स्वार्थी, प्रेक्टिकल या मोर्डन बड़े छोटे शब्द है परन्तु शायद आज की युवा पीढ़ी के लिए ये शब्द उनकी दबी पिसी हीन भावना को प्रस्तुत करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे है । छोटे छोटे ग्रामों कस्बो और संयमित
परिवारों में अनुशाशन में पलने वाले बच्चे आधुनिक शिक्षा और गिनी चुनी डिग्रियों से शिक्षित होकर स्वयं को बेहद मोर्डन और आधुनिक समझने की कोशिश करने लगते है परिणाम यह कि उनके हर कार्य में एक घोर निराशा घोर हीन भावना और समाज में आधुनिक बनने की होड़ छुपी होती है जो स्वयं एक ऐसी हीन भावना को प्रदर्शित करती है जिसमे शारिरिक संसाधनों और भौतिक साधनों की अधिकता अवश्य हो सकती है मगर एक लम्बे समय बाद खुद अपने खोखले व्यक्तित्व और शारीरिक अक्षमताओं को ही हम सब शाप बना बैठते है ।
दोस्तों जीवन कोई आपसे उन सब कार्यों का हिसाब जरूर मागेगा जो आप आज कर रहे है ,आदर्श मूल्य और सत्य का मूल्य केवल वो समझ सकते है जो जीवन को केवल भोग न समझ कर उससे ज्यादा मूल्य के पक्ष धर हो
आपने यदि जीवन को केवल हवस और ऐश का माध्यम समझा है तो आपका कोई दोष नहीं है आप यदि हर सम्बन्ध को यूज एंड थ्रो की माल संस्कृति जैसा समझते है तो आप प्रेक्टिकल है आज समाज में क्या नहीं हो रहा और अधिक और अधिक भोगवादी बन कर हम अपनी मूल पृकृति को ही ख़त्म करने पर आमादा है यह कैसा सुख चिंतन या प्रेक्टिकल होना है जिसमे केवल पैसा शराब माल और होटल की लम्बी स्याह राते है और वैसा ही कुछ भविष्य है हमारे आने वाले कल का ।
चलिए यह विचार तो शायद गंवारो का और उस समाज का विषय हो जिनका हर समय केवल शोषण हुआ हो और शायद ये लोग बने ही इसलिए हों कि वो किन्ही उन प्रेक्टिकल लोगो के काम आ सके जिन्हें अपने उद्देश्यों के लिए कुछ भी किसी भी सीमा पर जाकर हर रिश्ते और हर सम्बन्ध को यूज करना आता है और यूजर तो अच्छा मनेजर होता है स्वार्थी नहीं हो सकता।समय शायद इसका सही उत्तर दे सकता है ।
हर जगह कोई आपके हर कार्य पर नजर लगाए है दोस्त आप सबकी नजर से अपने झूठ फरेब और मक्कारी का सहारा लेकर बच जाओगे हर आदमी को पागल बना कर खुदको श्रेष्ठ साबित भी कर लोगे पर क्या जीवन का सत्य और आपकी आत्मा इस से खुश और शांति पा सकेगी यह खुद प्रश्न चिन्ह है इश्वर खूब खुश रखे उन प्रेक्टिकल लोगों को जिनका जीवन हर सम्बन्ध केवल यूज एंड थ्रो की तरह प्रेक्टिकल है
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