Friday, September 17, 2010

पसंद , प्रेम ,या योग्यता

जीवन भर आदमी के सामने यही प्रश्न रहता की वह सभी विषय स्थितियों में से श्रेष्ठ का चयन करे ,आरम्भ से ही उसके सामने यह सवाल खड़ा होता है कि वह अपनी अच्छी लगने वाली चीजों को देखे प्रेम देखे या योग्यताओं का मूल्यांकन करेओर इन्ही समस्याओं में घिरा वह अपने जीवन का बहुमूल्य समय यूँ ही गवां बैठता है

पसंद उसका अनुभव बताता है वह अच्छी ख़राब दौनों चीजों को पसंद कर सकता है, उसके जन्म लेतेही उसे पसंद ना पसंद का ज्ञान होने लगता है ,वह माँ के चेहरे दूध ओर शून्य की परिधि में भी अच्छा बुरा दौनों में भेद कर पाता है पसंद बहुत तरह कि चीजों में एकसाथ अस्तित्व में आ सकने वाली विषय वस्तु है बहुत से लोगो समूह ओर एकसाथ सबको पसंद ना पसंद किया जा सकता है पसंद परिवर्तन शील है उसकी तीव्रता में उतार चढ़ाव देखा जा सकता है ,ओर वह आदमी के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है

प्रेम सदियों से अपनी परिभाषा खुद रहा है समय परिस्थितियों ओर समय की असामायिक मांग से वह प्रभावहीन ही रहा है वर्त्तमान परिवेश में उस प्रेम का स्वरुप वहीँ खड़ा है मगर आज हमे प्रेम के नाम पर जों परोसा जा रहा है वह प्रेम की मानसिकता से बहुत दूर केवल एक सौदा है ,जिसमे बहुत से मूल्यांकन कर्ता ओर अपने अपने मतलब से खड़े बहुत से स्वार्थी तत्त्व है जों अपने स्वार्थों के लिए हवस,उपयोग,ओर शोषण के लिए अलग अलग तरह से इस प्रेम शब्द का उपयोग कर रहे है

दोस्तों योग्यता अपने आपमें सबसे उपर की स्थिति है हम पसंद ओर प्रेम दौनों को ही इस कसौटी पर रख कर परख सकते है क्या यह प्रेम या हमारी पसंद इस योग्यता पर खरी उतरने लायक है अथवा नहीं यदि हमने इन स्थितियों को योग्यता की कसौटी पर परख लिया तो आपका प्रेम पसंद ओर योग्यता आपको शोषण ओर हवस के उपयोग का कर्क नही बनने देगी ओर जीवन अपने उन्नत शिखर तक अवश्य पहुच जाएगा



Wednesday, September 8, 2010

समय

वह जों कल था आज बदल गया है वह गति मान है ,जीवन के सबसे तीव्र गातिवेग से ओर वही बता रहा है कि सब कुछ कुछ पलों में बदल जाना है ,हम सब केवल उसे ही सबसे सस्ता समझ बैठे है , शायद यही भूल हमे अपनी उम्र भर परेशां करने को काफी है ,समय कि अबाध गति के सामने युग मर्यादा ,ओर ब्रहमांड कि हर शै ताश के पत्तो की तरह धराशाही होती रही है, मगर हम केवल तमाश बीन बने खड़े रहे है |

जुएँ में ओर जीवन में कोई जीत कर नहीं निकला
यह समय का सबसे सशक्त पहलू हो सकता है , समय ने ब्रहमांड के बहुत से आयामों को हराया है ,ओर हर बार अविजित रहा है ,सम्राटों के सिंघासन ओर ताज इसने चढते ओर उतरते देखे है , सूर्य ओर पृकृति के सुहावने ओर प्रलयंकारी स्वरुप को इसने धैर्य से देखा है ,ओर इतना शक्ति शाली होकर भी यह हर प्राणी के सामने अपना मूल्याकन करने कि चाह रखता है ,जबकि उसका मूल्य समझाने वाला हर शक्श यह जनता है कि वह अनमोल,बेजोड़ ओर अतुलनीय शक्ति संपन्न है |

आज आप ओर मेरे सामने बस यही प्रश्न है कि इसे जीत कौन पाया है दोस्तों समय को जीतने वाला हर इंसान वह था जों इसका महत्व जानता था ,जिसने अपने उद्देश्यों में समयको ही सर्वाधिक महत्व दिया ,जिसने समयकी मान्यताओं के साथ स्वयं को एकसूत्र में बाँधा ओर जिसने हर समय के परिवर्तन की नब्ज के साथ स्वयं को ढाला ,शायद ये ही वो लोग थे जिन्होंने समय को सही ढंग से उपयोगित किया ओर इतिहास बन गए |समय की अबाधता को अपने आदर्शों ओर उद्देश्यों के उच्च शिखर पर रखने वाले ये लोग समय पटल पर अपना नाम सुनहरी अच्छरों में अंकित करने में कामयाब रहे |ओर समय की धारा इन्हें बहुत दूरतक ले गई ओर शायद समय इन सबके सामने नत मस्तक हो गया |


आओ दोस्तों आज हम भी आपके साथ समय की उस गरिमा , तीव्र गति के साथ स्वयं को उसके अनुरूप बनाते हुए अपने उद्देश्यों ओर आदर्शों के पैमानों पर उसे परखे शायद यहीं से हम स्वयं को सिद्ध करने की कोई सशक्त कोशिश कर पायें|

समय

अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि

  अनंत कामनाएँ,जीवन और सिद्धि  सत्यव्रत के राज्य की सर्वत्र शांति और सौहार्द और ख़ुशहाली थी बस एक ही  कमी थी कि संतान नहीं होना उसके लिए ब...