शुभ कर्म करता तो स्वयं तर जाए अपने कर्म से
ज्ञानी तरे निज ज्ञान से धर्मात्मा निज धर्म से
जिसके न कुछ आधार हो कुल दृव्य विद्या बल न हो
तेरे सकल बेकल सकल कल प्रान्त में भी कल न हो
उस दीन के बंधू हो तुम बल हीन की प्रभु शक्ति हो
अशरण शरण भव भय हरण तुम ज्ञान कर्म सुभक्ति हो
अर्थात आप यदि अच्छे कर्म वाले है तो वह कर्म है ,ज्ञानियों का ज्ञान धर्मात्माओं का धर्म रूप भी वही है ओर जिसके पास कुल .धन ,विद्या ,ओर बल आदि कुछ भी न हों मगर उसमें आपका जिज्ञासु भाव बना हों तो आप स्वयं उसके विश्वास से बड़े बन कर धर्म कर्म विद्या बल धन ज्ञान रूप में परणीत होकर अपना अस्तित्व बता देते हो
चाहे वह निराकार का उपासक हो या साकार का उसे पूर्ण रूप में आपका ज्ञान है हो जाता है
ईश्वर को आप कुछ भी मान सकते है ज्ञान माने कर्म माने निराकार माने या साकार सब उसका अस्तित्व है ओर हमे वह स्वीकार करना ही होता है एलोपथी ने मानवीय जीवन को बहुत बड़ी सेवा दी जिसे विज्ञान का परिष्कृत रूप माना गया मगर उसने भी अपने प्रथम पेज पर यह लिखा कि
आई ट्रीट ही क्योर्स
अर्थात मै केवल इलाज करता हूँ मगर ठीक करने कि शक्ति उस ब्रह्मांडीय शक्ति का काम है दोस्तों मै इसे ही ईश्वर मानता हूँ
सम्पूर्ण प्रुकृती में हर चीज किसी न किसी चीज से बंधी या सम्मोहित है ओर उसका मग्नेटिक फील्ड कुछ आवृतिया प्रेषित कर रहा है वही जीवनी शक्ति का स्त्रोत है यह नाद ,ध्वनि से पूर्णत बंधी है इसकी गति शीलता के लिए उसे इसे समयानुसार चार्ज करना होता है ओर वह एक नियत समय सीमा में हर चीज .जीव केपास उसे चार्ज करने अवश्य आता है बस इसी सामीप्य को आपको समझाना महसूस करना है आज वैज्ञानिक मानव सेल खून ओर चेतना कुछ नहीं बना पाया तो यह जिसने भी बनाया है वह ईश्वर होगा जिसे अपनी कृति कि चिंता सबसे ज्यादा होगी
सारत;यह कि ध्वनि नाद ओर मग्नेटिक फील्ड का आपस में गहरा सम्बन्ध है दोस्तों वेद इस ध्वनि को मंत्र मानता है जिसका सम्बन्ध पृकृति कि जीवनी शक्ति के जीवन सेल से है ये ध्वनि अपने अनुरूप कार्य ओर निर्माण स्वयं कर लेती है ओर इंसान इसे ओर करीब महसूस कार सकता है
पृकृति के अनगिनत जीवन सेल अलग अलग मन्त्रों से बंधे है ओर उनके कार्य भी अलग है इसलिए मै ये दावा कर सकता हूँ कि हर जीवन के हर काम ओर सोच को सम्मोहित किया जासकता है ओर उसे महसूस करके अधिक सशक्त जीवन की शुरुआत की जा सकती है
पिछले दशक में युवाओं के साथ बहुत बड़े बड़े सामाजिक परिवर्तन हुए ,और इस समय लगभग ५ लाख युवाओं ने आत्महत्याएं की जो समाज के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है|युवा तो किसी समाज संस्कृति और सभ्यता कि नींव होता है ,उसमे अपरमित शक्ति होती है ,वह तूफानों को मोड़ने कि शक्ति रखता है और उसे ऐसा ही होना चाहिए | ख़राब समय भी निकल ही जाएगा ,आगामी भविष्य यह संकल्प लिए खड़ा है क़ि आपके नए जीवन का नव आरंभ आज से ही हुआ है ,एक बार फिर सकरात्मकता का संकल्प लेकर आगे बढ़ों समय आपको अमर-सफल सिद्ध कर देगा ]
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