशी कंपनी में काम  था वहां भी  दोस्तों यारों में डूबा और अच्छा  और अच्छा करते हुए हुए जीवन निकल रहा था , हर रोज के ऐशो आराम में दोस्तों की तुलना भी की जाती  यह अच्छा है वो बिलकुल नीरस है परन्तु यह ध्यान भी रखा जाता था कि उसके दोस्त केवल उसपर ही आश्रित रहें कहीं और न चले जाएँ | पिताजी पर रिश्तों की  भरमार थी पिता ने पूछा  बेटा कोई लड़की हो तो बता , सत्यार्थ ने सैकड़ो दोस्तों और परिचितों का ध्यान किया, उसे वो लड़की नहीं मिल सकी ,हर लड़की के बारे में सोचता, फिर सोचता बदमाश है वो तो ,जब मेरे साथ इतनी खुली है तो क्या  उसका विश्वास करें ,तब पिता ने एक लड़की का सम्बन्ध बताया,  मध्यम परिवार खूबसूरत पतली दुबली लम्बे कद की उच्च शिक्षित लड़की , सत्यार्थ ने तुरंत हामी भर दी यह शादी माँ बाप के लिए सही ,शादी हुई लड़की घर आई  परन्तु सत्यार्थ को उसने हमेशा खोया खोया सा पाया ,चिड़ -चिड़ा   और थका हुआ सा भारतीय नारी की तरह नई बहू सबका सम्मान ,काम करती रही सत्यार्थ  ने पत्नी से एक दिन कहा कि आगे की  पढाई अपने घर से करो ,यह कह कर उससे पल्ला झाड़ लिया ,लड़की पिता के घर से आगे पढने लगीऔर वही एक अच्छी विदेशी कंपनी में नौकरी भी कर ली , और सत्यार्थ अपने दोस्तों और समूह के साथ रंगरेलियां मनाने में मस्त हो गया ,  बात पर वह हमेशा कहता था भारतीय नारी,जाहिल,गंवार ,मूरख  -चार लोगो में बात करने का सलीका नहीं शर्म पर्दा क्या है ये, चलो वो तो घर की नौकर ही तो है | १५ अगस्त को सत्यार्थ ने अपने समूह के साथ पिकनिक जाने  का तय किया , तमाम लड़के लड़कियां शराब और कबाब में शोर   मचाते, हरकतें करते , चले जा रहे थे अचानक सत्यार्थ की कार एक खड़े ट्रक से टकरा गई ,तीन महिला मित्र धीरे धीरे वहां से खिसक कर दूसरी गाड़ियों में बैठ गए एक मित्र ने नब्ज देखी उसे नब्ज बंद लगी , उसने  सबको बताया फालतू के पुलिस के चक्कर में फसेंगे उसने ३-४ जगह फोन कराये और सब भाग लिए | अस्पताल में होश आने पर उसने २० दिन बाद दखा कि सामने केवल माँ बैठी  रो रही थी, उसने देखा पास ही पत्नी   फर्राटेदार  इंग्लिश में किसी डॉ से बात कररही है ,बाद में मालूम हुआ  कि पत्नी सबसे पहले सत्यार्थ को अस्पताल लेकर पहुंची थी ,उसके कमर से नीचे का हिस्सा लकवा ग्रस्त हो चुका था, डॉ उम्मीद छोड़ चुके थे मगर पत्नी अपने तर्कों से उन्हें आगे के  इलाज के लिए मानती मिली ,अस्पताल में कई माह और होगये थे, एक भी दोस्त नहीं दिखा था ,पत्नी ने गहने पैसे और अपनी नई जॉब के बीमा के कार्ड इलाज में लगा रखे थे ,अचानक वह पत्नी का हाथ पकड़ कर जोर जोर से रोने लगा उसे दुनियां की नश्वरता का ज्ञान  था ,विदेशी इलाज और प्रार्थना से सत्यार्थ ठीक होगया था  दुनियां की सच्चाई उसकी समझ आगई  थी ,अपनी पत्नी को अलपक देखते हुए एक आंसू उसके गाल पर ढलका उसने पत्नी के पल्लू से अपना मुंह ढक लिया पत्नी सिर पर हाथ फेरने लगी ,जैसे वो आज सब समझ गया हो |

आधुनिक युग में हम केवल यह मान बैठे है कि समाज को जीतने के लिए हमारा आधुनिक होना आवश्यक है हम सब कुछ समझते है और जो हम बाहर देख रहे है बस वो ही सबसे ज्यादा आधुनिक है और उसके बिना हम रूढ़िवादी , गंवार और असभ्य लगेंगे और केवल यही कारण है कि हम अपने आपसी संबंधों का भी शोषण करने लगे है , हम सबसे पहली नजर में आदमी को आँखों ही आँखों में तौलते है कि ये मेरे किस मतलब का है ,फिर जैसा काम होता है  उतनी ही चापलूसी और व्यवहार करने लगते है फिर जैसे ही हमारा काम पूरा हुआ हम सामने वाले में हजारों कमियां निकाल देतें है , क्या हम इसी को जीवन कहते है | 


एक  अन पढ़ माँ - बाप ने स्टेशन पर किसी को अपने बेटे का पता लिखा कागज़ दिखाया,बाबू जी यह मेरे बेटे का पता  बताना जरा ,पत्र पढने वाले की आखों में आंसू आगये उसमे लिखा था अब इनपर कुछ नहीं बचा है कृपया इन्हे किसी अनाथालय का पता बता दें | धन्य है  ऐसी तथाकथित आधुनिकता और धन्य है वे लोग जो अपनी पीढ़ियों को अनाथालय बनवाने का सन्देश दे रहे  है ,माँ बाप पत्नी- पति भाई-बहिन और रिश्तों में समय हर आदमी हमारे उपयोग करने फेकने और आगे बढ़ जाने के सिवा  कुछ है ही नहीं , हम एक झटके में सारे रिश्ते नाते तोड़कर अपने रस्ते चल देते है ,और पूरे समाज में एक ऐसी होड़ मच गई है कि कौन किसको कितना और कितनी जल्दी धोखा देकर काम निकालपाता है | 

  
आधुनिक युग बाजार का युग है यहाँ बड़े बाजार की हर खूबसूरत चीज डमी  को पहना कर प्रदर्शित की जा रही है , हम अपनी  तरह तरह की तस्वीरें सोशल मीडिया की साइड्स  पर डाल  कर अपनी लोकप्रियता देखना चाहते है , मित्र  हमारा उपयोग , ब्लेकमेल और अंतरंग क्षणों को सार्वजनिक बनाने में लगे है और हर उस चीज की नीलामी में रिश्ते भी बिक रहे है ,जो साधन हीन , लाचार और आदर्शों पर चलने वाले दिखे वो हमने रूढ़िवादी कह कर छोड़ दिए और हर रिश्ते को एक पायदान समझके हम ऊपर चढ़ते चले गए शायद हम यह भूल जाते है कि आज नहीं तो कल हमें लौटते में इन्ही पायदानों की फिर जरूरत होगी |


जवानी , धन , बल , यश ,और फिगर समय के साथ तुम्हें मुंह चिढ़ाने लगेंगी और खूब सूरत और धनवान बनने की कोशिशें आपको समाज परिवार समाज से दूर कर दँगी ,अथाह  ढेर पर बैठ कर आप जब समाज और परिवार को ध्यान करोगे तो आपको लगेगा कि  मैंने उन्हें अपने लायक माना ही कहां ,और जो लोग मुझे पसंद आते वे मुझे हीन मानकर मेरे से दूर भाग रहे होंगे , क्योकि जीवन भर मैंने उनका उपयोग किया और अब आज जब मैं समय से हार रहा हूँ, तब सब मुझे तिरस्कृत और समय मेरा सबसे शोषण या उपयोग कररहा है ,अब तो न धन न बल न यश कुछ काम आरहा है और सौंदर्य अब रहा ही कहां है ,शायद मैंने जीवन को  हर इंसान का उपयोग और उसके बाद उसे फ़ेंक देने की जो सभ्यता दी थी समय मुझ पर ही उसका प्रयोग  कर रहा है , आज बस मैं यही कह सकता हूँ ,आप ऐसा न करें सम्बन्ध जीवन की वह ज्वलंतंतता और  आदर्श है, जिसके बिना हम  निकृष्टतम सिद्ध होते है | रिश्तों  को आधार हीन  बनाने वाले स्वयं अपना अस्तित्व ख़त्म कर डालते है | 

रिश्तों के सम्बन्ध में निम्न को अवश्य अपनाएँ 


  • किसी भी रिश्ते को आधार हीन  नहीं समझे समय के साथ कभी न कभी हर स्तर के रिश्ते हमारे काम आ सकते  है यह ध्यान अवश्य रखें | 
  • सबसे व्यवहार विनम्र ही रखें क्योकि रिश्तों की आवश्यकता हर कदम इंसान को सम्बल देती रहती है और यहीं से वह स्वयं सशक्तहोता हुआ पाता है | 
  • परिवार के हर सदस्य का अपना महत्व है आपको चाहिए  कि  सबसे साफ और पूर्ण व्यवहार रखें क्योकि हर व्यवहार आपसे नियत अपेक्षा करता है | 
  • समाज में अपना व्यवहार दया करुणा और सहायता का बनाये रखें क्योकि समाज आपसे यही अपेक्षा करता है कि आप उसे सहायता और विकास देने का प्रयत्न करें | 
  • अहंकार से स्वयं को दूर रखें क्योकि आपका  अहंकार आपको समाज परिवार और अपनों से दूर कर देता है जबकि यही आपकी ताकत के रूप में आपको बल दे रहा होता है |
  • रिश्तों  को शोषण एवं  उपयोग का साधन नहीं मानें यदि आप आज  उपयोग करके उन्हें तिरस्कृत करेंगे तो आपकी आगामी पीढ़ी भी आपको यही व्यवहार वापिस करेगी | 
  • अपने व्यवहार में स्पष्टता बनाये रखें यदि आप अपने परिवार समाज और राष्ट्र को धोखा या  असत्य के बल पर उसे गुमराह करेंगे तो समय के साथ आपकी वास्तविकता स्वयं यह सिद्ध कर देगी कि आप धूर्त है और उसकी सजा आपको अवश्य मिलेगी | 
  • अपना व्यक्तित्व आदर्शों और सत्य के साथ जोड़ने का प्रयत्न करें ,क्योकि आदर्शों और सत्य के सिद्धांतों में दीर्घ काल तक परिवर्तन नहीं होते | 
  • समय को जीतने का प्रयत्न करें समय को केवल वह जीत  सकता है जो अपने  दूसरों के हित में प्रयोग कर सके क्योकि आप यदि विकास के दूत बने तो उस्सव सम्पूर्ण राष्ट्र आपको जीवन में अमर कर देगा | 
  • धर्म  की प्राथमिक परिभाषा है  "सः  धारयते  इति  धर्मः " जो धारण करने योग्य  है   वही धर्म है और धारण करने योग्य है केवल सत्य और सकारात्मक कर्म अतः स्वयं को सकारात्मक कर्म से जोड़े रखें | 
  • अहिंसा से  अधिक बड़ा  धर्म है ही नहीं ,अहिंसा का सत्य अर्थ यही  आप स्वयं पूर्ण शांति से जिए और दूसरों के लिए भी शांति से जीवन जीने की नीव रखे | 
  • समय अनुसार अपना मूल्यांकन करते रहें यह अवश्य ध्यान रखें कि यदि आप कही स्वार्थी , अनादर्शों पर चल रहे है तो उनमे समयानुसार सुधार करते रहें |




Saturday, March 7, 2015

आपकी सफलता और असफलता ( Your success and failure)

एक महात्मा जी ध्यान में लगे थे और उनका पुत्र अपनी माँ से लड़ रहा था क्या  मैं कुछ नहीं  कर पाउँगा ,लोगो के पिता उनका कितना सहयोग करते है , कितनी सहायता उनके परिवार वाले देते है , मगर मैं जब भी यह कहता हूँ  कि मुझे धन दौलत और सांसारिक साधन चाहिए तो वो हंसने लगते है , मै जानता हूँ वो सब कर सकते है , माँ ने बात सुनी और कहा  पुत्र आप धैर्य रखो वो ठीक ही सोच रहे होंगे , बच्चा  पांव पटकता हुआ वहां से चला गया ,ऐसा अनेक बार हुआएक दिन बहुत क्लेश के बाद माँ ने पिता से पुत्र के सामने ही  कहा कि आप एक समर्थ साधक हो क्या आप 
 अपने ही पुत्र को वह सब नहीं दे सकते जो वह चाहता है , मैंने आपसे जीवन भर कुछ नहीं माँगा ,आज मै आपसे यह प्रार्थना करती हूँ कि आप उसे  सांसारिक साधन और उन्नति जो वो मांग रहा है सब देदें इसके बाद  मैं आपसे कुछ नहीं मांगूंगी ,महात्मा गहरे सोच में डूब गए आँखों के किनोर गीले हो गए मन का बोझ चेहरे पर दिखने लगा फिर अचानक उन्होंने आसमान की और देख और गहरी स्वांस लेकर कहा  मालिक जैसी आपकी इच्छा फिर वो बड़े भारी भाव से पुत्र और पत्नी की और आये और बोले हाँ बोलो   बेटा आपको क्या चाहिए पुत्र माँ से बोला सबसे महंगा क्या है माँ ने तुरंत कहा सोना ,हीरा ,प्लेटिनम जो लोग गहनों में पहनते है ,पुत्र ने तुरंत  कहा वो तो थोड़ा थोड़ा पहनते है , फिर वो पिता की और मुडा  और बोला आप ऐसा कुछ करो कि जब भी  मैं  ये सब मांगूं तो वो भारी मात्रा में बरसने लगे , माँ तुरंत बोली २० -२० किलो की सिल्ली जैसे पुत्र बोला नहीं ५०-५०- किलो की सिल्ली ले रूप में , पिता सुनता रहा और परेशान होता रहा बहुत ज्यादा जिद करने पर उसने कहा जाओ मैं  तुम्हे ये ही शक्ति देता हूँ मैं जानता हूँ यह ठीक नहीं है पर अब बेकार है ये ज्ञान की बातें आप खुले आसमान मेँ  जाकर जब भी इस मंत्र का जाप आसमान की और देख कर करोगे तब जैसा चाहते हो वैसी ही बरसात होगी यह कहकर पिता ने पुत्र को एक मंत्र बताया और आसमान  की और देख कर बड़े आर्त  भाव से रोने लगे , पुत्र दौड़ कर सामने खुले आसमान के नीचे गया और आसमान की और देखकर मंत्र बुदबुदाया , फिर जोर जोर से मंत्र पढ़ने लगा , आसमान में भारी गड गड़ाहट होने लगी और सम्पूर्ण वातावरण एक धुंध से ढक गया ,धड़ाम धड़ाम की बड़ी आवाजें आती रहीं और जब वह सब शांत हुआ तो माँ ने देखा कि पुत्र के ऊपर बड़ी बड़ी सिल्लियां पडी है और वह निष्प्राण हो चुका  है माँ पर अब केवल रोने के सिवा  कुछ था ही नहीं और पिता गहरी समाधी  में थे आंसुओं से भरे चेहरे के साथ |जैसे समाधिस्थ पिता का आंसू भरा चेहरा पूछ रहा हो कि  कौन रहा सफल मै  मेरा पुत्र या मेरी पत्नी और या समय ?ये आप तय करें | 


जीवन इन्ही मानसिकताओं में घूमता रहता है कि वह केवल सफलता और सफलता के पायदानों पर खड़ा रहता है , उसे किसी भी अवस्था में न सुनने की आदत न रहे और वह अपने आपको सर्वश्रेष्ठ   दिखा सके बस इसी उधेड़ बुन में पूरा जीवन धीरे धीरे निकलता जाता है और मन एवं मष्तिष्क अपने झूठे खोखले आदर्शों को सबसे अच्छा मानते हुए समाज और अपने आधिनस्थों  पर थोपता रहता है , और भ्रम यह कि  वह सर्व श्रेष्ठ है ।

मन का एक भाग सत्य को प्रोत्साहित करता है और दूसरा भाग असत्य को और सम्पूर्ण जीवन में अधिकाँश भाग में हम अपने आपको प्रोत्साहित करते हुए असत्य भाग के संपर्क में बने रहते है इससे न तो हमें अपनी त्रुटियों का आभास हो पाता  है और न ही हम अपने आपको पूरे जीवन भर समझ ही पाते है , हर विषय वस्तु जिसे हम अपने लिए अच्छा  समझते है आदर्श मान कर दूसरों को अमल  करने  सलाह देने लगते है जबकि वस्तुतः वे स्वयं सही गलत ही नहीं जानते ,समय का उत्तरार्ध ही उन्हें अंत में  बताता है  की वे मूल्य और आदर्श केवल धोखा और कपट और अपने अहंकार के द्योतक  थे  और उसका केवल एक परिणाम  बचा है पश्चाताप और पश्चाताप और बिगड़ी हुई पीढ़ियों  की दी जा रही  यातना | ध्यान रहे सत्य के भाग से दीर्घ कालिक सफलता और संतोष मिलेगा और असत्य के भाग में केवल यातनाएं होगी |


अब यहाँ एक यह भी महत्व पूर्ण प्रश्न  है कि आप सफलता असफलता समझते किसे है एक छोटा बच्चा पूजा  कमरे में घुसकर  दीपक की लौ खाना चाहता है या जलते हुए हवन में हाथ डालकर लाल और पीली चमकती लौ निकालना चाहता है माँ बार बार उसे बिना भाव के दूर हटा देती है बिना क्रोध और भाव के अब यदि  बड़ा होकर यह कहे कि आपने मुझे सफल नहीं  होने दिया तो बड़ी विडम्बना ही है न | हम सब भी हर रोज वो तमाम चीजों के  पीछे भाग रहे होते है जिससे हमारा अस्तित्व ही संकट में पड़  सकता है मगर जिद और केवल जो हमारी सोच से नहीं हुआ वह गलत है तो हम असफल है या महात्मा ने अपने पुत्र को सोने की पटियां  मंत्र देकर सफल बनाया जिससे उसकी मृत्यु हुई ,क्या सही है वह सफल हुआ या असफल यह आप  समझें ,



एक परम सत्ता सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नियंत्रित कररही है और हम सब उस सत्ता के क्रियान्वयन स्त्रोत है हम अपने बारे में वह सब नहीं जानते जो वह सत्ता जानती है और वह किसी रूप में भी हमारा अहित नहीं होने देगी यह विश्वास यदि मन  मष्तिष्क में स्थिर हो जाए तो आपको सफलता का पूर्ण मायने प्राप्त हो जावेगा ,जो सफलता मनुष्य को आत्म संतोष और मानसिक शांति दे पाये बस वही सफलता श्रेष्ठ है वैसे तो यहाँ कितने ही सम्राट अपने अपने अनुसार स्वयं को सफल बता कर भी अंत में मानसिक शांति के बिना ही  दुनियां से चले गए है जिन्हे जीवन ने असफल सिद्ध कर दिया |



आज आवश्यकता इस बात की नहीं कि हम संसाधनों का ढेर बन कर बैठे रहें और स्वयं को सफल सिद्ध समझते रहें ,मित्रों पद , बल, संसाधन ,रूप रंग और सत्ता बहुत दिनों तहतक आपके साथ नहीं चल पाएगी , केवल आपकी सफलता में यदि आपका आत्म संतोष का भाव उत्पन्न हुआ है तो वह  आपकी सच्ची सफलता होगी


                                  
   सुख दुखे समेकृत्वा लाभा लाभो  जयाजयो

सुख दुःख लाभ हानि जय पराजय सब ईश्वर के द्वारा निर्मित है और सशक्त साधन है जीवन को सभालने के उनमें जो लोग स्थिर भाव रखते है वो  निश्चित रूप से जीत सकते यही , जो सामान्य मनुष्य बनकर दुःख हानि असफलता में अपना धैर्य खो देते है वो वास्तव में सफलता और जीवन का दोनो का ही अर्थ नहीं जानते, सार यह है कि सब में शांत प्रसन्न रह कर अपने संकल्पों को दोहराते रहे आपको सफलता अवश्य मिलेगी |


       सफलता और असफलता के लिए निम्न का प्रयोग  करें


  • जीवन में हर रोज हजारों लक्ष्य हमारे सामने होंगे ,और  हर जगह श्रेष्ठ सिद्ध होना चाहेंगे जहां हम श्रेष्ठ सिद्ध नहीं हो पाये वहां हम क्रोध , दुःख ,अनमनेपन और क्षोभ से ग्रसित न होकर अगले प्रयासों को सार्थक करने की पहल करें तो जल्द सफलता मिलेगी | 
  • जीवन को किसी एक असफलता से  जोड़कर भविष्य की  की जावे क्योकि जीवन के हजारों लक्ष्यों में अनगिनत ऐसे है जहाँ केवल आप ही सफल हो सकते है | 
  • जीवन में अपनेत्रुटियों की ग्राह्यता बनाये रखिये अपनी त्रुटियों के लिए दूसरों को दोष न दें यदि आप अपनी त्रुटि स्वीकार कर पाये तो भविष्य आपको जल्द ही सफल बनाएगा यह विश्वास बनाये रखिये | 
  •  सफलता आपको अंतरात्मा के सत्य से आपको सराहे बस वही सफलता श्रेष्ठ हो सकती है क्योकि केवल भौतिक भाग दौड़ की सफलताएं आपका सम्पूर्ण  ख़त्म कर देती है | 
  • एक परम सत्ता आपको अनुदेशित कर रही है और आपकी सफलता उसका उद्देश्य भी है आप उसे जानने का प्रयत्न एवं आत्मा की आवाज से उसे सुनने का प्रयत्न करें आपको पूर्ण सफलता मिलेगी | 
  • सफलता के लिए स्वयंको अति प्रयत्न शील होना चाहिए जहाँ भी थोड़ा कमी लगे वहां अपने प्रयासों से उसे अधिक समझ कर हल  प्रयत्न करें | 
  • सफलता के लिए आत्म चिंतन करना आवश्यक है ,और  आत्म चिंतन सदैव सकारात्मक ही होना चाहिए इससे आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार स्वयं होने लगेगा | 
  • जो विचार आपको अधोइक परेशान कररहा हो उसे अपनी ध्यान शक्ति सामने खड़ा करके यह कहें की आपको  बाद में सोचते है ऐसा ३-४ बार दोहराएं | 
  • सफलता  प्रसन्नता देती है तो असफलता आपको एक अध्याय पढ़ाती है  कि आप सफलता के लिए एक प्रयास और करें जिसमे आपकी कर्म शक्ति और विकसित हो पाये | 
  •  असफलता को एक भाव से जीने वाले जीवन के सम्पूर्ण क्षेत्र में स्वयं महान सफलता अर्जित कर लेते है क्योकि वे जीवन को जीतने की शक्ति  रखते है |
  • जीवन का प्रतियोगी भाव से आंकलन नहीं किया जा सकता , दूसरों से अपनी तुलना कभी नहीं करें और अपनी अंतरात्मा के अनुरूप निर्णय लेने का प्रयत्न करें | 
  • सकारात्मक परामर्श पर नकारात्मक शंशय खड़े मत करें क्योकि जीवन में आपको सकारात्मक दिशा देने वाले काम लोग ही होते है |

अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...