सत्यार्थ एक आधुनिक युवक था हजारों रिश्तों के बीच रहता था जिस महाविद्यालय से वह एम. टेक कररहा था वहां की अधिकाँश लड़कियां उसकी दोस्त थी , पैसे वाले पिता के सत्यार्थ के अलावा दो बच्चे और थे सत्यार्थ अपने छोटे भाई और बहिन को यह शिक्षा जरूर देता था कि यारी दोस्ती में रखा ही क्या है सब मतलबी होते है , बहिन , भाई सुनते और धीरे धीरे मुस्कुराते रहते , समय बीतता गया सब चलता रहा अच्छी विदेशी कंपनी में काम था वहां भी दोस्तों यारों में डूबा और अच्छा और अच्छा करते हुए हुए जीवन निकल रहा था , हर रोज के ऐशो आराम में दोस्तों की तुलना भी की जाती यह अच्छा है वो बिलकुल नीरस है परन्तु यह ध्यान भी रखा जाता था कि उसके दोस्त केवल उसपर ही आश्रित रहें कहीं और न चले जाएँ | पिताजी पर रिश्तों की भरमार थी पिता ने पूछा बेटा कोई लड़की हो तो बता , सत्यार्थ ने सैकड़ो दोस्तों और परिचितों का ध्यान किया, उसे वो लड़की नहीं मिल सकी ,हर लड़की के बारे में सोचता, फिर सोचता बदमाश है वो तो ,जब मेरे साथ इतनी खुली है तो क्या उसका विश्वास करें ,तब पिता ने एक लड़की का सम्बन्ध बताया, मध्यम परिवार खूबसूरत पतली दुबली लम्बे कद की उच्च शिक्षित लड़की , सत्यार्थ ने तुरंत हामी भर दी यह शादी माँ बाप के लिए सही ,शादी हुई लड़की घर आई परन्तु सत्यार्थ को उसने हमेशा खोया खोया सा पाया ,चिड़ -चिड़ा और थका हुआ सा भारतीय नारी की तरह नई बहू सबका सम्मान ,काम करती रही सत्यार्थ ने पत्नी से एक दिन कहा कि आगे की पढाई अपने घर से करो ,यह कह कर उससे पल्ला झाड़ लिया ,लड़की पिता के घर से आगे पढने लगीऔर वही एक अच्छी विदेशी कंपनी में नौकरी भी कर ली , और सत्यार्थ अपने दोस्तों और समूह के साथ रंगरेलियां मनाने में मस्त हो गया , बात पर वह हमेशा कहता था भारतीय नारी,जाहिल,गंवार ,मूरख -चार लोगो में बात करने का सलीका नहीं शर्म पर्दा क्या है ये, चलो वो तो घर की नौकर ही तो है | १५ अगस्त को सत्यार्थ ने अपने समूह के साथ पिकनिक जाने का तय किया , तमाम लड़के लड़कियां शराब और कबाब में शोर मचाते, हरकतें करते , चले जा रहे थे अचानक सत्यार्थ की कार एक खड़े ट्रक से टकरा गई ,तीन महिला मित्र धीरे धीरे वहां से खिसक कर दूसरी गाड़ियों में बैठ गए एक मित्र ने नब्ज देखी उसे नब्ज बंद लगी , उसने सबको बताया फालतू के पुलिस के चक्कर में फसेंगे उसने ३-४ जगह फोन कराये और सब भाग लिए | अस्पताल में होश आने पर उसने २० दिन बाद दखा कि सामने केवल माँ बैठी रो रही थी, उसने देखा पास ही पत्नी फर्राटेदार इंग्लिश में किसी डॉ से बात कररही है ,बाद में मालूम हुआ कि पत्नी सबसे पहले सत्यार्थ को अस्पताल लेकर पहुंची थी ,उसके कमर से नीचे का हिस्सा लकवा ग्रस्त हो चुका था, डॉ उम्मीद छोड़ चुके थे मगर पत्नी अपने तर्कों से उन्हें आगे के इलाज के लिए मानती मिली ,अस्पताल में कई माह और होगये थे, एक भी दोस्त नहीं दिखा था ,पत्नी ने गहने पैसे और अपनी नई जॉब के बीमा के कार्ड इलाज में लगा रखे थे ,अचानक वह पत्नी का हाथ पकड़ कर जोर जोर से रोने लगा उसे दुनियां की नश्वरता का ज्ञान था ,विदेशी इलाज और प्रार्थना से सत्यार्थ ठीक होगया था दुनियां की सच्चाई उसकी समझ आगई थी ,अपनी पत्नी को अलपक देखते हुए एक आंसू उसके गाल पर ढलका उसने पत्नी के पल्लू से अपना मुंह ढक लिया पत्नी सिर पर हाथ फेरने लगी ,जैसे वो आज सब समझ गया हो |
आधुनिक युग में हम केवल यह मान बैठे है कि समाज को जीतने के लिए हमारा आधुनिक होना आवश्यक है हम सब कुछ समझते है और जो हम बाहर देख रहे है बस वो ही सबसे ज्यादा आधुनिक है और उसके बिना हम रूढ़िवादी , गंवार और असभ्य लगेंगे और केवल यही कारण है कि हम अपने आपसी संबंधों का भी शोषण करने लगे है , हम सबसे पहली नजर में आदमी को आँखों ही आँखों में तौलते है कि ये मेरे किस मतलब का है ,फिर जैसा काम होता है उतनी ही चापलूसी और व्यवहार करने लगते है फिर जैसे ही हमारा काम पूरा हुआ हम सामने वाले में हजारों कमियां निकाल देतें है , क्या हम इसी को जीवन कहते है |
एक अन पढ़ माँ - बाप ने स्टेशन पर किसी को अपने बेटे का पता लिखा कागज़ दिखाया,बाबू जी यह मेरे बेटे का पता बताना जरा ,पत्र पढने वाले की आखों में आंसू आगये उसमे लिखा था अब इनपर कुछ नहीं बचा है कृपया इन्हे किसी अनाथालय का पता बता दें | धन्य है ऐसी तथाकथित आधुनिकता और धन्य है वे लोग जो अपनी पीढ़ियों को अनाथालय बनवाने का सन्देश दे रहे है ,माँ बाप पत्नी- पति भाई-बहिन और रिश्तों में समय हर आदमी हमारे उपयोग करने फेकने और आगे बढ़ जाने के सिवा कुछ है ही नहीं , हम एक झटके में सारे रिश्ते नाते तोड़कर अपने रस्ते चल देते है ,और पूरे समाज में एक ऐसी होड़ मच गई है कि कौन किसको कितना और कितनी जल्दी धोखा देकर काम निकालपाता है |
आधुनिक युग बाजार का युग है यहाँ बड़े बाजार की हर खूबसूरत चीज डमी को पहना कर प्रदर्शित की जा रही है , हम अपनी तरह तरह की तस्वीरें सोशल मीडिया की साइड्स पर डाल कर अपनी लोकप्रियता देखना चाहते है , मित्र हमारा उपयोग , ब्लेकमेल और अंतरंग क्षणों को सार्वजनिक बनाने में लगे है और हर उस चीज की नीलामी में रिश्ते भी बिक रहे है ,जो साधन हीन , लाचार और आदर्शों पर चलने वाले दिखे वो हमने रूढ़िवादी कह कर छोड़ दिए और हर रिश्ते को एक पायदान समझके हम ऊपर चढ़ते चले गए शायद हम यह भूल जाते है कि आज नहीं तो कल हमें लौटते में इन्ही पायदानों की फिर जरूरत होगी |
जवानी , धन , बल , यश ,और फिगर समय के साथ तुम्हें मुंह चिढ़ाने लगेंगी और खूब सूरत और धनवान बनने की कोशिशें आपको समाज परिवार समाज से दूर कर दँगी ,अथाह ढेर पर बैठ कर आप जब समाज और परिवार को ध्यान करोगे तो आपको लगेगा कि मैंने उन्हें अपने लायक माना ही कहां ,और जो लोग मुझे पसंद आते वे मुझे हीन मानकर मेरे से दूर भाग रहे होंगे , क्योकि जीवन भर मैंने उनका उपयोग किया और अब आज जब मैं समय से हार रहा हूँ, तब सब मुझे तिरस्कृत और समय मेरा सबसे शोषण या उपयोग कररहा है ,अब तो न धन न बल न यश कुछ काम आरहा है और सौंदर्य अब रहा ही कहां है ,शायद मैंने जीवन को हर इंसान का उपयोग और उसके बाद उसे फ़ेंक देने की जो सभ्यता दी थी समय मुझ पर ही उसका प्रयोग कर रहा है , आज बस मैं यही कह सकता हूँ ,आप ऐसा न करें सम्बन्ध जीवन की वह ज्वलंतंतता और आदर्श है, जिसके बिना हम निकृष्टतम सिद्ध होते है | रिश्तों को आधार हीन बनाने वाले स्वयं अपना अस्तित्व ख़त्म कर डालते है |
रिश्तों के सम्बन्ध में निम्न को अवश्य अपनाएँ
- किसी भी रिश्ते को आधार हीन नहीं समझे समय के साथ कभी न कभी हर स्तर के रिश्ते हमारे काम आ सकते है यह ध्यान अवश्य रखें |
- सबसे व्यवहार विनम्र ही रखें क्योकि रिश्तों की आवश्यकता हर कदम इंसान को सम्बल देती रहती है और यहीं से वह स्वयं सशक्तहोता हुआ पाता है |
- परिवार के हर सदस्य का अपना महत्व है आपको चाहिए कि सबसे साफ और पूर्ण व्यवहार रखें क्योकि हर व्यवहार आपसे नियत अपेक्षा करता है |
- समाज में अपना व्यवहार दया करुणा और सहायता का बनाये रखें क्योकि समाज आपसे यही अपेक्षा करता है कि आप उसे सहायता और विकास देने का प्रयत्न करें |
- अहंकार से स्वयं को दूर रखें क्योकि आपका अहंकार आपको समाज परिवार और अपनों से दूर कर देता है जबकि यही आपकी ताकत के रूप में आपको बल दे रहा होता है |
- रिश्तों को शोषण एवं उपयोग का साधन नहीं मानें यदि आप आज उपयोग करके उन्हें तिरस्कृत करेंगे तो आपकी आगामी पीढ़ी भी आपको यही व्यवहार वापिस करेगी |
- अपने व्यवहार में स्पष्टता बनाये रखें यदि आप अपने परिवार समाज और राष्ट्र को धोखा या असत्य के बल पर उसे गुमराह करेंगे तो समय के साथ आपकी वास्तविकता स्वयं यह सिद्ध कर देगी कि आप धूर्त है और उसकी सजा आपको अवश्य मिलेगी |
- अपना व्यक्तित्व आदर्शों और सत्य के साथ जोड़ने का प्रयत्न करें ,क्योकि आदर्शों और सत्य के सिद्धांतों में दीर्घ काल तक परिवर्तन नहीं होते |
- समय को जीतने का प्रयत्न करें समय को केवल वह जीत सकता है जो अपने दूसरों के हित में प्रयोग कर सके क्योकि आप यदि विकास के दूत बने तो उस्सव सम्पूर्ण राष्ट्र आपको जीवन में अमर कर देगा |
- धर्म की प्राथमिक परिभाषा है "सः धारयते इति धर्मः " जो धारण करने योग्य है वही धर्म है और धारण करने योग्य है केवल सत्य और सकारात्मक कर्म अतः स्वयं को सकारात्मक कर्म से जोड़े रखें |
- अहिंसा से अधिक बड़ा धर्म है ही नहीं ,अहिंसा का सत्य अर्थ यही आप स्वयं पूर्ण शांति से जिए और दूसरों के लिए भी शांति से जीवन जीने की नीव रखे |
- समय अनुसार अपना मूल्यांकन करते रहें यह अवश्य ध्यान रखें कि यदि आप कही स्वार्थी , अनादर्शों पर चल रहे है तो उनमे समयानुसार सुधार करते रहें |